भारत के स्वतंत्रता सेनानी | freedom fighters of india
हमारा देश ऐसे ही आजाद नही हुआ है, बल्कि हजारों, लाखों कुर्बानियों के बाद, करीब दो सौ साल तक संघर्ष करने के बाद आजाद हुआ है। इन कुर्बानी देने वालो में और भारत को आजाद कराने में भारत के एक से बढ़ कर एक महान स्वतंत्रता सेनानी शामिल थे। तो आइए आज की इस आर्टिकल के माध्यम से जानते है भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में और उनसे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब।
भारत के स्वतंत्रता सेनानी
हमारा देश स्वतंत्रता सेनानियों से भरा हुआ है, भारत के स्वतंत्रता सेनानी की सूची बहुत लंबी है, क्योंकि भारत देश को आज़ाद करने के लिए कई सेनानीयो ने अपना बालिदन दिया है, बहुत से स्वतंत्रता सेनानी ने अपने आप को देश के नाम समर्पित किया है। भारत को आजादी दिलाने में कुछ मुख्य भूमिका निभाने वाली प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी जिनमे मंगल पांडे, रानी लक्ष्मी बाई, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक, भगत सिंह, महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, इत्यादि हैं।
भारत के प्रथम क्रांतिकारी वासुदेव बलवंत फड़के का जन्म 4 नवंबर, 1845 को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के शिरढोणे गांव में हुआ था। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का संगठन करने वाले फड़के भारत के पहले क्रांतिकारी थे। उन्होंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की विफलता के बाद आज़ादी के महासफर की पहली चिनगारी जलाई थी।
प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में विद्रोह की आग उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, आदि जगहों तक फैल गई। इस विद्रोह में किसान, कारीगर, जमीदार, राजा, आम जनता थी। इस विद्रोह में रानी लक्ष्मीबाई, कुवर शिह, तात्या टोपे, अमर शिह, वीर नारायण शिह, मंगल पांडे आदि ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली के विधान सभा में बम फेकने वाले भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव ने जिसे अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया और सैंडल के हत्या के जुर्म में फाँसी की सजा दे दी गई। इलाहबाद के अल्फ़ेड पार्क में एक मदभेद के दौरान चंद्रशेखर आज़ाद भी शहीद हो गए।
अहिंसा की बात करे तो सबसे पहले महात्मा गांधी एक नाम आता है, जो अहिंसा के रास्ते पर चलकर अंग्रेजों को झुकने पर मजबूर करने वालों में सबसे पहले आता है। उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन करके भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ब्रिटिशर्स की ओर से नमक पर टैक्स लगाए जाने के विरोध में गांधी जी की ओर से शुरू किया गया दांडी मार्च बहुत सफल हुआ था।
स्वतंत्रता सेनानियों को जेल में रखकर हथकड़ियाँ पहना दी थी। इन हथकड़ियों को ब्रिटिश राज का गहना कहते है। ये हथकड़ियाँ भारत माता को आजाद कराने के पवित्र उद्देश्य को पूरा करते हुए मिली थी, इसलिए इन्हें गहना कहा गया है। भारतीयों ने अनेक यातनाओं, संघर्षों के बाद भारत देश को आजादी दिलायी।
अंग्रेज़ सरकार के विरुद्ध क्रांतिकारियों का 1942 में अंग्रेजों भारत छोडो का आंदोलन प्रारंभ हुआ, मार्च 1946 में अंगरेजो ने स्वतन्त्रता की मांग को स्वीकर कर लिया और अंग्रेज 1948 तक पूरी तरह भारत छोडकर चले गए। इस प्रकर से भारत गुलामी के जंजीरो से आजादी की सास लेने में सफल, क्रांतिकारीयों के करण ही संभव हो पाया।
भारत की स्वतंत्रता सेनानियों की सूची
वैसे तो स्वतंत्रता आंदोलन में भारत के बहुत से स्वतंत्रता सेनानी शामिल थे। लेकिन इनमें से कुछ प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों की सूची इस प्रकार है।
- रानी लक्ष्मी बाई
- लाल बहादुर शास्त्री
- जवाहरलाल नेहरु
- बाल गंगाधर तिलक
- लाला लाजपत राय
- चंद्रशेखर आजाद
- सुभाषचंद्र बोस
- मंगल पांडेय
- भगत सिंह
- भीमराव अम्बेडकर
- सरदार वल्लभभाई पटेल
- महात्मा गाँधी
- सरोजनी नायडू
- बिरसा मुंडे
- अशफाक़उल्ला खान
- बहादुर शाह जफ़र
- डॉ राजेन्द्र प्रसाद
- राम प्रसाद बिस्मिल
- सुखदेव थापर
- शिवराम राजगुरु
- खुदीराम बोस
- दुर्गावती देवी
- गोपाल कृष्ण गोखले
- मदन मोहन मालवीय
- शहीद उधम सिंह
- नाना साहेब
- तांतिया टोपे
- विपिन चन्द्र पाल
- चित्तरंजन दास
- राजा राममोहन दास
- दादाभाई नौरोजी
- वीर विनायक
- दामोदर सावरकर
- कस्तूरबा गाँधी
- गोविन्द वल्लभ पन्त
- रविन्द्रनाथ टैगोर
- अबुल कलाम आजाद
- रसबिहारी
- जय प्रकाश नारायण
- मदन लाल ढींगरा
- गणेश शंकर विघार्थी
- करतार सिंह सराभा
- बटुकेश्वर दत्त
- सूर्या सेन
- गणेश घोष
- बीना दास
- कल्पना दत्ता
- एनी बीसेंट
- सुबोध रॉय
- अश्फाक अली
- बेगम हज़रात महल इत्यादि।
भारत के स्वतंत्रता सेनानी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवाल जवाब
- भारत को आजादी कैसे मिली? भारत आजाद कैसे हुआ?
