चंद्र ग्रहण क्या है बताइए | चंद्र ग्रहण से जुड़ी रोचक बातें

चंद्र ग्रहण क्या है इसके बारे में बताइए | चंद्र ग्रहण से जुड़ी रोचक बातें

ये तो सभी जानते है कि चंद्र ग्रहण होता हैं, लेकिन क्या आप जानते है कि ये क्यों होता है? क्या है इसके पीछे की वजह? साल में कितने बार होता है एयर अबतक कितना हो गया है? अगर आप इन सवालों के जवाब नही जानते है तो आइए देखते इनके बारे में विस्तार से।

चंद्र ग्रहण कब लगेगा?

8 नवंबर, 2022 मंगलवार को पूर्ण चंद्र ग्रहण लगेगा। चंद्रमा का दक्षिणी अंग पृथ्वी की छाया के केंद्र से होकर गुजरेगा। अपभू से केवल 5.8 दिन पहले होने पर, चंद्रमा का स्पष्ट व्यास छोटा होगा। अगला पूर्ण चंद्रग्रहण 14 मार्च, 2025 तक नहीं होगा। ग्रहण के दौरान यूरेनस का चंद्र ग्रहण होगा।

चंद्र ग्रहण के बारे में बताइए

इस बार चंद्र ग्रहण कहाँ कहाँ दिखेगा?

ग्रहण पूरी तरह से प्रशांत और उत्तरी अमेरिका के अधिकांश हिस्सों में दिखाई देगा। यह ऑस्ट्रेलिया, एशिया और यूरोप के सुदूर उत्तर-पूर्व में उगते चंद्रमा और दक्षिण अमेरिका और पूर्वी उत्तरी अमेरिका के ऊपर स्थित चंद्रमा पर देखा जाएगा।

चंद्र ग्रहण कब और क्यों होता है?

जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है और तीनों के एक सीध में होने के कारण चंद्रमा तक सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती ऐसी घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। विज्ञान के अनुसार जब भी चंद्रमा पृथ्‍वी की छाया में आता है, वह पूर्णिमा का दिन ही होता है।

पूर्ण चंद्र ग्रहण किसे कहा जाता है?

इस बीच ऐसा क्षण आता है जब पृथ्‍वी सूर्य और चंद्रमा एक सीध में होते हैं. पृथ्‍वी चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है। इसके कारण चंद्रमा पर सूर्य की रोशनी नहीं आ पाती, इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहा जाता है।

चंद्र ग्रहण सूतक क्या है?

ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। 8 नवंबर को लगने जा रहे चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 बज कर 21 मिनट से लग जायेगा। ग्रहण से पहले 3 प्रहर का सूतक लग जाता है।

चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन ही क्यों होता है?

जब भी चंद्रमा पृथ्‍वी की छाया में प्रवेश करता है, वो पूर्णिमा का दिन ही होता है। इसकी वजह है कि चंद्र ग्रहण तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्‍वी और चंद्रमा एक सीध में हों और ज्यामितीय प्रतिबन्ध के कारण केवल पूर्णिमा के दिन ही संभव है। इसलिए चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन ही लगता है।

चंद्र ग्रहण का क्या कारण है?

सूर्य के चारों तरफ पृथ्वी घूमती है और चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है। इस प्रक्रिया में एक ऐसा समय आता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य एक ही सीध में आ जाते हैं और सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है लेकिन चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता है। इस घटना को खगोलीय घटना के रूप में चंद्रग्रहण कहा जाता है।

चंद्र ग्रहण कितने प्रकार के होते हैं?

चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं: उपछाया ग्रहण, जब चंद्रमा केवल पृथ्वी के उपछाया को पार करता है, आंशिक ग्रहण, जब चंद्रमा आंशिक रूप से पृथ्वी की छाया की प्रच्छाया (छाया का गर्भ या केंद्र ) में आ जाता है और पूर्ण ग्रहण, जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया की प्रच्छाया में आ जाता है।

अबतक कुल कितने चंद्र ग्रहण हुए हैं?

चंद्र ग्रहण की बात की जाए तो अबतक 20वीं शताब्दी में कुल 229 चंद्र ग्रहण हुए, जिनमे से 83 आंशिक ( खंडच्छायायुक्त ), 65 आंशिक और 81 पूर्ण ग्रहण शामिल है।

हर साल कुल कितने चंद्र ग्रहण होते हैं?

राष्ट्रीय इतिहास संग्रहालय के अनुसार, खगोलीय दृष्टि से, चंद्र ग्रहण एक अपेक्षाकृत सामान्य घटना है, जिसमें हर साल लगभग तीन चंद्र ग्रहण होते हैं।

चंद्र ग्रहण में क्या करें और क्या ना करें?

  • इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
  • ग्रहण काल में तुलसी के पौधे को नहीं छूना चाहिए।
  • सूतक लगने से पहले ही तुलसी के पत्ते तोड़ लें।
  • सूतक काल या ग्रहण के दौरान कुछ भी खाने और पीने से परहेज करना चाहिए।

चंद्र ग्रहण पर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

  • चंद्र ग्रहण के सूतक काल में भगवान की मूर्तियों को स्पर्श न करें।
  • पूजा-पाठ करने से बचें।
  • भोजन न करें और सोएं नहीं।
  • गर्भवती महिलाएं, बुजुर्गों और बच्चों का विशेष ख्याल रखें।

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