सबसे ऊंचा पर्वत शिखर कौन सा है, दुनिया की 10 सबसे ऊंचा जगहों की लिस्ट

दुनिया की सबसे ऊंचा पर्वत शिखर

विश्व के सर्वोच्च पर्वतों को निर्धारित करने के लिए सन् 1808 में ब्रिटिशों ने भारत के महान त्रिकोणमितीय सर्वे को शुरु किया। सबसे पहले दक्षिणी भारत से शुरु कर, सर्वे टीम उत्तर की ओर बढ़ा और फिर दुनियाभर के सबसे ऊंचा पर्वत शिखर को दुनिया के सामने लाया। आज की इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि पहले कैसे पर्वतों के शिखर का पता लगाया और कौन कौन से पर्वत शिखर कंहा और कितने ऊंचा हैं। तो आइए देखते हैं विश्व का सबसे ऊंचा पर्वत शिखर कौन सा है, दुनिया की 10 सबसे ऊंचा जगह कौन कौन सी है?

पर्वत शिखर को कैसे मापते हैं?

आज पहाड़ो की शिखरों को मापना बहुत आसान हो गया हैं। लेकिन 1950 के दशक में कोई GPS या सेटेलाइट या कोई इमेज नही था। तो उस समय दुनिया के सबसे ऊंचा पर्वत शिखर को सही तरीके से मापने के लिएथियोडोलाइट का इस्तेमाल किया जाता था। जो विशालकाय 500 कि.ग्रा. का होता था। इस एक मापन को उठाकर ले जाने के लिए 12 आदमी लगते थें। लेकिन आजकल GPS व्यापक रूप से निर्देशांक और ऊंचाइयों, यहां तक कि पहाड़ों का निर्धारण करने के लिए उपयोग किया जाता है। लेकिन GPS एक दीर्घवृत्ताभ (Ellipsoid) के सापेक्ष एक पर्वत के शीर्ष का सटीक निर्देशांक देता है जो कि पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करने के लिए गणितीय रूप से निर्मित एक काल्पनिक सतह है।

दुनियाभर में सबसे ऊंची पर्वत चोटियों की विस्तृत जानकारी..

सबसे ऊंचा पर्वत शिखर कौन सा है, दुनिया की 10 सबसे ऊंचा जगहों की लिस्ट

पहाड़ हमेशा से ही खूबसूरत रहा हैं, लेकिन ये गगन चुम्बी पर्वत शिखर कंहा कंहा है और कितने ऊंचाई तक हैं, आइये देखे पूरी जानकारी…

1. माउंट एवरेस्ट – 8848.86 मीटर

दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत शिखर माउंट एवरेस्ट हिमालय पर्वत का वह हिस्सा है जो पृथ्वी का सर्वोच्च स्थल है। जिसकी ऊँचाई 8,848.86 मीटर है। 2020 तक जिसकी ऊँचाई 8,848 मीटर मापी गई थी। वैज्ञानिक सर्वेक्षणों में कहा जाता है कि इसकी ऊंचाई प्रतिवर्ष 2 से॰मी॰ के हिसाब से बढ़ रही है। नेपाल में स्थित माउंट एवरेस्ट को पहले इसे XV के नाम से जाना जाता था। नेपाल में इसे स्थानीय लोग सगरमाथा के नाम से जानते है जिसका अर्थ है स्वर्ग का शीर्ष और तिब्बत में इसे चोमोलंगमा अर्थात पर्वतों की रानी के नाम से जाना जाता है।

1830 से 1843 के बीच भारत के सर्वेयर जनरल रहे जार्ज एवेरेस्ट के नाम से इसका नाम रखा गया हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनिया की सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट की उत्पत्ति शायद भारतीय भू-भाग के एशियाई क्षेत्र से टकराने के बाद हुई थी। शोधकर्ताओं ने कहा कि दोनों भू-भागों के बीच अप्रत्याशित रूप से हुई टक्कर के कारण हिमालयी क्षेत्र अस्तित्व में आया और फिर इस क्षेत्र की ऊंचाई में विस्तार हुआ।

दुनिया की इस सबसे ऊंचा पर्वत शिखर पर पहली बार न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी और नेपाली मूल के भारतीय नागरिक तेनसिंह नोर्गे शेरपा चढ़े थे। माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहिला महिला जुंको ताबेई जापान से थी। भारत के हरियाणा की रहने वाली संतोष यादव पहली ऐसी महिला है जिसने ने 1992 और 1993 में लगातार मई के महीने में ही इस चोटी पर चढ़ाई कर नए कीर्तिमान बनाया हैं।

