भारत के प्रमुख उद्योग कौन कौन से है? भारत मे उद्योग कैसे शुरू हुआ?

भारत के प्रमुख उद्योग

भारत एक कृषि प्रधान देश है लेकिन यंहा अद्यौगिकरण भी तेजी से बढ़ रहा है। नए-नए तकनीकों के कारण भारत के उद्योगों में बहुत तेजी आई है। यंहा के ज्यादातर उद्योग कृषि आधारित ही हैं। तो आइए देखते है कि भारत मे कौन कौनसे उद्योग-धन्धे है, भारत के प्रमुख उद्योग कौन कौन से है? इसकी विस्तृत जानकारी…

उद्योग क्या हैं?

इस आर्टिकल की प्रमुख बातें

उद्योग अर्थात किसी विशेष क्षेत्र में भारी मात्रा में सामान का निर्माण/उत्पादन या वृहद रूप से सेवा प्रदान करने के मानवीय कर्म को उद्योग कहते हैं। उद्योगों के कारण गुणवत्ता वाले उत्पाद सस्ते दामों पर प्राप्त होते है जिससे लोगों का रहन-सहन के स्तर में सुधार होता है और जीवन सुविधाजनक होता चला जाता है।

औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका में नये-नये उद्योग-धन्धे आरम्भ हुए। इसके बाद आधुनिक औद्योगीकरण ने पैर पसारना अरम्भ किया। इस काल में नयी-नयी तकनीकें एवं उर्जा के नये साधनों के आगमन ने उद्योगों को जबर्दस्त बढावा दिया। भारत औद्योगिक राष्ट्र नहीं हैं। यह मिश्रित अर्थव्यवस्था वाला राष्ट्र हैं। आजादी से पहले भारत की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि था। आधुनिक उद्योगों या बड़े उद्योगो की स्थापना भारत में 19 वीं शताब्दी के मध्य शुरू हुई। जब कलकत्ता व मुम्बई में यूरोपीय व्यवसायियों या उद्योगों के द्वारा सूती वस्त्र उद्योगो की स्थापना हुईं।

उत्पादन विशेषता के आधार पर भारत के प्रमुख उद्योग को छ: भागों में विभक्त किया जा सकता है-

  1. धातुकर्मी उद्योग – लौह इस्पात, एल्युमिनियम, ताँबा, सीसा – जस्ता आदि।
  2. वस्त्र उद्योग – सूती वस्त्र, ऊनी रेशमी वस्त्र, कृत्रिम धागा वस्त्र, पटसन उद्योग आदि।
  3. इंजीनियरिंग उद्योग – भारी मशीन, मोटर गाड़ी, जलयान , लोकोमोटिव, वायुयान आदि।
  4. रसायन उद्योग – रासायनिक उर्वरक, सोडा ऐश, गन्धक तेजाब, कॉस्टिक सोडा, सीमेण्ट, काँच, प्लास्टिक, औषधि, पेट्रोलियम उद्योग आदि।
  5. खाद्यान्न उद्योग – चीन उद्योग, वनस्पति उद्योग, दाल उद्योग, तेल उद्योग, बिस्कुट उद्योग आदि।
  6. अन्य उद्योग – कागज उद्योग, दियासलाई उद्योग, प्रसाधन उद्योग, फर्नीचर उद्योग आदि।

 

आइये अब भारत के इन सभी प्रमुख उद्योग के बारे में विस्तार से जानते हैं। कौन कौनसा उद्योग कब और कैसे शुरू हुआ? भारत के कौनसा प्रमुख उद्योग कंहा कंहा स्थापित है? किस उद्योग से भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है? भारत के प्रमुख उद्योग कौनसा उद्योग का खासा प्रभाव है? इन सभी बातों से सम्बंधित पूरी जानकारी…

भारत के प्रमुख उद्योग कौन कौन से है? भारत मे उद्योग कैसे शुरू हुआ?


