भारत के विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा, विधानपरिषद सीटों की पूरी लिस्ट
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भारत के विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा और विधानपरिषद

इस पोस्ट में आप जानेंगे कि भारत के विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा और विधानपरिषद के कौनसे राज्य में कितने सीट है और इन सब के महत्वपूर्ण जानकारी क्या क्या है।

 

भारत के विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा और विधानपरिषद की सीट
क्र. राज्य / केंद्र शासित प्रदेश विधानसभा लोकसभा राज्यसभा विधानपरिषद
1 अरुणाचल प्रदेश 176 2 1 58
2 असम 126 14 7
3 आंध्रप्रदेश 294 25 11
4 ओडिशा 147 21 10
5 उत्तरप्रदेश 403 80 31 99
6 उत्तराखंड 70 5 3
7 कर्नाटक 224 28 12 75
8 केरल 140 20 9
9 गुजरात 182 26 11
10 गोवा 40 2 1
11 छत्तीसगढ़ 90 11 5
12 झारखंड 81 14 6
13 तमिलनाडु 234 39 18
14 नागालैंड 60 1 1
15 पंजाब 117 13 7
16 पश्चिम बंगाल 294 42 16
17 बिहार 243 40 16 75
18 मणिपुर 60 2 1
19 मध्यप्रदेश 230 29 11
20 महाराष्ट्र 288 48 19 78
21 मिजोरम 40 1 1
22 मेघालय 60 2 1
23 राजस्थान 200 25 10
24 सिक्किम 32 1 1
25 हरियाणा 90 10 5
26 हिमाचल प्रदेश 68 4 3
27 त्रिपुरा 60 2 1
28 तेलंगाना 119 17 7 40
29 दिल्ली 70 7 3
30 पुडुचेरी 30 1 1
31 जम्मू-कश्मीर
32 लद्दाख
33 अंडमान व निकोबार 1
34 दादर व नागर हवेली 1
35 दमन व दीव 1
36 लक्षद्वीप 1
37 चंडीगढ़ 1
Total – 4268 537 229 425
नोट – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के सीटों का अभी पुनर्गठन किया जाएगा। धारा 370 हटाने के बाद यंहा की विधानसभा को भंग कर दिया गया लेकिन अभी सीटों का पुर्नगठन नही हुआ है। इसलिए इस लिस्ट में यंहा की सीटो को नही दिखा रहे है। जैसे ही सीटों का पुनर्गठन होगा इस लिस्ट को अपडेट कर दिया जाएगा।

भारत के विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा, विधानपरिषद की पूरी जानकारी

भारत के विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा, विधानपरिषद सीटों की पूरी लिस्ट

लोकसभा –

संविधान के अंतर्गत पहली लोकसभा का गठन 1952 में हुए आम चुनावों के बाद किया गया था। राज्यों में प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से और बीस सदस्य संघ राज्य क्षेत्रों से प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। राष्ट्रपति द्वारा दो सदस्यों का नाम – निर्देशन आंग्ल – भारतीय समुदाय से किया जाता है। इस समय लोकसभा की वास्तविक सदस्य संख्या पांच सौ पैंतालीस है जिनमें अध्यक्ष और दो नाम – निर्देशित सदस्य सम्मिलित हैं ।

लोक सभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए भी सीट आरक्षित होती हैं जो पूरे देश में उनके लिए विशेष रूप से निर्धारित निर्वाचन क्षेत्रों से चुने जाते हैं । लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में विभिन्न राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के लिए सीटों के आवंटन का उपबंध है।

