साइकिल का आविष्कार, इसके फायदे और इससे जुड़े रोचक बातें

साइकिल का आविष्कार, इसके फायदे और इससे जुड़े रोचक बातें

क्या आप जानते है कि एक साइकिल का हमारे जीवन में कितना महत्व हैं, कैसे ये इस दुनिया मे आया, साइकिल का आविष्कार किसने किया था, इसके फायदे क्या क्या है, क्यों विश्व सायकिल दिवस मनाया जाता है, इससे जुड़े रोचक बातें कौन कान सी है? अगर आप भी इन बातों को नही जानते है तो इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े। आप भी समझ जायेंगे की कैसे ये हमारे जीवन का एक जरुरी संसाधन हैं।

साइकिल को हम जिंदगी का सबसे पहला एडवेंचर कह सकते हैं। गिरते-पड़ते हम साइकिल चलाना सीखते हैं। उम्र के अनुसार साइकिल का भी अलग-अलग महत्व है। बचपन में साइकिल शौकिया तौर पर चलाते हैं, फिर धीरे – धीरे साइकिल का उपयोग स्कूल जाने के लिए करते हैं, तो कई लोग साइकिल से अपने काम पर जाते हैं। लेकिन वक्त के साथ साइकिल की उपयोगिता भी बदल गई और महत्व भी बदल गया।

एक वक्त था जब साइकिल को परिवार में साधन का हिस्सा माना जाता था लेकिन अब यह सिर्फ एक्सरसाइज के तौर पर प्रयोग की जाती है। साइकिल का दौर 1960 से लेकर 1990 तक काफी अच्छा चला है। इसके बाद समय परिवर्तित होता गया। आज एक्सरसाइज के साथ ही साइकिल का उपयोग एक एथलेटिक्स द्वारा भी किया जाता है।

साइकिल आविष्कार

साइकिल, एक मानव-चालित या मोटर-चालित, पैडल-चालित, एकल-ट्रैक वाहन है, जिसमें दो पहिए एक फ्रेम से जुड़े होते हैं, एक के पीछे एक। साइकिल सवार को साइकिल चालक कहा जाता है।

साइकिल का आविष्कार और उनसे जुड़ी रोचक बातें

साइकिल की शुरुआत कब से हुआ?

19 वीं शताब्दी में यूरोप में साइकिल की शुरुआत की गई थी, और 21 वीं सदी की शुरुआत में, एक समय में 1 अरब से अधिक अस्तित्व में थे। ये संख्या कारों की संख्या से अधिक है।

यूरोपीय देशों में बाइसिकिल के प्रयोग का विचार लोगों के दिमाग में 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ही आ चुका था, लेकिन इसे मूर्तरूप सर्वप्रथम सन् 1816 में पेरिस के एक कारीगर ने दिया। उस यंत्र को हॉबी हॉर्स, अर्थात काठ का घोड़ा, कहते थे। पैर से घुमाए जानेवाले क्रैंकों (पैडल) युक्त पहिए का आविष्कार सन् 1865 ई. में पैरिस निवासी लालेमें (Lallement) ने किया। इस यंत्र को वेलॉसिपीड (velociped) कहते थे। इसपर चढ़नेवाले को बेहद थकावट हो जाती थी। अत: इसे हाड़तोड (bone shaker) भी कहने लगे।

इसकी सवारी, लोकप्रिय हो जाने के कारण, इसकी बढ़ती माँग को देखकर इंग्लैंड, फ्रांस और अमेरिका के यंत्रनिर्माताओं ने इसमें अनेक महत्वपूर्ण सुधार कर सन् 1872 में एक सुंदर रूप दे दिया, जिसमें लोहे की पतली पट्टी के तानयुक्त पहिए लगाए गए थे। इसमें आगे का पहिया 30 इंच से लेकर 64 इंच व्यास तक और पीछे का पहिया लगभग 12 इंच व्यास का होता था। इसमें क्रैंकों के अतिरिक्त गोली के वेयरिंग और ब्रेक भी लगाए गए थे। इस प्रकार सायकिल का आधुनिकरण होने लगा।

साइकिल का आविष्कार किसने और कब किया?

ऐसा माना जाता है कि 1817 में जर्मनी के बैरन फ़ॉन ड्रेविस ने साइकिल की रूपरेखा तैयार की। यह लकड़ी की बनी साइकिल थी तथा इसका नाम ड्रेसियेन रखा गया था। उस समय इस साइकिल की गति 15 किलो मीटर प्रति घंटा थी। इसका अल्प प्रयोग 1830 से 1842 के बीच हुआ था।

इसके बाद मैकमिलन ने बिना पैरों से घसीटे चलाये जा सकने वाले यंत्र की खोज की जिसे उन्होंने वेलोसिपीड का नाम दिया था। 1839 में स्कॉटलैंड के एक लुहार किर्कपैट्रिक मैकमिलन द्वारा आधुनिक साइकिल का आविष्कार होने से पूर्व यह अस्तित्व में तो थी पर इस पर बैठकर जमीन को पांव से पीछे की ओर धकेलकर आगे की तरफ़ बढ़ा जाता था। मैकमिलन ने इसमें पहिये को पैरों से चला सकने योग्य व्यवस्था की। पर अब ऐसा भी माना जाने लगा है कि इससे बहुत पूर्व 1763 में ही फ्रांस के पियरे लैलमेंट ने इसकी खोज की थी।

