भारत में पंचवर्षीय योजना | भारत में आर्थिक नियोजन

भारत में पंचवर्षीय योजना तथा भारत मे आर्थिक नियोजन

हर 5 वर्ष के लिए भारत में केंद्र सरकार द्वारा देश के लोगो के लिए आर्थिक और सामजिक विकास के लिए शुरू की जाती है पंचवर्षीय योजनायें केंद्रीकृत और एकीकृत राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम हैं। 1947 से 2017 तक, भारतीय अर्थव्यवस्था का नियोजन की अवधारणा का यह आधार था। इसे योजना आयोग और नीति आयोग द्वारा विकसित, निष्पादित और कार्यान्वित की गई पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से किया गया था।

भारत में पंचवर्षीय योजना

भारत में आर्थिक नियोजन

इस आर्टिकल की प्रमुख बातें

आर्थिक नियोजन का अर्थ संसाधनों को ध्यान में रखते हुए विकास की ऐसी रणनीति तैयार करना जिससे पूर्व निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके। भारत ने आर्थिक नियोजन का मॉडल भूतपूर्व सोवियत संघ से लिया है। यहां नीति आयोग द्वारा आर्थिक नियोजन का कार्य किया जाता है। भारत में पंचवर्षीय योजना का निर्माण नीति आयोग करता है एवं योजनाओं को अंतिम स्वीकृति राष्ट्रीय विकास परिषद देता है।

भारत में नियोजन

  • 1934 में एम विश्वेश्वरैया की अपनी पुस्तक प्लान्ड इकॉनामी फॉर इंडिया में में दस वर्षीय योजना प्रकाशित की थी।
  • 1938 में कांग्रेस ने संपूर्ण भारत के लिए एक योजना की संभावनाएं तलाशने हेतु राष्ट्रीय नियोजन समिति का गठन किया था। पं जवाहर लाल नेहरू इसके अध्यक्ष थे।
  • 1944 में मुम्बई के आठ उद्योगपतियों ने ए प्लान ऑफ इकॉनामिक डेवलपमेंट फॉर इंडिया नामक 15 वर्षीय योजना प्रस्तुत की जिसे बम्बई योजना के नाम से जाना गया इसे टाटा, बिडला आदि ने बनाया था।
  • फिर 1944 में ही गांधीवादी विचार से प्रेरित गांधीवादी योजना श्रीमन नारायण अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत की गई।
  • 1944 में श्री एम. एन. रॉय द्वारा द पिपुल्स प्लान (जन योजना) प्रस्तुत किया गया।
  • 1950 में श्री जयप्रकाश नारायण द्वारा सर्वोदय योजना प्रस्तुत की गई।

भारत में आर्थिक नियोजन के प्रमुख तत्व

भारत में नियोजन अभी तक मूलतः केंद्रीकृत ही है। योजना क्रियान्वयन के स्तर पर विकेन्द्रीकृत स्वरूप की है। समाजवादी और पूंजीवादी तत्वों का समन्वय सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को एक – दूसरे का पूरक माना गया है। भारतीय योजनाएं बहुदेशीय थी। ये आर्थिक विकास के साथ – साथ सामाजिक न्याय पर भी बल देती हैं।

भारत में आर्थिक नियोजन के उददेश्य

  • संवृद्धि- इसका अर्थ है देश में वस्तुओं और सेवाओं की उत्पादन क्षमता में वृद्धि जिससे उज्य राष्ट्रीय एवं प्रति व्यक्ति आय की प्राप्ति।
  • आधुनिकीकरण- नई प्रौद्योगिकी को अपनाना तथा सामाजिक दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना।
  • आत्मनिर्भरता – खाद्यान्न उत्पादन तथा आयात प्रतिस्थापन।
  • समानता- आय, संपत्ति की असमानता को कम करना एवं समाजवादी समाज की स्थापना करना।

 

भारत में पंचवर्षीय योजना

भारत में पंचवर्षीय योजना केंद्रीकृत और एकीकृत राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम हैं। जोसेफ स्टालिन ने 1928 में सोवियत संघ में पहली पंचवर्षीय योजना को लागू किया। अधिकांश कम्युनिस्ट राज्यों और कई पूंजीवादी देशों ने बाद में उन्हें अपनाया। भारत ने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समाजवादी प्रभाव के तहत स्वतंत्रता के तुरंत बाद भारत 1951 में अपना पहला पंचवर्षीय योजना शुरू किया। प्रथम पंचवर्षीय योजना सबसे महत्वपूर्ण थी क्योंकि स्वतंत्रता के बाद भारतीय विकास के शुभारंभ में इसकी एक बड़ी भूमिका थी।

