अपने आचरण से ही मनुष्य सभ्य या असभ्य प्रतीत होता है। जिसका जैसा आचरण है, वो वैसी ही प्रतिष्ठा पाता है। आचरण हीन व्यक्ति पशु तुल्य माना जाता है। व्यक्ति का आचरण कैसा हो, जानें एवं आकलन करें अपने आचरण का। तो आइये जानते है है कि आचरण क्या है? आचरण कैसा होना चाहिए? अच्छा आचरण कैसे होता है?
आचरण क्या है ?
आचरण एक दर्पण के सदृश है जिसमें हर मनुष्य का अपना प्रतिबिम्ब दिखता है। आचरण भाव का प्रकट रूप है। मनुष्य के आचरण से जाना जा सकता है कि वह विद्वान है या मूर्ख, वीर है या कायर अथवा चरित्रवान है या चरित्रहीन। मनुष्य का आचरण ही यह बतलाता है कि वह कुलीन है या अकुलीन है या कायर अथवा पवित्र है या अपवित्र।
बड़ो से बात करने का ढंग आपका तमीज बताता है और छोटो से बात करने का ढंग आपका परवरिश अर्थात आपका व्यवहार आपका आचरण ही आपका व्यक्तित्व दर्शाता है। इसलिए अपना आचरण सहज रखना चाहिए। आपका आचरण प्रतिकूल होना चाहिए। क्योंकि नैतिक, सामाजिक और धार्मिक नियमो के संदर्भ में, संस्कारों एयर मूल्यों से प्रभावित व्यवहार, और व्यक्ति की मूल प्रवृत्ति ही आचरण का स्वभाव है।
आचरण कैसा होना चाहिए? देखे आचरण से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातें।
- मनुष्य जिस समय पशु तुल्य आचरण करता है उस समय वह पशुओं से भी नीचे गिर जाता है।
- जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया उसने ईश्वर को ही मूर्तिमान कर लिया।
- श्रेष्ठ पुरुष जो करता है अन्य पुरुष भी उसके अनुसार व्यवहार करते हैं । वह जो आदर्श स्थापित कर देता है , लोग उसके -यशपाल अनुसार चलते हैं।
- सुंदर आचरण, सुंदर शरीर से अच्छा है , मूर्ति और चित्र की अपेक्षा यह उच्चकोटि का आनन्द देता है। यह कलाओं में सुन्दरतम कला है।
- शास्त्र पढ़कर भी लोगमूर्ख होते हैं, किन्तु जो उसके अनुसार आचरण करता है, वस्तुत : वही विद्वान है । रोगियों के लिए भली – भाँति सोचकर निश्चित की हुई औषधि नाम उच्चारण करने मात्र से ( बिना खिलाये ) किसी को नीरोग नहीं कर जाता है।
- पढ़ना एक बार , चिन्तन दो बार और आचरण चार बार करना चाहिए ।
- आचरण केवल मात्र स्वप्नों से कभी नहीं बना करता। उसका सिर तो शिलाओं के ऊपर घिस – घिसकर बनता है ।
- जो सदाचरण का पालन नहीं करते उन्हें शिक्षित होने पर भी उसी प्रकार लाभ नहीं मिलता जैसे जादू की गाय दूध नहीं देती।
- जिस संसार में सदाचार नहीं , वह नष्ट हो जाता है।
- अपनी निंदा और प्रशंसा , पराई निंदा और पराई स्तुति – यह चार प्रकार का आचरण श्रेष्ठ पुरुषों ने कभी नहीं किया।
- ऊँचाई की ओर अग्नि का धुंआ जाता है । हृदय में सदाचार व त्याग की अग्नि से तुम अपनी कीर्ति के धुएँ को दर्शा सकते हो।
- दूसरे का आचरण चाहे तुम्हें पसंद न हो , लेकिन तुम्हें अपना सदाचरण नहीं छोड़ना चाहिए।
- मनुष्य को अपनी परीक्षा विपत्ति देनी होती है । विपत्ति के समय और घाव खाने के बाद रोने – धोने से कोई लाभ नहीं होता।
- सदाचरण मानव का धर्म है ।
- मनुष्य के आचरण से जाना जा सकता है कि वह विद्वान है या मूर्ख , वीर है या कायर अथवा चरित्रवान है या चरित्रहीन ।
- मनुष्य की पहचान उसकी संगत और वार्तालाप से हो जाती।
- सदाचार कल्याण उत्पन्न करने वाला और कीर्ति बढ़ाने वाला होता है । सदाचार से आयु बढ़ती है और सदाचार ही बुरे लक्षणों को नष्ट करता है।
- सदाचार का उल्लंघन करके कोई कल्याण नहीं पा सकता।
- संसार में पुस्तकें पढ़ने से कुछ नहीं सीखा जा सकता, जब तक कि ज्ञान को आचरण में न उतार लिया जाए।
- जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया , उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया।
- परमात्मा के स्थान पर मैं सदाचारी की पूजा करता हूँ।
- बुझदिली दूरदर्शिता की पर्याय नहीं । बहुधा शौर्य ही विवेक का उत्तम भाग होता है, जिसका दूरदर्शिता से कोई रिश्ता नहीं होता।
- सदाचार के लिए कोई राजपथ या तैयार मार्ग नहीं है।
- बालक के लिए माता – पिता व स्कूल आचरण के कारखाने हैं। विद्या पाकर परिस्थिति के अनुसार आचरण करने वाला बालक ही ज्ञानी बनता है।