डिजिटल करेंसी
आज की इस डिजिटल युग में हर एक चीज डिजिटल हो रहा हैं। दुनिया में डिजिटल करेंसी की धूम मची हैं। अबतक 9 देश डिजिटल करेंसी लॉन्च कर चुका है, और 16 ऐसे देश है जो जल्दी ही लॉन्च करने वाली है। ऐसे स्थिति में भारत सरकार द्वारा डिजिटल करेंसी का एलान करना एक प्रकार से डिजिटल क्रांति की शुरुआत है। भारत मे ब्लॉकचेन और अन्य तकनीकों का इस्तेमाल करके कानूनी रूप से डिजिटल करेंसी शुरू की जाएगी। अर्थात भारत में भी आएगी डिजिटल मुद्रा जिसका नाम होगा डिजिटल रुपया। तो आइए देखते है डिजिटल करेंसी क्या है?
रिजर्व बैंक जो डिजिटल करेंसी जारी करेगी वो ऑफिसियल लीगल टेंडर होगा। प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को सरकार लीगल टेंडर नहीं मानती, अगर उसे कोई संपत्ति के रूप में रखना चाहें तो रखते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल रूपए की शुरूआत से भारतीय अर्थब्यवस्था में नई उछाल आएगा। डिजिटल रुपया अधिक प्रभावी और सस्ती करेंसी प्रबंधन प्रणाली बनेगी। वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों के लिए विशेष कर प्रणाली लागू होगा।
क्या है डिजिटल करेंसी ?
डिजिटल करेंसी अर्थात डिजिटल मुद्रा, इस करेंसी को भारत में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency या CBDC) का नाम दिया गया है। सीबीडीसी ऐसी करेंसी जो पूरी तरह से डिजिटल होगी, न कि नोट या सिक्के की तरह। इसे वर्चुअल करेंसी या वर्चुअल मनी कह सकते हैं। यह आपके पर्स या हाथ में नहीं दिखेगी लेकिन काम वैसा ही होगा जैसा रुपये और सिक्के से होता है। इसे आरबीआई द्वारा जारी किया जाएगा। डिजिटल करेंसी दो तरह की होती है। पहला रिटेल डिजिटल करेंसी इसे आम लोग और कंपनियों के लिए जारी किया जाता है। वहीं दूसरा होलसेल डिजिटल करेंसी इसे वित्तीय संस्थाओं द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।
डिजिटल करेंसी के क्या फायदे है?
- इसे आप सॉवरेन करेंसी में बदल सकते हैं।
- डिजिटल करेंसी से भारत सरकार को लगभग 14 लाख करोड़ के फायदे का अनुमान हैं।
- 2030 तक 8 लाख रोजगार मिलने का अनुमान
- बिटकोईन और क्रिप्टो करेंसी से अलग सरकारी डिजिटान करेंसी होगी।
- देश मे नई डिजिटल करेंसी से विकास को गति मिलेगा।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
- डिजिटल करेंसी की व्यवस्था एक सस्ती और कुशल करेंसी सिस्टम की ओर बढ़ेगी।
ब्लॉकचेन क्या है?
ब्लॉकचेन एक ऐसा तकनीक है जिसके जरिए करेंसी ही नहीं बल्कि किसी भी चीज को डिजिटल फॉरमेट में बदलकर स्टोर कर सकते है। 1991 में स्टुअर्ट हबर और डब्ल्यू स्कॉट स्टोर्नेटो ने ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल किया था। ये प्लेटफॉर्म एक लेजर की तरह है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये एक तरह का एक्सचेंज प्रोसेस है, जो डेटा ब्लॉक पर काम करता है। इसमें हर एक ब्लॉक एक-दूसरे से कनेक्ट होते हैं जिसे हैक नहीं किया जा सकता है। इस तकनीक का उद्देश्य डॉक्यूमेंट्स को डिजिटली सुरक्षित रखना है।
ब्लॉकचेन से होने वाले फायदे
- डेटा रहेगा पूरी तरह से सुरक्षित क्योंकि ब्लॉकचेन बेस्ड सिस्टम काफी सुरक्षित है।
- ब्लॉकचैन एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन के साथ लेनदेन का एक अपरिवर्तनीय रिकॉर्ड बनाती है।
- जो धोखाधड़ी और अनधिकृत गतिविधि को रोकने में मदद करती है।
- ब्लॉकचेन पर डेटा कंप्यूटर के एक नेटवर्क में संग्रहीत किया जाता हैं, जिससे इसे हैक करना लगभग असंभव हो जाता है।
- यह लेनदेन को संसाधित करने में दक्षता पैदा करता है।
- इस तकनीक से डेटा एकत्र करने और संशोधित करने के साथ – साथ रिपोर्टिंग और ऑडिटिंग प्रक्रियाओं को आसान बनाने का काम करता है।
- ब्लॉकचेन व्यवसायों को बिचौलियों – विक्रेताओं और तीसरे पक्ष के प्रदाताओं को – समाप्त करके लागत में कटौती करने में मदद करता है।
क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल करेंसी में क्या अंतर हैं?
डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में सबसे बड़ा अंतर यह है कि डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है, जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है। इसलिए इसमें जोखिम नहीं होता है। इससे जारी करने वाले देश में खरीदारी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी एक मुक्त डिजिटल एसेट है। इसे कानूनी मान्यता नही हैं। इसकी सारी जिम्मेदारी निवेशकों की होती हैं। इसमें जोखिम ज्यादा होता हैं। क्योंकि यह किसी भी सरकार या संस्था द्वारा संचालित नही होता हैं।