2. माउंट K-2 – 8611 मीटर

सायरन ऑफ हिमालय कहे जाने वाले माउंट K-2 जम्मू-कश्मीर क्षेत्र (पाक अधिकृत कश्मीर) में स्थित दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत शिखर हैं। जिसे गॉडविन-ऑस्टिन के नाम से भी जाना जाता है, जो भारत का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है। समुद्र तल से ऊँचाई 8,611 मीटर ऊंचा माउंट K-2 दुनिया के सबसे खतरनाक पर्वतों में गिना जाता हैं। दुनिया में एवरेस्ट के बाद दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत शिखर जो प्रायः हिमाच्छादित तथा बादलों में छिपा रहता है। इसके साइड में 30 और 40 मील लंबी हिमसरिताएँ हैं।

इस पहाड़ का नाम K-2, 1852 में ब्रिटिश सर्वेक्षक टीजी मोंटगोमेर्य ने दिया। K-2 नाम इसलिए रखा क्योंकि यह काराकोरम पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है। इसलिए K और दूसरे क्रम पर होने के कारण 2 रखा। इसका स्थानीय नाम छोगोरी हैं जिसे बाल्टिक भाषा में विशाल पहाड़ कहा जाता हैं। K-2 को इसके विकट मौसम और कठिनाइयों के चलते सेवेज माउंटेन अर्थात हिंसक पर्वत भी कहा जाता है।

3. कंचनजंघा – 8586 मीटर

भारत नेपाल सीमा पर सिक्किम के उत्तर पश्चिम भाग में  स्थित भारत का दूसरा और दुनिया का तीसरा सबसे ऊंचा पर्वत शिखर कंचनजंघा हिमालय श्रेणी में समुद्र तल से 8586 मीटर ऊंचा हैं। कंचनजंघा पर्वत शिखर पर सबसे पहले जॉर्ज बैंड, जो ब्राउन ने पहुंचकर इतिहास रचा था। कंचनजंगा पर्वत का आकार एक विशालकाय सलीब के रूप में है, जो उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में स्थित है। ये चारों अलग-अलग खड़े शिखर अपने निकटवर्ती शिखर से चार मुख्य पर्वतीय कटकों द्वारा जुड़े हुये हैं, जिनसे होकर चार ग्लेशियर बहते हैं।

कंचनजंघा को आमतौर पर कांग-छेन-दजों-गा या यांग छेन-दजो-गा लिखा जाता है। सिक्किम में इसका अर्थ विशाल हिम की पाँच निधियाँ लगाया जाता है। नेपाल में यह कुंभकरन लंगूर कहलाता है। दार्जलिंग से देखने मे कंचनजंघा पर्वत श्रेणी बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता हैं। इसी लगे कंचनजंघा राष्ट्रीय उद्यान और बायोस्फियर रिजर्व है।

4. ल्होत्से – 8516 मीटर

दुनिया का चौथा सबसे ऊंचा पर्वत शिखर ल्होत्से नेपाल में तिब्बत के सीमा के पास स्थित हैं। ल्होत्से हिमालय पर्वत में माउंट एवरेस्ट से दक्षिण घाटी से जुड़ा हुआ हैं। ल्होत्से की ऊंचाई समुद्र तल से 8,516 मीटर हैं। पहली बार इस चोटी पर फ्रिट्ज़ लचिंगर और अर्स्ट रीस ने कदम रखा था। ये चीन के तिब्बत और नेपाल के खुम्बु क्षेत्र के बीच की सीमा पर है। इस शिखर के अगल-बगल और भी कई बड़े शिखर हैं।

5. मकालू – 8462 मीटर

दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा ऊंचा पर्वत शिखर मकालू नेपाल और तिब्बत सीमा पर हिमालय पर्वतश्रेणी में स्थित समुद्र तल से 8463 मीटर ऊंचा माउंट एवरेस्ट से लगभग 23 किमी पूर्व-दक्षिणपूर्व में है। यह एक ऐसी अलग-थलग शिखर है जो एक चार मुखी पिरामिड के समान दक्षिण-पूर्व में स्थित है। मकालू नाम संस्कृत शब्द  महाकाल से लिया गया है, जो भगवान शिव का एक नाम है। तिब्बत में इसे मकारु के नाम से जाना जाता हैं।

मकालू पर्वत शिखर की खोज माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पर्वतारोहियों ने की थी, लेकिन 1954 तक इसकी खड़ी चढ़ाई वाले ग्लेशियर से ढकी ढालों पर चढ़ाने के कोशिश नहीं की गई। लेकिन पहली बार 15 मई 1955 को दो फ़्रांसीसी दल सदस्य ज्यां कोजी और लियोनल टेरे इस शिखर पर पहुँचे और दो दिन के भीतर सात और लोग ऊपर पहुँचे।