- अंग्रेजी शासन का प्रभाव | भारत मे अंग्रेजी शासन व्यवस्था
भारत की सबसे पहले स्वतंत्रता सेनानी कौन थे?
देश की आजादी का बीज बोने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे ( Great Freedom Fighter Mangal Pandey ) भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम सेनानी और अग्रदूत थे। मंगल पांडे द्वारा 1857 में जुलाई की आजादी की मशाल से 90 साल बाद पूरा भारत रोशन हुआ और आज हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं।
भारत का सबसे बड़ा क्रांतिकारी कौन था?
वासुदेव बलवंत फड़के का जन्म 4 नवंबर, 1845 को महाराष्ट्र के रायगड जिले के शिरढोणे गांव में हुआ था. ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का संगठन करने वाले फड़के भारत के पहले क्रांतिकारी थे। उन्होंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की विफलता के बाद आज़ादी के महासमर की पहली चिनगारी जलाई थी।
आजादी के गुमनाम नायक कौन कौन है?
- कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
- मतंगिनी हजरा
- विनायक दामोदर सावरकर
- पीर अली खान
- कमलादेवी चट्टोपाध्याय
- तिरुपुर कुमारन
- तारा रानी श्रीवास्तव
- अल्लूरी सीताराम राजू इत्यादि।
महान बलिदानी कौन था?
अपनी वीरता व निडरता के कारण वे वीरबाला के नाम से जानी गईं। आज सबसे कम उम्र की बलिदानी कनकलता का नाम भी इतिहास के पन्नों से गायब है। बीनादास जैसे बलिदानी का जन्म 24 अगस्त 1911 को बंगाल प्रांत के कृष्णानगर गांव में हुआ था।
मांझी का जन्म कब हुआ था?
सिंगारसी पहाड़, पाकुड़ के जबरा पहाड़िया उर्फ तिलका मांझी के बारे में कहा जाता है कि उनका जन्म 11 फ़रवरी 1750 ई. में हुआ था। 1771 से 1784 तक उन्होंने ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध लंबी और कभी न समर्पण करने वाली लड़ाई लड़ी और स्थानीय महाजनों-सामंतों व अंग्रेजी शासक की नींद उड़ाए रखा।
देश की आजादी में सबसे बड़ा योगदान किसका है?
अहिंसा के रास्ते पर चलकर अंग्रेजों को झुकने पर मजबूर करने वालों में महात्मा गांधी का नाम सबसे पहले आता है। उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन करके भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ब्रिटिशर्स की ओर से नमक पर टैक्स लगाए जाने के विरोध में गांधी जी की ओर से शुरू किया गया दांडी मार्च बहुत सफल हुआ था।
भारत को आजाद कराने में सबसे बड़ा हाथ किसका है?
अहिंसा के रास्ते पर चलकर अंग्रेजों को झुकने पर मजबूर करने वालों में महात्मा गांधी का नाम सबसे पहले आता है। उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन करके भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
सबसे कम उम्र के क्रांतिकारी कौन थे?
अंग्रेज सिपाहियों द्वारा गिरफ्तार होने के बाद खुदीराम बोस को 11 अगस्त 1908 को मुजफ्फरपुर जेल में फांसी दे दी गई. कुछ इतिहासकार उन्हें देश के लिए फांसी पर चढ़ने वाला सबसे कम उम्र का क्रांतिकारी देशभक्त मानते हैं।
फांसी पर चढ़ते समय खुदीराम बोस की आयु क्या थी?
