नई टेक्नोलॉजी, विज्ञान की नई अविष्कार क्या क्या है, नई इलेक्ट्रॉनिक का अविष्कार,

        दोस्तो आज हम बात करेंगे विज्ञान की नई टेक्नोलॉजी, विज्ञान की नई अविष्कार क्या क्या है, नई इलेक्ट्रॉनिक का अविष्कार क्या है तो चलिए देखते है कुछ खास अविष्कारों को…

त्वचा पर चिपकने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण 

बहुत जल्द आप कम्प्यूटर और मोबाइल फोन को अपनी आस्तीन के नीचे रख सकेंगे । वैज्ञानिकों ने एक ऐसा दलेक्ट्रॉनिक सार्किट तैयार किया है , जिसे त्वचा पर एक पट्टी की तरह चिपकाया जा सकता है । यह सर्किट सामान्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की तरह ही काम करेगा , लेकिन इसे बड़े – बड़े तारों की जरूरत नहीं होगी । इस भार रहित , अदृश्य और तार रहित सर्किट का उपयोग शरीर के महत्वपूर्ण अंगों की निगरानी के लिए भी हो सकता है । इस सर्किट के विकास को मानव और मशीन के बीच लगातार बढ़ रहे रिश्ते में एक नई कड़ी के रूप में देखा जा रहा है । इससे कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स जगत में एक नया युग शुरू हो सकता है ।

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  नए सर्किट में बहुत – सी सर्पाकार संरचनाएं बनी हुई हैं । इसका आकार एक डाक टिकट जितना है । यह मनुष्य के बाल से भी पतला है और दूर से गोदने के निशान जैसा दिखाई देता है । वैज्ञानिक भाषा में इसका नाम ‘ इडिडर्मल इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम ‘ रखा गया है । त्वचा पर इस पट्टी को चिपकाने के लिए किसी गोंद की जरूरत नहीं पड़ती । आणविक शक्तियों की वजह से यह खुद त्वचा पर चिपक जाता है ।

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             इलेक्ट्रॉनिक सर्किट घुलनशील प्लास्टिक की शीट पर बनाया गया है । यह लचीला विद्युत सर्किट है । चिपकने के बाद इसे मोड़ा या खींचा जा सकता है । इसमें सलवटें भी पड़ सकती हैं लेकिन किसी भी स्थिति में यह न तो टूटता है और न ही छिटक कर अलग होता है । काम के बाद यह इलेक्ट्रॉनिक पैच अपने आप त्वचा से अलग हो जाती है ।

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अमेरिका के इलिनॉय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और प्रमुख रिसर्चर टॉड कोलमैन का कहना है कि यह सिस्टम शरीर पर धारण योग्य इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं ( वियरेबल इलेक्ट्रॉनिक्स ) के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है । नया सर्किट डाक्टरों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है । उन्हें मरीज के शरीर से ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करनी पड़ेगी । जांच के लिए उन्हें उपकरणों की जरूरत नहीं रहती । शरीर पर चिपके हुए इलेक्ट्रॉनिक सर्किट से व्यक्ति के दिल की धड़कन और उसकी मांसपेशियों पर निगरानी रखी जा सकती है । इसके लिए तारों , जेल और टेप की जरूरत होती है ।

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रिसर्चर इस सर्किट के माध्यम से मस्तिष्क और हृदय द्वारा उत्पन्न विद्युत हलचल को रिकार्ड करने में कामयाब रहे । सामान्य परिस्थितियों में मस्तिष्क की कार्य प्रणाली का अध्ययन करना मुश्किल है । अभी मरीज को ईईजी ( इलेक्ट्रोएनसिफेलोग्राम ) कराने के लिए एक खास किस्म का हेलमेट पहनना पड़ता है । जो बीमारी के कारण बोलने में असमर्थ हैं , वे कम्प्यूटर से जुड़ने के लिए इलेक्ट्रॉनिक पैच का इस्तेमाल कर सकते हैं ।

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वैज्ञानिकों का कहना है कि कंठ के आसपास ही हलचल को रिकॉर्ड करके यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति क्या बोलना चाह रहा है । मरीजों के गलों पर पैंच चिकाए जा सकते हैं , जिनके माध्यम से वे किसी कम्प्यूटर या रोबोट के साथ संपर्क कायम कर सकते हैं । रोबोट मरीज के गले की मांसपेशियों की हलचल को बोली में बदल – देगा ।

अब रोबो नर्स करेगी देखभाल 

           टोयोटा ने ऐसे डिवाइस तैयार किए हैं , जो न सिर्फ लोगों को चलने – फिरने में मदद करेंगे , बल्कि उनकी देखभाल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे । आने वाले समय में शारीरिक रूप से अक्षम या हाथ – पैरों से लाचार लोगों की देखभाल अत्याधुनिक रोबो नर्स करेंगी । प्रतिष्ठित कार निर्माता कंपनी टोयोटा ने पिछले दिनों ऐसी ही दो रोबो नर्स का प्रदर्शन किया । इसे मैकेनिकल हेल्थकेयर की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है ।

चलने फिरने में मदद करेगा रोबो : 