लोहा एवं इस्पात उद्योग

पहली बार 1907 में जमशेदपुर ( झारखण्ड ) में जमशेदजी टाटा द्वारा टाटा लोहा एवं इस्पात कम्पनी की स्थापना से भारत में लोहा एवं इस्पात उद्योग की शुरुआत हुई। तब से लेकर आज तक वर्तमान में विश्व में इस्पात के उत्पादन में भारत का आठवाँ स्थान है। भारत से इस्पात का सर्वाधिक निर्यात चीन को होता है।

लोहा एवं इस्पात की मुख्य उत्पादक कंपनियों की सूची..

  • भारत में पहला लौह इस्पात कारखाना 1874 ई. में कुल्टी (पश्चिम बंगाल) नामक स्थान पर बाराकर लौह कम्पनी के रूप में स्थापित किया गया था। इसकी स्थापना 1956 ई . में पश्चि बंगाल के दुर्गापूर नामक स्थान पर ब्रिटेन की सहायता से की गयी थी।
  • भारतीय लौह इस्पात कम्पनी – इसकी स्थापना 1908 ई. प बंगाल की दामोदर नदी घाटी में हीरापुर नामक स्थान पर की गयी थी।
  • मैसूर आयरन एण्ड स्टील वर्क्स – 1923 ई में मैसूर राज्य ( वर्तमान कर्नाटक ) के भद्रावती नामक स्थान पर स्थापित की गयी थी। इसका वर्तमान नाम विश्वेश्वरैया आयरन एण्ड स्टील क लि. ( VISCL ) है।
  • स्टील कार्पोरेशन ऑफ बंगाल – इसकी स्थापना 1937 ई बर्नपुर (पश्चिम बंगाल) में की गयी। बाद में 1953 ई. में इसे भारतीय लौह इस्पात कम्पनी में मिला दिया गया। स्वतंत्रता के पश्चात स्थापित यह पहला लौह इस्पात कारखाना है।
  • भिलाई इस्पात संयंत्र – इसकी स्थापना 1955 ई. में तत्कालीन मध्यप्रदेश के भिलाई (दुर्ग जिला) में पूर्व सोवियत संघ की सहायता से की गयी थी।
  • हिन्दुस्तान स्टील लिमिटेड, राउरकेला- इसकी स्थापना 1953 ई. में उड़ीसा के राऊरकेला नामक स्थान पर जर्मनी की सहायता से की गयी थी।
  • हिन्दुस्तान स्टील लिमिटेड, दुर्गापुर- इसको स्थापना 1956 ई में पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर नामक स्थान पर ब्रिटेन की सहायता से की गयी थी।
  • बोकारो स्टील प्लान्ट – इसकी स्थापना 1968 ई. में तत्कालीन बिहार राज्य के बोकारो नामक स्थान पर पूर्व सोवियत संघ की सहायता की थी।
  • सलेम इस्पात संयंत्र – सलेम (तमिलनाडु)।
  • विशाखापट्नम इस्पात संयंत्र – विशाखापट्नम (आन्ध्र प्रदेश)।
  • विजयनगर इस्पात संयंत्र – हास्पेट बेलारी जिला (कर्नाटक)।

स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) – यह भारत सरकार द्वारा स्थापित एक उपक्रम है । दुर्गापुर, भिलाई, राऊरकेला, बोकारो, बर्नपुर, सलेम, विश्वेश्वरैया, इन सभी  आयरन स्टील कम्पनी का प्रबंधन 1989 से इसी के अधीन है।

एल्युमीनियम उद्योग

भारत में एल्युमीनियम का पहला कारखाना 1937 ई. पश्चिम बंगाल में आसानसोल के निकट जे. के. नगर में स्थापित किया गया था। उसके बाद 1938 ई. में चार कारखाने, तत्कालीन बिहार राज्य के मुरी, केरल के अलवाये, पश्चिम बंगाल के बेलूर तथा उड़ीसा के हीराकुण्ड में स्थापित किए गए। मद्रास एल्युमीनियम कम्पनी तमिलनाडु के मैटूर नामक स्थान पर स्थापित की गयी।

