भारत के महत्वपूर्ण बांध, भारत के महत्वपूर्ण जलविद्युत बांध कौन कौन से है?

भारत के महत्वपूर्ण जलविद्युत बांध

बांध या डेम के बारे में आप जानते ही होंगे कि ये कितना खूबसूरत और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण होता हैं। भारत मे अलग अलग राज्यो में लगभग हजारों बांधे हैं। जिसमे कुछ में जलविद्युत परियोजनाएं संचालित हैं। आज की इस पोस्ट में हम भारत के इन्ही खूबसूरत और महत्वपूर्ण जलविद्युत परियोजनाओं वाला बांध के बारे में जानेंगे की कौन सा बांध कंहा है और वो कब बना उसे क्यों बनाया गया। उसकी खासियत क्या है? तो आइये देखते हैं। भारत के महत्वपूर्ण बांध की पूरी सूची, भारत के महत्वपूर्ण जलविद्युत बांध कौन कौन से है?

बांध क्या है? डैम किसे कहते हैं? बांध से आप क्या समझते हैं?

इस आर्टिकल की प्रमुख बातें

डैम या बांध नदी पर जल के प्रवाह को रोकने का एक अवरोध है तथा इसको कई प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जा सकता है। बांध लघु, मध्यम तथा बड़े हो सकते है। सामान्य भाषा मे कहे जाए तो बांध किसी नदी पर बनाया गया एक जलाशय हैं। जिसमे उस नदी के जल को एकत्रित किया जाता हैं।

बांध क्यों बनाया जाता हैं? इससे क्या लाभ है?

बाँध एक अवरोध है जो जल को बहने से रोकता है और एक जलाशय बनाने में मदद करता है। इससे बाढ़ आने से तो रुकती ही है, और जमा किये गय या बांध बनाकर रोका गया जल, सिंचाई, जलविद्युत, पेय जल की आपूर्ति, नौवहन आदि में भी सहायक होती है। पर्यटन के लिहाज से भी बांध काफी महत्वपूर्ण होता है। इसके साथ ही प्राकृतिक संपदा का संरक्षण होता हैं।

बांध कितने प्रकार के होते है? डैम किन चीजों से बनाया जाता हैं?

बांध तीन प्रकार के होते हैं – गुरूत्व बांध , चाप बांध और तटबंध बांध। भाखड़ा बांध, कंक्रीट गुरुत्व बांध है। वही भारत में केवल इद्दूकी बांध ही एक चाप बांध है। टिहरी बांध, रॉकफिल बांध या तटबंध बांध का एक उदाहरण है।बांध का निर्माण कंक्रीट, चट्टानों, लकड़ी अथवा मिट्टी से भी किया जाता है।

भारत के महत्वपूर्ण बांध, भारत के महत्वपूर्ण जलविद्युत बांध कौन कौन से है

 

भारत के महत्वपूर्ण जलविद्युत बांध कौन कौन से है? देखे पूरी सूची व विस्तृत जानकारी…(Important Hydroelectric Dams in India)

1. अलमट्टी बांध, कृष्णा नदी, कर्नाटक

अलमट्टी बांध जो की उत्तरी कर्नाटक में बीजापुर जिले में  कृष्णा नदी पर स्थित एक जलविद्युत परियोजना है। इसे लाल बहादुर शास्त्री बांध के नाम से भी जाना जाता है। जो जुलाई 2005 में पूरी हुई थी। इस बांध की ऊंचाई 524.26 फिट तथा लंबाई 1565.15 फिट है। जो 24,230 हेक्टेयर में फैला है। इसकी कुल जल क्षमता 123.08 tmcft हैं। अलमट्टी बांध कर्नाटक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा संचालित हैं। इस बांध का लक्ष्य वार्षिक विद्युत उत्पादन 560 एमयू या जीडब्ल्यूएच है।

यह पूरा बांध चालीस महीने से भी कम समय में बनकर तैयार हो गया था। बांध बीजापुर और बागलकोट जिलों के किनारे पर स्थित है। लेकिन भौगोलिक दृष्टि से यह बीजापुर जिले में स्थित है, बांध के बैकवाटर गर्मियों के दौरान कई प्रवासी पक्षियों की मेजबानी करते हैं। अगर आप प्रकृति प्रेमी है तो यंहा जा सकते हैं।

2. बगलिहार बांध, चिनाब नदी, जम्मू और कश्मीर

बगलिहार बांध भारत के जम्मू क्षेत्र के डोडा जिले में पाकिस्तान की ओर बहने वाली चिनाब नदी पर स्थित है। 900 मेगावाट की इस विद्युत परियोजना की 450 मेगावाट वाली पहली इकाई का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया था। यह जम्मू – श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर है और जम्मू से लगभग 150 किलोमीटर दूर बटौत शहर के पास है। इसकी ऊँचाई 144 मीटर और लंबाई 317 मीटर होगी। बगलिहार बाँध की जल धारण क्षमता एक करोड़ पचास लाख घन मीटर होगी।

