भारत के वन्यजीव अभ्यारण्य कौन कौन से है? भारत के अभ्यारण्य

भारत के वन्यजीव अभ्यारण्य कौन कौन से है? भारत के प्रमुख अभ्यारण्य

वन किसी भी राष्ट्र की अमूल्य सम्पति या धरोहर हैं तथा प्रत्येक राष्ट्र में 33 प्रतिशत वनावरण अनिवार्य है लेकिन भारत में कुल वनों का प्रतिशत भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2017 के अनुसार 24.40 प्रतिशत है। जबकि विश्व में सर्वाधिक वन प्रतिशत वाला देश सुरीनाम 95 प्रतिशत के साथ पहले स्थान पर है तथा रुस सर्वाधिक क्षेत्र के अनुसार 8,149,300 वर्ग कि.मी. के साथ विश्व में पहले स्थान पर है। तो आइए जानते हैं कि भारत के वन्यजीव अभ्यारण्य कौन कौन से है? भारत के प्रमुख अभ्यारण्य कौन कौन से हैं।

प्राचीन काल से ही भारत कुछ अनोखी वनस्पतियों और जीवों की प्रजातियों का गर्भगृह माना जाता है जो भारत के वन्यजीव अभ्यारण्य को प्रकृति और वन्यजीव प्रेमियों के लिए स्वर्ग जैसा अद्भुत बनाते हैं । भारत जैव विविधता से समृद्धशाली देश कहलाता है , क्योंकि भारत का भूगोल घने जंगलों से भरा हुआ है , जो वन्यजीव और उनकी प्रजातियों की एक बड़ी संख्या के निवास स्थान के रूप में कार्य करता है ।

भारत को भौगोलिक द्रष्टि से देखा जाये तो उत्तर में द ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से लेकर दक्षिण में डंडेली वन्यजीव अभ्यारण्य तक , भारत में वन्यजीव अभ्यारण्य का ढेर है । कुछ विदेशी प्रजातियां जिन्हें भारतीय क्षेत्र पर देखा जा सकता है , एशियाई शेर , बंगाल टाइगर , हिम तेंदुआ , एक सींग वाला गैंडा आदि हैं । इन घने जंगलों में सफारी करने का अहसास ऐसी दुर्लभ वन्यजीव प्रजातियों को समायोजित करता है भारत के कुछ वन्यजीव अभ्यारण्य जहाँ आप बाघों को उनके प्राकृतिक आवास में भी देख सकते हैं।

राष्ट्रीय उद्यान क्या है?

इस आर्टिकल की प्रमुख बातें

वनस्पति और जीवो की रक्षा के साथ साथ ऐतिहासिक व सांस्कृतिक परिदृश्य के महत्वपुर्ण स्मारको के सरंक्षण हेतु राष्ट्रीय उद्यानो की स्थापना की जाती है । इन्हे बड़ी मात्रा में संरक्षण प्राप्त होता है , इनमे मानव गतिविधियाँ मुख्यतः प्रतिबंधित रहती है।

वन्यजीव अभ्यारण्य का अर्थ क्या है?

जानवरो व विशेष प्रजातियो की रक्षा के लिए वन्यजीव अभ्यारण्य बनाए जाते है , इनमे पशुचारण जैसी कुछ गतिविधियों के लिए अनुमति दी जा सकती है ।

अभ्यारण्य क्या है ?

अभ्यारण्य का अर्थ अर्थात सरकार अथवा किसी अन्य संस्था द्वारा संरक्षित ऐसे वन, जिसमें पशु पक्षी घूम सके और साथ ही साथ उन पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों, और वन्यजीवो को संरक्षित किया जा सके को अभ्यारण्य कहते हैं । इनका उद्देश्य पशु , पक्षी या वन संपदा को संरक्षित करना , उसका विकास करना व शिक्षा तथा अनुसंधान के क्षेत्र में उसकी मदद लेना होता है ।

कुल कितने अभ्यारण है भारत में?

भारत मे कुल 544 वन्यजीव अभ्यारण्य है इन  अभ्यारण्यों का कुल क्षेत्रफल 118931 वर्ग किलोमीटर है जो देश का 3.62 % क्षेत्र है । भारत में 2018 तक 104 राष्ट्रीय उद्यान और 544 वन्यजीव अभयारण्य हैं।

भारत के प्रमुख वन्यजीव अभ्यारण्य

वन्य जीवों की विलुप्त होती संख्या को देखते हुए उनके संरक्षण के लिए भारत सरकार ने अनेकों वन्य जीव अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यान बनाये हैं भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान सन 1936 में बनाया गया था जिसका नाम हेली नेशनल पार्क था जिसे अब जिम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के नाम से जाना जाता है। तो आइए देखते है कि भारत के प्रमुख वन्यजीव अभ्यारण्य कौन कौन से हैं।

1. पलामू (बतेला) अभ्यारण्य

पलामू व्याघ्र आरक्षित वन झारखंड के छोटा नागपुर पठार के पलामू ज़िले में स्थित है । यह 1974 में बाघ परियोजना के अंतर्गत गठित प्रथम 9 बाघ आरक्षों में से एक है। जिसमें पलामू वन्यजीव अभ्यारण्य का क्षेत्रफल 980 वर्ग किलोमीटर फैले भारत के सबसे पुराने टाईगर रिजर्व में से एक बेतला राष्ट्रीय पार्क है जिसे पूर्व में पलामू टाईगर रिजर्व के नाम से जाना जाता था । यहां बड़ी संख्या में बाघ , तेंदुआ , जंगली भालू , बंदर , सांभर , नीलगाय,जंगली सुअर, हाथी, मोर और चीतल आदि जानवर पाए जाते हैं।

2. दाल्मा वन्यजीव अभ्यारण्य

दाल्मा अभ्यारण्य झारखंड के जमशेदपुर , राँची और पश्चिम बंगाल के पुरुलिया के बीच बसा पूर्वी भारत के एक प्रमुख वन्यजीव अभ्यारण्य है । इस अभ्यारण्य को खास तौर पर हाथियों के संरक्षण के लिये चुना गया है।  3000 फीट की ऊँचाई पर स्थित तथा 193 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभ्यारण्य का उदघाटन स्वर्गीय संजय गाँधी ने किया था । यहाँ पर जंगली जानवरों को नज़दीक से देखने के लिए अनेक जगह विशेष रूप से बनाए गए है जहाँ से पर्यटक आसानी से जंगली जानवर  को देख सकते हैं । यहाँ पर पर्यटकों के ठहरने के लिए टाटास्टील तथा वन विभाग द्वारा गेस्ट हाउस का भी निर्माण किया गया है । यहां का प्रमुख वन्यजीव हाँथी, हिरण, तेंदुआ, सांभर, जंगली सुअर है।

3. हजारीबाग वन्यजीव अभ्यारण्य

हजारीबाग में पर्यटक वन्यजीव अभ्यारण्य की सैर कर सकते हैं । यह बहुत विशाल और खूबसूरत है। 1955 में स्थापित यह अभ्यारण्य 186 वर्ग कि.मी. में फैला हुआ है। अपनी खूबसूरती के लिए इसे पूरे विश्व में जाना जाता है । यहां पर पर्यटक विभिन्न प्रजातियों के पेड़ – पौधों और जीव – जन्तुओं को देख सकते हैं। इसके निर्माण की प्रक्रिया में कई बांध बनाए गए हैं और अधिक का निर्माण किया जा रहा है । इसका उद्देश्य पानी का नहर बनाना है जहां जानवर गर्मियों में पानी पी सकते हैं ।

बांध पर टावर्स ऊपर बनाए गए हैं ताकि गर्मियों में आगंतुक इन टावरों पर बैठ सकें और आसानी से जानवरों को पानी पीते देख सके। जानवरों के लिए कृत्रिम नमक भी बनाया गया है सड़क का निर्माण किया गया है और विस्तारित किया जा रहा है। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से भालु , सांभर ,जंगली सुअर, नीलगाय , चीतल और काकर पाए जाते हैं । यहां घूमने के लिए अप्रैल – जुलाई का समय सबसे अच्छा है क्योंकि इस समय इसकी हरियाली कई गुना बढ़ जाती है।

