एक्सरसाइज कैसे करे | योग की शुरुआत कैसे करे | योग करने का तरीका

एक्सरसाइज कैसे करे देखे विस्तृत जानकारी

दोस्तों आज Internet का जमाना हैं तो जाहिर सी बात है की सभी अपनी समस्या को दूर करने के लिए Internet का ही सहारा लेते हैं। वैसे तो गूगल पर बहुत से ऐसे website है जंहा आपको एक्सरसाइज के बहुत से तरीके बताते हैं। और कुछ वेबसाइट में एक्सरसाइज के लिए कुछ अच्छे पोस्ट भी होते हैं। लेकिन हम आपको एक्सरसाइज के कुछ बेसिक नॉलेज के बारे में बता रहे हैं, जो आपको एक्सरसाइज करने में काफी हद तक मदद करेगी। तो आइए देखते हैं एक्सरसाइज कैसे करे? योग की शुरुआत कैसे करे?

योगा से शरीर को स्वस्थ कैसे रखे? एक्सरसाइज कैसे करे?

एक्सरसाइज कैसे करे

आज के समय में महिलाए मल्टीटास्किंग है। वे घर-परिवार से लेकर बाहर की दुनिया में भी अपनी success के परचम लहरा रही है। लेकिन इन सब के बिच जिस चीज की सबसे ज्यादा अनदेखी होती है वह है उनकी अपनी सेहत। अगर आप भी समय के अभाव के चलते खुद की सेहत के साथ समझौता कर रही है तो अब ऐसा करने की आवश्यकता नहीं है। कुछ एक्सरसाइजको महज दस से 15 मिनट करके खुद को हमेशा चुस्त और दुरुस्त रख सकती है।

योग क्या है 

अर्थ –  योग एक विज्ञान के साथ वह जीवन शैली एवं पद्धति है, जिससे मनुष्य निरोग स्वस्थ, सुन्दर, पवित्र और सक्षम रहता हुआ, जीवन पर्यन्त सुख और आनंद का अनुभव करते हुए उच्चशिखर को प्राप्त कर सकता है। योग सत्यं शिवं सुन्दरम् की प्रखर अभिव्यक्ति है अतः ईश्वर के प्रति पूर्ण आस्था, विश्वास एवं आत्मसर्मपण का ही नाम योग है। योग शब्द ‘यूज’ धातु से बना जिसका अर्थ होता हैं जोड़ना। जीवात्मा का परमात्मा से मिल जाना ही योग हैं

योगा क्यो करना चाहिए ?

आज मनुष्य नैतिकता की दौड़ में यंत्रवत हो गया है। उसका आध्यात्मिक विकास अवरूद्ध सा हो गया है। अर्थ प्राप्ति की भागमभाग में, संवेदनशीलता लुप्तप्राय हो गई है। शाश्वत जीवन मूल्य जीवन से दूर हो चुके हैं। अतएव भौतिकता और आध्यात्मिकता का सामंजस्य आवश्यक हो गया है और इसके लिए एक मात्र योग ही वह सुगम पथ है, जिसके माध्यम से इस उद्देश्य की प्राप्ति की जा सकती है ।

योग की शुरुआत कैसे करे? एक्सरसाइज कैसे करे ?

भले ही आपके पास समय कितना भी कम हो लेकिन हमेशा एक्सरसाइज से पहले दो-तीन मिनट तक वार्मअप अवश्य करे। यह शरीर को एक्सरसाइज के लिए तैयार करेगा। इसके लिए फल बॉडी स्ट्रेच करना अच्छा विचार हो सकता है। इसके अभ्यास के लिए पहले सीधे कड़े हो जाए। इस दौरान कमर व गर्दन को सीधा रखे। अब हाथ को सिर के ऊपर करे और सांस लेते है धीरे -धीरे पुरे शरीर को खींचे। कुछ समय के लिए ऐसी अवस्था में रखे। फिर छोड़ते हुए धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में लौट आए।