यह परियोजना साढ़े चार सौ मेगावाट बिजली का उत्पादन करने वाली है। 2005 में पाकिस्तान ने बगलिहार के निर्माण और जलविद्युत परियोजना को रोकने के लिए विश्व बैंक से मांग की थी बाद में विश्व बैंक ने एक विशेषज्ञ नियुक्त किया था और परियोजना में मामूली बदलाव के साथ भारत को काम आगे बढ़ाने अनुमति दी थी।

3. भाखड़ा नंगल बांध, सतलुज नदी, हिमाचल प्रदेश

भाखड़ा बांध, सबसे अधिक ऊँचाई तथा सीधे ग्रेविटी वाला दुनिया का सबसे ऊँचा बांध है। यह नंगल कस्बे से लगभग 14 किमी. की दूरी पर हिमाचल प्रदेश के नैना देवी तहसील में स्थित है। यह बांध पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। क्योंकि ये बेहद खूबसूरत है। इसकी शुरुआत 1963 में हुई थी जिसकी ऊंचाई 741 फिट तथा लंबाई 1700 फिट हैं। इसकी कुल जल क्षमता 9.340 घन मीटर, हैं। इसमें स्थापित जलविद्युत क्षमता 1325 मेगावाट हैं।

4. चांडील बांध, सुवर्णरेखा नदी, झारखंड

सुबर्णरेखा नदी पर स्थित चांडिल बांध एक खूबसूरत स्थान है। यह बांध झारखंड की सबसे ज्यादा देखी गई जगहों में से एक है। बांध की ऊंचाई 220 मीटर है और इसके पानी के स्तर की ऊंचाई अलग-अलग जगहों से 190 मीटर है जो देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले पर्यटकों को नौकायन और बांध के आसपास और आसपास की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेती हैं।

5. दंतीवाड़ा, साबरमती नदी, गुजरात

दंतीवाड़ा बांध भारत में उत्तरी गुजरात के बनासकांठा जिले के दंतीवाड़ा के पास पश्चिम बनास नदी पर बनाय गया एक जल परियोजना बांध हैं। इस बांध के निर्माण के पीछे का मकसद गुजरात में सिंचाई परियोजनाओं के लिए बाढ़ को नियंत्रित करना और पानी उपलब्ध कराना था। 1965 में बनाया गया इस बांध की ऊंचाई 61 मीटर और लंबाई 4832 मीटर है। इसकी कुल क्षमता 907.88 mcmहैं। दांतीवाड़ा बांध का जलग्रहण क्षेत्र 40.47 वर्ग किलोमीटर हैं। इस बांध की प्राकृतिक सुंदरता के कारण देश भर से कई पर्यटक इस बांध की ओर आकर्षित होते हैं।

6. गोबिंद सागर जलाशय, सतलुज नदी, हिमाचल प्रदेश

गोविन्द सागर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित मानव – निर्मित झील है। इसका नाम सिखों के दशवे गुरु गोविन्द सिंह के नाम पर रखा गया है। यह झील सतलज नदी पर भाखड़ा बांध के निर्माण के कारण बनी थी। गोविंद सागर बांध का निर्माण 1952 में किया गया था । इस बांध में अठारह गेट पानी छोड़ने के लिए लगाए गए हैं। इसके अतिरिक्त बारिश का ज्यादा पानी एकत्रित होने की स्थिति में बांध को स्वचालित साइफन प्रणाली से लैस किया गया है। बांध का इस्तेमाल सिंचाई के साथ पेयजल आपूर्ति में भी किया जाता है। कई छोटी बड़ी नहर निकाली गई हैं।

7. गांधी सागर बांध, चंबल नदी, मध्य प्रदेश

गांधीसागर बांध मध्यप्रदेश के मंदसौर जिला मुख्यालय से 168 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस डैम का निर्माण चंबल नदी पर किया गया है। गांधी सागर बांध और पावर स्टेशन के निर्माण का आधारशिला प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा 7 मार्च, 1954 को रखी गई थी। बिजली स्टेशन में 1957 में काम शुरू किया गया था, यह एक चिनाई वाला गुरुत्व बांध है, जिसकी कुल संग्रहण क्षमता 7.322 बिलियन क्यूबिक मीटर है। गांधी सागर पावर स्टेशन 65 मीटर लंबा और 56 फीट चौड़ा है। पावर स्टेशन में 23 मेगा वाट क्षमता की पांच टरबाइन हैं , इस प्रकार कुल स्थापित क्षमता 115 मेगा वाट है।

8. गुंडर जलाशय, बेरीजाम झील, तमिलनाडु

9.गोविंद बल्लभ पंत सागर बांध, रिहंद नदी, उत्तर प्रदेश

रिहन्द परियोजना भारत की एक प्रमुख नदी घाटी परियोजना हैं। रिहन्द जलाशय या रिहन्द बांध या गोविंद वल्लभ पंत सागर बांध सोनभद्र के पीपरी के पहाड़ो के बीच रिहन्द नदी को बांधकर बनाया गया है। उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के सीमा पर स्थित यह करीब 70 वर्ग मील में फैला हुआ है। जो भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। इसकी अधिकतम गहराई 38 फीट और सतही ऊंचाई 870 फीट हैं।

