भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर
भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल , 1935 को हुई। रिज़र्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय प्रारंभ में कोलकाता में स्थपित किया गया था जिसे 1937 में स्थायी रूप से मुंबई में स्थानांतरित किया गया। प्रारंभ में यह निजी स्वमित्व वाला था, 1949 में राष्ट्रीयकरण के बाद से इस पर भारत सरकार का पूर्ण स्वमित्व है केंद्रीय कार्यालय वह कार्यालय है जहां गवर्नर बैठते हैं और जहां नीतियाँ निर्धारित की जाती हैं। इसके स्थापना से अबतक कुल 25 गवर्नर सेवाएं दे चुका है। इस पोस्ट के माध्यम से आइए देखते हैं भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कौन कौन सेवाएं दे चुका है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर का कार्य
केंद्रीय बोर्ड रिज़र्व बैंक का कामकाज केंद्रीय निदेशक बोर्ड द्वारा शासित होता है। भारत सरकार भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के अनुसार इस बोर्ड को नियुक्त करती है। नियुक्ति / नामन चार वर्ष के लिए होता है। भारतीय रिज़र्व बैंक की मूल कार्य इस प्रकार वर्णित किए गए हैं जिसमे भारत में मौद्रिक स्थिरता प्राप्त करने की दृष्टि से बैंकनोटों के निर्गम को विनियमित करना तथा प्रारक्षित निधि को बनाएं रखना और सामान्य रूप से देश के हित में मुद्रा और ऋण प्रणाली संचालित करना, अत्यधिक जटिल अर्थव्यवस्था की चुनौती से निपटने के लिए आधुनिक मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क रखना, वृद्धि के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना।
भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर का नाम व कार्यकाल | भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर की सूची
1. सर ओसबोर्न स्मिथ – 1 अप्रैल 1935 से 30 जून 1937
01 अप्रैल 1935 से भारत मे पहली भारतीय रिज़र्व बैंक का गवर्नर नियुक्त किया गये सर ओसबोर्न स्मिथ एक ऐसा आरबीआई गवर्नर थे जिन्होंने अपने कार्यकाल में किसी बैंक नोट पर हस्ताक्षर नही किए। 26 दिसंबर 1876 को जन्मे स्मिथ एक पेशेवर बैंकर थे और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के कॉमनवेल्थ बैंक में 20 साल एवं न्यू साउथ वेल्स बैंक में 10 साल की सेवा की। 1926 में वे इंपीरियल बैंक ऑफ इण्डिया के प्रबंधक गवर्नर बने उसके बाद 1935 में भारत के पहले आरबीआई गवर्नर के रूप में पद ग्रहण किया।
2. सर जेम्स ब्रेड टेलर – 1 जुलाई 1937 से 17 फरवरी 1943
21 अप्रैल 1891 को जन्मे भारतीय रिजर्व बैंक के प्रथम डिप्टी गवर्नर सर जेम्स ब्रेड टेलर 1 जुलाई 1937 को गवर्नर के पद पर पदोन्नत होकर भारत के दूसरा आरबीआई गवर्नर बने जो 17 फ़रवरी 1943 को अपनी मृत्यु तक यह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में पदभार संभाला। 01 अप्रैल 1935 को सर जेम्स ब्रेड तथा सर सिकंदर हयात खान को भारतीय रिजर्व बैंक के प्रथम डिप्टी गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया था।
3. सर सी. डी. देशमुख – 11 अगस्त 1943 से 30 जून 1949
14 जनवरी 1896 को जन्म लिए सर सी. डी. देशमुख जिनका पूरा नाम चिन्तामणि द्वारकानाथ देशमुख हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के पहले भारतीय गवर्नर थे, जिन्हें 1943 में ब्रिटिश राज द्वारा नियुक्त किया गया था। ब्रिटिश राज ने उन्हें सर की उपाधि दी थी। आरबीआई से रिटायर के बाद वे भारतीय संसद के सदस्य और योजना आयोग के सदस्य बनाये गए। 1950 में उन्हें देश के वित्त मंत्री के रूप में नेहरू जी के मंत्रिमंडल में सम्मिलित किया गया। 1957 में कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ़ साइंस की उपाधि मिली। 1959 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित हुए और 1975 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
4. सर बेनेगल रामा राव – 1 जुलाई 1949 से 14 जनवरी 1957