4. कैमूर वन्यजीव अभ्यारण्य

बिहार के कैमूर जिले में, भभुआ शहर के पास स्थित है । यह राज्य का सबसे बड़ा अभ्यारण्य है और लगभग 1,342 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है । बिहार सरकार ने इसे टाइगर रिजर्व में विकसित करने की योजना बनाई हैं। यहां कुछ झरने और झीले भी हैं। यह 70 प्रजातियों के निवासी पक्षियों के लिए एक निवास स्थान है। सर्दियों में प्रवासी पक्षियों के आगमन के दौरान आप अधिक प्रजातियों के पक्षियों को देख पाएंगे । कालीधा और अनुपम झील में मछलियां पाई जाती हैं । इस वन्यजीव अभ्यारण्य में पाए जाने वाले मुख्य जानवरों में बाघ, तेंदुआ, जंगली सुअरों, भालू , सांभर हिरण, चीतल, चौसिंगा और नीलगाय शामिल हैं।

5. गिर राष्ट्रीय उद्यान

पश्चिमी भारत के गुजरात में स्थित बाघ संरक्षित क्षेत्र और वन्यजीव अभयारण्य है। इसे एशियाई शेरो की रक्षा करने के लिए बनाया गया था। गिर नेशनल पार्क का कुल क्षेत्रफल 545 वर्ग मील है, जिसमें से 100 वर्ग मील पूरी तरह से राष्ट्रीय उद्यान और 445 वर्ग मील वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप में है।

भारत के गिर वन्यजीव अभ्यारण्य गुजरात में राज्य स्थित राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यप्राणी अभ्यारण्य है , जो एशिया में सिंहों का एकमात्र निवास स्थान होने के कारण जाना जाता है। सिंहदर्शन के लिए ये उद्यान एवं अभ्यारण्य विश्व में प्रवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र है । वन्य जीवों को संरक्षण प्रदान करने के कई प्रयासों के फलस्वरूप इस अभ्यारण्य में शेरों की संख्या बढकर अब 312 हो गई है । शेर, तेंदुआ, सांबर, जंगली सुअर, और जलपक्षी यंहा की प्रमुख जीव है।

6. नल सरोवर पक्षी अभ्यारण्य

भारत के गुजरात राज्य में सानंद गाँव के पास अहमदाबाद के पश्चिम में लगभग 64 किमी की दूरी पर स्थित है। जिसमें मुख्य रूप से 120.82 वर्ग किलोमीटर की झील और परिवेशीय दलदल शामिल है, इसमें लगभग 36 छोटे द्वीप हैं । यहां 200 से ज्यादा पक्षियों के प्रजातियों का वास है । सर्दियों के मौसम में यहां साइबेरियन क्रेन के अलावा रोसी पेलिकन से लेकर ब्राह्मण बत्तख , सफेद स्टॉर्क , निटरटे , ग्रिब्स , फ्लेमिंगो , कैक्स जैसे पक्षी निवास करते हैं । नलसरोवर पक्षी अभ्यारण्य को सितंबर , 2012 से रामसर स्थल के रूप में घोषित किया गया है । गुजरात तथा पूर्वी सौराष्ट्र के मध्य स्थित है।

7. कार्बेट नेशनल पार्क

उत्तराखण्ड हिमालय की तलहटी में स्थित कार्बेट नेशनल पार्क भारत के वन्यजीव अभ्यारण्य के साथ साथ दुनिया के चर्चित राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है । कुदरत ने यहां जमकर अपना वैभव बिखेरा है । स्थापना के समय उद्यान का नाम हैली नेशनल पार्क रखा गया था । बाद में इसका नाम महान संरक्षणवादी और प्रकृतिवादी जिम कॉर्बेट के सम्मान में रखा गया । जिम कॉर्बेट ने 1907 से 1939 के बीच उत्तराखंड के कुमाऊं जिले में आदमखोर बन चुके बाघों का शिकार किया था । जिम कॉर्बेट पारिस्थितिकी और वन्यजीवों खासकर बाघों के संरक्षण के पक्ष में थे और इसी वजह से भारत में ‘ बाघ बचाओ ‘ परियोजना का शुभारंभ करने के लिए जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान को चुना गया था । इस प्रोजेक्ट का मूल इरादा प्रकृति के पारिस्थितिकी के संतुलन को बनाए रखना और वर्तमान पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करना था।

भारत के वन्यजीव अभ्यारण्य

नैनीताल और पौड़ी जिलों में फैला कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान 1288 वर्ग किमी इलाके में है । इसके आस – पास सोनानदी वन्यजीव अभ्यारण्य और संरक्षित वन हैं । यह करीब वृक्षों की 110 प्रजातियों , स्तनधारियों की 50 प्रजातियों , पक्षियों की 580 प्रजातियों और सरीसृपों की 25 प्रजातियों का निवास स्थान है । ये सभी उद्यान के नीचले और उपरी दोनों ही इलाकों में पाए जाते हैं । कॉर्बेट में रहने वाले प्रमुख वन्यजीव हैं- बंगाल टाइगर , एशियाई हाथी , तेंदुए , जंगली सूअर , स्लोथ बीयर , सियार , नेवला और मगरमच्छ ।

8. दुधवा राष्ट्रीय उद्यान

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जनपद में स्थित संरक्षित वन क्षेत्र है। यह भारत और नेपाल की सीमाओं से लगे विशाल वन क्षेत्र में फैला है । यह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा एवं समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र है । यह राष्ट्रीय उद्यान बाघों और बारहसिंगा के लिए विश्व प्रसिद्ध है।दुधवा उद्यान स्थापना के समय से ही पर्यटकों , पर्यावरणविदों और वन्य – जीव प्रेमियों के आकर्षण का केन्द्र रहा है । थारू हट और सफारी की सुविधाएं पर्यटकों के आकर्षण के प्रमुख केंद्र हैं।

यह शारदा नदी के किनारे पर स्थित है और आसपास के आरक्षित वनों के सल वन से घिरा है ।1987 में दुधवा राष्ट्रीय उद्यान और किशनपुर पशु विहार को दुधवा टाइगर रिजर्व ( डीटीआर ) बनाने के लिए विलय किया गया । दुधवा टाइगर रिजर्व में कुल क्षेत्रफल 818 वर्ग किलोमीटर है । यह बड़ी संख्या में दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है जिसमें बाघ , तेंदुए बिल्ली , स्लथ बियर , राइनोर्स ( एक सींग ) , हिसपिड खरगोश , हाथी , काले हिरण और दलदली हिरण आदि शामिल हैं।

9. मुदुमलाई राष्ट्रीय उद्यान

यह वन्यजीव अभ्यारण्य नीलगिरि जिले के उत्तर – पश्चिम की ओर , नीलगिरि जिले में , तमिलनाडु के कोंगु नाडु क्षेत्र में कोयम्बटूर शहर से लगभग 150 किलोमीटर उत्तर – पश्चिम में स्थित है । कर्नाटक और केरल राज्यों के साथ अपनी सीमाओं को साझा करके , अभ्यारण्य को 5 श्रेणियों में विभाजित किया गया है। मुदुमलाई वन्यजीव अभ्यारण्य केरल – कर्नाटक सीमा पर स्थित है । 321 वर्ग किमी. में फैले इस अभ्यारण्य के पास ही बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान है । इन दोनों उद्यानों को मोयार नदी अलग करती है ।

मैसूर और ऊटी को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग इस उद्यान से होकर गुजरता है । मुदुमलाई में वन्यजीवों की अनेक प्रजातियां देखने को मिलती हैं जैसे लंगूर , बाघ , हाथी , गौर और उड़ने वाली गिलहरियां । इसके अलावा यहां अनेक प्रकार के पक्षी भी देखे जा सकते हैं जैसे मालाबार ट्रॉगन , ग्रे हॉर्नबिल , क्रेस्टिड हॉक ईगल , क्रेस्टिड सरपेंट ईगल आदि। फरवरी से जून के बीच का समय यहां आने के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है।

