विज्ञान की शाखा और उनके जनक कौन कौन से हैं?

विज्ञान की शाखाएं और उनके जनक

वैसे तो विज्ञान की चार प्रमुख शाखाएँ हैं जिनमे प्रत्येक शाखा को विभिन्न प्रकार के विषयों में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें अध्ययन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि रसायन विज्ञान, भौतिकी, गणित, खगोल विज्ञान आदि शामिल हैं। इन सभी शाखाओं के अंदर भी अलग अलह बहुत से शाखाएं है। जिनमे से कुछ प्रमुख विज्ञान की शाखा और उनके जनक निम्न हैं।

विज्ञान की शाखाओं के जनक की पूरी सूची

इस आर्टिकल की प्रमुख बातें

विज्ञान की शाखा और उनके जनक कौन कौन से हैं?

1. जन्तु विज्ञान – अरस्तु

जंतु विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत जंतुओं के उदभव, विकास, पहचान, शरीर की संरचना, प्रजनन, वर्गीकरण तथा कार्य का अध्ययन पूर्ण तरीके से किया जाता हैं। जन्तु विज्ञान के जनक महान यूनानी दार्शनिक अरस्तु है। अरस्तु ने सर्वप्रथम जीवो का अध्य्यन अपनी पुस्तक हिस्टोरिया एनिमलियम में किया था। यह पुस्तक 1551 में प्रकाशित हुई थी।

2. आनुवांशिकी – जी. जे. मेण्डल

आनुवंशिकी या जेनेटिक्स जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत आनुवंशिकता ( हेरेडिटी ) तथा जीवों की विभिन्नताओं ( वैरिएशन ) का अध्ययन किया जाता है। इस विज्ञान का मूल उद्देश्य आनुवंशिकता के ढंगों ( पैटर्न ) का अध्ययन करना है। इस प्रक्रिया को समझने की कोशिश करने वाले आनुवांशिकी के आधुनिक विज्ञान 19 वीं शताब्दी के मध्य में अगस्टिनियन तले ग्रेगर मेंडल के काम के साथ शुरू किया। वह पहला व्यक्ति था जिसने “आनुवंशिकी” शब्द का इस्तेमाल किया था।आनुवंशिकता के अध्ययन में ग्रेगर जॉन मेण्डल की मूलभूत उपलब्धियों को आजकल आनुवंशिकी के अंतर्गत समाहित कर लिया गया है।

3. विकिरण आनुवांशिकी – एच जे मुलर

एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी जीव के आनुवंशिक जानकारी एक उत्परिवर्तन के उत्पादन से बदल जाती है। यह प्रकृति में अनायास हो सकता है, या उत्परिवर्तजनों के संपर्क में आने के परिणामस्वरूप हो सकता है। 20 वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में हरमन मुलर, शार्लोट ऑरबैक और जेएम रॉबसन द्वारा किए गए कार्यों के आधार पर एक विज्ञान के रूप में उत्परिवर्तन विकसित किया गया था।

4. आधुनिक आनुवांशिकी – बेटसन

विलियम बेटसन एक अंग्रेजी जीवविज्ञानी थे, जो आनुवंशिकता के अध्ययन का वर्णन करने के लिए 1900 से पहले प्रकाशित बेटसन के काम ने जीवित जीवों द्वारा प्रदर्शित संरचनात्मक भिन्नता और जैविक विकास के तंत्र पर प्रकाश डालने वाले प्रकाश का व्यवस्थित रूप से अध्ययन किया। वे आधुनिक आनुवंशिकी के जनक हैं उनकी 1894 की पुस्तक मैटेरियल्स फॉर द स्टडी ऑफ वेरिएशन आनुवंशिकी के नए दृष्टिकोण के शुरुआती सूत्रों में से एक थी।