सूती वस्त्र उद्योग

परम्परागत हथकरघा और आधुनिक सूती वस्त्र उद्योग भारत का सबसे बड़ा उद्योग क्षेत्र है। अमेरिका और चीन के बाद भारत सूती वस्त्र का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। विश्व सूती वस्त्र व्यापार में भारत का दूसरा स्थान है। भारत में सूती वस्त्र उद्योग में ही सबसे अधिक 35 करोड़ लोग कार्यरत हैं। 1818 में कोलकाता (कलकत्ता) के निकट पहली सूती मिल स्थापित की गई थी, लेकिन वास्तविक रूप में भारत में सूती वस्त्र उद्योग की शुरुआत भारतीय पूँजी से मुम्बई में लगाए गए सूती मिल के बाद हुई।

भारत में वस्त्र की सर्वाधिक मिलें तमिलनाडु राज्य में तत्पश्चात् महाराष्ट्र, गुजरात एवं मध्यप्रदेश राज्यों में हैं। देश के 88 नगरों में सूती वस्त्र उद्योग का स्थानीयकरण हुआ है, लेकिन यह मुख्यतः प्रायद्वीप के शुष्क पश्चिमी भाग और विशाल मैदान के पश्चिमी भागों में केन्द्रित है, जहाँ कपास की खेती होती है। महाराष्ट्र जिसमे विशेषकर मुम्बई और गुजरात जिसमे विशेषकर अहमदाबाद प्रमुख सूती वस्त्र उद्योग वाले राज्य हैं।

प्रमुख सूती उत्पादक राज्य

महाराष्ट्र में मुम्बई के अतिरिक्त इस उद्योग के प्रमुख केन्द्र शोलापुर, नागपुर, पुणे, अमरावती और औरंगाबाद में हुआ है। देश में सूती वस्त्र का दूसरा सर्वाधिक उत्पादक राज्य गुजरात है। यहाँ, अहमदाबाद, सूरत, भड़ाँच, बड़ोदरा, भावनगर और राजकोट इस उद्योग के उल्लेखनीय केन्द्र हैं। पश्चिम बंगाल में कोलकाता, हावड़ा, सेरमपुर, और मुर्शिदाबाद, तमिलनाडु में में कोयम्बटुर, चेन्नई, मदुरै और सलेम तथा उत्तरप्रदेश में कानपुर, मोदीनगर, वाराणसी, और हाथरस सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केन्द्र हैं।

देश में सूती वस्त्रों के निर्यात में सिले-सिलाए वस्त्रों की प्रधानता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाईटेड किंगडम , रूस, फ्रांस, नेपाल और सिंगापुर भारतीय वस्त्रों के सबसे बड़े खरीददार हैं। देश में सूती वस्त्रों के निर्यात को प्रोत्साहन देने हेतु अपर पार्क की स्थापना त्रोनिकानगर और कानपुर, कान्चीपुरम और तिरुपुर, तिरुवनन्तपुरम, विशाखापट्टनम, बंगलुरु, सूरत, लुधियाना, इन्दौर, और जयपुर में की गई है।

जूट उद्योग

भारत में जूट उद्योग की शुरुआत 1859 में कोलकाता से हुई और यह देश के लिए विदेशी मुद्रा प्राप्त करने का एक बड़ा साधन बन चुका है। भारत जूट और जूट से निर्मित वस्तुओं का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और विश्व का 35% जूट भारत में उत्पादित होता है। देश में वर्तमान में जूट के 78 से भी ज्यादा कारखाने हैं। इनमें से 61 अकेले पश्चिम बंगाल राज्य में हैं। पश्चिम बंगाल में जूट के 10 कारखाने शत प्रतिशत निर्यात करने के लिए है। जूट उद्योग का कोलकाता की हुगली नदी के दोनों किनारों पर केन्द्रित हैं। भारतीय जूट निगम की स्थापना 1971 ई में आयात, निर्यात एवं आन्तरिक एवं आन्तरिक बाजार की देखभाल के लिए की गयी है।