10. डम्पा टाइगर रिजर्व

डम्पा टाइगर रिजर्व मिज़ोरम राज्य की राजधानी आईजोल के पास स्थित यहाँ का सबसे बड़ा वन्य जीवन अभ्यारण्य है जिसे 1985 में अधिसूचित किया गया और 1994 में इसे टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। डम्पा टाइगर रिजर्व लगभग 550 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है।आईजोल से लगभग 130 किमी दूर स्थित दम्पा टाइगर रिजर्व की यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से अप्रैल के बीच है । अभयारण्य में आने से पहले , आगंतुकों को मिजोरम के पर्यावरण और वन विभाग से संपर्क स्थापित करने की आवश्यकता होती है । यह अभ्यारण्य राज्य की उत्तरी – पश्चिमी सीमा पर स्थित है और पड़ोसी देश बांग्लादेश के साथ 80 किमी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है ।

डम्पा टाइगर रिजर्व का उष्णकटिबंधी वन पेड़ पौधों और वनस्पति से भरपूर है । डम्पा टाइगर रिजर्व में संरक्षित वन्यजीवों में रिसस बंदर , लीफ मंकी , पिगटेलमेकाक , स्टम्प तेलमेकाक , बाघ , चीते , भारतीय हाथी , गौर , सीरो , बार्किंग बीयर , जंगली सुअर , साही , स्लॉथ बीयर , हिमालय का काला भालू , ग्रेट इंडियन हॉर्न बिल , मालपार पाइड हॉर्नबिल , पीकॉक फीसेंट , लालजंगली फाउल , एमरेल्ड डव , हिल माइना , पाइथन , किंग कोबरा , मॉनिटर लिजार्ड और पहाड़ी कछुआ हैं।

11. पेरियार वन्यजीव अभ्यारण्य

पेरियार राष्ट्रीय उद्यान दक्षिण भारत के केरल राज्य में इडुक्की जिले से 60 km दूर थेक्कडी में इलायची हिल्स की पहाड़ियों के बीच स्थित है। यह राष्ट्रीय उद्यान एक बाघ संरक्षित क्षेत्र है । इस उद्यान की स्थापना 1950 ई . में की गयी थी और 1978 में इसे टाइगर रिजर्व घोषित किया गया । 1998 से इसे ‘ हाथी संरक्षण परियोजना ‘ के अंतर्गत भी रखा गया है । 305 वर्ग किमी में फैला यह उद्यान बायोडायवर्सिटी का एक अच्छा उदाहरण है ।

यंहा की प्रमुख जीवजंतुओं में हाथी, नील गाय, साम्भर, भालू , चीता, तेन्दुआ, जंगली सूअर, बार्किंग हिरन आदि है। इस उद्यान के वन्य जीवों को भली प्रकार से देखने के लिए बोटिंग की सुविधा भी दी जाती है। यहाँ नदी के गहरे जल में हाथी तैरने का अभ्यास भी करते हैं।

12. परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य

दक्षिणी भारत के केरल राज्य के पालक्कड जिले के चित्तूर तालुके में 89 वर्गकिमी में विस्तृत एक संरक्षित क्षेत्र है । 1973 में स्थापित यह अभ्यारण्य अनाइमलाई पाहड़ियों और नेल्लियमपथी पाहड़ियों के बीच सुनगम पर्वतमाला में स्थित है। परम्बिकुलम टाइगर रिज़र्व एक जैव विविधता पार्क है जिसमें कई प्रकार की वनस्पतियां और जीव हैं । यह पहला स्थान है , जहां पर वैज्ञानिक रूप से प्रबंधित सागौन वृक्षारोपण किया जाता है और यहां पर दुनिया का सबसे पुराना और सबसे ऊंचा सागौन का पेड़ है , जो लगभग 50 मीटर ऊंचा है और 17 मंजिला इमारत जितना लंबा है।

भारत के वन्यजीव अभ्यारण्य

अभ्यारण्य में विविध प्रकार के जीव बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं इनमें शामिल हैं शेर जैसी पूंछ वाला मकाक , नीलगिरि तहर , हाथी , बंगाल टाइगर , तेंदुआ , जंगली सूअर , सांभर , बोनेट मकाक , नीलगिरि लंगूर , स्लॉथ भालू , नीलगिरि नेवला , छोटा त्रावणकोर , उड़ने वाली गिलहरी और गौर इत्यादि।

13. कुंभलगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य

पर्यटकों के लिए सबसे लोकप्रिय आकर्षणों में से एक , कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य राजसमंद जिले के अरावली श्रृंखला में 578 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है। यह भेड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां पाये जाने वाले चौसिंघा को स्थानीय भाषा में घण्टेल कहते हैं। अभ्यारण्य कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है और अपने क्रियाकलापों में लगे भेडियों के बारे में खोज करने का राजस्थान राज्य में एकमात्र अभ्यारण्य है । माना जाता है कि 40 से अधिक भेड़िये इस अभयारण्य में रहते हैं ।

इस अभ्यारण्य में जीव जन्तुओं में हमें भेड़िया , जंगली बिल्ली , लियोपार्ड , भालू , चौसिंघा, नीलगाय , चिंकारा और खरगोश इत्यादि देखने को मिलते हैं। यहां पर विभिन्न प्रकार की पक्षियों को भी देखा जा सकता है जिसमें मोर , बतख इत्यादि है । इसमें कई प्रकार के पेड़ और औषधीय पौधों से युक्त विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां भी हैं । प्राकृतिक परिवेश में वन्यजीवों कहीं नजर आ जाएं , इसके लिए अभयारण्य में सफारी का आनंद भी लिया जा सकता है । इसी अभयारण्य में कुम्भलगढ़ किला भी , जिसे देखना किसी यादगार और आनंददायक अनुभव से कम नहीं है ।

14. पेंच राष्ट्रीय उद्यान

सप्तुदा पहाड़ियों के निचले दक्षिणी इलाकों में घोंसले का नाम पेंच नदी के नाम पर रखा गया है , जो उत्तर से दक्षिण तक पार्क के माध्यम से घूमता है । यह सीओनी और छिंदवाड़ा जिलों में महाराष्ट्र के किनारे मध्यप्रदेश की दक्षिणी सीमा पर स्थित है । इस पार्क को 1983 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था ।

टाईगर रिजर्व की भौगोलिक संरचना ऊबड़ खाबड़ , पहाड़ी एवं समतल क्षेत्रों से मिलकर बना है । जिनमें अनेक नदी , नाले एवं झरने है । यहां के अधिकांश जल स्त्रोत मौसमी है । अधिकांश पहाड़ियां ऊपर से समतल हैं जहां से जंगलो का महोहरी दृश्य दृष्टिगोचर होता है । इन पहाड़ियों में से सबसे चर्चित काला पहाड़ है , जिसकी ऊंचाई समुद्र सतह से 650 मीटर है ।

पेंच टाईगर रिजर्व के बीचों बीच बहने वाली पेंच नदी भी अप्रेल माह के अन्त तक लगभग सूख जाती है किन्तु इसमें कई पानी के बड़े – बड़े कुंड मिलते हैं , जो वन्यप्राणियों के लिये महत्वपूर्ण जल स्त्रोत हैं । इस क्षेत्र में कुछ बारहमासी झरने भी हैं । किन्तु जल स्त्रोत समुचित रूप से वितरित नहीं है , इसलिये वन्यजीवो के लिए समुचित मात्रा में जल संरक्षण संबंधी व्यवस्थायें की गयी है । पेंच नदी पर निर्मित तोतलाडोह जलाशय गर्मी के मौसम में वन्यजीवों के लिए एक प्रमुख जल स्त्रोत है ।

पेंच नेशनल पार्क मे ग्राम कर्माझिरी और टुरिया , दो प्रवेश द्वारों से प्रवेश किया जा सकता है । इन दोनों जगह पर पर्यटकों के लिए वन , पर्यटन विभाग और निजी होटल के साथ वाहन उपलब्ध होते हैं । पार्क हर साल अक्टूबर से जून तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है । यंहा के वन्यजीवों में, मांसाहारी में शेर , तेन्दुआ , जंगली बिल्ली , जंगली कुत्ते , लकड़बग्घा , सियार , लोमड़ी , भेड़िया , नेवला , सिवेट केट इत्यादि पाये जाते है । शाकाहारी प्रजातियों में गौर , नीलगाय , सांभर , चीतल , चैसिंगा , चिंकारा , जंगली सुअर इत्यादि प्रमुख है । इस राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 325 प्रजातियों के पक्षी भी वर्ष के विभिन्न मौसमो में देखे जा सकते हैं ।

