छत्तीसगढ़ में वन्यजीव अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यान
अपने क्षेत्र के हिसाब से भारत का तीसरा सबसे बड़ा वन्य क्षेत्र वाला छत्तीसगढ़, वन्य संपदा से भरा हुआ हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में 3 राष्ट्रीय उद्यान तथा 11 वन्यजीव अभ्यारण्य के साथ वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 4 टाइगर रिजर्व है। जिसमे सन् 2009 में तीन टाइगर रिजर्व को मान्यता मिली, और एक बायोस्फियर भी हैं। छत्तीसगढ़ के वन्यजीव अभ्यारण्य में बाघ, शेर, चित्तल, वनभैंसा, गौर, नीलगाय इत्यादि वन्यजीव बहुतायत में पाया जाता हैं।
छत्तीसगढ़ के वन्यजीव अभ्यारण्य
1. बादलखोल अभ्यारण्य – जशपुर
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिला में 104.35 वर्ग किमी. में फैले बादलखोल अभ्यारण्य को 28.08.1975 में छत्तीसगढ़ के एक वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप के चिन्हित किया गया था। यंहा पाए जाने वाले मुख्य रूप से वन्यजीवों में शेर, चिंकारा, तेंदुए, साम्भर, नीलगाय, चित्तल और विभिन्न पक्षियां शामिल हैं।
2. बारनवापारा अभ्यारण्य – बलौदाबाजार भाठापारा
छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार-भाठापारा जिला में 244.66 फैले बारनवापारा अभ्यारण्य को 21.07.1976 में छत्तीसगढ़ के एक वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप के चिन्हित किया गया था। यंहा पाए जाने वाले मुख्य रूप से वन्यजीवों में शेर, गौर, चिंकारा, तेंदुए, साम्भर, नीलगाय, चित्तल भालू, जंगली भैंसा और विभिन्न पक्षियां शामिल हैं।
3. सीतानदी अभ्यारण्य – धमतरी
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला में 553.36 वर्ग किमी. में फैले सीतानदी अभ्यारण्य को 01.11.1974 में छत्तीसगढ़ के एक वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप के चिन्हित किया गया था। यंहा पाए जाने वाले वन्यजीवों में मुख्यतः शेर, चिंकारा, तेंदुए, साम्भर, नीलगाय, चित्तल, गौर, भालू, जंगली सुअर और विभिन्न पक्षियां शामिल हैं।
4. अचानकमार अभ्यारण्य – मुंगेली
छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिला में 551.55 वर्ग किमी. में फैले अचानकमार अभ्यारण्य को 01.11.1974 में छत्तीसगढ़ के एक वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप के चिन्हित किया गया था। यंहा पाए जाने वाले वन्यजीवों में मुख्यतः शेर, चिंकारा, तेंदुए, साम्भर, नीलगाय, चित्तल, गौर, भालू, माउस डियर और विभिन्न पक्षियां शामिल हैं।
5. सेमरसोत अभ्यारण्य – सरगुजा
छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिला में 430.36 वर्ग किमी. में फैले सेमरसोत अभ्यारण्य को 20.02.1978 में छत्तीसगढ़ के एक वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप के चिन्हित किया गया था। यंहा पाए जाने वाले वन्यजीवों में मुख्यतः शेर, तेंदुए, साम्भर, नीलगाय, चित्तल, गौर, और विभिन्न पक्षियां शामिल हैं।
6. तमोरपिंगला अभ्यारण्य – सूरजपुर
छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिला में 608.32 वर्ग किमी. में फैले तमोरपिंगला अभ्यारण्य को 20.12.1978 में छत्तीसगढ़ के एक वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप के चिन्हित किया गया था। यंहा पाए जाने वाले वन्यजीवों में मुख्यतः शेर, तेंदुए, साम्भर, नीलगाय, चित्तल, गौर और विभिन्न पक्षियां शामिल हैं।
7. भैरमगढ़ अभ्यारण्य – बीजापुर
