कल्पना का अर्थ, कल्पना की परिभाषा, कल्पना क्या हैं, कल्पना का महत्व
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  • Post last modified:December 24, 2020

दोस्तों आज की पोस्ट में हम बात करेंगे की कल्पना की परिभाषा, कल्पना का अर्थ, कल्पना क्या हैं, कल्पना का महत्त्व क्या हैं कल्पनाशक्ति क्या हैं तो चलिए देखते हैं

Meaning of Imagination कल्पना का अर्थ

वस्तु का प्रत्यक्षीकरण मानव मस्तिष्क में प्रतिमाओं को स्थापित करता है । वहीं प्रतिमाओं में परिवर्तन करके नवीनता उत्पन्न कर देता है । इसी नवीनता का नाम कल्पना है ।

कल्पना जीवन को महत्व देने का श्रेष्ठ माध्यम है। रस, माधुर्य, स्नेह, लालित्य भाव सभी कल्पना से जुड़े हैं। जीवन वर्तमान है, स्मृति अनुभव है और कल्पनाशक्ति व्यक्ति की योजनशक्ति है।

मनुष्य की अनेक मानसिक शक्तियों में कल्पना – शक्ति भी एक अद्भुत शक्ति है । यद्यपि अभ्यास से यह शतगुण अधिक हो सकती है पर इसका सूक्ष्म अंकुर किसी – किसी के अन्त : करण में आरंभ ही से रहता है , जिसे प्रतिभा के नाम से पुकारते हैं और जिसका कवियों के लेख में पूर्ण उद्गार देखा जाता है ।

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आज के कार्यो में पिछले अनुभवों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान को कैसे संजोया जाए, इसके लिए कल्पनाशीलता आवश्यक है। व्यावहारिक भाषा में इसे स्वप्न देखना भी कहा जा सकता है। स्वप्ननिजी धरातल के भी हो सकते हैं, कार्यक्षेत्र के भी और जीवन के किसी भी क्षेत्र के। जो स्वप्न देखेगा, वही कल्पनाशीलता के सोपान पर चढ़ते हुए श्रम-साधना द्वारा लक्ष्य की प्राप्ति कर पाएगा।

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वर्तमान प्रबंधन व्यवस्था में योजन शब्द का अर्थ भी कल्पना ही है। परिणाम तो किसी के हाथ में नहीं है, प्रयास करना हमारे वश में है। लक्ष्यानुरूप प्रयास करने की दिशा तय करना कल्पनाशक्ति का ही कार्य है। कल्पनाशीलता से ही योजना का प्रारूप निर्मित करने में सहायता मिलती है। भावी दृष्टिकोण उसमें समाहित रहता है,

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व्यक्ति के मानस को झकझोर कर जीवन को उचित दिशा में प्रवृत्त करना कल्पनाशीलता द्वारा ही संभव है। सामान्य तथ्य है कि स्मृति बंधन है। स्मृति के कारण कई बार व्यक्ति वर्तमान के सकारात्मक पक्षों की भी उपेक्षा करते हुए स्मृतियों में ही खोया रहता है, उपलब्धि कुछ नहीं होती। जीवन के सभी क्षेत्रों में लक्ष्य बनाने का कार्य, कार्य के साथ पूर्ण मनोयोग और स्मृति से मुक्त रहने का मार्ग कल्पना प्रशस्त करती है।

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भाव यदि नकारात्मक हैं तो मन में अनेक संशय, आवेग और तनाव भी कल्पना द्वारा उत्पन्न होते हैं। अत: नकारात्मकता युक्त कल्पना पर नियंत्रण करना अत्यावश्यक है। वैयक्तिक और सामाजिक दोनों ही धरातलों पर हम अपने ज्ञान और अनुभवों को साथ रखकर अपने भावी जीवन को नया मोड़ दे सकते हैं।

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मैकडुगल के अनुसार कल्पना की परिभाषा

” हम कल्पना या कल्पना करने की उचित परिभाषा अप्रत्यक्ष बातों के संबंध में विचार करने के रूप में कर सकते हैं ।

डमविल के अनुसार कल्पना की परिभाषा

मनोविज्ञान में कल्पना शब्द का प्रयोग सब प्रकार की प्रतिमाओं के निर्माण को व्यक्त करने के लिए किया जाता है । ”

रायबर्न के अनुसार कल्पना की परिभाषा

“ कल्पना वह शक्ति है जिसके द्वारा हम अपने प्रतिमाओं का नए प्रकार से प्रयोग करते हैं ।यह हमको अपने पिछले अनुभव को किसी ऐसे वस्तु का निर्माण करने में सहायता देती है।जो पहले कभी नहीं थी । “

कल्पना के सम्बन्ध में एच.एल. हलग्रीव ने अनेक प्रयोग किये । निष्कर्ष स्वरूप बताया गया कि कल्पना प्रखर बुद्धि बालकों में अधिक पायी जाती है । कल्पना तभी सार्थक हो सकती है जब उसके द्वारा रचनात्मक और सृजनात्मक शक्ति का विकास बालकों में हो । अतः हम कल्पना को शिक्षा में स्थान प्रस्तुत करते हैं

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Amit Yadav

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