भारत में साइकिल का आविष्कार

भारत में भी साइकिल के पहियों ने आर्थिक तरक्की में अहम भूमिका निभाई। 1947 में आजादी के बाद अगले कई दशक तक देश में साइकिल यातायात व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा रही। खासतौर पर 1960 से लेकर 1990 तक भारत में ज्यादातर परिवारों के पास साइकिल थी। साइकिल का आविष्कार व्यक्तिगत यातायात का सबसे ताकतवर और किफायती साधन था। गांवों में किसान साप्ताहिक मंडियों तक सब्जी और दूसरी फसलों को साइकिल से ही ले जाते थे। दूध की सप्लाई गांवों से पास से कस्बाई बाजारों तक साइकिल के जरिये ही होती थी। डाक विभाग का तो पूरा तंत्र ही साइकिल के बूते चलता था। आज भी पोस्टमैन साइकिल से चिट्ठियां बांटते हैं।

जमाना बदला, लेकिन साइकिल की अहमियत यहां भी खत्म नहीं हुई। 1990 में देश में उदारीकरण की शुरुआत हुई और तेज आर्थिक बदलाव का सिलसिला शुरू हुआ। देश की युवा पीढ़ी को मोटरसाइकिल की सवारी ज्यादा भाने लगी। 1990 से पहले जो भूमिका साइकिल की थी, उसकी जगह गांवों और शहरों में मोटरसाइकिल ने ले ली। इसके बावजूद भारत में साइकिल की अहमियत खत्म नहीं हुई है। शायद यही वजह है कि चीन के बाद दुनिया में आज भी सबसे ज्यादा साइकिल भारत में बनती हैं।

साइकिल चलाने के फायदे

साइकिल चलाने से न केवल आपको बचपन की यादों से जुड़े रहने में मदद मिलती है, बल्कि इसके ढेरों स्वास्थ्य लाभ भी हैं। साइकिल चलाना ना आपके शारीरिक बल्कि इसके साथ-साथ आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है। साइकिल चलाने से मस्तिष्क स्वास्थ्य, मूड अच्छा रहता है और ऊर्जा के स्तर में भी सुधार होता है। यह मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए टॉप एक्टिविटीज में से एक है। आइए सायकिल चलाने के कुछ फायदे को जानते हैं।

  • वजन कम करने में मदद करता है, साइकिल चलाना आपको अतिरिक्त कैलोरी बर्न करने और स्वस्थ वजन प्रबंधन को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकता है।
  • फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है, साइकिल चलाने से सांस लेने की गति तेज हो जाती है, जिससे आपके फेफड़ों में अधिक ऑक्सीजन पहुंचती है।
  • उच्च रक्तचाप को रोकने के लिए साइकिलिंग एक उपचार के रूप में काम कर सकती है।
  • कम प्रभाव वाली गतिविधि कमजोर या टूटे हुए जोड़ों वाले वरिष्ठ नागरिकों और अन्य लोगों के लिए, यह एक सुरक्षित व्यायाम विकल्प प्रदान करता है।
  • साइकिल चलाने से दिल की सेहत को बढ़ाया जा सकता है।
  • साइकिल चलाना एक आरामदायक शारीरिक गतिविधि है।
  • साइकिल चलाना काफी आसान गतिविधि है। यह वजन घटाने में मदद करता है यह वजन प्रबंधन और मोटापे के लिए प्रभावी है।
  • साइकिलिंग से सुबह को बेहतर बनाया जा सकता है।
  • साइकिल चलाने से शरीर और मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • साइकिल चलाने से आपके पैर मजबूत होंगे।
  • साइकिलिंग के दौरान लगातार पैरों से ही पैडलिंग की जाती है इस दौरान पैर ऊपर से नीचे की तरफ एक सर्कल में गतिविधि करता है। इससे पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती है।
  • साइकिलिंग सहनशक्ति के निर्माण के लिए उपयुक्त है।
  • साइकिल चलाने से हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है।
  • डॉक्टर्स के मुताबिक साइकिल चलाने वाले को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम हो सकता है। इसके अलावा आपको बाउल कैंसर का भी खतरा कम हो सकता है।
  • साइकिल चलाने के दौरान एरोबिक व्यायाम की गतिविधियां होती है। ये गतिविधियां मन की स्थिति में बदलाव लाकर मस्तिष्क में खून का प्रभाव बेहतर बना सकती है, जो तनाव की प्रक्रिया को कम कर सकते हैं। इससे डिप्रेशन और चिंता के लक्षण भी कम करने में मदद मिल सकती

सबसे आखिरी और जरूरी बात ये है कि साइकिल चलाने से आपका इंधन बचता है इससे आपकी जेब पर भी कम असर पड़ता है और वातावरण भी ठीक रहता है। आजकल लोग थोड़ी दूरी तय करने के लिए भी गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं ऐसा आपको नहीं करना चाहिए अगर आप आसपास की जगह जा रहे हैं तो साइकिल का इस्तेमाल करें।