6. चो ओयू – 8201 मीटर

हिमालय की महालांगुर श्रेणियों में स्थित दुनिया की छटवी सबसे ऊंचा पर्वत शिखर चो ओयू माउंट एवरेस्ट के पश्चिम में तिब्बत-नेपाल सीमा पर समुद्र स्तर से ऊपर 8188 मीटर की ऊंचाई के साथ स्थित हैं। चो ओयू का अर्थ तिब्बती में फ़िरोज़ा देवी होता है। पहाड़ पर पहली बार 19 अक्टूबर, 1954 को एक ऑस्ट्रियाई अभियान के हर्बर्ट टिची जोसेफ जोचलर और शेरपा पासंग दावा लामा द्वारा उत्तर-पश्चिम रिज के माध्यम से चढ़ाई की गई थी।

7. धौलागिरि – 8167 मीटर

नेपाल स्थित धौलागिरी दुनिया का सातवां सबसे बड़ा ऊंचा पर्वत शिखर हैं। नेपाल में कालीगण्डकी नदी से आरम्भ होकर 120 किमी दूर स्थित भेरी नदी तक फैले इसका सर्वोच्च शिखर 8,167 मीटर हैं। पहली बार इस शिखर पर 1960 में इसमें पहली बार चढ़ाई की गई थी।धौलगिरि पर्वत उत्तर-मध्य नेपाल में हिमालय की पर्वत श्रृंखला का भाग है। धौलागिरी का नाम संस्कृत से उत्पन्न हुआ है। धवल का अर्थ श्वेत, चमकीला, सुंदर है और गिरि का अर्थ पर्वत है।

8 मनास्लु – 8156 मीटर

मनास्लु मध्योत्तर नेपाल के गोरखा जिले में स्थित दुनिया का आठवां सबसे ऊंचा पर्वत शिखर हैं। जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 8163 मीटर हैं। मनास्लु का नाम संस्कृत के मानस शब्द से आया है जिसका अर्थ हैं मन, यानी कि मन का पर्वत। पहाड़ की लंबी लकीरें और घाटी के ग्लेशियर सभी दिशाओं से व्यवहार्य दृष्टिकोण प्रदान करते हैं और एक चोटी पर समाप्त होते हैं जो दूर से बेहद खूबसूरत नजर आते हैं।

9 नंगा पर्वत – 8126 मीटर

नंगा पर्वत दुनिया की नौंवा सबसे ऊंचा पर्वत शिखर है। कातिल पहाड़ के नाम से मशहूर नंगा पर्वत की ऊंचाई समुद्र तल से 8126 मीटर हैं। सिन्धु नदी से ज़रा दक्षिण में और अस्तोर घाटी की पश्चिमी सीमा पर खड़ा हुआ यह पर्वत भारत की जम्मू-कश्मीर (पाक अधिकृत कश्मीर) में स्थित हैं। नंगा पर्वत का दूसरा नाम दियामीर भी कहा जाता हैं। सबसे पहले 1895 में अंग्रेज़ आल्पीय पर्वतारोही अल्बर्ट एफ़ मम्मेरी ने हिमनद और हिम से ढके इस पहाड़ पर चढ़ने का प्रयास किया था, लेकिन इस अभियान में उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद कम से कम 30 से भी ज्यादा अन्य पर्वतारोही (अधिकांश जर्मन नेतृत्व में) नंगा पर्वत पर ख़राब मौसम और अक्सर होने वाले हिमस्खलनों के कारण मारे गए।

10. अन्नपूर्णा – 8091 मीटर

अन्नपूर्णा पर्वतसमूह उत्तर-मध्य नेपाल के हिमालय में स्थित दुनिया का दसवां सबसे ऊंचा पर्वत शिखर हैं। 55 किलोमीटर लम्बी इस पर्वतमाला में समुद्र तल से 8091 मीटर ऊंची चोटी के अलावा 7,000 मीटर से अधिक तेरह चोटियाँ, और 6,000 मीटर से अधिक सोलह चोटियाँ शामिल है। इसके पश्चिम में काली गंडकी घाटी, उत्तर और पूर्व में मार्शयांगडी नदी और दक्षिण में पोखरा घाटी से घिरा है। इसके पश्चिमी छोर पर अन्नपूर्णा पर्वतमाला ने एक उच्च घाटी को घेरा है जिसे अन्नपूर्णा अभ्यारण्य के नाम से जाना जाता है।

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