उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसा होता है? राज्यसभा के सभापति का चुनाव
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उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसा होता है? राज्यसभा के सभापति का चुनाव कैसा होता है?

राष्ट्रपति के बाद भारत में उपराष्ट्रपति पद दूसरा बड़ा संवैधानिक पद होता है। भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू हैं जो 5 अगस्त 2017 को चुने गये थे। आइए जानते हैं, कि किस तरह चुना जाता है भारत का उपराष्ट्रपति? उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसा होता है? राज्यसभा के सभापति का चुनाव कैसा होता है? विस्तार से।

उपराष्ट्रपति का चुनाव

भारत के संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य निर्वाचित और मनोनित एकल संक्रमणीय मत द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर मतदान के माध्यम से करते है। उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार का नाम 20 मतदाताओं के द्वारा प्रस्तावित और 20 मतदाताओं के द्वारा समर्थित होना आवश्यक है। साथ ही उम्मीदवार द्वारा 15,000 रुपए की जमानत राशि जमा करना आवश्यक होता है।प्रत्याशी निर्वाचन अधिकारी को लिखित में नोटिस देकर नाम वापस भी ले सकता है।

उपराष्ट्रपति का चुनाव प्रक्रिया

भारत का चुनाव आयोग, जो एक संवैधानिक स्वायत्त निकाय है, चुनाव आयोजित करता है। चुनाव निवर्तमान उपाध्यक्ष के पद के कार्यकाल की समाप्ति के 60 दिनों के बाद नहीं होना है। एक रिटर्निंग ऑफिसर को चुनाव के लिए नियुक्त किया जाता है, आमतौर पर संसद के किसी भी सदन का महासचिव, रोटेशन द्वारा रिटर्निंग ऑफिसर उम्मीदवारों के नामांकन को आमंत्रित करते हुए, इच्छित चुनाव की एक सार्वजनिक सूचना जारी करता है।

निर्वाचित होने के लिए योग्य और चुनाव में खड़े होने का इरादा रखने वाले किसी भी व्यक्ति को प्रस्तावक के रूप में संसद के कम से कम बीस सदस्यों और संसद के कम से कम बीस अन्य सदस्यों द्वारा समर्थकों के रूप में नामित किया जाना आवश्यक है। रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा नामांकन पत्रों की जांच की जाती है, और सभी योग्य उम्मीदवारों के नाम मतपत्र में जोड़े जाते हैं।

गुप्त मतदान द्वारा एकल संक्रमणीय मतों का उपयोग करके आनुपातिक प्रतिनिधित्व के माध्यम से चुनाव होता है। मतदाता उम्मीदवारों को स्टैक-रैंक करते हैं, उनकी पहली वरीयता के लिए 1, उनकी दूसरी वरीयता के लिए 2, और इसी तरह। चुनाव को सुरक्षित करने के लिए एक उम्मीदवार द्वारा आवश्यक वोटों की संख्या की गणना वैध डाली गई वोटों की कुल संख्या को दो से विभाजित करके और किसी भी शेष को छोड़कर भागफल में एक जोड़कर की जाती है।

भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव राष्ट्रपति के बाद भारत में उपराष्ट्रपति पद दूसरा बड़ा संवैधानिक पद होता है ! भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू हैं जो 5 अगस्त 2017 को चुने गये थे। आइए जानते हैं, कि किस तरह चुना जाता है भारत का उपराष्ट्रपति? उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसा होता है?  राज्यसभा के सभापति का चुनाव कैसा होता है? विस्तार से। उपराष्ट्रपति का चुनाव भारत के संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य निर्वाचित और मनोनित एकल संक्रमणीय मत द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर मतदान के माध्यम से करते है। उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार का नाम 20 मतदाताओं के द्वारा प्रस्तावित और 20 मतदाताओं के द्वारा समर्थित होना आवश्यक है। साथ ही उम्मीदवार द्वारा 15,000 रुपए की जमानत राशि जमा करना आवश्यक होता है।प्रत्याशी निर्वाचन अधिकारी को लिखित में नोटिस देकर नाम वापस भी ले सकता है। उपराष्ट्रपति का चुनाव प्रक्रिया भारत का चुनाव आयोग, जो एक संवैधानिक स्वायत्त निकाय है, चुनाव आयोजित करता है। चुनाव निवर्तमान उपाध्यक्ष के पद के कार्यकाल की समाप्ति के 60 दिनों के बाद नहीं होना है। एक रिटर्निंग ऑफिसर को चुनाव के लिए नियुक्त किया जाता है, आमतौर पर संसद के किसी भी सदन का महासचिव, रोटेशन द्वारा रिटर्निंग ऑफिसर उम्मीदवारों के नामांकन को आमंत्रित करते हुए, इच्छित चुनाव की एक सार्वजनिक सूचना जारी करता है। निर्वाचित होने के लिए योग्य और चुनाव में खड़े होने का इरादा रखने वाले किसी भी व्यक्ति को प्रस्तावक के रूप में संसद के कम से कम बीस सदस्यों और संसद के कम से कम बीस अन्य सदस्यों द्वारा समर्थकों के रूप में नामित किया जाना आवश्यक है। रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा नामांकन पत्रों की जांच की जाती है, और सभी योग्य उम्मीदवारों के नाम मतपत्र में जोड़े जाते हैं। गुप्त मतदान द्वारा एकल संक्रमणीय मतों का उपयोग करके आनुपातिक प्रतिनिधित्व के माध्यम से चुनाव होता है। मतदाता उम्मीदवारों को स्टैक-रैंक करते हैं, उनकी पहली वरीयता के लिए 1, उनकी दूसरी वरीयता के लिए 2, और इसी तरह। चुनाव को सुरक्षित करने के लिए एक उम्मीदवार द्वारा आवश्यक वोटों की संख्या की गणना वैध डाली गई वोटों की कुल संख्या को दो से विभाजित करके और किसी भी शेष को छोड़कर भागफल में एक जोड़कर की जाती है। यदि कोई उम्मीदवार आवश्यक संख्या में पहली वरीयता के वोट प्राप्त नहीं करता है, तो सबसे कम पहली वरीयता वाले वोटों को हटा दिया जाता है और उसके दूसरे वरीयता वोटों को स्थानांतरित कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है जब तक कि कोई उम्मीदवार अपेक्षित संख्या में मत प्राप्त नहीं कर लेता। मनोनीत सदस्य भी चुनाव में भाग ले सकते हैं। चुनाव हो जाने और मतों की गिनती के बाद, रिटर्निंग ऑफिसर निर्वाचक मंडल को चुनाव के परिणाम की घोषणा करता है। इसके बाद, रिटर्निंग ऑफिसर भारत सरकार ( कानून और न्याय मंत्रालय ) और भारत के चुनाव आयोग को परिणाम की रिपोर्ट करता है, और सरकार आधिकारिक राजपत्र में उपाध्यक्ष के रूप में चुने गए व्यक्ति का नाम प्रकाशित करती है। उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को त्याग पत्र देकर पद से त्यागपत्र दे सकता है। इस्तीफा स्वीकृत होने के दिन से प्रभावी हो जाता है। चुनाव में विवाद होने पर उपराष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में उत्पन्न होने वाले सभी विवादों को भारत के सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की जाती है, जो इस मामले की जांच करता है। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ सुनवाई करती है, जो इस मामले पर फैसला करती है। सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय अंतिम होता है। उपराष्ट्रपति बनने के लिए योग्यता उसे भारत का नागरिक होना चाहिए। उसकी आयु 35 साल से कम नहीं होना चाहिए।वह राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने के योग्य हो। ऐसा व्यक्ति भारत का उपराष्ट्रपति नहीं बन सकता जिसके पास केंद्र या राज्य सरकार या उसके अधीन किसी निकाय में लाभ का कोई पद हो। उपराष्ट्रपति का कार्यकाल उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष रहता है। यदि पूर्व उपराष्ट्रपति द्वारा कार्यकाल समाप्त होने की वजह से नए उपराष्ट्रपति का चुनाव किया जा रहा हो तो उसका कार्यकाल निधार्रित अवधि पर समाप्त हो जाएगा। यदि मौत, इस्तीफे, या किसी अन्य वजह से यह पद रिक्त होता है तो जल्द ही नया उपराष्ट्रपति चुन लिया जाएगा। पद त्याग यदि वह चाहे तो राष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर कभी भी अपने पद से पृथक हो सकता है इसके अतिरिक्त राज्यसभा में चौदह दिन की पूर्व सूचना पर बहुमत पारित प्रस्ताव को लोकसभा का अनुमोदन मिलने पर पद से हटाया जा सकता है। उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त हो जाने के पश्चात् भी वह तब तक अपने पद पर कार्य करता रहता है जब तक कि नव - निर्वाचित उपराष्ट्रपति पद धारण नहीं कर लेता है ! महत्वपूर्ण संवैधानिक पद है उपराष्ट्रपति भारत में राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति का पद कार्यकारिणी में दूसरा सबसे बड़ा पद होता है। वह संसद के उच्च सदन राज्यसभा का अध्यक्ष भी होता है। इस पद की गरीमा इस बात से भी समझी जा सकती है, कि देश में अब तक हुए 11 उपराष्ट्रपतियों में से 6 बाद में राष्ट्रपति भी बने हैंम किसी भी कारण से राष्ट्रपति पद रिक्त होने की स्थिति में वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य करता है ! उस स्थिति में वह ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का हकदार होता है, जिनका हकदार राष्ट्रपति होता है।