भारत मे जूट उद्योग से संबंधित प्रमुख स्थान

  • पश्चिम बंगाल – टीटागढ़, रिशरा, बाली, अगर पाड़ा, बाँसबेरियाँ, कान किनारा, उलबेरिया, सौरामपुर हावड़ा, श्याम नगर, शिवपुर, सियालदह, बिरलापुर, होलीनगर, बैरकपुर।
  • आन्ध्रप्रदेश– विशाखापट्टनम, गुण्टूर,
  • उत्तरप्रदेश कानपुर, सहजनवाँ।
  • बिहार- पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, दरभंगा।

चीनी उद्योग

चीनी उद्योग एक महत्वपूर्ण कृषि आधारित उद्योग है जो लगभग 50 मिलियन गन्ना किसानों और चीनी मिलों में सीधे नियोजित 5 लाख कर्मियों की ग्रामीण आजीविका को प्रभावित करती है। परिवहन, मशीनरी की व्यापार सेवाओं और कृषि आदानों की आपूर्ति से संबंधित विभिन्न सहायक गतिविधियों में भी रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए हैं। यह उद्योग भारत मे मुख्यतः उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल एवं राजस्थान राज्य में है।

इन राज्यों के निम्न शहर चीनी उद्योग से संबंधित

  • उत्तरप्रदेश – देवरिया , भटनी , पड़रौना , गोरखपुर, गौरी बाजार सिसवाँ बाजार, बस्ती, गोंडा, बलरामपुर, बाराबंकी, सीतापुर, हरदोई, विजनौर, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बुलन्दशहर कानपुर, फैजाबाद एवं मुजफ्फरनगर आदि।
  • बिहार – मोतीहारी, सुगोली, मझौलिया, चनपटिया नकरटियागंज मढ़ौरा, सासामुसा, गोपालगंज , मोतीपुर, गौरौल डालमियानगर, सारण, समस्तीपुर, दरभंगा, चम्पारण, हसनपुर मुजफ्फरपुर आदि।
  • महाराष्ट्र मनसद, नासिक, अहमदनगर, पूना, शोलापुर एवं कोल्हापुर।
  • पश्चिम बंगाल – तेलडांगा, पलासी, हवाड़ा, एवं मुर्शिदाबाद।
  • पंजाब – हमीरा, फगवाड़ा, अमृतसर।
  • हरियाणा – जगधारी एवं रोहतक।
  • तमिलनाडु – अरकाट, मदुरै, कोटाम्पबदुर, तिरुचिरापल्ली।
  • आन्ध्रप्रदेश – सीतापुरम्, पीठापुरम्, बेजवाड़ा, हास्पेट, साभल कोट एवं हैदराबाद।
  • राजस्थान – गंगानकर, भूपाल सागर।

सीमेन्ट उद्योग

विश्व में सबसे पहले आधुनिक रूप से सीमेन्ट का निर्माण 1824 ई. में ब्रिटेन के पोर्टलैण्ड नामक स्थान पर किया गया था। भारत में आधुनिक ढंग से सीमेन्ट बनाने का पहला करखाना 1904 ई. में मद्रास में लगाया गया था, जो असफल रहा। मद्रास के कारखाने के बाद 1912-13 ई. में इंडियन सीमेन्ट कम्पनी लि. द्वारा गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान पर कारखाने की स्थापना की गयी, जिसमें 1914 ई. से उत्पादन प्रारंभ हुआ। एसोसिएट सीमेंट कम्पनी लि. (A.C.C.) की स्थापना 1934 में हुआ था।

