भारत को आजादी कैसे मिली? भारत आजाद कैसे हुआ?
15 अगस्त 1947 में भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी लेकिन ये कैसे हुआ? किन परिस्थितियों से गुजरने के बाद भारत आजद हुआ? भारत आजाद कैसे हुआ? भारत को आजादी कैसे मिली? और साथ ही ये जानना भी जरूरी है कि आखिर अंग्रेज भारत कैसे आये और भारत कैसे अंग्रेजों के गुलाम बन गया। तो चलिए देखते है विस्तार से।
भारत में अंग्रेजों का आगमन
सबसे पहले भारत मे पुर्तगाली वास्कोडिगामा 1497 ई. में ईसाई धर्म के प्रचार और व्यापार के उद्देश्य से भारत आया था। जब भारत मे व्यापार बढ़ने लगा तो फ्रांसीसी और पुर्तगाली भारत मे व्यापार करने लगा। यहां से मसाला, कपड़े, नील, इत्यादि वस्तुओं को बहुत कम कीमतों में खरीद कर, यूरोप में ऊंचे दामों में बेचने लगे। पुर्तगालियों और फ्रंसिसियो के लाभ को देखकर अंग्रेज भी व्यापार करने के उद्देश्य से भारत आने लगा और इस प्रकार अंग्रेजो का भारत मे आगमन हुआ।
भारत पर अंग्रेजी शासन
भारत आने के बाद धीरे धीरे अंग्रेज व्यापार करना प्रारंभ कर दिया और और भारतीय शासकों के बीच फुट डालना शुरू कर दिया। इधर औरंगजेब के मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य का पतन बहुत तेजी से होने लगा। छोटे छोटे राज्यो के आपसी संघर्षों के कारण भारत का राजनीतिक सत्ता डगमगाने लगा। भारत मे व्यापार के उद्देश्य से आये पुर्तगाली, फ्रंसीसी, डच आउट अंग्रेजों ने परिस्थितियों का लाभ उठाने के लिए आपसी युद्ध करने लगे। इन युद्धों में अंग्रेज विजयी हुए। इसके साथ ही 1757 में प्लासी के युद्ध के बाद बंगाल पर अंग्रेजों का प्रभुत्व स्थापित हो गया।
अगले सौ सालों में 1857 तक लगभग पूरा भारत अंग्रेजों के आधीन ही गया और फिर भारतीयों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। 1857 के विरोध से पहले अंग्रेजों की नीतियों से शासक और जनता पूरी तरह से रुष्ट था। अंग्रेजों ने भारतीय राजाओं से सहायक संधिया की थी। भारतीय जनता का बहुत आर्थिक हानि होने लगा था। जिसके कारण भारतीयों में असंतोष और बढ़ता गया। जिसके परिणामस्वरूप 1857 की क्रांति हुई।
अंग्रेजी शासन से भारत की आजादी
1857 की क्रांति भारत की आजादी के सबसे प्रथम सीढ़ी था। इस विद्रोह की आग घिरे धीरे उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, आदि जगहों तक फैल गई। इस विद्रोह में किसान, कारीगर, जमीदार, राजा, आम जनता शामिल थी। इसके साथ इस विद्रोह में रानी लक्ष्मीबाई, कुवर सिंह, तात्या टोपे, अमर शिह, वीर नारायण सिंह, मंगल पांडे आदि ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इस प्रकार भारत को आजादी दिलाने के लिए धीरे धीरे स्वतंत्रता आंदोलन तेज होता गया और 15 अगस्त 1947 को भारत एक आजाद देश बन गया। लेकिन इस बीच बहुत से महत्वपूर्ण घटनाएं हुई जिसके फलस्वरूप भारत आजाद हुआ और एक स्वतंत्र देश बना।
इन महत्वपूर्ण घटनाओं में 1905 में बंगाल विभाजन के फलस्वरूप स्वदेशी आंदोलन भारत के विभिन्न क्षेत्रों में प्रसार प्रचार होने लगा। इसके बाद अंग्रेजों के फुट डालो नीति के कारण 1906 में नवाब सलिमुल्ला खां के अध्यक्षता में मुस्लिम लीग की स्थापना हुई। 1911 में कलकत्ता के स्थान पर भारत की राजधानी दिल्ली को बना दिया।
रॉयल एक्ट के विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन ने पंजाब में अधिक उग्र रूप धारण कर लिए जिसके फलस्वरूप जलियांवाला बाग हत्याकांड जैसे घटनाएं हुई। इस हत्याकांड के बाद पूरे भारत मे आक्रोश आग की तरह फैल गई, जिसके फलस्वरूप भारत के आजादी की लड़ाई आउट तेज हो गया। फिर 1920 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में राष्ट्रीय आंदोलन चलाया गया। इसके अलावा भारत के आजादी के लिए चंपारण, खेड़ा सत्यग्रह, कंडेल सत्यग्रह, मिल मजदूर आंदोलन, असहयोग आंदोलन जैसे महत्वपूर्ण आंदोलनों को चलाया गया।
1929 में असहयोग आंदोलन की सफल न होने पर क्रान्तिकार्यो को बहुत निराशा हुआ। इसके बाद क्रन्तिकारी आंदोलन पुनः शुरू किया गया। जिसके नेता थे सचिन्द्रनाथ और योगेश चटर्जी। इसी बीच सैंडल द्वारा लाला जी की पीटकर हत्या कर दी गई। बाद में भगत सिंह और उसके साथी ने सैंडल को गोली मार दी और 8 अप्रैल 1929 को विधानसभा में बम फेक दी। इस कारण भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दे दी गई।
भारत के आजादी के लिए पूर्ण स्वराज की मांग
दिसंबर 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की मांग किया गया। पंडित जवाहरलाल नेहरू के अगवाई में पहली बार इस अधिवेशन में तिरंगा फहराया गया। इस अधिवेशन के बाद स्वतंत्रता संघर्ष को और तेज कर दिया गया जो निरंतर भारत के आजादी तक चला। 26 जनवरी 1930 को पूरे भारत मे प्रतिज्ञा दिवस मनाया गया। इसके बाद 1935 में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट के द्वारा विधानमंडल की शक्तियों में विस्तार और बढ़ोतरी हुई। फिर 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ और अंततः मार्च 1946 में अंग्रेजों ने स्वतंत्रता की मांग को स्वीकार कर लिया।
इस प्रकार करीब 190 साल तक चले आजादी की लड़ाई में हजारों लाखों क्रान्तिकार्यो के बलिदान से आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजों के गुलाम से आजाद हो गया। लेकिन मुस्लिम लीग के अलग देश मांग के विरोध से ब्रिटेन के सांसद से पारित भारतीय स्वाधीनता अधिनियम के अंतर्गत भारत और और पाकिस्तान के रूप में दो अलग देशों में विभाजित कर दिया गया। इस प्रकार भारत को आजादी मिलने के बाद भारत से अंग्रेज 1948 तक पूरी तरह से छोड़कर से गए।
भारत के आजादी से जुड़े कुछ और महत्वपूर्ण जानकारियां
हमारा देश कब आजाद हुआ था और कैसे?