यह कम्प्यूटर संचालित डिवाइस है , जो पैर को प्राकृतिक अंदाज में जमीन पर उठने – गिरने में मदद करता है । यह लकवे या पोलियो के कारण लाचार लोगों को चलने – फिरने में मदद करेगा । इस कम्प्यूटराइज पैर को ऊर्जा देने वाली बैटरी संबंधित शख्स की पीठ पर ही टंगी रहेगी । इसकी मदद से मरीज अपने घुटने भी मोड़ सकता है । यह डिवाइस सीढ़ियां चढ़ने में भी मददगार है ।

 ट्रांसफर मशीन – 

हाथ पैरों से लाचार लोगों की तुलना में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों की देखभाल में बहुत दिक्कत आती है । इस दिशा में उम्मीद की किरण बन कर आई है पेशेंट ट्रांसफर मशीन । यह मरीज को बिस्तर से उठाकर बाथरूम तक ले जाने में सक्षम है । हालांकि इस मशीन के साथ भी एक सहायक की जरूरत पड़ेगी । लेकिन सहायक को मरीज को उठाने – बैठाने की जद्दोजहर नहीं करनी पड़ेगी ।

 इससे क्या होगा फायदा : 

अस्पतालों में दक्ष स्टॉफ की कमी से निपटा जा सकेगा । इसके साथ ही वृद्ध लोगों की देखभाल आसान होगी । सबसे बड़ी बात इन उपकरणों की मदद से मरीज को जल्द ठीक करने में मदद मिलेगी ।

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              कंपनी इनके हल्के वर्जन बनाने की दिशा में काम कर रही है । इसके साथ ही उसका इरादा इन्हें सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर और जांचने के अलावा अधिक से अधिक मानवीय टच देने का है । टोयोटा का लक्ष्य इन उपकरणों को 2013 में बाजार में पेश करने का है ।

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ऐसे कम्प्यूटर जिसे सर पर बांध सकते हैं 

जरा कल्पना कीजिए एक ऐसे कम्प्यूटर की जो आपके मेज पर पड़ा किसी डिब्बे के आकार का नहीं है , न ही वो माउज या की – बोर्ड से चलता है । बल्कि इसे आप अपने सिर पर बांध सकते हैं और इस आवाज से संचालित किया जा सके। लेकिन ये अब कल्पना नहीं बल्कि हकीकत ।

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तरह का कम्प्यूटर बाजार में अब उपलब्ध हैं इसका नाम एचसी 1 है । जिसे मोटोरोला सॉ. ने बनाया है । ( ये मोटोरोला मोबिलिटी नाम की कंपनी से है जिसे अब गूगल ने खरीद लिया है ) । देखने में ये बहुत बड़े साइज का टेलीफोन हैंडसट लगता है जो साइकल हेलमेट और गैस मास्क जैसा दिखता हैं ये टोल में आता है – क्रैडल के जरिए इसे आप अपने सर पर बांध सकते हैं और कम्प्यूटर धातु के एक डिब्बे में होता है जो आपके सर के इर्द घिरा हुआ होता है ।

 आवाज के इशारे पर : 

सामने एक छोटी स्क्रीन है – चेहरे के बिल्कुल सामने । देखने के लिए आपको सर थोड़ा झुकाना होगा । ये आपके वाइस के कमांड को समझेगा यानी आप इस उपकरण को आदेश दे सकते हैं कि वो कोई फाइल खोले ई – मेल चेक करे या कैमरे के जरिए सामने रखी चीजों पर जूम – इन करे ताकि आप इन्हें करीब से देख सकें इस तरह के कम्प्यूटर को ऐसे मौकों पर इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया है जब लोगों को कई काम साथ – साथ करने के अलावा उनसे जुड़ी जटिल जानकारियाँ भी जुटाने की जरूरत हो सकती है ।

 भविष्य का आकर्षण :

 मोटोरोला को अनुमान है कि वो ये कम्प्यूटर हैंडसेट तीन से चार हजार डॉलर में ग्राहकों को मिल सकेगा । हालांकि कंपनी मानती है कि उस उपकरण को बड़ा बाजार नहीं मिलेगा । प्रोडक्ट मैनेजर पॉल रीड कहते हैं कि लोग इसे पहनकर सड़कों पर तो नहीं चलेंगे । इस उपकरण को बड़े पैमाने पर लोग भले ही न खरीदें लेकिन इसमें वो तकनीकें हैं जो भविष्य में बहुत से अन्य उपकरणों का हिस्सा बन सकती है ।

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कुछ साल पहले गूगल ने चश्मे के एक फ्रेम की परिकल्पना की थी जिसमें इंटरनेट कनेक्शन था, कैमरा था और एक डिस्पले भी था । लेकिन ये अभी पूरी तरह तैयार नहीं हो पाया है । जूनियर रिसर्च नाम की कन्सलटेंसी का कहना है कि बांध सकने वाले कम्प्यूटरों के कल बाजार का आकार साल 2014 तक लगभग डेढ़ अरब डॉलर हो गया था। स्मार्टफोन , लैपटाप आदि का बाजार अभी इस मुकाबले में बहुत बड़ा है लेकिन लोग बांध सकने वाले कम्प्यूटरों की ओर आकर्षित हो रहे है ।

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