भारत में सीमेण्ट कारखानों की सर्वाधिक संख्या आन्ध्रप्रदेश राज्य में हैं। तत्पश्चात् राजस्थान और तमिलनाडु राज्यों में है। सीमेण्ट के प्रमुख उत्पादक राज्य तमिलनाडु मध्य प्रदेश, गुजरात, आन्ध्रप्रदेश , राजस्थान , कर्नाटक और बिहार हैं। सीमेण्ट उत्पादन में राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है। भारतीय सीमेण्ट उद्योग विश्व में सीमेण्ट के उत्पादन में दूसरे स्थान पर है।

भारत के प्रमुख सीमेन्ट उत्पादक राज्य व स्थान

  • राजस्थान – जयपुर, लखेरी।
  • मध्यप्रदेश – सतना, कटनी, जबलपु, बनमोर, ग्वालियर,
  • कर्नाटक – भोजपुर, भद्रावती, बागलकोट, बंगलैर
  • तमिलनाडु – डालमियापुरम् , मधुकराय , तुलकापट्टी।
  • केरल – कोट्टानम
  • छत्तीसगढ़ – दुर्ग, जामुल, तिल्दा, मांढर, अकलतरा
  • उत्तरप्रदेश – मिर्जापुर, चुर्क।
  • झारखंड – डालमियानगर, जपला, खेलारी, कल्याणपुर, सिन्दरी और शींकपानी।
  • बिहार – डालमियानगर , कल्याणपुर और बंजारी। उड़ीसा राजगंगपुर।
  • आन्ध्रप्रदेश – कृष्णा, विजयवाड़ा, मनचेरियल , मछेरिया,
  • गुजरात – पोरबन्दर, द्वारका, सीका (जामनगर), भावनगर , सेवालियम और रानायाय।
  • पंजाब – सूरजपुर हरियाणा – चरखी दादरी।

रेशम उद्योग

भारत विश्व का चौधा सबसे बड़ा रेशम उत्पादक देश है। चीन के बाद भारत तसर सिल्क का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक हैं। मूंगा सिल्क के उत्पादन में भारत का विश्व में एकाधिकार है जो असम में होता है। विश्व में कच्चे रेशम के उत्पादन में भारत का द्वितीय स्थान है। कर्नाटक सबसे बड़ा रेशम उत्पादक राज्य है, जहाँ देश का लगभग 60% रेशम उत्पादित होता है।

इसके बाद आन्ध्रप्रदेश 17% पश्चिम बंगाल 8%, और तमिलनाडु 7% में तथा शेष 8 प्रतिशत का उत्पादन जम्मू-कश्मीर और उत्तरप्रदेश राज्यों में होता है। लगभग सम्पूर्ण मलबरी सिल्क कर्नाटक, प. बंगाल, जम्मू-कश्मीर और आन्ध्र प्रदेश में होता है। देश में रेशम उद्योग के प्रमुख केन्द्र बंगलुरु, मैसुरु, कोलार, बेलगावी, धर्मावरम, वारंगल, मुर्शिदाबाद विष्णुपुर, कांजीवरम्, श्रीनगर, मिर्जापुर, वाराणसी और भागलपुर है।

ऊनी वस्त्र उद्योग

1870 में कानपुर और 1883 में धारीवाल में ऊन मिल की स्थापना के साथ भारत में आधुनिक ऊनी वस्त्र उद्योग को शुरुआत हुई। देश में इस उद्योग का 718 पंजीकृत इकाइयों हैं। लगभग 12 लाख लोग इस उद्योग में संलग्न है। पंजाब, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश ऊनी वस्तुओं के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। इनके बाद गुजरात, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और जम्मू-कश्मीर का स्थान आता है।

लगभग 40% ऊन मिल पंजाब में हैं और पंजाब में अधिकांश ऊन मिल गुरुदासपुर-लुधियाना अमृतसर में हैं। देश की 27 प्रतिशत ऊन मिलें हरियाणा में 10 प्रतिशत राजस्थान में तथा शेष 23 प्रतिशत अन्य राज्यों में हैं। देश में अच्छी गुणवत्ता वाली ऊन का आयात ऑस्ट्रेलिया से किया जाता है। न्यूजीलैण्ड की चमकीली ऊन मुख्यतः घरेलू ऊन के साथ मिश्रित करने के प्रयोजन से कालीन क्षेत्र के लिए आयात की जा रही है।