पहली पंचवर्षीय योजना ( 1951 – 1956 )

  • कृषि सिंचाई एवं बिजली को सर्वोच्च प्राथमिकता।
  • इस योजना के अन्तर्गत 1952 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम आरंभ किया गया।
  • हैरोड डोमर विकास मॉडल पर आधारित योजना
  • वृद्धि दर का लक्ष्य 2.1 % वार्षिक प्राप्ति 3.6 %

दूसरी पंचवर्षीय योजना ( 1956 – 1961 )

  • पी.सी. महालनोबिस के विकास मॉडल पर आधारित विकास की एक ऐसी प्रणाली को बढ़ावा देने की कोशिश की गई जिससे देश में समाजवादी व्यवस्था की स्थापना हो सके।
  • तीव्र औद्योगीकरण प्रमुख उद्देश्य रखा गया।
  • इस योजना में 4.5 % के वार्षिक वृद्धि दर के लक्ष्य के विरूद्ध 4.2 % की वृद्धि दर प्राप्त की गई।

तीसरी पंचवर्षीय योजना ( 1961 – 1966 )

  • जॉन सैण्डी व सुखमय चक्रवर्ती के मॉडल पर आधारित,
  • अर्थव्यवस्था को स्वावलम्बी बनाना और स्वतः स्फूर्त अवस्था तक पहुंचाना प्रमुख उद्देश्य था।
  • खाद्यान्नों में आत्म निर्भरता प्राप्ति का उद्देश्य।
  • यह योजना उद्देश्यों को पाने में असफल रही राष्ट्रीय आय में 5.6 % के लक्ष्य के विरूद्ध केवल 2.8 % की वृद्धि दर दर्ज की गई।
  • इस योजना में चीन (1962) व पाकिस्तान (1965) से युद्ध के कारण प्राथमिकताओं का झुकाव विकास की अपेक्षा रक्षा की ओर हो गया

वार्षिक योजनाएं ( 1966 – 1969 )

इस अवधि को योजनावकाश भी कहते है, इस अवधि में तीन वार्षिक योजनाएं लायी गई तीसरी पंचवर्षीय योजना की असफलता के कारण अर्थव्यवस्था में गतिहीनता की स्थिति आ गई। 1966-67 में हरित क्रांति का आरंभ किया गया।

चौथी पंचवर्षीय योजना ( 1969 – 1974 )

  • ऐलन एस. मान्ने व अशोक रूद्र के मॉडल पर आधारित
  • स्थिरता के साथ विकास एवं आत्म – निर्भरता की प्रप्ति प्रमुख उद्देश्य बनाया गया।
  • इस योजना में 5.7 % के लक्ष्य के विरूद्ध 3.3 % की वृद्धि दर प्राप्त की गई
  • 1971 में भारत – पाक युद्ध और 1972-73 में तेल संकट के कारण वृद्धि दर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
  • 1969 में 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया।

पाँचवी पंचवर्षीय योजना ( 1974 – 1979 )

  • इस योजना के प्रारूपकर्ता डी. पी. घर थे
  • इस योजना में आत्मनिर्भरता एवं गरीबी के नीचे रहने वालों का उपभोग स्तर बढ़ाना था आर्थिक स्थिरता एवं रोजगार संवर्द्धन भी मुख्य उद्देश्यों में थे ।
  • पांचवीं पंचवर्षीय योजना में 44 प्रतिशत के लक्ष्य के विरुद्ध 47 प्रतिशत की वृद्धि दर प्राप्त की गई,
  • इस योजना को जनता पार्टी सरकार द्वारा 1978 में ( निर्धारित समय से एक वर्ष पूर्व ) ही समाप्त घोषित कर दिया गया था।

अनवरत योजना

अनवरत योजना ऐसी योजना थी जिसकी योजना अवधि समाप्त नहीं होती थी। अनवरत योजना को जनता पार्टी सरकार द्वारा 1978-1980 में व्यवहार में लाया गया था।

छठी पंचवर्षीय योजना ( 1980 – 1985 )

  • इस योजना को 15 वर्ष की अवधि को ध्यान में रख कर बनाया गया था जिसे दृष्टि नियोजन कहते हैं।
  • योजना का सर्वप्रमुख उद्देश्य गरीबी दूर करना था। एक ही साथ कृषि और उद्योग दोनों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर जोर इस योजना में आधुनिकीकरण जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण एवं रोजगार सृजन पर बल दिया गया।
  • इस योजना में 52 प्रतिशत के लक्ष्य के विरूद्ध 57 प्रतिशत की वृद्धि दर प्राप्त की गई।
  • बंद अर्थव्यवस्था की अवधारणा पर आधारित योजना।