लोकसभा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी

  • प्रथम सदन या लोक सदन या हाऊस ऑफ पिपुल ( लोकसभा ) का गठन- 17 अप्रैल 1962 को हुआ।
  • पहला सत्र-13 मई 1952 को आरंभ हुआ।
  • 14 मई 1954 को यह घोषणा की गई कि हाऊस ऑफ पिपुल को हिन्दी में लोक सभा कहा जाएगा।
  • लोकसभा में अधिकतम सदस्य संख्या -552 ( वर्तमान 545 )
  • 530 – राज्यों का प्रतिनिधित्व
  • 20- संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि
  • 2- राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत ( एंग्लो इंडियन )
  • अनु. 331- लोकसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं होने पर लोकसभा में उस समुदाय के दो से अनधिक सदस्य राष्ट्रपति नामनिर्देशित कर सकेगा।
  • आरक्षण – अनुसूचित जाति के लिए 94 सीट एवं अनुसूचित जनजाति के लिए का सीट आरक्षित है .
  • निर्वाचन – जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है।
  • योग्यता- भारत का नागरिक हो , न्यूनतम आयु 25 वर्ष , दिवालिया , विकृत चित्त न हो एवं कोई लाभ का पद धारण न करता हो
  • सदस्यों का कार्यकाल- सामान्यतः 5 वर्ष , आपात काल में एक बार में विर्ष बढ़ाया जा सकता है।
  • लोकसभा को , उसके कार्यकाल की समाप्ति के पूर्व ही राष्ट्रपति द्वारा मंत्रिपरिषद् की सलाह पर भंग किया जा सकता है।
  • लोकसभा की बैठक स्थगन , सत्रावसान तथा विघटन द्वारा समाप्त की जा सकती है
  • संघीय मंत्रीपरिषद लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है ,
  • 2026 तक राज्यों को लोकसभा की सीटों का आबंटन 1971 की जनगणना के आधार पर रहेगा . लोकसभा में राज्यों को जनसंख्या के आधार पर सीटें आबंटित हैं .
  • सर्वाधिक सीटों वाले राज्य – उत्तरप्रदेश 80, महाराष्ट्र 48, प.बंगाल 42
  • लोकसभा का पहला आम चुनाव 1951-1952 में हुआ था।

राज्यसभा –

संविधान के अनुच्छेद 80 में राज्य सभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित की गई है , जिनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्देशित किए जाते हैं और 238 सदस्य राज्यों के और संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते हैं । वर्तमान में राज्य सभा के सदस्यों की वर्तमान संख्या 245 है , जिनमें से 233 सदस्य राज्यों और संघ राज्यक्षेत्र दिल्ली तथा पुडुचेरी के प्रतिनिधि हैं और 12 राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्देशित हैं।

राज्यसभा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

  • राज्यसभा राज्यसभा का गठन 3 अप्रैल 1962 को हुआ तथा 13 मई 1952 को इसकी पहली बैठक हुई .
  • 23 अगस्त 1954 को यह घोषणा की गई कि काउंसिल ऑफ स्टेट को हिन्दी में राज्य सभा कहा जाएगा।
  • राज्यसभा में राज्यों को प्रतिनिधित्व संविधान की चौथी अनुसूची के अनुसार है।
  • राज्यसभा को उच्च सदन, स्थाई सदन (कभी भंग नहीं होता) कहते है।
  • सदस्य संख्या- अधिकतम 250 ( वर्तमान 245 )
  • 238 – राज्यों और संघ क्षेत्रों से ( वर्तमान में 233 )
  • 12- राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत ( साहित्य , विज्ञान , कला एवं समाजसेवा से )
  • निर्वाचन – सदस्यों का निर्वाचन राज्य के विधान सभा के सदस्यों द्वारा
  • योग्यता- भारत का नागरिक हो न्यूनतम आयु 30 वर्ष , दिवालिया , विकृत चित्त न हो एवं कोई लाभ का पद धारण न करता हो ।
  • सदस्यों का कार्यकाल – 6 वर्ष , राज्य सभा के सदस्य प्रत्येक दो वर्ष बाद सेवा निवृत्त होते है ,
  • अध्यक्ष – उपराष्ट्रपति (राज्यसभा के अध्यक्ष , राज्यसभा के सदस्य नहीं होते).
  • सर्वाधिक सीटे वाला राज्य-  उत्तरप्रदेश 31, महाराष्ट्र 19, तमिलनाडु 18 हैंं।
  • लोकसभा में राज्यों को मुख्यत जनसंख्या में आधार पर सीटें आबंटित है , जबकि राज्यसभा में राज्यों के प्रतिनिधित्व का आधार केवल जनसंख्या नहीं है।
  • राज्य सभा में अनुसूचित जाति / जनजाति वर्ग को आरक्षण की व्यवस्था नहीं है।