15. तंसा अभ्यारण्य

भारत के वन्यजीव अभ्यारण्य में से एक तंसा अभ्यारण्य 320 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है जो महारष्ट्र के ठाणे जिले में स्थित है। इस सेंचुरी में कई वन्य जीव रहते है जिनमें से कई प्रजातियां काफी दुर्लभ हैं। यहां लगभग 200 प्रकार के जानवर का घर है। यंहा के प्रमुख वन्यजीवों में तेंदुआ , सांभर , चौसिंगा , जंगली सूअर , चीतल , और विभिन्न प्रकार के पक्षियों का निवास है। अक्टूबर से मार्च के बीच यंहा की प्राकृतिक सौंदर्य देखने लायक रहता है।

16. वोरिविली राष्ट्रीय उद्यान ( संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान)

मुंबई और ठाणे दो बड़े शहरों के बीच संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान महाराष्ट्र का प्रमुख पर्यटक स्थल और राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है । यह पार्क पिकनिक और वीकेंड के लिए आदर्श स्थान है । संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान अपने सदाबहार , घने जंगलों , पक्षियों की आबादी , तितलियों और बाघों की छोटी आबादी के लिए जाना जाता है। लगभग 104 वर्ग किलोमीटर पर फैला संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान जो कि विश्व का एकमात्र महानगरीय सीमाओं के भीतर स्थित वन्य जीव रिज़र्व पार्क है। 1976 में , 68.27 किमी क्षेत्र को आधिकारिक तौर पर बोरीवली राष्ट्रीय उद्यान के रूप में नामित किया गया था । फिर 1981 में पार्क को 82.25 वर्ग किमी के कुल क्षेत्रफल में विस्तारित किया गया था । लेकिन 1996 में पार्क का नाम बदलकर संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान रखा गया था ।

बोरीवाली राष्ट्रीय उद्यान से भी जाने गए इस पार्क के दो मुख्य जलाशय हैं , जिनके आस – पास घड़ियाल और पाइथन सांपों का वास है। साथ ही इस पार्क के जंगलों में शेर , बाघ , फ्लाइंग फॉक्स ( चमगादड़ ) , ब्लैक नेप्ड हेयर ( खरगोश ) , माउस डीयर और वानर प्रजाति के बोनेट मेकाक , रिसस मेकाक व हनुमान लंगूर एवं भाँति भाँति के पक्षी जैसे मिश्र का गिद्ध , नाइटजार्स आदि देखने को भी मिलते हैं।

17. अबोहर वन्यजीव अभ्यारण्य

अबोहर वन्यजीव अभ्यारण्य , एक ऐसा स्थान है जहां प्रकृति को उसके सबसे सुंदर स्वरूप में देखा जा सकता है। इस क्षेत्र को वर्ष 2000 में , वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत एक वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित कर दिया गया था ।

अबोहर वन्यजीव अभ्यारण्य काले हिरण की सदी का घर है । यह जानवरों की एक विस्तृत विविधता का घर है । यह स्थान लोगों के आकर्षण का केंद्र है । लगभग 18,650 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले अबोहर वन्यजीव अभ्यारण्य की विशिष्टता यह है कि यह 13 बिश्नोई गांवों के खेतों को कवर करने वाला एक खुला अभयारण्य है । काले हिरणों के झुंड , ग्रामीण इलाकों और यहां तक कि घरों में घूमते हुए पाए जा सकते हैं।

सबसे बड़ी काले हिरणों की आबादी में से एक होने के नाते , इसे एक सफल संरक्षण प्रयास भी माना जाता है।इस वन्यजीव क्षेत्र में कई किस्म के जीव रहते है क्योंकि यहां उष्णकटिबंधीय शुष्क मिश्रित पर्णपाती वन है। इस इलाके में ब्लैक बक हिरण , काफी संख्या में पाएं जाते है। पर्यटक यहां आकर , साही , नीलगाय , जंगली सुअर , काले बतख , डेजर्ट कैट , खरगोश , सियार और अन्य जानवर भी देख सकते है

18. चिल्का झील पक्षी अभ्यारण्य

करीब 11 हजार स्क्वेयर किमी में फैली चिल्का झील दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील है । जो उड़ीसा के पुरी जिले में स्थित है। झील में कई सारे छोटे – छोटे द्वीप हैं जो बहुत ही खूबसूरत हैं । सर्दियों में यहां कैस्पियन सागर , ईटान , रूस और साइबेरिया से आए प्रवासी पक्षियों को देखना आसान होता है। इस झील के क्षेत्रफल में स्थानीय एवं प्रवासी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों का वास है , जिस कारण यहाँ दुनिया भर से पक्षी – प्रेमी इनके व्यवहार का अध्ययन करने के लिए आते हैं ।

भारत के वन्यजीव अभ्यारण्य

इस झील के पास सूर्योदय और सूर्यास्त का सामने गुजरना आपको एक अलग ही अनुभव देता है। इस झील में कई प्रकार के जलीय वनस्पतियां और जीव – जंतु मौजूद हैं । अगर आप भी पक्षियों को देखने का शौक रखते हैं तो चिल्का झील इसके लिए परफेक्ट जगह है। प्रतिवर्ष प्रवासी पक्षी दूर देशों से कई मील का सफर तय करके यहाँ घर बसाने के लिए आते हैं । इनमें से कुछ जानी मानी प्रजातियाँ हैं- चमकीली आइबिस , काले पंखों वाले स्टिल्ट , पर्पल स्वैन , ओपन बिल स्टॉर्क और सैंडपाइपर इत्यादि।

19. सिमलिपाल राष्ट्रीय उद्यान

भारत के ओडीशा राज्य के मयूरभंज जिले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है तथा एक हाथी अभ्यारण्य है। इस उद्यान का नाम सेमल या लाल कपास के पेड़ों की वजह से पड़ा है जो यहाँ बहुतायत में पाये जाते हैं। 1956 में इसका चयन आधिकारिक रूप से टाइगर रिजर्व के लिए किया गया था। बारीपदा से 60 किलोमीटर दूर स्थित इसको वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया गया जो 2277.07 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। घने जंगलों , झरनों और पहाड़ियों से समृद्ध इस पार्क में विविध वन्यजीवों को नजदीक से देखा जा सकता है। बाघ, हिरन, हाथी और अन्य बहुत से जीव इस पार्क में मूलतः पाए जाते हैं।

सिमिलिपाल अभ्यारण्य जंगली जानवरों की एक श्रृंखला का घर है , जिसमें स्तनधारियों की 55 प्रजातियाँ, पक्षियों की 304 प्रजातियाँ, उभयचरों की 20 प्रजातियाँ, सरीसृपों की 62 प्रजातियाँ और मछलियों की 37 प्रजातियाँ शामिल हैं। यंहा बाघ, तेंदुआ, हाथी, बाइसन, भालू , रैटल, सांभर, चित्तीदार हिरण, चूहा हिरण, भौंकने वाला हिरण , जंगली सूअर , चौसिंघा , सुर्ख नेवला, पैंगोलिन , विशालकाय गिलहरी , उड़ने वाली गिलहरी , ऊदबिलाव , हनुमान लंगूर , मगर मगरमच्छ , काला कछुआ , टेंट कछुआ इत्यादि जीव देखने को मिलेगा।

20. वेदान्तगल पक्षी अभ्यारण्य

इसे भारत में सबसे पुराना जल अभ्यारण्य कहा जाता है। वेदांतंगल पक्षी अभ्यारण्य 1798 में कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई थी। ये 30 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रों फैला हुआ हैं। इसको 1936 में एक अभ्यारण्य के रूप में पहचाना गया था। 1962 मद्रास वन अधिनियम ने इसे एक आरक्षित वन की स्थिति प्रदान की और बाद में, 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम ने इसे वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया।

