स्वस्थ कैसे रहे, संक्रमित होने से कैसे बचें, बीमारी से कैसे बचें,वायरस से कैसे बचें
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  संक्रमित होने से कैसे बचें, स्वस्थ कैसे रहे, बीमारी से कैसे बचें, बीमारियों से बचने के उपाय,

            कुछ लोग सोचते हैं कि जिसके शरीर में किसी रोग के कीटाणु न हों , वही ‘ स्वस्थ है । पूर्ण स्वास्थ्य की परिभाषा में मानसिक प्रसन्नता को सबसे अधिक महत्त्व दिया गया है । स्वास्थ्य का ज्ञान करते हुए हमें सबसे पहले मानसिक स्वास्थ्य पर विचार करना चाहिए । वात – पित्त – कफ . ये शरीर के दोष हैं । रज और तम , मन के दोष हैं । इन दोनों की वृद्धि से मानसिक अस्वास्थ्य उत्पन्न होता है । इन उपयो के लिए संक्रमित होने से कैसे बचें, स्वस्थ कैसे रहे, बीमारी से कैसे बचें, बीमारियों से बचने के उपाय, को जानना होगा।

 

            मन – वचन और कर्म में अन्तर हो तब मनुष्य भीतर से अशान्त और दुःखी रहता है । इसीलिए अन्तरात्मा की आवाज को अच्छी तरह से समझना चाहिए । उसके अनुसार आचरण करना चाहिए । शरीर और मन का आपस में गहरा सम्बन्ध है । शरीर के कमजोर होने पर दिमाग कमजोर होता है । मनुष्य का मन कमजोर होता है । दिमाग कमजोर होने के कुछ लक्षण है

  • नींद का न आना, 
  • दिमाग का एक जगह न रहना, 
  • मन में भ्रम का बना रहना, 
  • मन का अशान्त रहना, 
  • दिल में घबराहट होना, 
 

शरीर अपने आप चलनेवाली एक मशीन के समान है । बराबर चलते रहने मशीन के पुर्जे घिस जाते हैं । बराबर काम करते रहने से शरीर थकने लगता है । उससे शरीर के पुर्जे ( कोशिकाएँ ) भी घिसते और टूटते हैं । मशीन की अच्छी तरह से देख – भाल करनी पड़ती है । इसके लिए मशीन में तेल देना पड़ता है । उसको बीच – बीच में बन्द रखना जरूरी है । उसी तरह से शरीररूपी मशीन को भी आवश्यक खुराक और आराम देना चाहिए । ऐसा न होने पर मशीन की तरह मानव – शरीर भी टूटने लगता है । शरीर की शक्ति को बनाये रखना ही अच्छे स्वास्थ्य का लक्षण है ।

             तो चलिए जानते है कि अपने स्वास्थ्य की देखभाल कैसे करें, स्वस्थ कैसे रहे, बीमारी से कैसे बचें, बीमारियों से बचने के उपाय,

कैसे भोजन ले, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए क्या खाना चाहिए :

            जब बात शरीर को स्वस्थ रखने की आती हैं तो सबसे ज्यादा जरूरी है कि खाना किस प्रकार का हैं क्योंकि शरीर सबसे ज्यादा बीमार खाने पीने के चीजो से ही होता हैं। इस लिए हमारे भोजन संतुलित होना चाहिए । तो ये जरूरी है कि हम लोगो का भोजन स्वच्छ और पौष्टिक हो। तो फिर आइये जानते हैं अच्छे भोजन के कुछ लक्षण –

 

  • 1) भोजन में भरपूर रस हो यानी पानी स्वादिष्ट हो । 
  • 2)भोजन थोड़ा चिकनाईयुक्त हो । 
  • 3)भोजन में शरीर को स्थिरता देने की शक्ति हो । 
  • 4)भोजन शरीर , मन और दिमाग को ताकत देनेवाला हो । 
  • 5)भोजन आराम से पचनेवाला और प्रिय हो ।

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए और शरीर मे पौष्टिक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए कुछ इस प्रकार का खाना को अपने आहार में सामिल करना चाहिए।

 

  • 1) शरीर में पौष्टिक तत्त्वों की कमी पूरी करनेवाली खाने पीने की चीजें – दूध , अण्डा , मांस , दाल आदि ।  
  • 2) शरीर को जरूरी गरमी देनेवाले खाद्य पदार्थ – आटा , चावल , चीनी , आलू आदि । 
  • 3) शरीर में शक्ति का साधन बननेवाले खाद्य पदार्थ – घी , मक्खन , तेल आदि. 
  • 4)शरीर में भोजन के पचने में सहायता करनेवाले पदार्थ शुद्ध जल , खनिज पदार्थ , पाचक विटामिनें लेना चाहिए।