खेलकूद से शरीर को कैसे स्वस्थ रखे।

बचपन में रस्सी कूदना और दौड़ लगाना बेशक हमारे लिए खेल होते हो लेकिन बड़े होने पर ये खेल ही हमें फिट रखने में मदद करते है। हल्की-फुल्की exercise भी शरीर को तंदरुस्त रखती है।

स्सी कूदना तो हर लड़की को बचपन से ही पसंद होता है। अब ऐसे अपने वर्कआउट का हिस्सा बनाए। रस्सी कूदने से शरीर के हर अग का व्यायाम हो जाता है और फिर आपको अन्य किसी एक्सरसाइज को करने की आवश्यकता नहीं। प्रतिदिन महज पांच से दस मिंट तक रूप जंपिंग करने से हर बीमारी को खुद से दूर रख सकती है। जिनका वजन ज्यादा है उन्हें भी इस exercise से काफी फायदा मिलता है। कुछ ही दिनों  आपके पेट का आकर कम होने लगेगा।

योग करने के लिए कौन कौन से बातो का ध्यान रखना चाहिए।

  • योगासन करने से पूर्व शौच, स्नान आदि से निवृत्त हो जाएँ। 
  • प्रातःकाल योगासन करना अधिक लाभकारी है। 
  • योगासन करने के तुरन्त बाद स्नान नहीं करना चाहिए। पसीना को पंखे से न सुखाएँ, शरीर का ताप सामान्य होने पर स्नान करें। 
  • योगासन के आधा घंटा पश्चात दूध, दलिया, फल या अंकुरित अनाज थोड़ी मात्रा में अवश्य लेना चाहिए। 
  • आसन एकान्त तथा धूल, मिट्टी व धुआ रहित स्थान पर किया जाना चाहिए। घर की छत पार्क, नदी के किनारे अथवा ऐसे खुले स्थान पर करना चाहिए जहाँ शुद्ध हवा आती जाती हो। 
  • अधिक ठंड में योगासन खुले कमरे में करें। 
  • आसन करते समय शरीर पर वस्त्र कम से कम और ढीले होने चाहिए।
  • समतल भूमि पर गरम कंबल मोटी दरी बिछाकर ही आसन करें। खुली भूमि पर बिना कुछ बिछाकर आसन कभी न करें, जिससे शरीर में निर्मित होने वाला विद्युत प्रवाह नष्ट न हो जाए।

इसे भी पढ़े – Office का तनाव कैसे कम करे, office में बिना तनाव के काम कैसे करे

  • श्वास मुँह से न लेकर नाक से ही लेना चाहिए।
  • आसन करते समय शरीर के साथ जबरदस्ती न करें, अतः धैर्य पूर्वक आसन करें। 
  • आसन के पूर्व थोड़ा ताजा जल पीना लाभदायक है। आक्सीजन और हाइड्रोजन में विभाजित होकर संधि स्थानों का मल निकालने में जल बहुत सहायक होता है। 
  • हमेशा आसन की स्थिति में श्वासप्रश्वास का विशेष ध्यान रखें।
  • आसन करते समय शरीर में जिस स्थान पर खिंचाव पड़ रहा हो, कष्ट होने लगे या पीडा का अनुभव हो तो उस अभ्यास को तुरन्त बंद कर देना चाहिए। 
  • आसन जितने समय तक सरलता से कर सकें उतने समय तक ही करें। 
  • हमेशा आसन नियमित तथा एकाग्रचिन्त होकर प्रसन्न मुद्रा में करना चाहिए। आसन में प्रतिस्पर्धा नहीं करना चाहिए। 
  • भोजन के चार घंटे बाद ही आसन किया जा सकता है।

