प्रदूषण का अर्थ, प्रदूषण के समस्या का कारण, दुष्प्रभाव, और समाधान

प्रदूषण का अर्थ, प्रदूषण के समस्या का कारण, दुष्प्रभाव, और समाधान

आज के इस इंडस्ट्रियल दुनिया में प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या और चुनौती है। आज के समय मे प्रदूषण इतनी भयानक हो चुका है कि यदि समय रहते इस पर ध्यान नही दिया गया तो पूरी दुनिया इसकी चपेट आ जायेगा। इसके लिये ये जानना जरूरी है कि प्रदूषण का अर्थ क्या है प्रदूषण के समस्या का कारण, दुष्प्रभाव, और समाधान किस प्रकार होगा, तभी इससे राहत हो पायेगा। तो आइए देखते है विस्तार से।

प्रदूषण का अर्थ

वातावरण या वायुमंडल का अस्वस्थ होना तथा उसके संतुलन का बिगड़ जाना। विकास और व्यवस्थित जीवन क्रम के लिए जीवचारियों को संतुलित वातावरण को आवश्यकता होती है। जब वातावरण हानिकारक घटको प्रवेश हो जाता है तो बातावरण प्रदूषित हो जाता है जिसे ‘प्रदूषण’ कहा जाता है।

प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण तीन प्रकार का होता है वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण तथा भूमि प्रदूषण वायुमंडल में विभिन्न प्रकार की गैसे एक विशेष अनुपात में विद्यमान रहती है। जब यह संतुलन बिगड़ जाता है तो वायु दूषित हो जाती है। इसी प्रकार जल में जब असुध्धिया मिल जाती है तो जल प्रदूषण हो जाता है। भूमि पर अनेको गंदगी के कारण भूमि प्रदूषित हो जाती है।

प्रदूषण का अर्थ, प्रदूषण के समस्या का कारण, दुष्प्रभाव, और समाधान

इसके अलावा आजकल रासायनिक प्रदूषण भी हो रहा है। अधिक पैदावार के लिए जब कीटनाशकों का अधिक प्रयोग किया जाता है तो इनका स्वास्थ्य पर बहुत पातक प्रभाव पड़ता है। ध्वनि प्रदूषण भी एक प्रकार का प्रदूषण है जो बड़े-बड़े नगरों में कल कारखानों के शोर आदि के कारण होता है।

प्रदूषण से समस्या

प्रदूषण से समस्या के कारण आज महानगरों में वाहनों, कारखानों तथा बढ़ती आद्योगिक इकाइयों के कारण वातावरण प्रदूषित हो रहा है। कारखानों की चिमनियों तथा वाहनों आदि से जहरीली गैसे निकलती हैं जिनसे वायु प्रदूषित हो जाती है। आवास की समस्या को सुलझाने के लिए की जा रही बनों की कटाई भी वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है। कल कारखानों से निकलन वाले अवशिष्ट पदार्थ जब नदी में बहा दिए जाते हैं, तो जल प्रदूषित हो जाता है।

महानगरों में मशीनों, कल कारखानों, वाहनो के शोर से ध्वनि प्रदूषण होता है। परमाणु शक्ति के उत्पादन ने वायु, जल और ध्वनि तीनों प्रकार के प्रदूषण को बढ़ावा दिया। है। भूमि पर पड़ कड़े-कचरे के कारण भूमि प्रदूषण होता है। महानगरों में झुग्गी-झोंपड़ियों की अधिकता के कारण भी भूमि प्रदूषण होता है।

प्रदुषण के दुष्प्रभाव

प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक होता है। वायु प्रदूषण से श्वास तथा फेफड़ों से संबंधित रोगों का जन्म होता है है। जल प्रदूषण से पेट तथा आंतों के रोग जैसे हैजा, पीलिया आदि हो जाते हैं। ध्वनि प्रदूषण से मानसिक तनाव, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग आदि की संभावना रहती है। प्रदूषण के कारण आज तो कैंसर, एलर्जी तथा चर्म रोगों में भी वृद्धि हो रही है।

प्रदुषण के समाधान

यद्यपि प्रदूषण की समस्या विश्वव्यापी है तथापि वृक्षारोपण इसे रोकने का सर्वोत्तम उपाय है। वृक्ष हमें शुद्ध वायु प्रदान करते हैं। बनों को अंधाधुंध कटाई पर रोक लगाई जानी चाहिए। वाहनों द्वारा प्रदूषण को रोकने के लिए उनके लिए सी.एन.जी. के प्रयोग को अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। औद्योगिक इकाइयों द्वारा होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए ये इकाइयों नगरो से दूर स्थापित की जानी चाहिए।

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