फैशन का अर्थ | फैशन का प्रभाव | फैशन का दुष्प्रभाव
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फैशन का अर्थ और उसका दुष्प्रभाव

आज के टशन भरे दुनिया मे फैशन का बड़ा ही महत्व हैं। आज कल दुनियाभर के फैशन चलन में है। फैशन कुछ हद तक तो ठीक है लेकिन इसका विपरीत प्रभाव भी पड़ता हैं। खासकर छोटे बच्चों और विद्यार्थियों में, तो चलिए समझने का प्रयास करते है। कि आखिर इस फैशन का अर्थ क्या है और कैसे बच्चों में इसका दुष्प्रभाव देखने को मिलता है।

फैशन का अर्थ

साधारण शब्दों में कहा जाए तो, अपने को आकर्षक बनाकर समाज में प्रतिष्ठा पाने का नाम ही फैशन है। फैशन एक ऐसी प्रवृत्ति है जिसका प्रायः समाज पर प्रभाव पड़ता ही पड़ता है, उससे कोई अछूता नहीं रह पाता। फैशन का व्यक्ति की रुचि, कला दृष्टि तथा सौंदर्य प्रियता से है। आज जिसे देखें, वही फैशन की बुराई करता नज़र आता पर फैशन अपनाने में सभी को आनंद आता है।

फैशन का प्रभाव

यह कहना अनुचित होगा कि फैशन वर्तमान युग की देन है। फैशन की प्रवृत्ति तो न जाने कब से विद्यमान है। यदि प्राचीन मूर्तियों को देखें तो इस बात का प्रमाण मिल जाएगा कि उस युग में फैशन था। मूर्तियों के बल, आभूषण तथा वस्त्र लगभग अभी के तत्कालीन फैशन के जैसा ही है। आदिकाल से ही स्त्री और पुरुष स्वयं को सुंदर तथा आकर्षक बनाने के लिए तरह-तरह के पहनाव-शृंगार किया करते थे। जैसे-जैसे समाज विकसित होता गया, रीति रिवाज बदलते गए और फैशन का स्वरूप भी बदलता गया।

विद्यार्थियों में बढ़ता फैशन तथा उसके कारण

विद्यार्थी भी समाज का ही अंग है। समाज की प्रवृत्तियों तथा रुचियों का उन पर भी प्रभाव पड़ता है इसलिए वे फैशन जैसी प्रवृत्ति से अछूते नहीं रह सकते। उनमें अनुकरण की प्रवृत्ति अधिक है। जब परिवार के बड़े लोग फैशन करते हैं, तो इसका प्रभाव विद्यार्थियों पर भी पड़ना स्वाभाविक है। जैसे-जैसे समाज की रीति-रिवाजों में परिवर्तन होता जाता है वैसे-वैसे फैशन का स्वरूप भी बदलता जाता है।

आज सभ्य समाज में बड़ी आयु के फैशन के दीवाने हो रहे हैं तो विद्यार्थी वर्ग भला पीछे क्यों रहता। वह तो अपने बड़ों का अनुकरण करता है। विदेशी भारतीय फिल्में, नृत्य, पत्र-पत्रिकाएं, दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले अन्य विदेशी कार्यक्रम जैसे फैशन शो आदि के कारण व्यर्थियों में फैशन की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है।

साथ ही जब विदेशी पर्यटक यहाँ आते हैं या भारत के लोग विदेशों में है तो उसका प्रभाव भी पड़ता है तथा युवक इनसे प्रभावित होकर तरह-तरह के फैशन करने लगते हैं। फिल्मों के तथा हीरोइनों की वेशभूषा भी युवाओं को आकर्षित करती है तथा वे उसे अपनाने को लालायित हो उठते हैं।

विद्यार्थियों मे बढ़ता दुष्प्रभाव बढ़ते फैशन के कारण

अनुशासनहीनता, अनैतिक घटनाएँ, अपराध जैसी घटनाओं में वृद्धि होती है। घर जैसा जवन्य अपराध भी कहीं न कहीं फैशन की दुष्प्रवृत्ति से जुड़ा है। फैशन, हमें अपनी संस्कृति से विमुख करके मो सभ्यता की ओर ले जाता है। तड़क-भड़क वाली वेशभूषा का आकर्षण युवक-युवतियों के मन में दूषित भावना को देता है। आज की युवतियों जिस प्रकार फैशन के नाम पर छोटे-छोटे वस्त्र पहनकर अंग-प्रदर्शन करती हैं, उससे अनेक का जन्म होता है।

फैशन का दुष्प्रभाव

फैशन करना कोई बुरी बात नहीं, अपने को आकर्षक दिखाने के लिए फैशन का सहारा लेने में कोई बुराई फैशन के नाम पर अंग-प्रदर्शन, फूहड़पन तथा निर्लज्जता का प्रदर्शन निंदनीय है। इस प्रकार की प्रवृत्तियों पर रोक के लिए हर दिशा से प्रयास किए जाने चाहिए।

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Amit Yadav

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