5. आधुनिक शारीरिकी – एंड्रियास विसैलियस

शारीरिकी, शारीर या शरीररचना – विज्ञान जीव विज्ञान और आयुर्विज्ञान की एक शाखा है जिसके अंतर्गत किसी जीवित ( चल या अचल ) वस्तु का विच्छेदन कर, उसके अंग प्रत्यंग की रचना का अध्ययन किया जाता है। लेकिन जब किसी विशेष प्राणी अथवा वनस्पति की शरीररचना का अध्ययन किया जाता है, तब इसे विशेष शारीरिकी अध्ययन कहते है। एंड्रियास वेसालियस 16 वीं सदी के शरीर रचनाकार, चिकित्सक और सबसे प्रभावशाली में से एक के लेखक थे। वेसालियस को अक्सर आधुनिक मानव शरीर रचना के संस्थापक के रूप में जाना जाता है।

6. रक्त परिसंचरण – विलियम हार्वे

विज्ञान की इस शाखा में मानव श्री में रक्त परिसंचरण से जुड़े तथ्यों का अध्ययन किया जाता हैं।
विलियम हार्वे एक अंग्रेजी चिकित्सक थे जिन्होंने पूरी तरह से वर्णन किया और विस्तार से बताया कि रक्त के प्रणालीगत परिसंचरण और गुणों को मस्तिष्क और बाकी शरीर में हृदय द्वारा पंप किया जा रहा था।

7. वर्गिकी – कार्ल लीनियस

सामान्य तौर पे जीवों के वर्गीकरण को वर्गिकी ( टैक्सोनॉमी ) या वर्गीकरण विज्ञान कहते थे। किन्तु आजकल इसे व्यापक अर्थ में प्रयोग किया जाता है और जीव – जन्तुओं के वर्गीकरण सहित इसे ज्ञान के विविध क्षेत्रों में प्रयोग में लाया जाता है। कार्ल लीनियस एक स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री, चिकित्सक और जीव विज्ञानी थे, जिन्होने द्विपद नामकरण की आधुनिक अवधारणा की नींव रखी थी। इन्हें आधुनिक वर्गिकी ( वर्गीकरण ) के पिता के रूप में जाना जाता है साथ ही यह आधुनिक पारिस्थितिकी के प्रणेताओं मे से भी एक हैं।

8 चिकित्सा शास्त्र – हिप्पोक्रेट्स

चिकित्साशास्त्र आयुर्विज्ञान का एक क्षेत्र है। यह क्षेत्र अस्वस्थ्य मनुष्य को स्वस्थ्य बनाने से सम्बन्धित है। इस शास्त्र में अस्वस्थ्य मनुष्य का ब्याधि वा रोग का अध्ययन किया जाता है, उसके बाद उस ब्याधि को डायगनोज और उस का निवारण किया जाता है। हिपोक्रेटिस, या बुकरात, प्राचीन यूनान के एक प्रमुख विद्वान थे। ऐसा माना जाता है कि इन्होने मानव रोगों पर प्रथम ग्रन्थ लिखा। इन्हे चिकीत्साशास्त्र का जनक भी कहते है।

9. उत्परिवर्तनवाद – ह्यूगो डी ब्रीज

ये विज्ञान की एक शाखा है। इसमें जिन से जुड़े हुए तथ्यों का अध्ययन किया जाता हैं।
जीन आनुवांशिकता की मूलभूत शारीरिक इकाई है । यानि इसी में हमारी आनुवांशिक विशेषताओं की जानकारी होती है। जब किसी जीन के डीएनए में कोई स्थाई परिवर्तन होता है तो उसे उत्परिवर्तन ( म्यूटेशन ) कहा जाता है। ह्यूगो मैरी डे व्रीस एक डच वनस्पतिशास्त्री थे और पहले आनुवंशिकीविदों में से एक थे। उन्हें मुख्य रूप से जीन की अवधारणा का सुझाव देने, 1890 के दशक में आनुवंशिकता के नियमों को फिर से खोजने के लिए जाना जाता है, जबकि स्पष्ट रूप से ग्रेगर मेंडल के काम से अनजान, म्यूटेशन शब्द को पेश करने और विकास के एक उत्परिवर्तन सिद्धांत को विकसित करने के लिए जाना जाता है।