यह भारत में स्थापित किए गए प्रथम पक्षी अभ्यारण्य में से एक है जिसका इतिहास ब्रिटिश शासन काल जितना पुराना है। इस अभयारण्य को जो राष्ट्रव्यापी महत्व मिलता है इसका श्रेय इस अभयारण्य के संरक्षण के लिए दिए गए स्थानीय समुदायों के लोगों की भागीदारी को जाता है । विविध प्रकार के प्रवासी पक्षियों के कारण वेदान्थांगल पक्षी अभयारण्य देश भर से पक्षी प्रेमियों को आकर्षित करता है । इस अभ्यारण्य में अनगिनत छोटी झीलें मौजूद हैं और यह 74 एकड़ के क्षेत्र में फैला है । नवंबर और दिसंबर के महीनों में इस अभयारण्य में यूरोपीय प्रजाति के कई दुर्लभ पक्षी देखे जा सकते हैं।

यहां लगभग 115 प्रजातियों के पक्षियों की पहचान की गई है और उन्हें सूचीबद्ध किया गया है । यह अभ्यारण्य सियारए जंगली बिल्लीए जंगली सूअर और ब्लैक नेप जैसे स्तनधारियों का बसेरा भी है । यह अभ्यारण्य हरियाली से भरा हुआ हैए यहां बारिगटनिया वृक्षों की भरमार हैए जिनका प्रयोग पक्षी घोंसले बनाने के लिए बड़े पैमाने पर करते हैं। इस अभ्यारण्य में देखे जाने वाले दुर्लभ और विदेशी पक्षियों की प्रजातियों में कलहंस, ऑस्ट्रेलिया का ग्रे हवासील, श्रीलंका का डार्टर, ग्रे बगुला, ग्लॉसी आइबिस, ओपन बिल सारस, साइबेरियाई सारस, स्पॉट बिल हंस शामिल हैं।

21. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उद्यान ( अन्नामलाई वन्यजीव अभ्यारण्य )

अन्नामलाई बाघ अभ्यारण्य जिसका पुराना नाम इंदिरा गांधी वन्य जीवन अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यान भारत के तमिल नाडु राज्य के कोयम्बतूर ज़िले और तिरुपुर ज़िले में विस्तारित अन्नामलाई पहाड़ियों में स्थित एक संरक्षित क्षेत्र है। 108 वर्ग किमी में फैला यह राष्ट्रीय उद्यान 958 वर्ग किमी के इंदिरा गांधी वन्यजीव अभ्यारण्य का महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिसे पहले अन्नामलाई वन्यजीव अभ्यारण्य कहा जाता है।

अन्नामलाई वन्यजीव अभ्यारण्य, अन्नामलाई पहाड़ियों के नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व के दक्षिणी भाग में स्थित है। इसका परिदृश्य ज्यादातर घने जंगली पहाड़ियों, रोलिंग घास के मैदान, पठार और गहरी घाटियों, सदाबहार और अर्ध – सदाबहार जंगलों और पर्णपाती कवर से घिरा हुआ है। पौधों की लगभग 8,000 प्रजातियों के साथ ही प्रवासी पक्षियों की 500 प्रजातियों का बसेरा भी है। कुछ लोकप्रिय वन्यजीव जो आप यहाँ देख सकते हैं, उनमें तेंदुआ, हाथी, आलसी भालू , उड़ने वाली गिलहरी, जंगली भालू , जंगली कुत्ता आदि शामिल हैं ।

22. कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान

भारत के मध्यप्रदेश राज्य में स्थित है यह मध्यप्रदेश के मंडला बालाघाट जिले में स्थित है। कान्हा किसली नेशनल पार्क 1 जून 1955 को बनाया गया था, तथा यह मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा व प्रथम नेशनल पार्क है । कान्हा किसली नेशनल पार्क को 1974 में मध्यप्रदेश का प्रथम टाइगर रिजर्व बनाया गया। दो जिलों मंडला और बालाघाट में 940 किमी 2 कि.मी. क्षेत्र में फैला है। वर्तमान में कान्हा क्षेत्र को दो अभयारण्यों में विभाजित किया गया है।

यंहा आकर जंगल सफारी से आप जंगली जानवरों को करीब से देख सकते हैं और उनकी शानदार तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद कर सकते हैं । पार्क में रॉयल बंगाल टाइगर, भारतीय तेंदुओं, सुस्त भालू, बरसिंघा और भारतीय जंगली कुत्ते और बहुत से वन्यजीव यंहा देखने को मिलेगा।

23. पचमढ़ी वन्यजीव अभ्यारण्य

पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व एक गैर-उपयोग संरक्षण क्षेत्र है यह मध्य भारत के सतपुड़ा रेंज में स्थित है। इस संरक्षण क्षेत्र को 1999 में भारत सरकार द्वारा बनाया गया था। यूनेस्को ने 2009 में इसे बायोस्फीयर रिजर्व नामित किया था। पचमढ़ी अभ्यारण्य का क्षेत्र भी इसी बायोस्फीयर रिजर्व के अंतर्गत आताा है। इसको सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के रूप में जाना जाता है । पचमढ़ी पठार को ‘ सतपुड़ा की रानी ‘ के रूप में भी जाना जाता है , क्योंकि इसमें घाटियाँ , दलदल , नाले और झरने हैं , जिन्होने एक अद्वितीय और विविध जैव विविधता का विकास किया है। औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग की जाने वाली वनस्पतियों की 150 से अधिक प्रजातियां यहाँ मौजूद हैं

टेक्टोना ग्रैंडिस ( टीक ) और शोरिया रोबस्टा ( साल ) के पेड़ इन जंगलों में पाए जाने वाली सबसे आम और अनोखी वनस्पति प्रजातियां हैं, जो भारत में कहीं नहीं पाई जाती हैं। रिजर्व में पाए जाने वाले सबसे बड़े जंगली जानवर गौरा हैं , जो भालू , बाघ और तेंदुए , रुतुफा इंडिका इत्यादि शामिल है।

24. डाचीगम राष्ट्रीय उद्यान

श्रीनगर से लगभग 22 किमी की दूरी पर स्थित यह पार्क अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए काफी प्रसिद्ध है। इसकी स्थापना 1981 में हुई थी और यह जम्मू और कश्मीर के उच्च शीतोष्ण कटिबंध में स्थित है। दाचीगाम का मतलब है दस गांव, जो 147 स्क्वेयर किलोमीटर में फैला हुआ है और दो भागों में बंटा हुआ है ।

इस उद्यान में घूमने का सबसे अच्छा मौसम मार्च से जून के बीच होता है। पर्यटकों के लिए इस उद्यान में लॉज और रेस्ट हाउस हैं। डाचीगम राष्ट्रीय उद्यान में कई तरह के वन्स्पतियों जैसे झाड़ियां, चीड़, देवदार और ओक पाए जाते है इसके अलावा कई तरह के वन्य जीव हंगुल ( कश्मीरी हिरण ), हिम तेंदुआ, काला भालू , कस्तूरी मृग और हिमालयी मार्मोट जैसे दुर्लभ प्रजातियों का घर है। यहां पर आप कई तरह के दुर्लभ प्रजातियों को देख सकते है।

25. किश्तवार राष्ट्रीय उद्यान

किश्तवार जम्मू और कश्मीर में एक अद्वितीय स्थान रखता है। किश्तवार नेशनल पार्क 2190.50 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है जो स्तनधारियों और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों को प्राकृतिक आवास प्रदान करता है, किश्तवार राष्ट्रीय उद्यान जम्मू और कश्मीर राज्य के किश्तवाड़ जिले में स्थित एक खूबसूरत जगह है । यह प्रमुख रूप से हिम तेंदुओं की रक्षा के लिए स्थापित किया गया था जो अब धीरे-धीरे प्रकृति से गायब हो रहे हैं । यह पार्क जम्मू से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर और किश्तवाड़ शहर से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