1 जुलाई 1889 को जन्म लिए सर बेनेगल रामा राव 01 जुलाई 1949 से 14 जनवरी 1957 तक भारतीय रिजर्व बैंक के चौथे और अब तक सबसे लंबे समय तक आरबीआई गवर्नर रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर बनने से पहले सर राव लंदन में भारत के उप उच्चायुक्त (1934-1938), दक्षिण अफ्रीका में भारत के उच्चायुक्त (1938-1941) थे। जब वे भारत लौटे तो उन्हें बॉम्बे पोर्ट ट्रस्ट (1941-1946) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। पद पर सेवा देने के बाद उन्होंने एक बार फिर जापान में भारतीय राजदूत (1947-1948) और संयुक्त राज्य अमेरिका में राजदूत (1948-1949) के रूप में एक राजनयिक के रूप में कार्य किया।
5. के. जी. अम्बेगाओंकर – 14 जनवरी 1957 से 28 फरवरी 1957
केजी अम्बेगाओंकर 14 जनवरी 1957 से 28 फरवरी 1957 तक सर बेनेगल रामा राव के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के पांचवें गवर्नर थे। केजी अम्बेगाओंकर भारतीय सिविल सेवा के सदस्य थे, और आरबीआई के डिप्टी गवर्नर के रूप में नियुक्ति से पहले उन्होंने वित्त सचिव के रूप में कार्य किया। बीएन अदारकर (42 दिन) और अमिताब घोष (20 दिन) के बाद उनका कार्यकाल तीसरा सबसे छोटा (45 दिन) था।
6. एच. वी. आर. आयंगर – 1 मार्च 1957 से 28 फरवरी 1962
एच. वी. आर. आयंगर जिनका पूरा नाम हूराव वरदराज आयंगर है जो 1 मार्च 1957 से लेकर 28 फरवरी 1962 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के छठे गवर्नर थे। आयंगर अपनी नियुक्ति के पूर्व भारतीय सिविल सेवा के सदस्य और भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष रह चुके हैं। इनके बाद बट्टाचार्य जी भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में असिन हुए।
7. पी. सी. भट्टाचार्य – 1 मार्च 1962 से 30 जून 1967
एच. वी. आर. आयंगर के बाद पी सी भट्टाचार्य 1 मार्च 1962 से लेकर 30 जून 1967 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के सातवें गवर्नर थे। गवर्नर के रूप में नियुक्ति से पहले उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष और वित्त मंत्रालय के सचिव के रूप में सेवा की। अपने पूर्ववर्तियों के विपरीत वह भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा के सदस्य थे।
8. एल. के. झा – 1 जुलाई 1967 से 3 मई 1970
भारतीय सिविल सेवा के 1937 बैच के सदस्य लक्ष्मी कांत झा जिन्हें एल के झा के नाम से जाना जाता था। जो 1 जुलाई 1967 से लेकर 3 मई 1970 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के आठवें गवर्नर थे। उनके कार्यकाल में महात्मा गांधी की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में 2 अक्टूबर 1969 को ₹ 2, 5, 10 और 100 के मूल्यवर्ग के भारतीय नोट जारी किये गए थे। इन नोटों पर उनके हस्ताक्षर हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में उनकी नियुक्ति पहले उन्होंने प्रधानमंत्री के सचिव के रूप में सेवा की।
9. बी. एन. आदरकार – 4 मई 1970 से 15 जून 1970
बी एन आदरकार 4 मई 1970 में से 15 जून 1970 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के नौवें और एक अंतरिम गवर्नर थे। अंतरिम गवर्नर बनने के पूर्व वह रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर थे। उनका कार्यकाल केवल 42 दिनों का रहा, जो की अमिताभ घोष (20 दिन) के बाद दूसरा सबसे छोटा था। उनका कार्यकाल इतना छोटा इसलिए था क्यूंकि वह एस जगन्नाथन के पदभार सँभालने के पहले केवल अंतरिम रूप से इस पद को भर रहे थे। उनके कार्यकाल में महात्मा गांधी की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में 24 अगस्त 1970 को ₹ 2, 5, 10 और 100 के मूल्यवर्ग के भारतीय नोट फिर से जारी किये गए थे। इन नोटों पर उनके हस्ताक्षर हैं, जबकि इसके पहले जारी की गयी नोट श्रृंखला पर एल के झा के हस्ताक्षर हैं।
10. एस. जगन्नाथन – 16 जून 1970 से 19 मई 1975