कृत्रिम रेशा उद्योग

रेयॉन, नायलॉन, टेरीन और डेक्रॉन मानव निर्मित रेशे हैं, जो रासायनिक विधियों से बनाए जाते हैं। भारत इसका उत्पादन और निर्यात दोनों करता हैं। भारत का प्रथम रेयॉन कारखाना 1950 ई में केरल के रायपुरम में ट्रावणकोर रेयन लि. के नाम से स्थापित हुआ। भारत में रेयॉन उद्योग से कुछ बड़े औद्योगिक घराने ही जुड़े हैं। लगभग सभी बड़े सूती वस्त्र निर्माता रेयॉन, नायलॉन और पॉलिस्टर के रेशे बनाते हैं। यह उद्योग केवल महाराष्ट्र गुजरात, उत्तरप्रदेश, बंगाल, तमिलनाडु और दिल्ली में ही सीमित हैं।

इंजीनियरिंग उद्योग

लौह एवं इस्पात उद्योग के लिए भारी मशीनें तथा वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग, सीमेण्ट उद्योग, चाय उद्योग, रसायन उद्योग, आदि सभी उद्योगों के लिए मशीन एवं उपकरण का उत्पादन इंजीनियरिंग उद्योग ही करता है। इंजीनियरिंग उद्योग के प्रमुख समूह विद्युत् उपकरण – टरबाईन, ट्रान्सफॉर्मर, बॉयलर, आदि जैसे विद्युत् उपकरण भारत हैवी इन्जीनियरिंग लि. (BHEL) के हरिद्वार, भोपाल, तिरुचिरापल्ली, रामचन्द्रपुरम, जम्मू और बंगलुरु के कारखानों में बनते हैं।

रेल उपकरण

रेल इंजनों का निर्माण चितरंजन, जमशेदपुर और वाराणसी में होता है। रेल डिब्बों का निर्माण पेराम्बुर और बंगलुरु में होता है। भोपाल स्थित सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी भारत हैवी इलेक्ट्रीकल्स लिमिटेड (भेल) द्वारा रेल इन्जनों का निर्माण किया जा रहा है। भेल ने भारतीय रेल के लिए विद्युत् चलित इन्जन बनाने की क्षमता भी हासिल कर ली है। कपूरथला रेलवे सवारी डिब्बे, येलान्हका (बंगलुरु) में मालगाड़ी के डिब्बे, पटियाला में डीजल के इन्जन के हिस्से पुर्जे बनाने के कारखाने स्थापित हैं।

भारी मशीनरी

लौह एवं इस्पात उद्योग के लिए भारी मशीनरी रांची (भारी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लि.) नैनी और तुंगभद्रा के कारखानों में बनाए जाते हैं। कोयला उत्खनन की मशीनें दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल) में बनाई जाती हैं। मशीन एवं उपकरण- विभिन्न आकारों एवं किस्मों के मशीन एवं उपकरण हिन्दुस्तान मशीन टूल्स (HMT) के बंगलुरु, पंजोर (हरियाणा), हैदाराबाद श्रीनगर, पूना एवं कलमासेरी (केरल) के कारखानों में बनाए जाते हैं। वाहन-मोटर वाहन उद्योग मुख्यतः मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता नई दिल्ली और पूना केन्द्रित है।

जलपोत

भारत के पाँच जलपोत निर्माण केन्द्र हिन्दुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड विशाखापट्टनम, गार्डन रीच वर्कशॉप कोलकाता, गोवा शिपयार्ड लि. गोवा, मझगाँव डॉक मुम्बई तथा कोच्चि शिपयार्ड लि. कोच्चि हैं। इनमें विशाखापट्टनम में सबसे बड़ी जलपोत निर्माणशाला है, जो प्रतिवर्ष तीन जलपोत बनाने की क्षमता रखती है। कोच्चि जलपोत निर्माणशाला जापानी सहयोग से बनाई गई है जहाँ भारत में सबसे बड़ा जलपोत बनाने वाला डॉक है। कोलकाता में निष्कर्षण पोत, नौकाएँ, आदि बनार्द जाती हैं।