भारत के वन्यजीव अभ्यारण्य

पार्क अपने अनोखे और समृद्ध वन्यजीव और पक्षी प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध है । वनस्पतियों में मुख्य रुप से शंकुधारी , अल्पाइन , घास के मैदान और झाड़ीदार जंगल शामिल हैं । समृद्ध वन्यजीवों में ब्राउन भालू , हिमालयन ब्लैक बियर , मस्क डियर , इबेक्स , माोर , स्नो लेपर्ड , वाइल्ड बोअर , भारल , इंडियन मुन्तिजल , सीरो और रीसस मकाक, किश्तवार हिमालयी मोनाल , कोकलस , हिमालयन नोकॉक , पश्चिमी ट्रागोपन हिमालयन जंगल कौवा , दाढ़ी वाले गिद्ध , ग्रिफ़ॉन वल्चर , पैराडाइज़ फ्लाईकैचर , गोल्डन ओरियोल , व्हाइट चीकुल बुलबुल और इंडियन मित्रह जैसी पक्षी प्रजातियों की एक आकर्षक विविधता का घर है।

26. बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान यह मध्यप्रदेश के उमरिया जिले के विंध्य पर्वत पर स्थित भारत का सबसे लोकप्रिय राष्ट्रीय उद्यान है। यह वर्ष 1968 में राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया था। इसका क्षेत्रफल 437 वर्ग किमी है । यहां शेर आसानी से देखा जा सकता है । यदि कहीं आपको नजदीक से बाघ देखना है तो यहां पहुंचे । हाथी पर बैठकर आसानी से बाघों को देखा जा सकता है। यहां का जंगल जितना खूबसूरत है उतने ही सुंदर वन्यप्राणी यहां देखने मिलते हैं। नीलगाय , चिंकारा सहित यहां 22 पशुओं और 250 पक्षियों की प्रजाति पाई जाती है।

महत्वपूर्ण शिकार प्रजातियों में चीतल, सांभर, भौंकने वाले हिरण, नीलगाय, चिंकारा, जंगली सुअर, चौसिंगा, लंगूर और रीसस मकाक शामिल हैं। उन पर निर्भर बाघ, तेंदुआ, जंगली कुत्ता, भेड़िया और सियार जैसे प्रमुख शिकारी हैं। कम शिकारियों में लोमड़ी, जंगल बिल्ली, और आम हैं। उनके अलावा , अन्य स्तनधारी मौजूद हैं, भालू भालू , साही, भारतीय पैंगोलिन, चमगादड़ के विभिन्न प्रकार के चमगादड़ फल चमगादड़, भारतीय वृक्ष हिलाना और कृन्तकों की कई अन्य प्रजातियां शामिल हैं ।

27. नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान

नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान ‘ कर्नाटक के मैसूर में स्थित है , जो विश्वभर में प्रसिद्ध है । यह राष्ट्रीय उद्यान उन जगहों में गिना जाता है , जहाँ एशियाई हाथी पाए जाते हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान को ‘ राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान ‘ के नाम से भी जाना जाता है। 1955 में स्थापित यह , शानदार झरने , सुंदर घाटियों और पतली धाराओं के शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है।

यहाँ हाथियों के बड़े – बड़े झुंड आसानी से दिखाई देते हैं। मानसून से पहले की वर्षा में यहाँ बड़ी संख्या में रंग – बिरंगे पक्षी भी दिखाई देते हैं। नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान में विभिन्न प्रकार के जीव जंतु पाए जाते हैं । यहाँ आने पर चीता , सांभर , चीतल , हाथी , भालू , जंगली सांड , तेंदुआ , हिरन और तमाम तरह के स्तनपायी जानवरों के अलावा क़रीब 250 प्रजाति के पक्षियों को निहारने का मौका मिलता है।

28. पखुई वन्यजीव अभ्यारण्य या पक्के वन्यजीव अभयारण्य

अरुणाचल प्रदेश में सैलानियों को आकर्षित करने वाले कई स्थान हैं । उंचे पर्वतों के साथ हरेभरे जंगल , रंगीन जनजातियां और उनके अनोखे सामाजिक रिवाज इस धरती को खूबसूरत बनाते हैं । यंहा की पखुई अभ्यारण्य जिसे पखुई टाइगर रिज़र्व के नाम से भी जाना जाता है , पूर्वोत्तर भारत में अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कामेंग जिले में एक प्रोजेक्ट टाइगर रिज़र्व है। पखुई टाइगर रिजर्व 862 वर्ग किलोमीटर फैला है। यह रिजर्व अरुणाचल प्रदेश में पूर्वी हिमालय की तलहटी में स्थित है।

इस क्षेत्र को वर्ष 1977 में वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप में घोषित किया गया था। बाद में इसे 2002 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रोजेक्ट टाइगर के तहत 26 वें बाघ अभयारण्य के रूप में बाघ आरक्षित घोषित किया गया था। अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ने पखुई वन्यजीव अभ्यारण्य का नाम बदलकर पक्के वन्यजीव अभ्यारण्य प्रभाग कर दिया । इस टाइगर रिज़र्व ने हॉर्नबिल नेस्ट अडॉप्शन प्रोग्राम के लिए इंडिया बायोडायवर्सिटी अवार्ड 2016 ‘ खतरे की प्रजातियों के संरक्षण ‘ की श्रेणी में जीता है ।

इस टाइगर रिजर्व में देखे जाने वाले वन्यजीवों मे बाघ, तेंदुआ , बादल तेंदुआ , जंगल बिल्ली , जंगली कुत्ता , सियार , हिमालयन काला भालू , बिंटुरोंग , हाथी , गौर , सांभर , हॉग हिरण , भौंकने वाले हिरण , जंगली सूअर , पीले गले वाले मार्टेन , मलयान । विशाल गिलहरी , उड़ने वाली गिलहरी , गिलहरी , छाया हुआ लंगूर , रीसस मकाक , असमी मैकाक , गौर इत्यादि शामिल हैं।

29. सुल्तानपुर पक्षी अभ्यारण्य

गुड़गांव जिले में दिल्ली हवाई अड्डे से लगभग 34 किलमीटर , गुड़गांव फुरख्नगर रोड पर सुल्तानपुर राष्ट्रीय पक्षी अभ्यारण्य है। ये भारत के सर्वश्रेष्ठ पक्षी अभ्यारण्यों में से एक है। यंहा देश विदेश पक्षी प्रेमी आते रहते है। यहां एक प्राचीन झील भी है । इस विशाल प्राकृतिक झील में प्रत्येक वर्ष प्रजनन के लिए पक्षियों और साइबेरिया के लगभग 100 प्रजातियां आती है। सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान के पक्षी कुछ स्थानीय पक्षी जो यहाँ पाए जाते हैं जैसे बिल बत्तख , यूरेशियन थिक नीज़ , छोटे बगुले , सफ़ेद गले वाले किंगफ़िशर , कबूतर , नीलकंठ , कॉमन हूप्स , इंडिया क्रेस्टेड लार्क्स , आदि ।

30. ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क

हिमाचल हिमाचल प्रदेश राज्य में कुल्लू क्षेत्र में स्थित राष्ट्रीय उद्यान द ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क है , जो 75,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला है । इसकी स्थापना 1984 में हुई थी। हिमालयन पर्वतमाला की गोद में बसे इस खूबसूरत राष्ट्रीय उद्यान को जरूर देखें। इस पार्क को वर्ष 1999 में ‘ राष्ट्रीय पार्क ‘ का दर्जा प्रदान किया गया था और बाद में 23 जून , 2014 को युनेस्को द्वारा इसे ‘ विश्व विरासत स्थल ‘ का दर्जा प्रदान किया गया।

यहाँ जंतुओं व पेड़ – पौधों की अनेक प्रजातियाँ पायी जाती हैं। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क संरक्षण क्षेत्र में एशियाई काले भालू , हिमालयी कस्तूरी मृग , नीली भेड़ , हिमालयी ताहर , हिम तेंदुआ , पश्चिमी ट्रैगोपान आदि अनेक जीव प्रजातियाँ पायी जाती हैं ।