सातवी पंचवर्षीय योजना ( 1985 – 1990 )

  • इस योजना में दीर्घकालिक विकास युक्तियों और उदारीकरण पर बल दिया गया।
  • आधुनिकीकरण एक प्रमुख उद्देश्य ऊर्जा का विकास, खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि जीवन स्तर में सुधार पर बल साथ ही गरीबी और बेरोजगारी उन्मूलन के कार्यक्रमों पर विशेष बल दिया गया जवाहर रोजगार योजना की शुरूआत।
  • इस योजना में पहली बार विनियोजन में सार्वजनिक क्षेत्र का हिस्सा निजी क्षेत्र से कम था।
  • इस योजना में 5 % लक्ष्य के विरूद्ध 5.8 % की वृद्धि दर प्राप्त की गई

वार्षिक योजनाएं ( 1990 – 1992 )

इस अवधि दो वार्षिक योजनाऐं लागू की गई जुलाई, 1991 में नई औद्योगिक नीति और अर्थव्यवस्था के उदारीकरण की घोषणा की गई। 1991 में भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन किया गया।

आठवी पंचवर्षीय योजना ( 1992 – 1997 )

  • जॉन डब्ल्यू, मिलर के उदारीकृत अर्थव्यवस्था के मॉडल पर आधारित थी
  • मानव संसाधन विकास प्रमुख उद्देश्य
  • निर्यात प्रोत्साहन पर विशेष बल
  • इस योजना में 5.6 प्रतिशत के लक्ष्य के विरूद्ध 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर प्राप्त की गई।

नौवी पंचवर्षीय योजना ( 1997 – 2002 )

इस योजना का नारा था न्यायपूर्ण वितरण और समानता के साथ विकास इसमें सात बुनियादी न्यूनतम सेवाओं पर बल देना तय हुआ था- शुद्ध पेयजल, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा, सबके लिए प्राथमिक शिक्षा, गरीबों के लिए घर बच्चों के लिए पोषक आहार सभी गांवों और बस्तियों के लिए सड़क तथा सार्वजनिक वितरण व्यवस्था को बेहतर बनाना। इस योजना चार बिंदुओं पर विशेष बल दिया गया था –

  • जीवन की गुणवत्ता
  • रोजगार सृजन
  • क्षेत्रीय असन्तुलन में कमी
  • आत्मनिर्भरता

इस योजना में 6.5 % के लक्ष्य के विरूद्ध 5.5 % की वृद्धि दर प्राप्त की गई।

दसवी पंचवर्षीय योजना ( 2002 – 2007 )

  • इस योजना के विकास कार्य – नीति में एक सुदृढ़ और गतिमान निजी क्षेत्र के आविर्भाव, अवसंरचना विकास की आवश्यकता, और राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों में अधिक लचीलापन प्रदान करने पर बल दिया गया।
  • दसवीं योजना में रोजगार के पांच करोड़ अवसर सृजित करने का लक्ष्य तय किया गया।
  • इस योजना में वृद्धि दर का लक्ष्य 8 % निर्धारित था।
  • 10 वीं पंचवर्षीय योजना में हासिल सकल घरेलू उत्पाद में 78 % की औसत वृद्धि अब तक की किसी भी योजना में सबसे अधिक है इस वृद्धि की एक उल्लेखनीय विशिष्टता विनिर्माण क्षेत्र का पुनरूत्थान था जो 8.6 % रही जबकि कृषि क्षेत्र की वृद्धि 2.5 % थी।

ग्यारहवी पंचवर्षीय योजना ( 2007 – 2012 )

  • योजनावधि- 1 अप्रैल, 2007 से 31 मार्च 2012
  • अधिक तेज और अधिक समावेशी विकास- इसका शीर्षक है।
  • प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 11 वीं योजना को भारत की शैक्षिक योजना ” की संज्ञा दी है,
  • योजना परिव्यय – 3644718 करोड़ रूपए
  • केन्द्र की भागीदारी – 2156 करोड़ रूपए
  • राज्य की भागीदारी – 1488147 करोड़ रूपए

बारहवी पंचवर्षीय योजना ( 2012 – 2017 )

योजना का थीम तेज, टिकाऊ और ज्यादा समावेशी विकास है। इस योजना में स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास, पर्यावरण प्राकृतिक संसाधन और अवसंरचना के विकास पर जोर रहेगा। दृष्टि पत्र में निर्धारित महत्वपूर्ण वार्षिक लक्ष्य निम्न हैं-

  • सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि 8 % प्रतिशत
  • कृषि क्षेत्र में वृद्धि 4 %
  • उद्योग क्षेत्र में वृद्धि 8 %
  • सेवा क्षेत्र में वृद्धि 9 %

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