10. हीराकुंड बांध, महानदी, ओडिशा

हीराकुण्ड बाँध ओडिशा में महानदी पर निर्मित एक बाँध है। जो सम्बलपुर से 15 किमी की दूरी पर स्थित हैं। 1957 में महानदी पर बना यह बाँध विश्व का सबसे बड़ा एवं लंबा बांध है। ये भारत के महत्वपूर्ण बांध हैं। यह परियोजना भारत में शुरू की गयी कुछ आरम्भिक परियोजनाओं में से एक है। इसकी कुल लम्बाई 25.8 किमी. है। जिसमे 810 करोड़ घन मीटर जल संचित होता है। इस बाँध के पीछे विशाल जलाशय है जो एशिया का सबसे बड़ा कृत्रिम झील है। इस जलाशय की तट रेखा 639 किमी. लम्बी है। इस बांध को बनाने का उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण एवं विद्युत उत्पादन करना है। यंहा का प्राकृतिक सौंदर्य भी बहुत खूबसूरत हैं।

11.हरंगी बांध, कावेरी नदी, कर्नाटक

हरांगी बांध भारत के कर्नाटक में कोडागु जिले के सोमवरपेट तालुक के हुदगुर गाँव के पास स्थित है। यह  जलाशय कावेरी नदी की एक सहायक नदी, हरंगी नदी पर बने एक चिनाई वाले बांध द्वारा बनाया गया है। इस बांध की संचालन कर्नाटक सिंचाई विभाग द्वारा किया जाता हैं। बांध की ऊंचाई 164 फिट और लंबाई 2775 फिट हैं। दक्षिण-पश्चिम मानसून से होने वाली भारी वर्षा हरंगी नदी के जलग्रहण क्षेत्र में पानी का स्रोत है।

12.हिमायत सागर जलाशय, मुसी नदी, तेलंगाना

नामपल्ली रेलवे स्टेशन से 18 किलोमीटर की दूरी पर , शहर के बाहरी इलाके में हिमायत सागर झील का निर्माण 1927 में मुसी नदी पर किया गया था। जलाशय की भंडारण क्षमता लगभग 3 tmc है। झील से सटा घास का मैदान एक बेहतरीन पिकनिक स्थल है। यह एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। इस झील को एक खूबसूरत पर्यटन स्थल में परिवर्तित करने में उस समय 93 लाख रुपये का खर्च आया था।

13. इडुक्की बांध, पेरियार नदी, केरल

इडुक्की दुनिया का दूसरा और एशिया का पहला आर्क बांध है। जिसे केरल में कुरूवनमाला तथा कुरूथिमाला पहाड़ियों के बीच पेरियार नदी पर खूबसूरती से बनाया गया है। जो कि भारत के महत्वपूर्ण बांध हैं। यह एक जल विद्युत बिजली स्टेशन है। इसे केरल राज्य विद्युत् निगम द्वारा निर्मित किया गया है तथा यही इसके पास ही बांध का स्वामित्व भी है। यंहा विद्युत् उत्पादन का प्रारम्भ 4 अक्टूबर 1975 को हुआ था। बांध की सतह की क्षेत्रफल 60 वर्ग किलोमीटर हैं। इडुक्की आर्क बांध 550 फुट लंबा और 650 फुट चौड़े क्षेत्र में फैला हुआ है।

14. इंदिरा सागर परियोजना, नर्मदा नदी, मध्य प्रदेश

इंदिरा सागर बांध एशिया की सबसे प्रतिष्ठित जल विद्युत परियोजना और भारत के महत्वपूर्ण बांध हैं। इस बहुउद्देशीय बांध को नर्मदा नदी के ऊपर बनाया गया है, जो मध्य प्रदेश के खण्डवा जिले में पुनासा गांव से 10 किलोमीटर दूर नर्मदा नदी के दाएं तट पर स्थित है। इस बांध की आधारशिला भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमति इंदिरा गांधी द्वारा दिनांक 1984 को रखी गई। इस परियोजना की संस्थापित विद्युत क्षमता 1000 मेगावाट ( 8X125 ) है तथा इसे 2698.00 मिलियन यूनिट का वार्षिक विद्युत उत्पादन किए जाने हेतु डिजाइन किया गया है। इंदिरा सागर बांध की लम्बाई 653 मीटर तथा आधार से अधिकतम ऊँचाई 92 मीटर है । बांध में कुल 14.00 लाख घनमीटर की कंक्रीटिंग की गई है।

15. इंद्रावती बांध, इंद्रावती नदी, ओडिशा

इंद्रावती बांध ओडिशा के भवानीपटना से 90 किलोमीटर दूरी पर इंद्रावती नदी पर बनाया गया हैं। इंद्रावती बांध का निर्माण 1978 में शुरू हुआ जो 2001 में खुला। इंद्रावती बांध गुरुत्वाकर्षण, चिनाई वाला बांध हैं। जिसकी ऊंचाई 45 मीटर तथा लंबाई 539 मीटर हैं। इस बांध की सतह क्षेत्र 110 वर्ग किलोमीटर हैं।