31. सुन्दरवन राष्ट्रीय उद्यान

सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के दक्षिणी भाग में गंगा नदी के सुंदरवन डेल्टा क्षेत्र में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान, बाघ संरक्षित क्षेत्र एवं बायोस्फीयर रिज़र्व क्षेत्र है। सुंदरबन नेशनल पार्क देश की दो प्रमुख नदियों ब्रह्मपुत्र व गंगा से घिरा हुआ है। इस पार्क में बड़े-बड़े जंगल भी हैं, जिनमें मानव विकसित व प्राकृतिक जंगल शामिल हैं। पार्क के अंदर छोटी नदी भी है , जिसका जाल पूरे पार्क में फैला है। पार्क के अंदर स्थित जंगलों में फैले छोटे – छोटे टापू यहां आने वाले सैलानियों को रोमांचित कर देते हैं।

यह क्षेत्र मैन्ग्रोव के घने जंगलों से घिरा हुआ है और रॉयल बंगाल टाइगर का सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र है । यह विश्व का एकमात्र नदी डेल्टा है जहां बाघ पाए जाते हैं। रॉयल बंगाल टाइगर्स के साथ साथ अन्य जानवरों जैसे अक्ष हिरण , जंगली सूअर और मगरमच्छों को देखने के लिए एक प्रसिद्ध और सही जगह है । सुंदरवन में लोकप्रिय वॉच टॉवर और जंगली जानवरों को देखने के लिए एक अच्छी जगह है।

32. भगवान महावीर उद्यान ( मोल्लेम राष्ट्रीय उद्यान )

भगवान महावीर वन्यजीव अभ्यारण्य गोवा राज्य के भीतर सबसे बड़े वन्यजीव संरक्षण का खिताब रखता है। इस क्षेत्र को पहले मोलेम गेम अभ्यारण्य के रूप में जाना जाता था । इसे 1969 में वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया गया और इसका नाम बदलकर भगवान महावीर अभ्यारण्य कर दिया गया । अभ्यारण्य का मुख्य क्षेत्र , लगभग 107 वर्ग किमी भूमि को शामिल करते हुए 1978 में एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था और इसे मोलेम राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है ।

यह अभ्यारण्य पौधों, पक्षियों और पशु जीवन की एक विशाल विविधता का घर है। अभ्यारण्य में बडी मात्रा में जैव विविधता के अलावा यह प्रसिद्ध दूधसागर जलप्रपात, डेविल्स कैन्यन, ताम्बडी सुरला मंदिर , ताम्बडी फॉल्स और कई पर्यटन स्थल है।

33. नोंगरवाइलेम अभ्यारण्य

नोंगखाईलेम वन्य जीवन अभ्यारण्य मेघालय राज्य के री भोई जिले में लाईलाड ग्राम के निकट स्थित एक अभ्यारण्य है । यह पूर्वोत्तर भारत के सबसे सुन्दर एवं लोकप्रिय अभ्यारण्य में से एक है । इसका विस्तार 29 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में है और यह यहां के पर्यटक गंतव्यों में अत्यन्त प्रसिद्ध स्थान है । अभ्यारण्य को यथासंभव वास्तविक प्रकृति के करीब माना जाता है। यहां के जानवरों में बंगाल टाइगर , काला भालू , तेंदुआ और ऐसी कई प्रजातियां शामिल हैं जो विलुप्त होने की कगार पर हैं जैसे कि गर्दन वाले हॉर्नबिल और ब्राउन हॉर्नबिल पक्षी ।

34. किबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान

दुनिया में अपनी तरह का एकमात्र तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान किबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान एक विलक्षण आद्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र है। लगभग 40 वर्ग मिलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ ये राष्ट्रीय उद्यान लोकतक झीलका एक प्रमुख हिस्सा है । तक़रीबन साल 1953 के आसपास इस पार्क को संगाई हिरण की रक्षा के के रूप में जाना जाता था । लेकिन , वर्ष 1966 में इसे राष्ट्रिय अभयारण्य के रूप में घोषित किया और कुछ वर्षों बाद इसका नाम केयबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया। ये झील पर तैरता दुनिया का इकलौता फ्लोटिंग नेशनल पार्क हैं।

राष्ट्रीय उद्यान भारत के मणिपुर राज्य के सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में एक है। दुर्लभ संगई या नाचने वाले हिरणों को यहां बहुत आसानी से देखा जा सकता है। इस नेशनल पार्क को विश्व से विलुप्त होते संगाई हिरनों का आखरी प्राकृतिक घर कहा जाता है। संगाई मणिपुर का राज्य पशु भी है।

35. चंद्रप्रभा वन्यजीव अभयारण्य

चंद्रप्रभा वन्यजीव अभयारण्य , जिसे चंद्रप्रभा के नाम से भी जाना जाता है , मध्य भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के चंदौली जिले में स्थित है । विजयगढ़ और नौगढ़ नामक दो पहाडियों पर 9,600 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ है । इस अभ्यारण्य को मई , 1957 में स्थापित किया गया था।चंद्रप्रभा वन्यजीव अभयारण्य का नाम चंद्रप्रभा नदी के नाम पर पड़ा है ।

यह सुंदर पिकनिक स्थलों , घने जंगलों और राजदारी और देवदारी जैसे प्राकृतिक झरनों से संपन्न है जो हर साल पर्यटकों को इसके आसपास आकर्षित करते हैं । वर्तमान में , यहां तेंदुआ , लकड़बग्घा , भेड़िया , जंगली सुअर , नील गाय , सांभर , चिंकारा , चीतल , काले हिरण , घड़ियाल , अजगर जैसे जंगली जानवरों तथा पक्षियों की अनेक प्रजातियां देखने को मिलती हैं ।

36. बांदीपुर नेशनल पार्क

बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान को भारत के सबसे सुंदर और बेहतर रूप से प्रबंधित राष्ट्रीय उद्यानों में से एक माना जाता है। यह एक प्रमुख रूप से बाग के लिए संरक्षित किया हुआ एक टाइगर रिजर्व है जोकि टाइगर रिजर्व के नाम से भी जाना जाता है। यह लगभग 900 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। जो कि कर्नाटक राज्य में चामराजनगर जिले में मौजूद है यह मैसूर से तकरीबन 80 किलोमीटर की दूरी पर बसा है।

इस अभ्यारण्य में बाघ , तेंदुआ , हाथी , गौर , भालू , ढोल , सांबर , चीतल, काकड़, भारतीय चित्तीदार मूषक मृग तथा लोरिस पाए जाते हैं। उनके अलावा मृग हिरण, स्लॉथ बीयर, गौर , मगरमच्छ , चीतल , जंगली सूअर अजगर , ओस्प्रे , मृग , हाइना और भौंकने वाले हिरण भी पाये जाते हैं।

37. भद्रा अभ्यारण्य

भद्रा वन्य अभ्यारण्य भारत के कर्नाटक राज्य के चिकमगलूर जिले में स्थित बाघ के लिए एक संरक्षित क्षेत्र। यह बाघ संरक्षित क्षेत्र भारत की प्रोजेक्ट टाईगर नामक परियोजना के अधीन आता है। इस अभ्यारण्य का नाम इस क्षेत्र में बहने वाली भद्रा नदी के नाम पर रखा गया हैं।1951 में , इस क्षेत्र को प्राकृतिक रिज़र्व के रूप में घोषित किया गया था। साथ ही इसे जगारा घाटी खेल रिजर्व के रूप में भी मान्यता प्राप्त है । इसे अपना वर्तमान नाम 1974 में मिला और बाद में 1998 में 25 वें बाघ परियोजना के रूप में घोषित किया गया।

इसमें कई प्रकार के वन्य जीव और वृक्ष व वनस्पति संरक्षित हैं। इस अभ्यारण्य में तेंदुआ , हाथी , गौर , सांभर, बाघ , हिरण , काकड़ और साही जैसे जानवरों की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां हरा कबूतर , पन्ना कबूतर , मालाबार तोता , पहाड़ी मैना और काला कठफोड़वा जैसे पक्षियों की कई प्रजातियों को भी देख सकते हैं ।

