टेलीफोन का आविष्कार कैसे, किसने और कब किया?
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  • Post last modified:May 18, 2023

टेलीफोन का आविष्कार कैसे, किसने और कब किया?

अपने अथक परिश्रम से मनुष्य सब कुछ कर सकता है। ऐसी ही परिश्रम टेलीफोन के आविष्कारक ने किया। घर घर में प्रयोग किए जाने वाले मोबाइल के पूर्व टेलीफोन का आविष्कार हुआ तो उस समय का कितना अदभुत आविष्कार रहा होगा, जरा सोच के देखिये। तो चलिए देखते टेलीफोन का आविष्कार कैसे, किसने और कब किया?

टेलीफोन का आविष्कार

कालांतर में जब बेल के आविष्कार को मूर्त रूप मिला तो संसार भर के आविष्कारकों ने टेलीफोन को संसार का सर्वोतम आविष्कार माना। आज से सवा सौ वर्ष पूर्व टेलीफोन के आविष्कारक एलेक्जेंडर का जन्म 3 मार्च सन 1847 को इंग्लैंड के एडिनबरा नगर में हुआ था। ग्राहमबेल का परिवार श्रवण विज्ञान की कुशलता के लिए प्रसिद्ध था। उन्होंने मूक बधिरों को कृत्रिम रूप से कुछ कह सकने का सामर्थ्य प्रदान का प्रशिक्षण देने में सारा जीवन लगा दिया।

एलेक्जेंडर के पिता मेलविले और दादा दोनों ही शब्द उच्चारण और भाषण विज्ञान के विशेषज्ञ थे। आज भले ही यह विज्ञान समुन्नत हो लेकिन शताब्दी पूर्व तो इसे अदभूत प्रयास ही माना जाएगा। एलेक्ज़ेंडर में भी बधिरों को श्रवण शक्ति प्रदान करने के प्रयत्न को अपनी पैतृक धरोहर समझ कर उसे व्यावहारिक रूप देने का बीड़ा उठाया। सोलह वर्ष की आयु में ही एलेक्जेंडर बधिरों को शिक्षण देने का कार्य करने लगे थे। ये बचपन से ही एक ऐसे यंत्र का आविष्कार करना चाहते थे, जिसकी सहायता से दूर बैठे ही बातचीत करना संभव हो सके।

एलेक्जेंडर ग्राहमबेल ने रॉयल हाई स्कूल एडिनबरा में शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् एडिनबरा विश्वविद्यालय उसके बाद लंदन विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। आरंभ में कुछ समय तक इन्होंने दृश्य वाणी पद्धति पर शिक्षण कार्य किया। इस प्रणाली में मानव वाणी के स्वरों को संकेत रूप में समझने का प्रयत्न होता है।

सन् 1867 ई० में इनके पिता की लंदन विश्वविद्यालय में नियुक्ति हुई तो सारा परिवार स्काटलैंड से लंदन आ गया। एलेक्जेंडर पिता की मदद कर रहे थे। इन्होंने स्वर को व्यक्त करने के लिए एक पत्र की रूपरेखा पर विचार करना आरंभ किया। गले और स्वर यंत्रो को विशेष रूप से प्रयोग करने की शिक्षा बधिरों का देने को इन्होंने एक पद्धति निकाली जो बहुत लाभकारी सिद्ध हुई।

इसी बीच एलेक्जेंडर के दो भाइयों को क्षय रोग से मृत्यु हो गई। इनका स्वास्थ्य भी खराब होने लगा। फलतः एलेक्जेंडर के स्वास्थ्य के कारण इनका परिवार कनाडा आ गया तथा बेंटफोर्ट नामक स्थान पर खेती करने लगा। जल्दी ही इनका स्वास्थ्य सुधर गया और ये बधिरों को वाणी प्रदान करने के काम में जुट गए। एक कुशल मिस्त्री की सहायता से इन्होंने कुछ यंत्र बनाए तथा ध्वनि की लहरे दूसरे स्थान तक पहुँचाने की कल्पना करने लगे।

आर्थिक परेशानियों के बावजूद भी इनके प्रयोग चलते रहे। इन्होंने सन् 1873 ई० में कृत्रिम कान बनाना आरंभ किया। इनकी मेहनत रंग लाई और ग्राहमबेल ने अपने कारखाने में प्रेयक और ग्राहक यंत्र स्थापित किए और प्रमाण एकत्र किया कि बिजली के तार द्वारा शब्दों की लहरे वहन की जा सकती है। यह एक नए शिल्य क्षेत्र में प्रवेश का संकरा मार्ग था।

टेलीफोन का आविष्कार कैसे हुआ?

सन् 1876 ई० के जनवरी मास में एक दिन यह शुभ घड़ी आई जब एलेक्जेंडर ने दो कमरों में रखें यत्रों की मदद से बातचीत की। बेल ने एक यंत्र से अपने मित्र को कहा “वॉटसन महाशय आइए, मुझे आपकी आवश्यकता है। यंत्र से आती आवाज सुनकर वॉटसन महाशय उचल पड़े- “मुझे आपकी बात सुनाई पड़ी। यह यंत्र तो काम कर रहा है।”

और इस प्रकार टेलीफोन के अद्भुत यंत्र का आविष्कार हुआ। फिर तो वर्ष भर में इंग्लैंड अमेरिका, जर्मनी आदि अनेक देशों में इसकी खूब ख्याति फैली और जगह-जगह टेलीफोन की घंटियां बजने लगी। एलेक्ज़ेंडर को इस अदभुत आविष्कार के लिए अनेक सम्मान और पुरस्कार मिले। 2 अगस्त सन् 1922 को 75 वर्ष की आयु में इस महान आविष्कारक का स्वर्गवास हो गया। वे आज इस जगत में नहीं है, किंतु हर टेलीफोन की बजती घटी उनकी यशोगाथा गाती है।

भारत में टेलीफोन के आविष्कार कब हुआ?

भारत में सबसे पहले 1881 में ओरिएण्टल टेलीफोन कंपनी लिमिटेड इंग्लैंड ने कोलकाता, बाम्बे, मद्रास (चेन्नई) और अहमदाबाद में टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित किये थे। 28 जनवरी 1882 में कुल 93 ग्राहकों के साथ प्रथम औपचारिक टेलीफोन सेवा शुरू की गई।

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Amit Yadav

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