10. माइक्रोस्कोपी – मारसेलो माल्पीजी

सूक्ष्मदर्शिकी या सूक्ष्मदर्शन या माइक्रोस्कोपी, विज्ञान की एक शाखा है, जिसमें सूक्ष्म व अतिसूक्ष्म जीवों को बड़ा कर देखने में सक्षम होते हैं, जिन्हें साधारण आंखों से देखना संभव नहीं होता है। इसका मुख्य उद्देश्य सूक्ष्मजीव संसार का अध्ययन करना होता है। विज्ञान की इस शाखा मुख्य प्रयोग जीव विज्ञान में किया जाता है। विश्व भर में रोगों के नियंत्रण और नई औषधियों की खोज के लिए माइक्रोस्कोपी का सहारा लिया जाता है। सूक्ष्मदर्शन की तीन प्रचलित शाखाओं में ऑप्टिकल, इलेक्ट्रॉन एवं स्कैनिंग प्रोब सूक्ष्मदर्शन आते हैं। माल्पीघी माइक्रोस्कोप के तहत लाल रक्त कोशिकाओं का निरीक्षण करने वाले शुरुआती लोगों में से एक थे।

11. जीवाणु विज्ञान – रॉबर्ट कोच

जीवाणुओं के अध्ययन को जीवाणु विज्ञान कहते हैं।
रॉबर्ट कोच सूक्ष्मजैविकी के क्षेत्र में युगपुरूष माने जाते हैं। इन्होंने कॉलेरा, ऐन्थ्रेक्स तथा क्षय रोगों पर गहन अध्ययन किया। अंततः कोच ने यह सिद्ध कर दीया कि कई रोग सूक्ष्मजीवों के कारण होते हैं।

12. प्रतिरक्षा विज्ञान – एडवर्ड जेनर

प्रतिरक्षाविज्ञान चिकित्सा विज्ञान की एक शाखा है जिसमें सभी प्राणियों के सभी प्रतिरक्षा तंत्रों का अध्ययन किया जाता है। एडवर्ड जेनर कायचिकित्सक तथा चेचक के टीके के आविष्कारक थे। जेनर को अक्सर इम्यूनोलॉजी का पिता कहा जाता है।

13. जीवाश्म विज्ञान – लिओनार्डो दी विन्ची

जीवाश्म विज्ञान जीवाश्मों का उपयोग करते हुए पिछले जीवन रूपों का अध्ययन है। जीवाश्म विज्ञान का एक उदाहरण भूविज्ञान की शाखा है जो डायनासोर का अध्ययन करती है। प्रागैतिहासिक या भूगर्भिक समय में विद्यमान जीवन के रूपों का अध्ययन, जैसा कि पौधों, जानवरों और अन्य जीवों के जीवाश्मों द्वारा दर्शाया गया है। लिओनार्दो दा विंची इटलीवासी, महान चित्रकार, मूर्तिकार, वास्तुशिल्पी, संगीतज्ञ, कुशल यांत्रिक इंजीनियर तथा वैज्ञानिक था। इन्हें जीवाश्म विज्ञान के जनक कहे जाते हैं।

14. सूक्ष्म जैविकी – लुई पाश्चर

सूक्ष्मजैविकी उन सूक्ष्मजीवों का अध्ययन है, जो एककोशिकीय या सूक्ष्मदर्शीय कोशिका-समूह जंतु होते हैं। इनमें यूकैर्योट्स जैसे कवक एवं प्रोटिस्ट और प्रोकैर्योट्स, जैसे जीवाणु और आर्किया आते हैं। अभी तक हमने शायद पूरी पृथ्वी के सूक्ष्मजीवों में से एक प्रतिशत का ही अध्ययन किया है। हाँलाँकि सूक्ष्मजीव लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व देखे गये थे, किन्तु जीव विज्ञान की अन्य शाखाओं, जैसे जंतु विज्ञान या पादप विज्ञान की अपेक्षा सूक्ष्मजैविकी अपने अति प्रारम्भिक स्तर पर ही है। लुई पाश्चर फ़्रांसिसी चिकित्साविद और वैज्ञानिक थे, जिन्हें सूक्ष्म जैविक विज्ञान का जनक माना जाता हैं।