16. कुंडला दाम, परम्बिकुलम नदी, केरल

कुंडला बांध एशिया महाद्वीप का पहला आर्क बांध है। कुंडला बांध पेरियार नदी की एक सहायक नदी, मुथिरापुझा नदी पर पल्लीवासल जलविद्युत परियोजना के हिस्से के रूप में, भारत के केरल के इडुक्की जिले में कुंडला, मदुपेट्टी पंचायत में बनाया गया एक बांध है। इसे सेतुपार्वतीपुरम बांध भी कहा जाता है। यह बांध 1947 में बनकर तैयार हुआ था। यह एक चिनाई वाला मेहराबदार बांध है जिसकी ऊंचाई 46.93 मीटर है। लंबाई 259.38 मीटर है। ये बहुत ही आकर्षक जगह हैं। पर्यटक इस झील और बांध को देखने और नाव की सवारी का आनंद लेने के लिए दूर-दराज से आते हैं।

17. कोयना बांध, कोयना नदी, महाराष्ट्र

कोयना बाँध महाराष्ट्र के सांगली ज़िला की कोयना नदी पर बना है। इस बाँध का निर्माण 1863 में हुआ था। जो महाराष्ट्र का सबसे बड़ा बाँध है। बाँध की पानी की कुल क्षमता 1878 टीएमसी है, और यह 1920 मेघावाट बिजली उत्पादन करता है। कोयना बाँध एक खुबसूरत जगह है। महाराष्ट्र में बांध का मुख्य उद्देश्य कुछ सिंचाई की सुविधा प्रदान करने के साथ पड़ोसी क्षेत्रों में पनबिजली की आपूर्ति करना है। कोयना बांध पश्चिमी महाराष्ट्र को पानी की आपूर्ति करता है। वास्तव में कोयना परियोजना में कुल चार बंधे शामिल हैं। जिसमे कोयना प्रोजेक्ट सबसे बड़ा हैं।

18. कोलकेवाड़ी बांध, कोयना नदी, महाराष्ट्र

कोलकुवेदी डैम या कोलकीवाड़ी बांध भारत के महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के कोंकणी क्षेत्र में स्थित एक बांध है। जो कि आलिप गाँव के पास, चिपलून के पास लगभग 3.0 किलोमीटर है।। इस बांध की ऊंचाई 63.3 मीटर (207.7 फीट) और लंबाई 497 मीटर (1,631 फीट) हैं। यह बांध कोयना हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का हिस्सा है। यह कोयना जलविद्युत परियोजना के बिजली उत्पादन के तीसरे चरण में योगदान देता है। बांध के आधार पर स्थित भूमिगत पावर स्टेशन में बिजली उत्पन्न होती है। परियोजना के तीसरे चरण की कुल स्थापित उत्पादन क्षमता 320 मेगावाट है। यह परियोजना महाराष्ट्र राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा संचालित है।

19.खड़कवासला बांध, मुथा नदी, महाराष्ट्र

खडकवासला बांध पुणे से लगभग 20 किमी दूर मुथा नदी पर स्थित है। यह 1.6 किमी लंबा है। इसकी लंबाई 1939 मीटर और कुल क्षमता 341 मिलियन घन मीटर हैं, और इसमें 6 सिंचाई निकास के साथ 11 अर्धव्यास पानी निकालने के द्वार हैं, जिनका पानी दो नहरों में जाकर गिरता है। बांध में एक जलाशय बनाया जिसे खडकवासला झील के रूप में जाना जाता है जो पुणे और उसके उपनगरों के लिए पानी का मुख्य स्रोत है।

20. मैथन बांध, बराकर नदी, झारखंड

बाराकर नदी के तट पर स्थित अंडरग्राउंड पावर स्टेशन वाला बांध पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में अद्वितीय है। जिस झील पर यह बनाया गया है वह 65 वर्ग किलोमीटर से अधिक फैला हुआ है और तीनों ओर से पहाड़ियों से घिरा हुआ हैं। इस बांध को 1948 में दामोदर घाटी निगम द्वारा विकसित किया गया था। बांध लगभग 15712 फीट लंबा और लगभग 165 फीट लंबा है। इस झील में एक द्वीप पर एक विश्राम गृह बना है। जहाँ ठहरने, नाव व सैर करने और मछली पकड़ने की सुविधाएँ हैं। पास में ही एक मृग उपवन और एक पक्षी विहार भी है।