मझगांव में युद्धपोत बनाए जाते हैं। कोलकाता के हुगली डॉक एवं पोर्ट इन्जीनियर्स लि. ने 1984 में एक केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र प्रतिष्ठान का रूप धारण किया। इस कम्पनी की दो इकाइयाँ पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में सल्किया और नजीरगंज में हैं। यहाँ यात्री जहाज के अतिरिक्त ड्रेजरपोत तथा आपूर्ति एवं राहत पहुँचाने वाले जहाज के निर्माण की सुविधा है।

हवाई जहाज

1940 ई. में बंगलुरु में हिन्दुस्तान एरोनॉटिकल लि. (HAL) के नाम से पहला हवाई जहाज का कारखाना स्थापित किया गया। HAL की प्रमुख शाखाएँ नासिक शाखा जहाँ विमान बनते हैं, कोरापुट शाखा जहाँ MIG का इंजन बनता है, हैदराबाद शाखा, जहाँ MIG के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनते हैं, कानपुर शाखा, जहाँ HS-748 हवाईयान बनता है, और लखनऊ शाखा, जहाँ वायुयान के उपकरण एवं औजार बनते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक

बंगलुरु स्थित भारत इलेक्ट्रॉनिक लि. (BAL) सुरक्षा, सेवा, आकाशवाणी तथा मौसम विभाग के लिए। इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनता है। बंगलुरु में ही स्थित भारतीय दूरभाष उद्योग (ITI) दूरभाष के उपकरणों को बनाता है। हैदराबाद स्थित भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन (ECI) परमाणु संयन्त्रों, चिकित्सा, कृषि एवं उद्योगों के लिए उपकरण बनते हैं। नैनी में बनाया गया नया ITI सूक्ष्म – तरंगी संचार (माइक्रोवेव कम्युनिकेशन) के लिए उपकरण बनता है।

चर्म उद्योग

आधुनिक बड़े चर्मशोधक कारखाने अधिकांशत : उत्तरी भारत में केन्द्रीत हैं। उत्तरी भारत में भी उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, जहाँ कानपुर सबसे बड़ा चर्म शोधक केन्द्र है। कोलकाता, चेन्नई में भी बड़ी मात्रा में शोधित चमड़े का उत्पादन होता है। चमड़े की वस्तुओं के निर्माण में आगरा सबसे बड़ा केन्द्र है।

कागज उद्योग

कोलकाता में 1870 में पहली कागज मिल स्थापित हुई। कागज उद्योग महाराष्ट्र, उड़ीसा, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में विस्तृत रूप में है। नेपानगर का नेपा कागज मिल, मैसूर कागज मिल तथा केरल न्यूजप्रिन्ट समाचार-पत्रों के लिए कागज बनाते हैं।

भारत में कागज उद्योग के प्रमुख केन्द्र

आंध्रप्रदेश में कागजनगर, राजमुहन्द्री, बिहार के डालमियानगर, हरियाणा के यमुनानगर, कर्नाटक के ढांढेली, मध्यप्रदेश के अमलाई, महाराष्ट्र में बल्लारपुर, ओडिसा के बृजराजनगर, तमिलनाडु के पलीपलायम, उत्तरप्रदेश के सहारनपुर तथा पश्चिम बंगाल के रानीगंज एवं टीटागढ़ हैं।

रसायन उद्योग

रसायन उद्योग भारत में सूती वस्त्र उद्योग, लौह – इस्पात उद्योग और इन्जीनियरिंग उद्योग के बाद चौथा सबसे बड़ा उद्योग है। रसायनों के उत्पादन में मात्रा की दृष्टि से भारत का विश्व में 12 वाँ स्थान है। विनिर्माण क्षेत्र में रसायन उद्योग का मूल्य लगभग 15 प्रतिशत बैठता है जबकि देश के कुल निर्यात मूल्य में इसका योगदान 14 प्रतिशत का है। सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क के रूप में इस उद्योग का राष्ट्रीय राजस्व में लगभग 20 प्रतिशत का योगदान है।