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिला में 139 वर्ग किमी. में फैले भैरमगढ़ अभ्यारण्य को 01.03.1983 में छत्तीसगढ़ के एक वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप के चिन्हित किया गया था। यंहा पाए जाने वाले वन्यजीवों में मुख्यतः शेर, तेंदुए, साम्भर, वनभैंसा, चित्तल और विभिन्न पक्षियां शामिल हैं।
8. पामेड़ धामेद अभ्यारण्य – बीजापुर
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिला में 262 वर्ग किमी. में फैले पामेड़ धामेद अभ्यारण्य को 16.03.1983 में छत्तीसगढ़ के एक वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप के चिन्हित किया गया था। यंहा पाए जाने वाले वन्यजीवों में मुख्यतः शेर, तेंदुए, साम्भर, चित्तल, वनभैंसा और विभिन्न पक्षियां शामिल हैं।
9. उदयन्ति अभ्यारण्य – रायपुर
छत्तीसगढ़ के रायपुर जिला में 249.59 वर्ग किमी. में फैले उदयन्ति अभ्यारण्य को 09.03.1983 में छत्तीसगढ़ के एक वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप के चिन्हित किया गया था। यंहा पाए जाने वाले वन्यजीवों में मुख्यतः शेर, तेंदुए, साम्भर, वनभैंसा, चित्तल, गौर, बैसन भालू, जंगली सुअर और विभिन्न पक्षियां शामिल हैं।
10. गोमरदा अभ्यारण्य – रायगढ़
छत्तीसगढ़ के गोमरदा जिला में 277.82 वर्ग किमी. में फैले गोमरदा अभ्यारण्य को 30.08.1975 में छत्तीसगढ़ के एक वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप के चिन्हित किया गया था। यंहा पाए जाने वाले वन्यजीवों में मुख्यतः शेर, तेंदुए, साम्भर, नीलगाय, चित्तल, गौर, भालू, और विभिन्न पक्षियां शामिल हैं।
11. भोरमदेव अभ्यारण्य – कवर्धा (कबीरधाम)
छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिला में 163.80 वर्ग किमी. में फैले सीतानदी अभ्यारण्य को 2001 में छत्तीसगढ़ के एक वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप के चिन्हित किया गया था। यंहा पाए जाने वाले वन्यजीवों में मुख्यतः बाघ, तेंदुए, साम्भर, नीलगाय, चित्तल और विभिन्न पक्षियां शामिल हैं।
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छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय उद्यान
1. इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान – बीजापुर
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिला में 2799.08 वर्ग किमी. में फैले इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान को 17.02.1982 में स्थापित छत्तीसगढ़ में एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप के चिन्हित किया गया था। 1983 में इसे टाईगर रिजर्व भी घोषित किया गया था। यंहा पाए जाने वाले वन्यजीवों में मुख्यतः बाघ, तेंदुए, साम्भर, चित्तल, गौर, जंगली भैंसा, मोर और विभिन्न पक्षियां शामिल हैं।
2. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान – बस्तर
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिला में 200 वर्ग किमी. में फैले कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान को 20.07.1982 में स्थापित छत्तीसगढ़ में एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप के चिन्हित किया गया था। यंहा पाए जाने वाले वन्यजीवों में मुख्यतः बाघ, तेंदुए, साम्भर, चित्तल, पहाड़ी मैना और विभिन्न पक्षियां शामिल हैं।
3. गुरु घांसीदास राष्ट्रीय उद्यान – कोरिया
छत्तीसगढ़ के कोरिया जिला में 1440.705 वर्ग किमी. में फैले गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को 23.09.1981 में संजय राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित जिसे 2001 से छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के रूप के चिन्हित किया गया था। यंहा पाए जाने वाले वन्यजीवों में मुख्यतः बाघ, तेंदुए, साम्भर, चित्तल, गौर, जंगली भैंसा, निलगाय और विभिन्न पक्षियां शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ के टाइगर रिजर्व