21 मुल्लापेरियार बांध, पेन्नार नदी, केरल

मुल्लापेरियार बांध केरल में स्थित एक राजगीरी, गुरुत्वीय बांध है। यह समुद्र तल से 881 मी ॰ की ऊँचाई पर पश्चिमी घाट की इलायची पहाड़ियाँ के मध्य थेक्कादी, इदुक्की जिला में स्थित है। इसका निर्माण 1887 से 1895 के मध्य जॉन पेनीक्विक द्वारा मद्रास प्रेसिडेंसी के पूर्वी क्षेत्रों को जल प्रदान करने के एक समझौते के तहत हुआ था। बांध केरल में स्थित है, मगर इसका संचालन तमिलनाडु द्वारा किया जाता है, जबकि पेरियार नदी का जलग्रहण क्षेत्र 5398 वर्ग किलोमीटर है जिसमे से केवल 114 वर्ग किलोमीटर तमिलनाडु राज्य में पड़ता है।

22. मेट्टूर बांध, कावेरी नदी, तमिलनाडु

मेट्टूर बाँध भारत में तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले में कावेरी नदी पर 1934 में बनाया गया जो तमिलनाडु का सबसे बड़ा बाँध है। यह एक विशाल बाँध है, जो कावेरी नदी के एक गार्ज पर बना है जब कावेरी नदी मैदान मे उतरती है। यह बाँध मेट्टूर जलविद्युत परियोजना का एक अंग है। इस बांध में दो हाइड्रो इलेक्ट्रिक पॉवर स्टेशन हैं। 1931 में जब यह बाँध बनाया गया था तब इसका नाम स्टैनली रिसर्वोयर रखा गया था।

23. बसव सागर बांध या नारायणपुर बांध, कृष्णा नदी, कर्नाटक

कर्नाटक के यादगीर जिला में कृष्णा नदी पर बनाया गया बसवा सागर बांध, जिसे पहले नारायणपुरा बांध के रूप में जाना जाता था। इसकी कुल भंडारण क्षमता 37.965 टीएमसीटी है। यह केवल सिंचाई के लिए एक ही उद्देश्य वाली परियोजना थी, लेकिन इसके प्रबंधन में डाउनस्ट्रीम विद्युत उत्पादन और पेयजल संबंधी विचार शामिल हैं। बांध 29 मीटर ऊंचा और 10.637 किलोमीटर ( 6.610 मील ) से अधिक लंबा है, और पानी छोड़ने लिए 30 गेट हैं । 22 स्पिलवे गेट बांध में मौजूद हैं।

24. नाथपा झाकरी बांध, सतलुज नदी, हिमाचल प्रदेश

नाथपा झाकड़ी जलविद्युत परियोजना हिमाचल प्रदेश के किंनौर जिले में सतलुज नदी पर बनाई गई है। इस परियोजना में ‘नाथपा झाकड़ी बाँध’ बनाया है। परियोजना में 1500 मेगावाट की विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी हैं। और यह देश का चौथा सबसे बड़ा जलविद्युत प्लांट है। यह परियोजना भारत की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजनाओं में से एक है। यहाँ पर 8.5 मीटर व्यास और 27 कि.मी. लंबी एक सुरंग बनाई गयी है, जो भारत की और एशिया की भी सबसे लंबी सुरंग है।

25. निजाम सागर बांध, मंजीरा नदी, तेलंगाना

भारत में तेलंगाना में अचमपेट और बंजेपल्ली गाँवों के बीच स्थित है। इस बांध को मंजीरा नदी, जो गोदावरी नदी की एक सहायक नदी है पर बनाया गया हैं। यह हैदराबाद से लगभग 144 किमी उत्तर पश्चिम में स्थित है। इसका नाम हैदराबाद के निज़ाम के नाम पर रखा गया है। इस विशाल ढांचे के निर्माण के पीछे मुख्य कारण निजामाबाद जिले के तहत आने वाले शहरों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना था। आज यह बांध एक महत्वपूर्ण पर्यटन आकर्षण का केंद्र हैं।

26. नागार्जुन सागर बांध, कृष्णा नदी, तेलंगाना

पहले पत्थर व ईंट से बना नागार्जुन सागर बांध दुनिया का सबसे बड़ा बांध था। नागार्जुन सागर बाँध परियोजना भारत के तेलंगाना राज्य में स्थित एक प्रमुख नदी घाटी परियोजना हैं। इसका नामकरण बौद्ध विद्वान नागार्जुन जी के नाम पर की गई है। नागार्जुन सागर बांध कृष्णा नदी पर निर्मित किया गया है। बांध पर परियोजना का काम 1955 में शुरू किया गया था और 1967 तक पूरा कर लिया गया। बांध में 11,472 मिलियन क्यूबिक मीटर जल को धारण करने की क्षमता है । इसकी ऊंचाई 490 फीट एवं लम्बाई 1.6 किमी है। इस बाँध की नीं तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी

27. प्रकाशम बैराज, कृष्णा नदी, आंध्र प्रदेश

कृष्णा नदी पर एक बनाने का विचार 1798 से था, लेकिन 1852 से 1855 के बीच में किया गया प्रकाशम बांध को कृष्णा नदी पर बनाया गया है। इस बांध से यहां पर एक खूबसूरत झील का निर्माण हुआ है यह बांध 1223.5 मीटर लंबा है और कृष्णा जिला को गुंटूर जिला से जोड़ता है। इस बैराज से जुड़ी तीन नहरें विजयवाड़ा शहर से होकर गुजरती हैं।