पानी से शरीर को स्वस्थ कैसे रखे, पानी को साफ कैसे करे,

           पीने और नहाने – धोने के काम आनेवाले जल के विषय में विशेष ज्ञान करना हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य है । हमारे देश में लगभग 70 प्रतिशत पेट के रोग , चमड़ी के और अन्य कई संक्रामक रोग जल के दोषों से फैलते हैं । जल के दोषों के प्रति अज्ञान और असावधानी इन रोगों के कारण है । पीने के लिए जल की मात्रा मौसम के अनुसार घटती बढ़ती रहती है । सामान्यतः मनुष्य के शरीर में चौबीस घंटे जल की आवश्यकता पड़ती है । 

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  • सामान्यत रात – दिन में जब भी प्यास लगे तब जल का सेवन करना चाहिए । 
  • जब खूब भूख लगी हो तब जल नहीं पीना चाहिए । 
  • भोजन के मध्य भी थोड़ा जल पीना चाहिए । 
  • पीने के लिए शुद्ध और स्वच्छ जल का ही प्रयोग करना चाहिए । 
  • एक दिन में कम से कम 14 से 15 गिलास पानी पीना चाहिए।
  • पानी को उबालकर पीना चाहिए।
  • शुद्ध जल में कोई गन्ध , रंग अथवा स्वाद नहीं होता । 

शुद्ध जल में उसमें एक विशेष प्रकार की चमक होती है । वह पारदर्शी होता है । उसमें से एक ओर से दूसरी ओर की हर वस्तु एकदम साफ दिखायी देती है ।

 

             जल को शुद्ध करना सीखें जल को कपड़े की दो तहों में छानकर पीना सबसे सहज उपाय है । जल को दोष – रहित बनाने के अनेक उपाय हैं । इनमें कल बहुत महँगे हैं । कुछ सुलभ भी हैं । कुछ रासायनिक तत्त्वों के मिश्रण से जल शुद्ध किया जाता है । इसमें फिटकरी डालकर जल शुद्ध करना अच्छा है । फिटकरी से वर्षा जल या दूसरे अशुद्ध जल के दूषित तत्त्व तली में बैठ जाते हैं । सामूहिक प्रयोग के लिए ‘ पोटैशियम परमैंगनेट ( पिनकी ) डालकर कुँएँ का जल शुद्ध करना अच्छा है । जल स्वच्छ करने के लिए कुँओं , तालाबों और जलाशयों में पिनकी ही डाली जाती है । शहरों मे नलों द्वारा जो जल घर – घर भेजा जाता है , वह अधिकतर यान्त्रिक साधनों और रासायनिक द्रव्यों से शुद्ध किया जाता है ।

 

जल – शुद्धि के सभी उपायों में जल को छानकर पीना सबसे बढ़िया है । सदा ऐसा अभ्यास रखना चाहिए । जहाँ कहीं संक्रामक रोग फैला हो या फैलने की आशंका हो वहाँ सदैव जल को खौलाकर ही पीना चाहिए । जल को खौला लेने से जल हलका और दोष – रहित हो जाता है । हाँ , खौले हुए जल का स्वाद कुछ मीठा और अरुचिकर होता है ।

घर को साफ और सुरक्षित रखे, घर को साफ कैसे रखे, 

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शरीर को स्वस्थ रखने के लिए घर को स्वच्छ रहना बहुत जरूरी हैं क्योंकि घर स्वच्छ रहेगा तभी आप सुरक्षित रहेंगे इसलिए : 

  • हमेशा घर  की देख – रेख करते रहना चाहिए । 
  • एक निश्चित समय पर घर की लिपाई – पुताई करते रहना चाहिए । – घर साफ – सुथरा हो । 
  • घर की हर एक वस्तु उचित स्थान रहे । 
  • हर रोज घर को झाड़ से साफ करें । 
  • रद्दी कागज के टुकड़ों को टोकरी में रखें । घर की मेज , कुर्सी और आलमारी को रोज पोंछे तो घर अच्छा लगेगा । 
  • सोते समय इन खिड़कियों को खुला रखना अच्छा होता है । 
  • खिड़कियों पर परदा लगा दें. 
  • घर के आस – पास पौधे लगाना भी स्वास्थ्य के लिए जरूरी होता है । पौधे खराब हवा को अच्छी हवा में बदल देते हैं । 
  • रात में हवादार स्थान में सोना चाहिए । 
  • जाड़े के दिनों में भी कमरे की खिड़कियाँ और दरवाजे बिलकुल बन्द करके नहीं सोना चाहिए । इससे हमारे निःश्वास से निकली सौगुनी अशुद्ध वायु फिर शरीर के भीतर पहुँचकर निश्चय हानि पहुँचाती है ।
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घर की सफाई का हमारे स्वास्थ्य है । पर गहरा प्रभाव पड़ता है । साफ – सुथरे घर में रहने से मनुष्य रोग से दूर रहता है । 

