भूकंप आने का कारण क्या है? देखे पूरी जानकारी
विश्व के किसी न किसी भाग में भूकंप आते ही रहते हैं। भारत में भी भूकंप आते रहे हैं। भूकंप आने से जन जीवन अस्तव्यस्त हो जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भूकंप क्यों आते है, भूकंप का आने का कारण क्या है? अगर आपको भी नही पता तो आइए देखते है कि भूकंप क्या है और क्यों आता है?
भूकंप क्या है?
सरल भाषा मे कहा जाय तो पृथ्वी का हिलना अथवा कापना भूकंप कहलाता है। पृथ्वी के गर्भ में किसी हलचल के कारण जब पृथ्वी का कोई भाग हिलने लगता है या कंपित होने लगता है तो उसे ‘भूकंप’ कहा जाता है। यह पृथ्वी के स्थल मंडल से उत्पन्न भूकम्प तरंगो की वजह से होता है
भूकंप किसे कहते है ?
पृथ्वी ऐसा गतिशील ग्रह है जिसमें लगातार कंपन होता रहता है। अधिकाश कंपन हल्के होते हैं जिनका आभास भी नहीं होता है किंतु कभी-कभी पृथ्वी के झटकों का आभास होता है उन्हें भूकंप कहते हैं। भूकंप एक ऐसा संकट है जो अचानक से प्रभावित होता है भूकंप का यह स्वरूप विनाशकारी होता है जहां भूकंप की शुरुआत होती है उस क्षेत्र को भूकम्प केंद्र कहते है।
भूकंप आने का कारण क्या है?
ज्यादातर भूकंप के आने के प्राकृतिक कारण हैं। चट्टानों के खिसकने से ही भूकंप आता है। पृथ्वी के अंदर अधिक गहराई और दाब के कारण चट्टान हिलती या खिसकती है। सभी जगह दाब एक समान नहीं होता। कभी-कभी यह दाब बहुत बढ़ जाता है और चट्टान मुड़ने या टूटने लगती है। पृथ्वी का पटल 12 प्लेट का बना हुआ है। ये प्लेटें खिसकती रहती हैं और आपस में टकराती रहती हैं और इस समय भी भूकंप आता है। कभी-कभी ज्वालामुखी फटता है तब भी भूकंप आता है।
भूकंप आने से क्या होता है?
भूकंप से जान-माल की हानि बहुत अधिक होती है। भूकंप तरंगों का अध्ययन पृथ्वी के गर्भ की संरचना को जानने में सहायक होता। भूकंप से ज़मीन धसने लगती है, कल कारखनो मे आग लग जाती है। बड़े बड़े घर गिर जाते है। जिस क्षेत्र में भूकंप का आता है वंहा ज्यादा नुकसान होता हैं। सड़क, पल ब्रिज, सभी टूट जाते है। कई लोगो को अपना जान गंवाना पड़ता हैं।
भारत मे भूकंप कब कब आया था?
1991 में उत्तरकाशी में, 1993 में लातूर में, 1997 में जबलपुर में, 1999 में चमोली में, 2001 में गुजरात के भुज क्षेत्र में, अक्तूबरा 2005 में भारत-पाकिस्तान व अफगानिस्तान में भूकंप आ चुके हैं। 26 दिसम्बर 2004 को समुद्री क्षेत्र में विश्व का सबसे भयंकर भूकंप ‘सुनामी’ आया था। 26 जनवरी 2001 को भुज के भूकंप की तीव्रता 6.9 थी तथा 100 किलोमीटर उत्तर तक दस राज्यों सहित दिल्ली तक असर था। कम तीव्रता वाले झटके तो दो-तीन दिन बाद तक महसूस किए गए।
भूकंप को कैसे मापा जाता है?
भूकंप की तीव्रता और अवधि का पता लगाने के लिए सिस्मोग्राफ का इस्तेमाल किया जाता है। इस यंत्र के जरिए धरती में होने वाली हलचल का ग्राफ बनाया जाता है, जिसे सिस्मोग्राम कहते हैं। इसके आधार पर गणितीय पैमाना (रिक्टर पैमाना) के जरिए भूकंप की तरंगों की तीव्रता, भूकंप का केंद्र और इससे निकलने वाली ऊर्जा का पता लगाया जाता है।
रिक्टर पैमाना
किसी भूकम्प के समय भूमि के कम्पन के अधिकतम आयाम और किसी रेंडम छोटे आयाम के अनुपात के साधारण लघुगणक को रिक्टर पैमाना कहते हैं। रिक्टर पैमाने का विकास 1930 के दशक में किया गया था। लेकिन 1970 के बाद से भूकम्प की तीव्रता के मापन के लिये रिक्टर पैमाने के स्थान पर आघूर्ण परिमाण पैमाना (MMS)का उपयोग किया जाने लगा।