15. जेरोंटोलॉजी – ब्लादिमीर कोरनेचेवस्की

जेरोन्टोलॉजी या जराविद्या और जरारोगविद्या का संबंध प्राणिमात्र के, विशेषकर मनुष्य के वृद्ध होने तथा वृद्धावस्था की समस्याओं के अध्ययन से है। ब्लादिमीर कोरनेचेवस्की को इसके जनक के रूप में जाना जाता हैं।

16. एंडोक्रिनोलॉजी – थॉमस एडिसन

एंडोक्रिनोलॉजी या अंतःस्राव विद्या, आयुर्विज्ञान की वह शाखा है जिसमें शरीर में अंतःस्राव या हारमोन उत्पन्न करने वाली ग्रंथियों का अध्ययन किया जाता है। उत्पन्न होने वाले हारमोन का अध्ययन भी इसी विद्या का एक अंश है। थॉमस एडिसन को इसके प्रणेता माना जाता हैं।

17. आधुनिक भ्रूणिकी – कार्ल ई वॉन वेयर

भ्रूणविज्ञान, एक भ्रूण और भ्रूण के गठन और विकास का अध्ययन हैं। 19 वीं शताब्दी में माइक्रोस्कोप के व्यापक उपयोग और कोशिकीय जीव विज्ञान के आगमन से पहले, भ्रूणविज्ञान वर्णनात्मक और तुलनात्मक अध्ययनों पर आधारित था। कार्ल ई वॉन वेयर को इसकी जनक माना जाता हैं।

18. वनस्पति शास्त्र – थियोफ्रेस्टस

वनस्पति शास्त्र में पेड़ – पौधों या वनस्पतिलोक का अध्ययन किया जाता हैं। इसके जनक थिओफ्रैस्टस ग्रीस देश के प्रसिद्ध दार्शनिक एवं प्रकृतिवादी थे।

19. पादप रोग विज्ञान – ए. जे. बटलर

पादप रोगविज्ञान या फायटोपैथोलोजी शब्द की उत्पत्ति ग्रीक के तीन शब्दों जैसे पादप, रोग व ज्ञान से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ है पादप रोगों का ज्ञान (अध्ययन)। ये जीव विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत रोगों के लक्ष्णों, कारणों, हेतु की, रोगचक्र, रोगों से हानि एवं उनके नियंत्रण का अध्ययन किया जाता हैं। सर एडविन जॉन बटलर एक आयरिश माइकोलॉजिस्ट और प्लांट पैथोलॉजिस्ट थे। उन्हें भारत में माइकोलॉजी और प्लांट पैथोलॉजी का जनक कहा जाता है।

20 पादप क्रिया विज्ञान – स्टीफन हेल्स

पादप क्रिया विज्ञान या पादपकार्यिकी वनस्पति विज्ञान की वह शाखा है जो पादपों के कार्यिकी से सम्बन्धित है। पादप कार्यिकी में पौधों में होने वाली विभिन्न प्रकार की जैविक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। पादप क्रियाविज्ञान का अध्ययन सर्वप्रथम स्टीफन हेल्स ने किया। उन्हें पादप क्रिया विज्ञान के जनक कहे जाते हैं।

21. बैक्टिरियोफेज – टवार्टव दीहेरिल

जीवाणुओं को संक्रमित करने वाले विषाणु जीवाणुभोजी या बैक्टीरियोफेज या बैक्टीरियोफाज कहलाते हैं। इसमें जीवनुभोजी से संबंधित अध्ययन किया जाता है। टवार्टव दीहेरिल को इसके जनक कहा जाता हैं।

22. सुजननिकी – फ्रांसिस गाल्टन

मेंडल के नियमों तथा आनुवंशिकता के सिद्धान्तों की सहायता से मानव जाति की भावी पीढ़ियों को सुधारने तथा उनके स्तर को ऊँचा उठाने के अध्ययन को सुजननिकी कहते हैं। इसके जनक सर फ्रांसिस गाल्टन हैं।

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