शुद्ध हवा का उपयोग करे, 

  •  शाम खुले मैदान में घूमने से पर्याप्त मात्रा में पीजन मिलती है । खुली हवा में अधिकतर गहरा श्वास लेना चाहिए । ऐसा करने से फेफड़े पूरी तरह फैलने – सिकुडने की क्रिया करते हैं । भली – भाँती श्वास लेने – छोड़ने का काम फेफड़ों की सुरक्षा पर निर्भर है । इसके लिए हमें अपने बैठने का ढंग सुधारना चाहिए । 
  • हम प्रायः थोड़ा – सा झुककर बैठा करते हैं , जो दोषपूर्ण है । बैठक ऐसी हो , जिससे पीठ सीधी और सीना उभरा रहे , जिससे फेफड़े पूरी तरह फैले रहा करें। 
  • जाड़ों में भी मुँह ढंककर नहीं सोना चाहिए । केवल गरदन तक शरीर को कपड़ों से ढंकना काफी है । यदि शीत लगने का भय हो तो सिर पर वस्त्र बाँधकर या कण्टोप ओढ़कर सोना चाहिए । हर दशा में नाक खुली रखना आवश्यक हैं।

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भरपूर नींद का आनन्द लें

नींद का न आना शरीर के लिए घातक है आज अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में करीब 60 लाख ऐसे व्यक्ति हैं जो नींद की दवा खाकर सोते हैं । भारत में लाखों ऐसे हैं , जिन्हें स्वाभाविक नींद का सुख नहीं मिलता । नींद शरीर की एक स्वाभाविक माँग है । जब कभी नींद में विघ्न पड़ जाता है । तब शरीर और मन पर इसकी प्रतिक्रिया होने लगती है ।

 

          निद्रा किसे कहते हैं । यह समझने की बात है । जिस अवस्था में शरीर की अन्य सब इन्द्रियाँ शान्त हों किन्तु मन कार्यरत हो , उसे ‘ स्वप्न ‘ कहते हैं । मनसहित इन्द्रियों का पूर्ण विश्राम लेना ही ‘ निद्रा ‘ है । आप काम करते हैं । काम करते – करते तन और मन थकावट महसूस करने लगता है । ऐसे में 

  • सीधे चित्त लेट जाइए । 
  • सारे शरीर को पूरी तरह से ढीला कर दीजिए । 
  • मन में कुछ भी मत सोचिए । यों ही पड़े रहिए । कुछ देर बाद उठने पर आप स्फूर्ति और ताजगी का अनुभव करेंगे । पूर्ण विश्राम का यही छोटा – सा उदाहरण है । 
  • सामान्यतः किसी भी प्रकार का श्रम करनेवाले व्यक्ति को प्रति 4 घण्टे बाद विश्राम मिलना चाहिए । 
  • दफ्तर , दुकान या काम से लौटते समय अपनी सब प्रकार की चिन्ताओं को बाहर रख दें फिर घर में प्रवेश करें ।

जीवन में प्रातःकाल का महत्त्व, सुबह उठे और स्वस्थ रहे

जीवन में प्रातःकाल का बहुत महत्त्व होता है । प्रातःकाल के समय उठकर जो भी काम किया जाता है वह बहुत ही साफ – सुथरा होता है तथा शुद्ध मन से किया जाता है क्योंकि प्रात : काल शरीर व मन में नयी ऊर्जा रहती है ।

 

            प्रातः की वेला में टहलना , स्नान करना और पढ़ना – ये सारी क्रियाएँ काफी लाभदायक होती हैं । प्रात : काल अपना बिस्तर छोड़ दो । दाँत साफ कर लो , फिर स्नान कर लो , पूजा पाठ कर लो । इन सभी क्रियाओं से मन पवित्र हो जाता है । फिर जब मन पवित्र हो गया तब चिन्ता किस बात की ?

स्वस्थ कैसे रहे इसके लिए इन सब बातों पर भी ध्यान देना अति आवश्यक है : 

  • हमेशा सुबह जल्दी उठे।
  • दांतो को सही तरीके से सफाई करना।
  • रोज नहाना।
  • साफ कपड़े पहनना।
  • नाखून को नियमित साफ करना।
  • ज्यादा से ज्यादा शाकाहारी भोजन करे।
  • जंहा चीजे सड़ती हो और उसमें से बदबू फैलती हो ऐसे जगह से दूरी बनाये रखना।
  • ज्यादा कारखानों वाली जगह में ज्यादा नही जाना चाहिए।
  • ज्यादा भीड़ वाले जगह से भी बचना चाहिए।
  • अपने आसपास गंदगी न फैलने दे।
  • हांथो को बीच बीच मे साबुन से धोते रहना।

दोस्तो इन संक्रमित होने से कैसे बचें, स्वस्थ कैसे रहे, बीमारी से कैसे बचें, बीमारियों से बचने के उपाय, को जानकर आप स्वस्थ और सुरक्षित रह सकते है। इसे शेयर करे और अपनों को सुरक्षित रखे। धन्यवाद !

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Amit Yadav

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