राज्यसभा के प्रमुख कार्य

  • संघ एवं समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाना।
  • मन्त्री परिषद् को नियंत्रित करना – प्रश्न , प्रस्ताव , समितियों द्वारा प्रश्न द्वारा।
  • बजट पारित करना अनुदान व बिल पारित करना।

विधानसभा –

विधान सभा या वैधानिक सभा जिसे भारत के विभिन्न राज्यों में निचला सदन या सोल हाउस भी कहा जाता है। विधान सभा के सदस्य राज्यों के लोगों के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि होते हैं क्योंकि उन्हें किसी एक राज्य के 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के नागरिकों द्वारा सीधे तौर पर चुना जाता है । इसके अधिकतम आकार को भारत के संविधान के द्वारा निर्धारित किया गया है जिसमें 500 से अधिक व् 60 से कम सदस्य नहीं हो सकते । हालाँकि विधान सभा का आकार 60 सदस्यों से कम हो सकता है संसद के एक अधिनियम के द्वारा जैसे गोवा , सिक्किम , मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी ।

विधानसभा के सदस्य को विधायक या MLA कहते है।  प्रत्येक विधान सभा का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है जिसके बाद पुनः चुनाव होता है । आपातकाल के दौरान , इसके सत्र को बढ़ाया जा सकता है या इसे भंग किया जा सकता है ।

विधानसभा का सदस्य बनने के लिए ,

  • व्यक्ति को भारत का नागरिक होना आवश्यक है,
  • वह 25 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो ।
  • वह मानसिक रूप से ठीक व दीवालिया न हो ।
  • उसको अपने ऊपर कोई भी आपराधिक मुकदमा न होने का प्रमाण पत्र भी देना होता।

विधानसभा की विशेष शक्तियां क्या क्या है ?

सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव केवल विधानसभा में पारित किया जा सकता है । अगर यह बहुमत के साथ पारित हो जाता है तो उसके बाद मुख्यमंत्री और उसके मंत्रियों की परिषद् सामूहिक रूप से इस्तीफा दे देते हैं । मनी बिल को केवल विधानसभा में लाया जा सकता है । द्विसदनीय प्रणालियों में विधान सभा से पास हो जाने के बाद इसे विधान परिषद् के पास भेजा जाता है जहाँ इसे अधिकतम 14 दिनों के लिए रखा जा सकता है । साधारण बिलों में विधानसभा का ही मत चलता है और यहाँ संयुक्त बैठक का भी कोई प्रावधान नहीं होता।

  • शक्ति विधानसभा सचिवालय इनके सीधे नियंत्रण में होता है।
  • विधानसभा अध्यक्ष ही किसी विधेयक के धन विधेयक होने का निर्धारण करता है।
  • विधान सभा अध्यक्ष सामान्यतः मतदान प्रक्रिया में सम्मिलित नहीं होता पर सदन में मतदान के समय दोनों पक्षों में बराबर मत होने पर निर्णायक मत देता है .
  • विधान सभा अध्यक्ष सदन को अनिश्चित काल तक स्थगित कर सकता है।

विधानसभा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

  • अधिकतम सदस्य संख्या – 500
  • न्यूनतम सदस्य संख्या 60 सिक्किम 32. गोमा 40 , मिजोरम 40 इसके अपवाद है )
  • सदस्यता आयु -25 वर्ष न्यूनतम
  • निर्वाचन – जनता द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव
  • कार्यकाल -5 वर्ष ( जम्मू कश्मीर में विधान सभा का कार्यकाल 6 वर्ष है )
  • राज्य में धन विधेयक केवल विधानसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है .
  • विधानसभा अध्यक्ष विधानसभा सदस्यों द्वारा सदस्यों के बीच से सुना जाता है .
  • विधान सभा भंग हो जाने के पश्चात भी सदन की अगली बैठक से एकदम ठीक पहले तक विधानसभा अध्यक्ष अपने पद पर आसीन रहते है ।
  • विधानसभा अध्यक्षा को विधानसभा के कुल सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा हटाया जा सकेगा।