अंग्रेज पुलिस उनके पीछे लग गयी और वैनी रेलवे स्टेशन पर उन्हें घेर लिया। अपने को पुलिस से घिरा देख प्रफुल्लकुमार चाकी ने खुद को गोली मारकर अपनी शहादत दे दी जबकि खुदीराम पकड़े गये। 11 अगस्त 1908 को उन्हें मुजफ्फरपुर जेल में फाँसी दे दी गयी। उस समय उनकी उम्र मात्र 18+ वर्ष थी।
स्वतंत्रता संग्राम में सबसे कम आयु के शहीद कौन थे?
महान क्रांतिकारी खुदीराम बोस ने कम उम्र में देश के लिए वह काम किए थे जो आज भी युवाओं के लिए प्रेरणादायी हैं। महज 18 साल की उम्र में उन्हें फांसी दे दी गई थी। खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर 1889 को बंगाल के मिदनापुर जिले के गांव हबीबपुर में हुआ था।
भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में कौन कौन से प्रयास हुए?
भूमिका भारत को मुक्त कराने के लिए सशस्त्र विद्रोह की एक अखण्ड परम्परा रही है। भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना के साथ ही सशस्त्र विद्रोह का आरम्भ हो गया था। बंगाल में सैनिक-विद्रोह, चुआड़ विद्रोह, सन्यासी विद्रोह, संथाल विद्रोह अनेक सशस्त्र विद्रोहों की परिणति सत्तावन के विद्रोह के रूप में हुई।
1857 के स्वतंत्रता संघर्ष में शहीद होने वाला पहला व्यक्ति कौन था?
मंगल पाण्डे को 1857 की क्रान्ति का पहला शहीद सिपाही माना जाता है।
- भारत में यूरोपीय कंपनी के आगमन कैसे हुआ?
- भारत में राष्ट्रीय आंदोलन की महत्वपूर्ण घटनाएं, भारत आजाद कैसे हुआ?
1857 के प्रथम स्वतंत्रता विद्रोह में भाग लेने वाली प्रसिद्ध महिला स्वतंत्रता सेनानी कौन थी?
1857 के प्रथम स्वतंत्रता विद्रोह में भाग लेने वाली प्रसिद्ध महिला स्वतंत्रता सेनानी कौन थी? सही उत्तर विकल्प 4 अर्थात् बेगम हजरत महल है। बेगम हज़रत महल जिन्हें अवध की बेगम कहा जाता है, नवाब वाजिद अली शाह की दूसरी पत्नी थी। उसने लखनऊ पर शासन किया, जहां 4 जून, 1857 को विद्रोह हुआ।
1857 की क्रांति का प्रतीक चिन्ह क्या था?
बलिया: देश के क्रांतिकारी बहादुर शाह जफर, तात्या टोपे, वीर कुंवर सिंह, रानी लक्ष्मीबाई आदि ने बडे़ सुनियोजित ढंग से क्रांति की तिथि 10 मई ‘रोटी और खिलता हुआ कमल’ को प्रतीक मानकर पूरे अखंड भारत में गुप्त ढंग से सूचना भेज रखी थी
वह क्रांतिकारी कौन थे जो बाद में महान योगी बन गये?
युवावस्था में ही श्री अरबिंदो स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गए. बाद के वक्त में एक योगी और दार्शनिक के रूप में इन्हें जाना गया। पांडिचेरी में इनका एक आश्रम है, जिसके अनुयायी पूरी दुनिया में हैं। महर्षि अरबिंदो ने वेद और उपनिषदों पर टीका लिखी।
राजस्थान के प्रथम क्रांतिकारी कौन थे?
विजय सिंह पथिक उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर में गुठावल नामक गाँव में 1873 ई. को जन्में विजय सिंह पथिक सचीन्द्र सान्याल व रासबिहारी बोस से सम्पर्क में आने पर क्रान्तिकारी गतिविधियों में लग गये। इनका वास्तविक नाम ‘भूप सिंह’ था। ये राजस्थान में किसान आन्दोलन के जनक कहलाते है।
बालमुकुंद बिस्सा की मृत्यु कब हुई?
बिस्सा को जून के महीने में गिरफ्तार किया गया था। भीषण गर्मी और भूख हड़ताल की वजह से उनका स्वास्थ्य गिरने लगा। बाद में उनकी तबीयत बहुत बिगड़ गई। इलाज़ के लिए उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका और मात्र 34 साल की उम्र में ही 1942 में उनका निधन हो गया था।
Selute hai Bharat Mata ko