इन बातो का रखे ध्यान

कबि भी खाना खाने के तुरंत बाद exercise न करे, न ही व्यायाम के तुरंत बाद हैवी भोजन करे। अपना रूटीन कुछ इस तरह सेट करे की भोजन और exercise के बिच दो घंटे का गैप अवश्य हो। जब भी व्यायाम करे तो अंत में रिलैक्स exercise अवश्य करे। जिस तरह किसी चीज की शुरुआत सही तरिके से जरूरी है उसी तरह अंत भी। इसलिए व्यायाम के दौरान शुरुआती दो-तीन मिनट वार्मअप, दस मिनट exercise व अंतिम पांच मिनट रिलैक्स होने में लगाए।

योग से आत्मज्ञान की प्राप्ति कैसे होती है।

योग के द्वारा विभिन्न दशाओं को पार करता हुआ व्यक्ति मन और आत्मशक्ति का विकास करता हुआ आत्मज्ञान को प्राप्त होता है। हमारे ऋषि – मुनियों ने योग के द्वारा शरीर मन और प्राण की शुद्धि तथा परमात्मा की प्राप्ति के लिए आठ प्रकार के साधन बतलाए हैं, जिसे अष्टॉग योग कहते है। ये हैं यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रात्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। 

  • यम- सामाजिक व्यवहार में आने वाले नियमों को यम कहते हैं। जैसे किसी को न सताना, यातना न देना, लोभ लालच न करना, चोरी, डकैती न करना अर्थात् कोई ऐसा कार्य न करना जिससे मानव समाज के किसी भी अंग का अहित होता है।  
  • नियम- इसका संबंध आपके अपने चरित्र से है । व्यक्तिगत चरित्र स्वच्छ और उत्तम होना चाहिये । जब आपका अपना चरित्र ठीक होगा तो आप समाज के एक श्रेष्ठ अग बन जायेंगे । श्रेष्ठ समाज उत्तम व्यक्तियों से ही मिलकर बनता है । 
  • आसन- शरीर के विभिन्न अंगों के विकास के लिये जो यौगिक क्रियाएँ की जाती हैं । उन्हें आसन कहा जाता है । 

इसे भी पढ़े – runnig कैसे करे, running कैसे शुरू करे, running से body कैसे बनाये

  • प्राणायाम- यूं तो प्राण विज्ञान बहुत व्यापक विषय है , परन्तु इसके अनेक अंगों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है  प्राण + आयाम अर्थात् प्राणों का आयाम। प्राण वायु को सन्तुलित रूप से लेना। नियमित रूप से गहरी और लंबी साँस लेना। प्राण पर सदैव ध्यान रखना । 
  • प्रत्याहार- किसी भी वस्तु में लिप्त न होना यानी “ पदमपत्रमिवाम्भसा ” “ जल में जैसे कमल है रहता जग में वैसे रहना ‘ पर वह जल में गीला नहीं होता उसी प्रकार रहना । संसार में आसक्ति अनासक्तभाव से रहना प्रत्याहार है।
  • धारणा- अपने मन को एकाग्र करना या एकाग्रचित होना ही धारणा है । यह बहुत बड़ी बात है और जीवन में सफलता की कुंजी है । 
  • ध्यान- प्रभु का चिन्तन करना और उसके स्मरण में चित को लगाना ध्यान कहलाता है । 
  • समाधि- समाधि लग जाने पर मनुष्य के अन्तर में स्वतः ही प्रकाश दिखने लगता है ।   

इन आठों प्रक्रियाओं से मानसिक आध्यात्मिक और शरीरिक विकास होता हैं। और आपका शरीर स्वस्थ होगा। उसके विकार दूर होंगें आपका मन स्वच्छ होगा और आप एक आदर्श व्यक्ति कहलाएँगे। दोस्तो उम्मीद हैं कि एक्सरसाइज कैसे करे पोस्ट से आपको कुछ हेल्प मिला हो, तो जरूर अपने दोस्तों के साथ भी इस पोस्ट को शेयर करे और हमे कमेंट में बताए कि आपको कैसा लगा।

अपनी प्रतिक्रिया दें !

Scroll to Top