विश्व साइकिल दिवस

3 जून को दुनियाभर में विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। अप्रैल 2018 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 जून को विश्व साइकिल दिवस के रूप में घोषित किया। तब से सतत विकास को बढ़ावा देने के साधन के रूप में साइकिल के उपयोग को आगे बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल 3 जून को विश्व साइकिल दिवस (World Bicycle Day) मनाया जाता है।

विश्व साइकिल दिवस मनाने के पीछे कई उद्देश्य और फायदे हैं। साइकिल हमारे पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं तो वहीं साइकिल चलाना सेहत के लिए भी लाभकारी है। इसका मुख्य उद्देश्य साइकिल चलाने से स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाना है। रोजाना साइकिल चलाने से शरीर फिट और तंदुरुस्त रहता है और बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। ऐसे में साइकिल का हमारे जीवन में अहम स्थान है।

साइकिल का आविष्कार से जुड़े कुछ और रोचक बातें

साइकिल की शुद्ध हिंदी क्या कहते है?

जिस साइकिल को हम बचपन से चलाते आ रहे हैं उसे हिंदी में ‘द्विचक्र वाहिनी’ कहते हैं। दरअसल, साइकिल में दो पहिए होते हैं और इसकी वजह से इसे ‘द्विचक्र वाहिनी’ कहा जाता है। कई बार क्षेत्रीय भाषा में साइकिल को ‘पैरगाड़ी’ भी कह देते हैं क्योंकि इसे पैरों से चलाया जाता है।

भारत में कितने साइकिल ब्रांड हैं?

वर्तमान में, बाजार में 2729 साइकिल मॉडल के साथ भारत में 57 साइकिल निर्माता हैं। भारत में साइकिल बेचने वाले प्रमुख ब्रांड हरक्यूलिस, हीरो, फायरफॉक्स, एटलस, एवन हैं। और भारत में कुछ लोकप्रिय साइकिल हैं मोंट्रा डाउनटाउन, मोंट्रा ट्रान्स प्रो, ट्रेक मार्लिन 5, फायरफॉक्स रैपिड, वॉल्टक्स ट्रेल 27.5।

सबसे महंगा साइकिल कौन सा है?

ह्यूग पावर की 24k गोल्ड एक्सट्रीम माउंटेन साइकिल महंगे होने के मामले में पहले स्थान पर है। यह दुनिया की सबसे महंगी साइकिल है। इसकी कीमत करीब 7 करोड़ रुपये है। इस साइकिल को बेवर्ली हिल्स और फैट साइकिल के रूप में भी जाना जाता है।

पहली साइकिल को क्या कहा जाता था?

स्विफ्टवॉकर्स। जर्मन आविष्कारक कार्ल वॉन ड्रैस को पहली साइकिल विकसित करने का श्रेय दिया जाता है। उनकी मशीन, जिसे “स्विफ्टवॉकर” के रूप में जाना जाता है, 1817 में सड़क पर आ गई। इस शुरुआती साइकिल में पैडल नहीं थे, और इसका फ्रेम लकड़ी का बीम था।

दुनिया में सबसे तेज साइकिल कौनसा है?

जापान के फुकुकोआ शहर में छात्रों ने एक ऐसी साइकिल बनाई है जो हवा से चलती है. इसकी अधिकतम रफ्तार 64 किलोमीटर प्रति घंटा है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने इसे कंप्रेस्ड हवा से चलने वाली दुनिया में सबसे तेज साइकिल का सर्टिफिकेट दिया है।

विश्व मे सबसे तेज सायकिल चलाने वाला आदमी कौन है

साइकिल चलाने की उच्चतम औसत रफ्तार रही 280 किलोमीटर प्रतिघंटा है, ये रफ्तार एक कस्टम की हुई साइकिल पर पैडल मारकर कैंपबेल ने रफ्तार का ये रिकॉर्ड बनाकर दुनिया में सबसे तेज़ साइकिल चलाने वाले आदमी (Fastest Male Cyclist) होने की उपलब्धि हासिल की।

दुनिया की सबसे अच्छी साइकिल कंपनी कौन सी है?

Schwinn दुनिया का सबसे अच्छा साइकिल ब्रांड है, और इसमें रेट्रो डिज़ाइन और आरामदायक सीटों जैसी प्रीमियम सुविधाएँ हैं, और सवार लंबी दूरी तक आसानी से सवारी कर सकते हैं।

देश-विदेश में सायकिल के प्रयोग को लेकर पहल

  • साइकिल खरीदने पर टैक्स में भारी छूट दी जाती है।
  • इंग्लैंड और बेल्जियम की सड़कों पर बड़ी संख्या में सायकिल का इस्तेमाल करते है।
  • नीदरलैंड में साइकिल से ऑफिस जाने पर कई कंपनियों की ओर से अलग से पैसे दिए जाते हैं।
  • यूरोप के कई देशों में भी साइकिल टू वर्क स्कीम लागू है। यह ऑफिस के लिए साइकिल के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए है।

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