38. सोमेश्वरा वन्यजीव अभ्यारण्य

सोमेश्वरा वन्यजीव अभ्यारण्य, कर्नाटक के उडुपी जिले में स्थित एक संरक्षित वन्यजीव अभ्यारण्य है। , इसका क्षेत्रफल 88.4 वर्ग किलोमीटर है । अभ्यारण्य को वर्ष 1974 में वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया गया था । इस अभ्यारण्य के दो अलग अलग भाग हैं। इसका नाम अभ्यारण्य के भीतर स्थित प्रसिद्ध सोमेश्वर मंदिर के प्रमुख देवता भगवान सोमेश्वर के नाम पर रखा गया है।

सोमेश्वरा वन्यजीव अभ्यारण्य में बाघ , तेंदुआ , जंगली सुअर , सांभर , चित्तीदार हिरण , जंगली कुत्ता , सियार गौर , बार्किंग डियर , लायन टेल्ड मकॉक , बोनट मकॉक और लंगूर आदि एवं सरीसृपों में किंग कोबरा , पायथन तथा मॉनिटर छिपकली पाई जाती है।

39. तुंगभद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य

तुंगभद्रा ओटर रिजर्व अभ्यारण्य , मुदलापुरा गांव से बल्लारी जिले के कम्पली तक तुंगभद्रा नदी के किनारे 34 किलोमीटर के निवास स्थान को 2016 में अधिसूचित किया गया था । इस खंड में विश्व धरोहर स्थल हम्पी भी शामिल है और कोप्पल और बल्लारी दोनों जिलों को कवर करता है। ये बहुत ही खूबसूरत वन्यजीव अभ्यारण्य है। यंहा पाए जाने वाले प्रमुख जीवो में तेंदुआ, चित्तल, काला हिरण, चौसिंगा, और विभिन्न प्रजातियों के पक्षी शामिल हैं।

40. पखाल वन्यजीव अभ्यारण्य

पाखल वन्यजीव अभ्यारण्य तेलंगाना का एक खूबसूरत वन्यजीव अभ्यारण्य है, जो यहां की पाखल झील के आसपास लगभग 860 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। पाखल लेक एक मानव निर्मित झील है , जो इस वन्य क्षेत्र को संवारने का काम करती है । इस अभ्यारण्य के आसपास फैली पहाड़ियां इस स्थल को और भी शानदार बनाने का काम करती हैं ।

यंहा की भालू , सांभर , मृग , चार सींगों वाला , नीलगाय, चीतल , ब्लैकबक , पर्वतीय गजल , जंगली सूअर , पैंथर, लकड़बग्घा , सियार , जंगली कुत्ता , साही , बाघ या तेंदुआ या जंगली में मुक्त छोड़े गए हिरणों के झुंड को देख सकता है। पाखल झील की उपस्थिति सर्दियों के दौरान कई प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करती है । जो बहुत ही सुहावने दृश्य होते हैं।

41. कावल वन्यजीव अभ्यारण्य (कवाल अभ्यारण्य)

कवाल टाइगर रिजर्व भारत के तेलंगाना राज्य में मनचेरियल व अदिलाबाद जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 1965 में हुई थी और फिर 1999 में इसे वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया गया। भारत सरकार ने 2012 में कवल वन्यजीव अभ्यारण्य को टाइगर रिज़र्व घोषित किया । रिज़र्व राज्य के उत्तरी तेलंगाना क्षेत्र का सबसे पुराना अभ्यारण्य है । यह अपने प्रचुर मात्रा में वनस्पतियों और जीवों के लिए जाना जाता है।

भारत के वन्यजीव अभ्यारण्य

यह रिजर्व गोदावरी और कदम नदियों के जलग्रहण इलाकों में पड़ता है।घना जंगल होने के कारण बाकी तमाम जानवरों का बसेरा यहां है। इसलिए यहां जंगल का रोमांच भरपूर है । अपनी विविधता के कारण यह टाइगर रिजर्व वाइल्डलाइफ फोटोग्राफरों की भी पसंद है। यहां जंगल सफारी के साथ-साथ बर्ड वाचिंग ट्रिप भी आयोजित की जाती हैं।

42. मानस वन्यजीव अभ्यारण्य

हिमालय की तलहटी में स्थित मानस राष्ट्रीय उद्यान एक खूबसूरत जगह है , जो असम राज्य के दो जिलों बोंगाईगाँव और बारपेटा में स्थित है । मानस एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल , टाइगर रिजर्व , हाथी रिजर्व , बायोस्फीयर रिजर्व , राष्ट्रीय उद्यान और एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। पार्क मानस नदी के पास स्थित है जो ब्रह्मपुत्र नदी की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है और पार्क को दो हिस्सों में विभाजित करती है।

मानस जंगली भैंसों की आबादी के लिए भी प्रसिद्ध है।हिमालय की तलहटी में एक धीमी ढलान पर , जहां जंगली पहाड़ियां , जलोढ़ घास के मैदानों और उष्णकटिबंधीय जंगलों को रास्ता देती हैं , ऐसा मानस अभयारण्य कई प्रकार की लुप्तप्राय प्रजातियों , जैसे कि बाघ, पिग्मी हॉग, भारतीय गैंडों और भारतीय हाथी सहित कई प्रकार के वन्यजीवों का निवास स्थान है।

43. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान

काजीरंगा नेशनल पार्क भारत के असम राज्य के गोलाघाट और नागांव जिले में स्थित एक बहुत ही फेमस नेशनल पार्क है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान ‘ एक सींग वाले भारतीय गैंडे का निवास है । यह राष्ट्रीय उद्यान असम का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है । उद्यान उबड़ – खाबड़ मैदानों , आदिवासियों और भयंकर दलदलों से पूर्ण कुल 430 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है । यह राष्ट्रीय उद्यान न केवल भारत में वरन् पूरे विश्व में एक सींग वाले गैंडे के लिए प्रसिद्ध है।  काजीरंगा को वर्ष 1905 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।

काजीरंगा के जल निकाय और जंगल इस पार्क को बेहद खूबसूरत बनाते हैं । जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को एक अलग ही आनंद की प्राप्ति होती है। इस राष्ट्रीय उद्यान का प्राकृतिक परिवेश वनों से युक्त है , जहाँ बड़ी एलिफेंट ग्रास , मोटे वृक्ष , दलदली स्थान और उथले तालाब हैं । एक सींग वाला गैंडा , हाथी , भारतीय भैंसा , हिरण , सांभर , भालू , बाघ , चीते , सुअर , बिल्ली , जंगली बिल्ली , हॉग बैजर , लंगूर , हुलॉक गिब्बन , भेडिया , साही , अजगर और अनेक प्रकार की चिड़ियाँ , जैसे- ‘ पेलीकन ‘ , बत्तख , कलहंस, हॉर्नबिल, आइबिस, जलकाक, अगरेट , बगुला, काली गर्दन वाले स्टॉर्क , लेसर एडजुलेंट, रिंगटेल फिशिंग ईगल आदि बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।

44. रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले में हाड़ौती के पठार के किनारे पर स्थित है । यह चंबल नदी के उत्तर और बनास नदी के दक्षिण में विशाल मैदानी भूभाग पर फैला है। यह भारत के बड़े उद्यानों में से एक है । 392 वर्ग किलोमीटर में फैले इस उद्यान में अधिक संख्या में बरगद के पेड़ दिखाई देते हैं । 1955 में , यह एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था . बाद में , 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के पहले चरण में इसको शामिल किया गया । रणथंभौर वन्यजीव अभ्यारण्य को 1980 में राष्ट्रीय पार्क का दर्जा प्रदान किया गया था

इस अभ्यारण्य को“बाघों को अभ्यारण्य”कहा जाता है। बाघों के अलावा , राष्ट्रीय पार्क में विभिन्न जंगली जानवरों , सियार , चीते , हाइना , दलदल मगरमच्छ , जंगली सुअरों और हिरण के विभिन्न किस्मों के लिए एक प्राकृतिक निवास स्थान के रूप में कार्य करता है , इसके अलावा, वहाँ जैसे जलीय वनस्पति, लिली, डकवीड और पार्क में कमल बहुतायत है।

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