भारतीय सिविल सेवा के सदस्य एस जगन्नाथन 16 जून 1970 से 19 मई 1975 तक भारतीय रिजर्व बैंक के दसवें गवर्नर थे। आरबीआई के गवर्नर बनने से पहले, वह विश्व बैंक में भारत के कार्यकारी निदेशक थे। उनके कार्यकाल के दौरान क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और राज्य स्तरीय बैंकर्स समितियों की स्थापना की गई थी। 20 और 50 मूल्यवर्ग के भारतीय रुपये के नोट पेश किए गए थे, और इन पर उनके हस्ताक्षर थे।
11. एन. सी. सेनगुप्ता – 19 मई 1975 से 19 अगस्त 1975
एन सी सेनगुप्ता जिनका पूरा नाम निर्मल चंद्र सेन गुप्ता है जो 19 मई 1975 से 19 अगस्त 1975 तक भारतीय रिजर्व बैंक के ग्यारहवें और अंतरिम गवर्नर थे। के आर पुरी के पदभार ग्रहण करने तक वे अंतरिम गवर्नर थे। इससे पहले, वह वित्त मंत्रालय के बैंकिंग विभाग के सचिव थे। भले ही उनका कार्यकाल छोटा था, लेकिन उनके हस्ताक्षर 1000 मूल्यवर्ग के भारतीय रुपये के नोट पर दिखाई देते हैं। यह एकमात्र नोट है जिस पर उनके हस्ताक्षर हैं।
12. के. आर. – पुरी 20 अगस्त 1975 से 2 मई 1977
एन सी सेनगुप्ता के बाद के. आर. पुरी 20 अगस्त 1975 से 2 मई 1977 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर थे। आरबीआई के गवर्नर के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले वे भारतीय जीवन बीमा निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक थे। 1,000 मूल्यवर्ग के अंतिम भारतीय रुपये के नोटों पर उनके हस्ताक्षर दिखाई देते हैं। इन नोटों को 1978 में विमुद्रीकृत किया गया था, और 2000 में 22 वर्षों की अवधि के बाद फिर से पेश किया गया था।
13. एम. नरसिम्हन – 3 मई 1977 से 30 नवम्बर 1977
भारतीय बैंक सुधारक मैदावोलु नरसिम्हन एक भारतीय बैंकर थे, जिन्होंने 2 मई 1977 से 30 नवंबर 1977 तक भारतीय रिजर्व बैंक के तेरहवें गवर्नर के रूप में कार्य किया। भारत में बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में उनके योगदान के लिए, उन्होंने उन्हें अक्सर भारत में बैंकिंग सुधारों का जनक कहा जाता है। इनके कुछ सुधारों में बैंकिंग संरचनाओं में बदलाव, निजी क्षेत्र के बैंकों की शुरूआत, परिसंपत्ति वसूली निधि का निर्माण, ग्रामीण बैंकिंग, पूंजी पर्याप्तता और प्रावधान मानकों में परिवर्तन, प्रौद्योगिकी उन्नयन और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का आधुनिकीकरण और पूंजी बाजार से जुड़े बैंकिंग सुधार शामिल है।
14. डॉ. आई. जी. पटेल – 1 दिसम्बर 1977 से 15 सितम्बर 1982
डॉ. आई. जी. पटेल. जिनका पूरा नाम इंद्रप्रसाद गोरधनभाई पटेल जिन्हें लोकप्रिय रूप से आईजी पटेल के नाम से जाना जाता है, जिन्होंने 1 दिसंबर 1977 से 15 सितंबर 1982 तक भारतीय रिजर्व बैंक के चौदहवें गवर्नर के रूप में कार्य किया। एक भारतीय अर्थशास्त्री और एक सिविल सेवक थे।
15. डॉ. मनमोहन सिंह – 16 सितम्बर 1982 से 14 जनवरी 1985
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह 1972 में, सिंह वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार थे, और 1976 में वे वित्त मंत्रालय में सचिव थे। 1980-1982 में वे योजना आयोग में थे, और 1982 में उन्हें तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के अधीन भारतीय रिजर्व बैंक का पंद्रहवे गवर्नर नियुक्त किया गया था और 1985 तक इस पद पर रहे। एक वित्त मंत्री के रूप में कई संरचनात्मक सुधार किए जिन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को उदार बनाया। हालांकि ये उपाय संकट को टालने में सफल साबित हुए, और एक प्रमुख सुधारवादी अर्थशास्त्री के रूप में विश्व स्तर पर डॉ. सिंह की प्रतिष्ठा को बढ़ाया।
16. ऐ. घोष – 15 जनवरी 1985 से 4 फरवरी 1985
अमिताभ घोष एक भारतीय बैंकर थे। उन्होंने 15 जनवरी 4 फरवरी 1985 से 20 दिनों तक भारतीय रिजर्व बैंक के 16वें गवर्नर के रूप में कार्य किया। उनका कार्यकाल भारतीय रिजर्व बैंक के किसी गवर्नर द्वारा दिया गया अब तक का सबसे छोटा कार्यकाल था।
17. आर. एन. मल्होत्रा – 4 फ़रवरी 1985 से 22 दिसम्बर 1990
