कोयला से बिजली कैसे बनता हैं? कोयला से बिजली बनाने का पूरा प्रोसेस

कोयला से बिजली कैसे बनता हैं? कोयला से बिजली बनाने का पूरा प्रोसेस

कोयला एक ईंधन का काम करता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि काला हीरा कहे जाने वाले कोयले में ऐसा क्या होता है कि उसे बिजली बनाने के लिए काम में लिया जाता है। कैसे कोयला से बिजली उत्पादन किया जाता है। अगर आप भी नही जानते तो आइए देखते है विस्तार से कोयला से बिजली बनाने की पूरा प्रोसेस।

वैसे तो भारत में, विद्युत पारंपरिक तापीय, परमाणु और हाइड्रो तथा नवीकरणीय स्रोतों पवन, सौर, बायोमास आदि से उत्पन्न होती है। हालाँकि, विद्युत का प्रमुख उत्पादन कोयला जो एक तापीय विद्युत संयंत्र है, के माध्यम से होता है जो कुल विद्युत उत्पादन का लगभग 70% है।

कोयला से बिजली कैसे बनता हैं?

बिजली बनाने में कोयला सिर्फ जलाने के लिए काम में लिया जाता है यानी ये सिर्फ ईंधन का काम करता है। इलेक्ट्रिक पावर प्लांट काफी लंबे एरिया में फैला होता है और ये एरिया करीब 3-4 किलोमीटर तक का होता है। इसमें कई यूनिट होती हैं और हर यूनिट का अपना अपना काम होता है और इन यूनिट के जरिए होते हुए बिजली का उत्पादन होता है। इसमें सबसे पहला काम कोयले का स्टोर होता है और ये कोयले का स्टोर भी बड़ी मात्रा में होता है और कई मिलियम टन में कोयले को रखा जाता है।

कोयला से बिजली कैसे बनता हैं?

कोयला से बिजली बनने की पूरा प्रोसेस

  • प्लांट में एक बड़े यार्ड में रखा जाता है कोयला यहां ट्रेन के जरिए कोयला पहुंचता है और फिर उसे स्टोर किया जाता है। यहां कोयला स्टोर के लिए खास व्यवस्था होती है।
  • इसके बाद स्टोर से कोयला क्रशर मशीन में ले जाता है, जहां इसे तोड़ा जाता है और बाद में अलग मशीन के जरिए पाउडर में तब्दील कर दिया जाता है।
  • इसके बाद कोयले के पाउडर को खास तरीके से जलाया जाता है, जिसमें एयर ऐश अलग तरह से बनकर अलग हो जाती है।
  • वहीं, हीट के जरिए पानी को गर्म करके भाप बनाई जाती है। इस मशीन में पाइपों में पानी भरा होता है और स्टीम उन पाइपों के जरिए भाप बनाई जाती है।
  • इसके अलावा कोयले की राख के लिए खास व्यवस्था होती है, जिसमें सीमेंट बनाने के लिए भेज दिया जाता है। वहीं, कुछ धुआं को फिल्टर कर हवा में छोड़ दिया जाता है।
  • कोयले को जलाकर तैयार की गई भाप को बिजली बनाने की प्रोसेस में इस्तेमाल किया जाता है।
  • इस भाप के जरिए दूसरी यूनिट में गोल पंखे की तरह लगे टरबाइन को प्रेशर स्टिप के जरिये चलाया जाता है।
  • इसके बाद टरबाइन के जरिए बिजली बनाई जाती है।
  • जिसमे टरबाइन के घूमने से चुंबक से बिजली बनाने के सिद्धांत के जरिए जनरेटर चलाया जाता है और इसके बाद चुंबक के बीच बिजली का तार आदि घूमने से बिजली का उत्पादन होता है।
  • इसके बाद ये बिजनी पॉवर ट्रांसफार्मर तक पहुंचाई जाती है और ये फिर इसके जरिए तारों के जरिए गांव-गांव तक बिजली तक पहुंचायी जाती है।
  • इसके अलावा भाप को फिर से पानी में तब्दील करके भाप को फिर से भाप बनाने के लिए काम में लिया जाता है।