- इंद्रावती टाइगर रिजर्व (इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान) – यहाँ प्रोजेक्ट टाइगर 1983 में शुरू हुआ था।
- उदयन्ति टाइगर रिजर्व (उदयन्ति अभ्यारण्य) – यहाँ प्रोजेक्ट टाइगर 2006 मे हुआ शुरू था।
- अचानकमार टाइगर रिजर्व (अचानकमार अभ्यारण्य) – यहाँ प्रोजेक्ट टाइगर 2006 में शुरु हुआ था।
- गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व (गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान) – यंहा 2014 में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व के गठन के लिए अपनी सहमति दे दिया था।
छत्तीसगढ़ के बायोस्फीयर
छत्तीसगढ़ राज्य में सिर्फ एक बायोस्फीयर है अचानकमार, जिसकी स्थापना 2005 में की गईं थी। जो देश का 14 वाँ बायोस्फीयर है। इससे पहले 1985 में कांगेर घाटी को बायोस्फीयर बनाने की घोषणा की गई थी, लेकिन स्थापित ना हो सका।
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छत्तीसगढ़ की वन्यजीव अभ्यारण्य से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी..
- छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा अभ्यारण्य – तमोर पिंगला अभ्यारण्य सरगुजा में है, जिसका क्षेत्रफल 608.32 वर्ग किमी. है।
- छत्तीसगढ़ का सबसे छोटा अभ्यारण्य बादलखोल, जशपुर में है, इसका क्षेत्रफल 104.35 वर्ग किमी. है।
- सर्वाधिक मोर उदयन्ती अभ्यारण्य में मिलते हैं।
- छत्तीसगढ़ शासन ने ऑपरेशन एलीफेन्ट 1 जनवरी, सन् 2003 से प्रारम्भ किया था, जिसके तहत उत्पाती जंगली हाथियों को पकड़ने के लिए व प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी असम के प्रसिद्ध हाथी विशेषज्ञ पार्वती बरुआ को दिया गया था।
- प्राणी संरक्षण के लिए 6615 वर्ग किमी. क्षेत्र आरक्षित है।
- राज्य पक्षी पहाड़ी मैना को बस्तर संभाग में देखा जा सकता है।
- छत्तीसगढ़ के राज्य का पशु वन भैंसा उदयन्ती अभ्यारण्य में पाया जाता है। साथ ही पामेड़ और भैरमगढ़ में भी वन भैंसे अधिक संख्या में है।
- कांकेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, जगदलपुर में दुर्लभ स्टेलेग्माइट गुफाएँ हैं।
- छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक सोन कुन्ता बारनवापारा अभ्यारण्य में मिलते हैं।
- भोरमदेव, कवर्धा राज्य के नवीन अभ्यारण्य हैं।
- छत्तीसगढ़ का टाइगर प्रोजेक्ट राष्ट्रीय उद्यान इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान बीजापुर है।
- छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक तेन्दुए, सीतानदी अभ्यारण्य, साम्भर बारनवापारा अभ्यारण्य वन भैंसा – उदयन्ती, अभ्यारण्य , नीलगाय , तमोर पिंगला अभ्यारण्य में पाये जाते हैं।
- वन्य प्राणियों व पक्षियों के शिकार पर पूर्ण प्रतिबन्ध 24 अक्टूबर, सन् 1982 से अघोषित है।
- छत्तीसगढ़ के उद्यानों व अभ्यारण्यों में सर्वाधिक पाया जाने वाला वन्य जीव चीतल है।
- छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान है।
- संजय राष्ट्रीय उद्यान का नाम अब गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान रखा गया है।
- गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 1440.707 वर्ग कि.मी. है। उद्यान का शेष हिस्सा म.प्र. के सीधी जिले में पड़ता जिसका क्षेत्रफल 497.309 वर्ग कि.मी. है।