राम नारायण मल्होत्रा जिन्हें आर एन मल्होत्रा के नाम से जाना जाता है, भारतीय रिजर्व बैंक के सत्रहवें गवर्नर थे, जो 4 फरवरी 1985 से 22 दिसंबर 1990 तक कार्यरत थे।
18. एस. वेंकटरमनन – 22 दिसम्बर 1990 से 21 दिसम्बर 1992
राम नारायण मल्होत्रा के बाद श्री वेंकटरमनन भारतीय रिजर्व बैंक के अठारहवें गवर्नर थे। उन्होंने 1990 से 1992 तक 2 वर्षों की अवधि के लिए सेवा की, इससे पहले उन्होंने 1985 से 1989 तक वित्त मंत्रालय में वित्त सचिव के रूप में कार्य किया।
19. सी. रंगराजन – 22 दिसम्बर 1992 से 21 नवम्बर 1997
चक्रवर्ती रंगराजन एक भारतीय अर्थशास्त्री, पूर्व संसद सदस्य और भारतीय रिजर्व बैंक के 19वें गवर्नर हैं। जिन्होंने 22 दिसंबर 1991 से 21 नम्बर 1997 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य किया। वह प्रधान मंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पूर्व अध्यक्ष हैं, उन्होंने यूपीए की सत्ता खोने के दिन इस्तीफा दे दिया था।
20. डॉ. बिमल जालान – 22 नवम्बर 1997 से 6 सितम्बर 2003
डॉ. बिमल जालान भारतीय रिजर्व बैंक के 22 नवंबर 1997 से 6 सितंबर 2003 तक 20वें गर्वनर के रूप में पदस्थ रहे। 2003-2009 के दौरान भारत की संसद, राज्यसभा के उच्च सदन के एक मनोनीत सदस्य थे।
21. डॉ. वॉय. वी. रेड्डी – 6 सितम्बर 2003 से 5 सितम्बर 2008
डॉ. वाय. वी. रेड्डी या यागा वेणुगोपाल रेड्डी एक भारतीय अर्थशास्त्री और 1964 बैच के आंध्र प्रदेश कैडर के सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं। डॉ. बिमल जालान के बाद डॉ. रेड्डी ने सितंबर 2003 से सितंबर 2008 तक भारतीय रिजर्व बैंक भारत के केंद्रीय बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य किया।
22. डी. सुब्बाराव – 4 सितम्बर 2008 से 4 सितम्बर 2013
दुव्वुरी सुब्बाराव एक भारतीय अर्थशास्त्री, सेंट्रल बैंकर और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं। जो भारतीय रिजर्व बैंक के 4 सितम्बर 2008 से 4 सितंबर तक वह भारतीय रिजर्व बैंक के 22वें गवर्नर थे, जिन्होंने प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह के अधीन कार्य किया। वे सिंगापुर में रहते हैं और सिंगापुर के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में विशिष्ट अतिथि संकाय हैं।
23. रघुराम राजन – 5 सितम्बर 2013 से 4 सितम्बर 2016
सितंबर 2013 से सितंबर 2016 तक वे भारतीय रिजर्व बैंक के 23वें गवर्नर थे। 2015 में, आरबीआई में अपने कार्यकाल के दौरान, वह बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के उपाध्यक्ष बने। रघुराम गोविंदा राजन एक भारतीय अर्थशास्त्री और शिकागो विश्वविद्यालय बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में वित्त के विशिष्ट सेवा प्रोफेसर कैथरीन दुसाक मिलर हैं। 2003 और 2006 के बीच वह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में मुख्य अर्थशास्त्री और अनुसंधान निदेशक थे।
24. उर्जित पटेल – 4 सितम्बर 2016 से 11 दिसंबर 2018
उर्जित पटेल एक भारतीय अर्थशास्त्री हैं, जिन्होंने 4 सितंबर 2016 से 11 दिसम्बर 2018 भारतीय रिजर्व बैंक के 24वें गवर्नर और भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के रूप में कार्य किया, उन्होंने 10 दिसंबर 2018 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया, इस्तीफा देने के लिए ड्राइविंग कारक के रूप में व्यक्तिगत कारणों को बताने वाले पहले आरबीआई गवर्नर थे। वह सितंबर 2019 में अपना कार्यकाल समाप्त होने से पहले अपने पद से इस्तीफा देने वाले आरबीआई के पांचवें गवर्नर हैं।
25. शक्तिकांत दास – 11 दिसंबर 2018 से पदस्थ
शक्तिकांत दास तमिलनाडु कैडर के 1980 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। वर्तमान में भारतीय रिज़र्व बैंक के 25वें गवर्नर के रूप में 11 दिसंबर 2018 से सेवारत हैं, वह पहले पंद्रहवें वित्त आयोग के सदस्य और G20 में भारत के शेरपा थे। अभी इन्ही के नेतृत्व में भारत डिजिटल करेंसी की शुरुआत करने जा रहा है।