अंग्रेजों में बहुत लंबे समय तक हमारे देश पर राज किया था। 15 अगस्त सन् 1947 को हम उनकी गुलामी से आजाद हुए थे। 15 अगस्त 1947 की रात भारत देश आजाद हुआ था। अंग्रेजों ने पूरे 200 सालों तक हम पर राज किया था।
भारत को आजाद कराने में किसका हाथ था?
अहिंसा के रास्ते पर चलकर अंग्रेजों को झुकने पर मजबूर करने वालों में महात्मा गांधी का नाम सबसे पहले आता है। उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन करके भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ब्रिटिशर्स की ओर से नमक पर टैक्स लगाए जाने के विरोध में गांधी जी की ओर से शुरू किया गया दांडी मार्च बहुत सफल हुआ था।
1947 से पहले भारत का क्या नाम था?
आज जिसे हम अखंड भारत कहते हैं वह पहले कभी नाभि खंड, फिर अजनाभखंड और बाद में भारतवर्ष कहा जाने लगा। यह क्षेत्र 16 महाजनपदों में बंटा हुआ था। हालांकि सभी क्षेत्रों के राजा अलग-अलग होते थे लेकिन कहलाते सभी भारतवर्ष के महाजनपद थे।
अंग्रेजों ने भारत को आजाद क्यों किया?
जानें क्या है इसके पीछे की वजह एक तरफ गांधी जी भारत छोड़ो आंदोलन में थे, दूसरी तरफ नेहरू और जिन्ना के बीच बंटवारे का मुद्दा गर्माया था। इस बीच 30 जून 1948 तक बड़ा फैसला होने वाला था। तब माउंटबेटन ने ज्यादा इंतजार न करते हुए एक साल पहले यानी 1947 में ही भारत की आजादी का फैसला किया।
आजादी से पहले भारत में कुल कितने राज्य थे?
सन १९४७ में स्वतंत्रता और विभाजन से पहले भारतवर्ष में ब्रिटिश शासित क्षेत्र के अलावा भी छोटे-बड़े कुल 565 स्वतन्त्र रियासत हुआ करते थे, जो ब्रिटिश भारत का हिस्सा नहीं थे।
अंग्रेज भारत में कब आए थे?
24 अगस्त, 1608 को व्यापार के उद्देश्य से भारत के सूरत बंदरगाह पर अंग्रेजो का आगमन हुआ था, लेकिन 7 वर्षों के बाद सर थॉमस रो (जेम्स प्रथम के राजदूत) की अगवाई में अंग्रेजों को सूरत में कारखाना स्थापित करने के लिए शाही फरमान प्राप्त हुआ।
भारत के प्रमुख आंदोलन कौन कौन से हैं?
1857 का विद्रोह 1857 का विद्रोह को प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नाम से भी जाना जाता है। जालिया वाला बाग कांड यह घटना 13 अप्रैल, 1919 की है। चौरीचौरा कांड, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, पूर्ण स्वराज की मांग नमक सत्याग्रह/दांडी मार्च, आजाद हिंद फौज इत्यादि।
ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई में वीरगति को प्राप्त होने वाले पहले क्रांतिकारी कौन थे?
खुदीराम बोस की कहानी ऐसी है, जो भारतीयों में एक साथ ही गर्व और करुणा दोनों भावनाएं पैदा करती है. बोस केवल 18 साल के थे, जब उन्हें भारत की आज़ादी की लड़ाई में योगदान के चलते उन्हें फांसी पर चढ़ना पड़ा।
1857 की ऐतिहासिक क्रांति के बारे में आप क्या जानते हैं?
1857 की क्रांति का सूत्रपात मेरठ छावनी के स्वतंत्रता प्रेमी सैनिक मंगल पाण्डे ने किया। 29 मार्च, 1857 को नए कारतूसों के प्रयोग के विरुद्ध मंगल पाण्डे ने आवाज उठायी। ध्यातव्य है कि अंग्रेजी सरकार ने भारतीय सेना के उपयोग के लिए जिन नए कारतूसों को उपलब्ध कराया था, उनमें सूअर और गाय की चर्बी का प्रयोग किया गया था।
आजादी को कितने साल हो गए 2022?
आज भारत को आजाद हुए पूरे 76 साल हो चुके हैं।
भारत देश की स्थापना कब हुई?
भारत 15 अगस्त 1947 में आज़ाद हुआ था।