विधानपरिषद –

विधान परिषद विधानमण्डल का अंग है। भारत के छ : राज्यों में विधान परिषद है। आन्ध्र प्रदेश , बिहार , कर्नाटक , महाराष्ट्र , तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में विधानपरिषद के सदस्य है। इसके अतिरिक्त , राजस्थान , असम , ओडिशा को भारत की संसद ने अपने स्वयं के विधान परिषद बनाने की स्वीकृति दे दी है ।

सदस्य कार्यकाल इसके सदस्यों का कार्यकाल छह वर्षों का होता है लेकिन प्रत्येक दो साल पर एक तिहाई सदस्य हट जाते हैं । एक राज्य के विधान सभा के साथ इसके विपरीत , विधान परिषद में एक स्थायी निकाय है और भंग नहीं किया जा सकता है, विधान परिषद का प्रत्येक सदस्य 6 साल की अवधि के लिए कार्य करता है ।

विधानपरिषद के कार्य एवं शक्तियां

विधानपरिषद में उन सभी विषय के संबंध में साधारण बिल पेश किया जा सकता है जिन का संबंध राज्य सूची और समवर्ती सूची में किया गया , परंतु इस बिल को तब तक राज्यपाल के पास नहीं भेजा जा सकता जब तक विधान सभा पास ना करे । अर्थात विधान सभा की मंजूरी के बिना कोई काम नहीं बन सकता ।

विधान परिषद से जुड़े महत्वपूर्ण जानकारी

  • भारत के किसी राज्य में विधान परिषद का सृजन अथवा समाप्ति संसद द्वारा की जा सकेगी।
  • यह राज्य का उच्च सदन है।
  • इसके सदस्य मंत्री बन सकते है।
  • यह स्थाई सदन है। राज्य विधान परिषद का विघटन नहीं होता, पर यह समाप्त किया जा सकता है ।
  • वर्तमान में 7 राज्यों में विधान परिषद है।
  • अधिकतम सदस्य- उस राज्य के विधानसभा के कुल सदस्यों के एक तिहाई से अधिक नहीं
  • न्यूनतम सदस्य संख्या – 40 ( अपवाद- जम्मू – कश्मीर में विधानपरिषद की सदस्य संख्या 36 है )
  • सदस्यता आयु- न्यूनतम 30 वर्ष
  • निर्वाचन
  • 1/3 सदस्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा

  • 1/3 सदस्य स्थानीय निकायों द्वारा

  • 1/12 सदस्य पंजीकृत स्नातकों द्वारा

  • 1/12 सदस्य शिक्षाकों द्वारा

  • 1/6 सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत

  • सदस्यता कार्यकाल -6 वर्ष , प्रत्येक दो वर्ष में 1/3 सदस्य निवृत्त
  • अधिकार- सामान्य विधेयक महीने तक एवं धन विधेयक 14 दिन तक रोकने का .
  • विशेष – विधानसभा और विधानपरिषद् की संयुक्त बैठक का प्रावधान नही

 

विधानपरिषद और विधानसभा में क्या अंतर है ?

  • विधानसभा के सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं पर विधान परिषद् के सदस्य इसमें भाग नहीं ले सकते।
  • राज्यसभा के चुनाव में भी विधानसभा के सदस्य ही भाग लेते हैं नाकि विधान परिषद् के सदस्य।
  • यदि विधानसभा चाहे तो विधान परिषद को पूरी तरह से ख़त्म करने के लिए विशेष बहुमत से संकल्प पारित कर सकती है।

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Amit Yadav

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