आधारभूत रसायन

वे रसायन जिनका उत्पादन बड़े स्तर पर होता है और जो दूसरे उद्योगों के लिए कच्चे माल या प्रसंस्करण रसायन के रूप में इस्तेमाल होता है, उन्हें आधारभूत रसायन कहा जाता है। इस कोटि के प्रमुख रसायन सल्फ्यूरिक अम्ल, नाइट्रिक अम्ल, सोडा राख, कॉस्टिक सोडा, तरल क्लोरीन, कैल्सियम, कार्याइड , बेन्जीन, ऐसीटिक अम्ल, ऐसीटोन, ब्यूटेनॉल, र PVC , आदि हैं।

उर्वरक

अभी भारत में केवल नाइट्रोजन युक्त और फॉस्फेट युक्त उर्वरकों का ही उत्पादन होता है। 1951 ई में बिहार के सिन्दरी में प्रथम सरकारी स्वामित्व वाला उर्वरक संयन्त्र स्थापित हुआ।

दवाइयाँ

सार्वजनिक क्षेत्र में दवा उत्पादन में दो प्रमुख संगठन इस प्रकार हैं जिसमे इण्डियन ड्रग एवं फार्मास्युटिकल लि . (IDPL), जिसके पाँच संयंत्र ऋषिकेश में विश्व का विशालतम् एण्टीबॉयोटिक संयंत्र , हैदराबाद, गुड़गाँव, चेन्नई और मुजफ्फरपुर में है। दूसरा हिन्दुस्तान एन्टीबॉयोटिक्स लि. (HAL), जो पूना के निकट पिम्परी में है।

कीटनाशक

हिन्दुस्तान इन्सेक्टीसाइड लि. भारत की सबसे बड़ी कोटनाशक दवा निर्माता कम्पनी है जिसके 3 संयन्त्र भटिण्डा, केरल स्थापना 1960 में रसायनी (महाराष्ट्र) में हैं। हिन्दुस्तान ऑरगैनिक कैमिकल्स लि. की स्थापना 1960 में रसायनी (महाराष्ट्र) में की गयी। इसकी दो इकाइयाँ रसायनी (महाराष्ट्र) तथा कोच्चि (केरल) में है।

तेल शोधन उद्योग

भारत में तेल शोधन उद्योग का स्थानीयकरण तेल क्षेत्रों में तथा आयातित तेल पर आधारित शोधन शालाओं की स्थापना

तटीय बन्दरगाहों पर हुई है। भारत में वर्तमान में 17 तेलशोधक कारखाने काम कर रहे हैं…

  1. आई सी सी डिगबोई
  2. एच पी सी एल मुम्बई
  3. बो पी सी एल मुम्बई
  4. एच पी सी एल विशाखापट्टनम
  5. आई ओ सी गुवाहाटी
  6. आई. ओ सी बरौनी
  7. आई ओ सी कोयली
  8. के आर एल कोच्चि
  9. सी पी सी एल मनाली, चेन्नई
  10. आई सी सी हल्दिया
  11. बी आर पी एल बोंगाईगाँव, असम
  12. आई ओ सी मथुरा
  13. मंगलौर रिफाइनरी
  14. सी पी सी एल नरीमनम
  15. आई ओ सी एल, पानीपत
  16. एन आर. एल. नुमालीगढ़
  17. ओ. एन. जी सी. ताटीपाका

शीशा उद्योग

भारत का 3/4 शीशा उद्योग उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में केन्द्रित है। फिरोजाबाद चूड़ी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। बहजोई, सम्भलपुर, नैनो और गाजियाबाद शीशा उद्योग के अन्य केन्द्र हैं।

 

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