यदि कोई उम्मीदवार आवश्यक संख्या में पहली वरीयता के वोट प्राप्त नहीं करता है, तो सबसे कम पहली वरीयता वाले वोटों को हटा दिया जाता है और उसके दूसरे वरीयता वोटों को स्थानांतरित कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है जब तक कि कोई उम्मीदवार अपेक्षित संख्या में मत प्राप्त नहीं कर लेता। मनोनीत सदस्य भी चुनाव में भाग ले सकते हैं।

चुनाव हो जाने और मतों की गिनती के बाद, रिटर्निंग ऑफिसर निर्वाचक मंडल को चुनाव के परिणाम की घोषणा करता है। इसके बाद, रिटर्निंग ऑफिसर भारत सरकार ( कानून और न्याय मंत्रालय ) और भारत के चुनाव आयोग को परिणाम की रिपोर्ट करता है, और सरकार आधिकारिक राजपत्र में उपाध्यक्ष के रूप में चुने गए व्यक्ति का नाम प्रकाशित करती है। उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति को त्याग पत्र देकर पद से त्यागपत्र दे सकता है। इस्तीफा स्वीकृत होने के दिन से प्रभावी हो जाता है।

चुनाव में विवाद होने पर

उपराष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में उत्पन्न होने वाले सभी विवादों को भारत के सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की जाती है, जो इस मामले की जांच करता है। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ सुनवाई करती है, जो इस मामले पर फैसला करती है। सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय अंतिम होता है।

भारत मे उपराष्ट्रपति बनने के लिए योग्यता

  • उसे भारत का नागरिक होना चाहिए।
  • उसकी आयु 35 साल से कम नहीं होना चाहिए। वह राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने के योग्य हो।
  • ऐसा व्यक्ति भारत का उपराष्ट्रपति नहीं बन सकता जिसके पास केंद्र या राज्य सरकार या उसके अधीन किसी निकाय में लाभ का कोई पद हो।

उपराष्ट्रपति का कार्यकाल

उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष रहता है। यदि पूर्व उपराष्ट्रपति द्वारा कार्यकाल समाप्त होने की वजह से नए उपराष्ट्रपति का चुनाव किया जा रहा हो तो उसका कार्यकाल निधार्रित अवधि पर समाप्त हो जाएगा। यदि मौत, इस्तीफे, या किसी अन्य वजह से यह पद रिक्त होता है तो जल्द ही नया उपराष्ट्रपति चुन लिया जाएगा।

पद त्याग

यदि वह चाहे तो राष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर कभी भी अपने पद से पृथक हो सकता है इसके अतिरिक्त राज्यसभा में चौदह दिन की पूर्व सूचना पर बहुमत पारित प्रस्ताव को लोकसभा का अनुमोदन मिलने पर पद से हटाया जा सकता है। उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त हो जाने के पश्चात् भी वह तब तक अपने पद पर कार्य करता रहता है जब तक कि नव – निर्वाचित उपराष्ट्रपति पद धारण नहीं कर लेता है !

महत्वपूर्ण संवैधानिक पद है उपराष्ट्रपति

भारत में राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति का पद कार्यकारिणी में दूसरा सबसे बड़ा पद होता है। वह संसद के उच्च सदन राज्यसभा का अध्यक्ष भी होता है। इस पद की गरीमा इस बात से भी समझी जा सकती है, कि देश में अब तक हुए 11 उपराष्ट्रपतियों में से 6 बाद में राष्ट्रपति भी बने। किसी भी कारण से राष्ट्रपति पद रिक्त होने की स्थिति में वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य करता है। उस स्थिति में वह ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का हकदार होता है, जिनका हकदार राष्ट्रपति होता है।

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Amit Yadav

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