28. पंडोह बांध, ब्यास नदी, हिमाचल प्रदेश

पंडोह बांध हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में व्यास नदी पर बना एक तटबन्ध बाँध है। व्यास परियोजना के अन्तर्गत यह बाँध 1977 में बनकर तैयार हुआ। इस बांध को बनाने का मुख्य उद्देश्य जलविद्युत शक्ति जनन है। पावर हाउस में 990 मेगावाट की स्थापित क्षमता है। ये बाँध 76 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह बांध सुरम्य और खूबसूरत पहाड़ियों के बीच स्तिथ है। यहां की प्राकृतिक सुन्दरता किसी भी यात्री का मन आसानी से मोह सकती है।

29. पंचेट बांध, दामोदर नदी, झारखंड

पंचत डैम दामोदर घाटी निगम के पहले चरण में शामिल चार बहुउद्देश्यीय बांधों में से अंतिम था। इसका निर्माण भारत के झारखंड राज्य में धनबाद जिले के पंचेत में दामोदर नदी के पार किया गया था और इसे 1959 में खोला गया। बांध की पृष्ठभूमि पंचेत पहाड़ी है, जो इस जगह को यात्रियों के लिए विशेष रूप से क्रिसमस और नए साल के दिनों के लिए एक महान पिकनिक स्थान बनाती है।

30. परम्बिकुलम बांध, परम्बिकुलम नदी, केरल

परम्बिकुलम बांध, परम्बिकुलम नदी पर एक तटबंध बांध है, जो भारत के केरल के पश्चिमी घाट में पलक्कड़ जिले में स्थित परम्बिकुलम, भारत में नंबर एक के साथ-साथ वर्ष 2000 में दुनिया के शीर्ष दस तटबंध बांधों में स्थान पर है। यह बांध कामराजार के समय में बनाया गया था। परम्बिकुलम अलियार परियोजना केरल और तमिलनाडु की सयुंक्त परियोजना है। इस परियोजना के अंतर्गत अन्नामलाई पहाड़ियों में बहने वाली छ: और नीचे मैदानों में पश्चिम की तरफ़ बहने वाली दो नदियों को मोड़कर चलाकुड़ी नदी में मिलाया गया है। इस नदी घाटी परियोजना के अंतर्गत छः बाँध हैं। इस परियोजना में परम्बिकुलम बाँध प्रमुख है। इस परियोजना के अंतर्गत चार विद्युत परियोजनाएँ स्थापित की गयी हैं ।

31. पावना बांध, पावना नदी, महाराष्ट्र

1973 में महाराष्ट्र के पुणे जिले में पावना नदी पर बनाया गया पावना झील, जिसे पावना डैम जलाशय और पावना झील के रूप में भी जाना जाता है, सतह से इसकी ऊंचाई 607 मीटर हैं। इसकी क्षमता करीब 10 टीएमसी है। बांध का निर्माण 1963 में शुरू हुआ और 1972 में समाप्त हुआ, यह 1,329 मीटर (4,360 फीट) लंबा और 42.37 मीटर (139.0 फीट) ऊंचा है, जिसकी कुल भंडारण क्षमता 0.24 किमी (0.058 घन मील) है। पावना बांध के बैकवाटर ने एक जलाशय का निर्माण किया, और पावना बांध के बैकवाटर को बाद में पावना झील के रूप में जाना जाने लगा।

32. पेरियार जलाशय, पेरियार नदी, तमिलनाडु

33. परीछा बांध, बेतवा नदी, उत्तर प्रदेश

पारीछा बाँध, पारीछा क़स्बा के पास बेतवा नदी पर बनाया गया है, जो झांसी से 34 किमी दूर नॉटघाट पुल तक बहने वाला पानी का एक विशाल भण्डार है। परिछा बाँध पानी पर खेले जाने वाले खेलों के लिए लोकप्रिय है । विशेष रूप से उनके लिए , जिन्हें बोटिंग पसंद है। थर्मल पावर स्टेशन के कारण यह स्थान केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सी.आई.एस.एफ) के अंतर्गत आता है। परिछा पावर प्लांट कोयले पर आधारित पावर प्लांट है जो 1140 मेगावॉट बिजली का उत्पादन करता है।

