जीवन क्या है | जीवन का उद्देश्य क्या हैं | जीवन का परिभाषा

जीवन क्या है ? जीवन की परिभाषा

लाइफ अर्थात जीवन हमारे जन्म से मृत्यु के बीच की कालावधि ही जीवन कहलाती है, जो की हमें ईश्वर द्वारा दिया गया एक वरदान है। लेकिन हमारा जन्म क्या हमारी इच्छा से होता है? नहीं, यह तो मात्र नर और मादा के संभोग का परिणाम होता है, जो प्रकृति के नियम के अंतर्गत है।

दोस्तो जीवन एक दर्पण के समान है, हमें अच्छे परिणाम तब मिलते हैं जब हम इसे देखकर मुस्कराते हैं। जीवन संस्कार प्राप्ति का दूसरा नाम है। मनुष्य जीवन नदी की भाँति है। साधारण मनुष्य बहाव में बहते हैं, असाधारण मनुष्य अपने बहाव से नई राहें बना लेते हैं। 

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जीवन का उद्देश्य क्या है ?

जीवन का उद्देश्य परोपकार है । यह उद्देश्य पूरा करके ही कोई कह सकता है कि वह सफल जीवन जीया । सफल जीवन की कसौटी धन और सम्पत्ति नहीं है। यदि आपने अपना कोई उद्देश्य निर्धारित नहीं किया है तो जीवन निरर्थक है। उद्देश्य की पूर्ति के लिए जीवन देने वाले को असीम सुख मिलता है, वह भौतिक सम्पत्ति जुटा लेने में नहीं मिलता। जीवन का रहस्य भोग में नहीं, अनुभव के द्वारा शिक्षा प्राप्ति होती हैं, आदमी को चाहिए कि परोपकारी जीवन बिताए न कि पापी। परोपकार करने वाले इस दुनिया में भी खुश रहते हैं। 

कैसे जीना चाहिए

अत्याचार की खिलाफत के लिए इंसान का जीवन प्राप्त हुआ है। जीवन पथ में एक बार उलटी राह चलकर फिर सीधे मार्ग पा आना कठिन है। बुरे धागों में बुने हुए दिनों के वस्त्र को हम जीवन का नाम दे सकते हैं। तुम जगत की आत्मा हो, तुम्हीं सूर्य, चन्द्र, तारा हो, तुम्ही सर्वत्र चमक रहे हो, समस्त जगत तुम्हीं हो, किससे घृणा करोगे और किससे झगड़ा करोगे अतएव जान लो कि तुम वही हो और इसी रुचि में अपना जीवन ढालो। करुणामय हृदय ईश्वर का मन्दिर है। अपना जीवन गुलाब तरह बनाओ जो सुगन्ध की भाषा में शान्तिपूर्वक वार्तालाप करता है। सदा अपने मन को हर्षमय एवं उल्लासमय बनाएँ तो आप हजारों हानियों एवं परेशानियों से बच जाएँगे।

जिसके जीने से बहुत से लोग जीवित हैं, वही इस संसार में जीता हुआ रहता है। धर्मरहित जीवन सिद्धान्त रहित जीवन है और सिद्धान्त रहित जीवन पतवार रहित नौका के समान है। जिसके जीवन को उसके इर्द – गिर्द की जनता चाहती है। वह सच्चा धनी है। सुगन्ध के बिना पुष्प, तृप्ति के बिना प्राप्ति, ध्येय के बिना कर्मप्रसन्नता के बिना जीवन व्यर्थ है। जीवन संघर्ष में वही सफल होते हैं, जिन्हें माता-पिता ने शान्त रहने और धैर्य रखने की शिक्षा दी हो। जीवन के लिए खाना और सोना जरूरी है लेकिन जीवन कार्य और लगन से सफल होता है। कला में उतर जाइये, जीवन का तल पा लेंगे। गति करती हुई छाया जीवन की परिचायक है। 

जीवन की सच क्या है?

जीवन आज और अभी है। उसे कभी अतीत या भविष्य में न देखें, जिसने जीवन को अतीत या भविष्य में देखा उसने जीवन को जाना ही नहीं। हमेशा याद रखें कि जो सामने है, सच वही है, उसके बाद जो कुछ भी है वह सिर्फ सम्भावना  सम्यक् आचरण, आत्मविजय, करुणा, परोपकारिता, मानवसेवा, सत्यानुसरण तथा ध्यान यही सार्थक जीवन है, दिव्य जीवन है। जिन्दगी की असंख्य चिन्ताओं के संतुलन स्वरूप ईश्वर ने हमें आशा और निद्रा भी प्रदान की है। जिसका वृतांत सुनकर, जिसको देखकर, जिसका स्मरण करके सब प्राणियों को आनन्द होता है, उसी का जीवन शोभा देता है। जिसकी कीर्ति नष्ट हो गई, उसका सबकुछ (जीवन) भी नष्ट हो गया ।

जिंदगी एक संघर्ष हैं

जीवन संघर्ष में विजय पा लेना कोई सरल कार्य नहीं है, इसके लिए कठोर साधना की आवश्यकता है। लोग जीवन को बढ़ाना चाहते हैं सुधारना नहीं। सभी को ये समझना आवश्यक हैं कि जिन्दगी फूलों की सेज नहीं, संघर्ष का मैदान है। जीवन एक बाजी के समान है। हार – जीत तो हमारे हाथ नहीं, पर बाजी का खेलना हमारे हाथ में है।

दोस्तो जिंदगी जीना उतना आसान नही है जितना कि हम सोचते है या समझते हैं, जैसे जैसे हम जिंदगी की राह में आगे बढ़ते हैं तो हकीकत सामने आते जाता हैं। हम जितने सरलता से आज जिएंगे कल उतना ही हमारे लिए आसान होगा। अंत मे ये कहना चाहूंगा कि जिंदगी के किसी भी मोड़ पे चाहे परिस्थिति कैसे भी हो हमेशा मुस्कुराते हुए उसका सामना करो यकीन जिंदगी संवर जाएगी।

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