बता दें कि फैराडे का विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के नियम के आधार पर काम किया जाता है। इसमें एक चुंबकीय क्षेत्र के जरिए एक तार को घूमाकर बिजली का उत्पादन होता है। इस दौरान टरबाइन पर खास प्रेशर का ध्यान रखा जाता है, जिससे टरबाइन काफी तेज घूमता है और इससे जुड़ा अल्टरनेटर भी तेज घूमता है और आसानी से बिजली बनने लगती है।

कोयला कैसे बनता है?

कोयले में मुख्य रूप से कार्बन होता है। मृत वनस्पति के धीमे प्रक्रम द्वारा कोयले में परिवर्तन को कार्बनीकरण कहते हैं। क्योंकि वह वनस्पति के अवशेषों से बना है।

बिजली बनाने में कौन सा कोयला काम आता है?

भाप कोयला या तापीय कोयला बिजली बनाने के लिए भाप उत्पन्न करने के लिए विद्युत ऊर्जा संयंत्रों में उपयोग किए जाने वाले कोयले का एक ग्रेड है। बिजली संयंत्रों के लिए भाप कोयले को बॉयलर डिजाइन की गुणवत्ता और तापन विशेषताओं और बिजली संयंत्र में प्रदूषण नियंत्रण उपकरण के डिजाइन के लिए पूरा करना चाहिए।

भारत में कितने प्रतिशत बिजली कोयले से बनती है?

भारत की 65% से अधिक विद्युत उत्पादन क्षमता, तापीय बिजली संयंत्रों के कारण है, साथ ही देश के तापीय बिजली का लगभग 85% उत्पादन कोयले पर आधारित है।

भारत में कोयले से सबसे ज्यादा बिजली कहाँ बनती है?

देश में सबसे ज्यादा बिजली उत्पादन वाला प्रदेश महाराष्ट्र है, जहां कोयले आधारित इकाइयों की क्षमता 25,386 मेगावाट है। दूसरे नम्बर पर 23,128 मेगावाट के साथ छत्तीसगढ़ है।

बिजली की खोज किसने की थी?

बिजली की खोज किसने की? बेंजामिन फ्रैंकलिन को 1700 के दशक में अपने पतंग प्रयोग से बिजली की खोज करने का श्रेय दिया जाता है, जिसमें उन्होंने आंधी के दौरान धातु की चाबी बांधकर पतंग उड़ाई थी।

भारत में बिजली कौन लाया?

भारत में व्यावसायिक रूप से बिजली में 1897 में आई जब इंग्लैंड की किलबर्न एंड कम्पनी ने कलकत्ता में बिजली सप्लाई हेतु इंडियनइलेक्ट्रिक कम्पनी बनायी।

भारत में सबसे पहले बिजली किसने बनाई थी?

कलकत्ता (अब कोलकाता) में विद्युत प्रकाश का पहला प्रदर्शन 24 जुलाई 1879 को PW फ्लेरी एंड कंपनी द्वारा आयोजित किया गया था। 7 जनवरी 1897 को, किलबर्न एंड कंपनी ने इंडियन इलेक्ट्रिक कंपनी के एजेंट के रूप में कलकत्ता इलेक्ट्रिक लाइटिंग लाइसेंस हासिल किया, जो 15 जनवरी 1897 को लंदन में पंजीकृत किया गया था।

भारत में बिजली कब और कहाँ शुरू हुई?

भारत में पहली बार बिजली की सुविधा कोलकाता (तब कलकत्ता) को मिली थी। इस शहर में पहली बार 1979 में बिजली की व्यवस्था की गई उसके बाद साल 1981 में दूसरी बार बिजली की व्यवस्था हुई। इसके अलावा एशिया में पहली इलेक्ट्रिक स्ट्रीट लाइट 5 अगस्त 1905 को बैंगलोर में जलाई गई थी। भारत में पहली बार पनबिजली उत्पादन 1897 से किया गया।

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