34. हसदेव बांगो डैम, हसदेव नदी, छत्तीसगढ़

हसदेव बांगो बांध जिसका निर्माण 1961-62 में छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में हसदेव नदी के पार किया गया था। यह छत्तीसगढ़ का सबसे लंबा, सबसे चौड़ा और छत्तीसगढ़ का पहला बहुउद्देश्यीय जल परियोजना है। यह कोरबा, कोरबा जिले से 70 किमी दूर स्थित है। इसका जलग्रहण क्षेत्र 6,730 वर्ग किमी है, इसकी ऊंचाई 86 मीटर है। यह बांध लगभग 555 मीटर लंबा है और इसमें 11 गेट हैं। इस परियोजना से छत्तीसगढ़ के कोरबा, जांजगीर-चाम्पा और रायगढ़ जिले लाभान्वित है। इसमें 40 मेगावाट की 3 जल विद्युत संयंत्र स्थित है। पर्यटन के लिए यह एक अच्छि जगह है। यह आस – पास बहोत से प्राकृतिक जगह है। जैसे कि, गोल्डन आइलैंड, सतरेंगा।

35. राजघाट बांध, बेतवा नदी, मध्य प्रदेश

राजघाट बांध मध्य प्रदेश में चंदेरी से लगभग 14 किमी और उत्तर प्रदेश के ललितपुर से 22 किमी दूरी पर बेतवा नदी पर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों की एक अंतर-राज्यीय बांध परियोजना है। इस आधुनिक स्मारक की आधारशिला स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा सन् 1971 ई. में रखी गई थी। बांध द्वारा बनाया गया जलग्रहण क्षेत्र करीब 17000 वर्ग किलोमीटर है, 15 मेगावाट की तीन टर्बाइनें बिजली उत्पादन के लिए स्थापित हैं। यहाँ निर्मित रेत की बैरियर की लंबाई 11 किलोमीटर से अधिक है, जो एशिया में किसी भी बांध में सबसे लंबा है। सीमेंट बांध 600 मीटर लंबा और 73.5 मीटर ऊँचा है। प्राचीन गाँव जैसे पंचमनगर, बारी, टोडा, सिरसौर, नरेड़ी, जल में खो गये थे और इन स्थानों से बरामद मूर्तियों को रामनगर पैलेस संग्रहालय में एकित्रत किया गया है।

36. रामागुंडम बांध, गोदावरी नदी, आंध्र प्रदेश

37. सोमसिला बांध, पेन्नार नदी, आंध्र प्रदेश

आंध्रप्रदेश के नेल्लोर जिले में पेन्ना नदी में सोमसिला बांध को 1985 बनाने की शुरुआत किया गया जो 1989 में पूरी तरह बन गया। बांध सतह क्षेत्र 212.28 वर्ग किमी हैं। जिसकी लाइव भंडारण क्षमता 1.994 घन किमी हैं। ये एक गुरुत्वाकर्षण प्रकार का बांध हैं।

38. सरदार सरोवर बांध, नर्मदा नदी, गुजरात

भारत के महत्वपूर्ण बांध जो नवागाम के पास नर्मदा नदी पर बना सरदार सरोवर बांध एक गुरुत्व और भारत का दूसरा सबसे बड़ा बांध है। जो सतह से 138 मीटर ऊँचा है। इस परियोजना से चार राज्यों गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में पानी तथा बिजली की आपूर्ति करते है। इस परियोजना को लेकर लगातार विरोध होता रहा हैं। यह सरदार वल्लभ भाई पटेल की महत्त्वाकांक्षी परियोजना थी जिसकी संकल्पना को वर्ष 1960 के आसपास जवाहरलाल नेहरू द्वारा मूर्त रूप देने का प्रयास किया, लेकिन इस परियोजना हेतु कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका।

39. श्रीशैलम बांध, कृष्णा नदी, आंध्रप्रदेश

दूसरी सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना का गौरव प्राप्त वाली श्रीशैलम बांध  का आन्ध्र प्रदेश राज्य के कर्नूल जिले में कृष्णा नदी पर निर्माण किया गया है और श्रीशैलम के मुख्य शहर से कुछ ही किलोमीटर दूर है। इस बांध को नल्लमाला पर्वतों के भीतर एक गरही खाई के ऊपर बहुत ही रणनीतिक रूप से बनाया गया है। इसका निर्माण 1960 से शुरू हुआ और इसने 1981 से कार्य करना शुरू किया। बाढ़ के दौरान श्रीसैलम जलाशय बहुत जल्दी भर जाता है और बाढ़ का बाकी पानी नागार्जुन सागर बाँध में बह जाता है जो कि कम ऊंचाई पर स्थित है।

40. श्रीराम सागर जलाशय, गोदावरी नदी, तेलंगाना

गोदावरी नदी पर बना श्रीराम सागर परियोजना बाढ़ प्रवाह परियोजना है तेलंगाना के निजामाबाद जिले में स्थित, इसे तेलंगाना के एक बड़े हिस्से के लिए जीवन रेखा ” के रूप में जाना जाता हैं। इसका निर्माण 1963 में शुरु हुआ और 1977 में खुला। इसकी लंबाई 15600 मीटर हैं और ऊंचाई 43 मीटर हैं। ये तेलंगाना के साथ साथ भारत के भी महत्वपूर्ण बांध हैं।

41. सलाल परियोजना, चिनाब नदी, जम्मू और कश्मीर

सलाल परियोजना भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में चिनाब नदी पर स्थापित एक जलविद्युत परियोजना और भारत के महत्वपूर्ण बांध हैं। इस परियोजना की अभिकल्पना 1920 में की गयी, प्रोजेक्ट की व्यवहार्यता सम्बन्धी अध्ययन 1961 में पूरा हुआ और 1970 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ। इस परियोजना से जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़ और राजस्थान इस परियोजना से लाभांवित होने वाले राज्य हैं। परियोजना के प्रथम चरण में 115 मेगावाट की 3 विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी थीं। दूसरे चरण में 113X3 मेगावाट की तीन और इकाइयाँ लगाई गयी हैं।

42. स्टेनली जलाशय, कावेरी नदी, तमिलनाडु

मेट्टूर बाँध भारत मे कावेरी नदी पर 1934 में बनाया गया जो तमिलनाडु का सबसे बड़ा बाँध है और भारत में अपनी तरह का सबसे बड़ा है। यह कावेरी नदी के एक गार्ज पर बना है जब कावेरी नदी मैदान मे उतरती है। यह बाँध मेटूर जलविद्युत परियोजना का एक अंग है। यह बांध भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित है। 1931 में जब यह बाँध बनाया गया था तब इसका नाम स्टैनली रिसर्वोयर रखा गया था। लेकिन अब इसे मेट्टूर बांध के रूप में भी जाना जाता हैं। बांध की कुल लंबाई 1700 मीटर है। स्टेनली जलाशय दक्षिण भारत में सबसे बड़ी मछली पकड़ने जलाशयों में से एक है।

43. टिहरी बांध, भागीरथी नदी, उत्तराखंड

उत्तराखंड में भागीरथी नदी पर स्थित टिहरी बाँध भारत का सबसे ऊँचा बांध और दुनिया का 8 वाँ सबसे ऊँचा बाँध है। इसे स्वामी रामतीर्थ सागर बांध भी कहते हैं। यह बाँध हिमालय की दो महत्वपूर्ण नदियों पर बना है। टिहरी बांध की ऊँचाई 261 मीटर तथा लम्बाई 575 मीटर है और यह डेम 52 वर्ग किलोमीटर के सतह क्षेत्र के साथ 2.6 क्यूबिक किलोमीटर के लिए एक जलाशय है। टिहरी बांध दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण जलविद्युत परियोजना है।

44. तुंगा भद्र बांध, तुंगभद्रा और कृष्णा नदी, कर्नाटक

तुंगभद्रा परियोजना भारत की एक प्रमुख नदी घाटी परियोजना है। यह कर्नाटक व आन्ध्रप्रदेश राज्य का संयक्त उपक्रम है। यह बाँध तुंगभद्रा नदी पर जो कृष्णा नदी की सहायक नदी है। इस बांध को कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में मल्लम पुरम के निकट बनाया गया है। इसकी स्थापना 1965 में हुई। इस बांध की ऊँचाई 59.13 मीटर और लंम्बाई 1708 मीटर है। इसमें 2.025 घन किमी की कुल भंडारण क्षमता है।

45. विल्सन बांध, प्रवरा नदी, महाराष्ट्र

सह्याद्री पहाड़ियों से घिरा एक अनूठा झील विल्सन डैम के लिए एक जलाशय के रूप में कार्य करती है। इसे भंडारदरा बांध के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण 1926 में अंग्रेजों द्वारा किया गया था। यह देश के सबसे पुराने बांधों में से एक है और पास के छाता फॉल्स के लिए प्रसिद्ध है। ये फॉल्स तब बनते हैं जब 200 फीट ऊंचे भंडाराडारा डैम के मुख्य रिजर्व से पानी छोड़ा जाता है, और एक चट्टानी आउटकॉप पर गिरने पर एक छतरी का आकार ले लेता है। ये पूरा क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से सजा है ।

46. विलिंगडन पेरिया ओडाई, तमिलनाडु

कालवा नदी के उद्गम स्थल पर एक पहाड़ की तलहटी में बना विलिंगडन बांध एक खूबसूरत पिकनिक स्थल हैं जहां सैलानी मौज मस्ती के लिए और सुकून प्राप्त करने आते हैं। यह बांध तीन तरफ पहाड़ियों और चौथी तरफ घाटी के मध्य सोच-समझ कर बनाया गया है। भारत के तत्कालीन गवर्नर लॉर्ड विलिंगडन के नाम पर इस बांध का नामकरण हुआ है जो कि लगभग 847 मीटर ऊंचा है । इस बांध और जलाशय का निर्माण जूनागढ़ की प्रजा के पीने के पानी की जरूरतों को ध्यान में रख कर किया गया था। इसका जल स्तर आमतौर पर कम ही रहता है।

टीएमसी फिट (TMCFT) क्या हैं?

tmcft अर्थात एक हजार मिलियन क्यूबिक फीट (1,000,000,000 = 109 = 1 बिलियन) का संक्षिप्त नाम है, जो आमतौर पर भारत में एक जलाशय या बांध में पानी की मात्रा के संदर्भ में उपयोग किया जाता है।

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