इंसान को कमजोर क्या बनाता है? इंसान को कमजोर बनाने वाले 4 मुख्य कारण

इंसान को सबसे कमजोर क्या बनाता है ?

इस भाग दौड़ वाली जिंदगी में आगे निकलने के लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि आपके भीतर की कमजोरी क्या हैं? वो कौन कौन सी ऐसी चीज है जो मनुष्य को सबसे ज्यादा कमजोर बनाती हैं। जिसके कारण जिंदगी की रेस में लोग पीछे रह जाता हैं। इस सवाल का जवाब के लिए आइए देखते हैं इंसान को कमजोर क्या बनाता है? इंसान को कमजोर बनाने वाले 4 मुख्य कारण कौन कौन से है? जो इंसान को पीछे की ओर धकेलता हैं…

इंसान को कमजोर क्या बनाता है? इंसान को कमजोर बनाने वाले 4 मुख्य कारण

1. क्रोध

क्रोध या गुस्सा एक भावना है। जो इंसान की सबसे ज्यादा कमजोर बनाती हैं। क्रोध मानव के लिए एक ऐसी  हानिकारक विष है जिसमे व्यक्ति की सोचने समझने की क्षमता लुप्त हो जाती है और वह समाज की नजरो से गिर जाता है। क्रोध आने का प्रमुख कारण व्यक्तिगत या सामाजिक अवमानना या कुछ और भी हो सकता है। क्रोध ही एक ऐसा भाव है जो किसी भी इंसान को सबसे ज्यादा कमजोर और दुर्बल बना देती हैं।

गुस्सा एक ऐसी अवस्था है जिसमें विचार तो आतें हैं लेकिन भाव अपनी प्रधानता पर होते हैं और सामने वाला कौन है? हमारा उससे क्या संबंध है? हमें उससे कैसा व्यवहार करना चाहिए? आदि विचार लुप्त हो जाते हैं ! वास्तविकता यह है कि जब हमें गुस्सा आता है तो हम ज्यादा दूर तक नहीं सोच पाते बल्कि उससे होने वाले परिणाम के बारे में भी नहीं सोच पाते। अंततः आप अपनो से दूर होने लगते हैं।

2. लालच

लालच का अर्थ है अपनी आवश्यकता से अधिक पाने का प्रयास करना और यही प्रयास इंसान को इतना कमजोर बना देता हैं जिसके कारण उसकी संपत्ति, जायदाद, रिश्ते-नाते सभी बिगड़ जाते हैं। लालच का फल सदैव बुरा होता है। लालच हमारे चरित्र का हनन भी करता है। लालच करने से भले ही हमें त्वरित लाभ होता दिखे लेकिन अंत में लालच से नुकसान ही होता है।

जीवन में अनेक अवसरों पर हमारे साथ ऐसा होता है जब हम किसी बात पर लालच कर बैठते हैं । और अधिक पाने की लालसा में हम ऐसा कुछ कर बैठते हैं कि हमारे पास जो कुछ होता है हम उसे भी गँवा बैठते हैं और नतीजन हम और कमजोर होते जाते हैं। लालच ऐसी बुरी चीज है कि उसके फेर में पड़कर मानव कई बार मानवता तक को ताक पर रख देता है। लोभी व्यक्ति आचरण से हीन हो जाता है वह अपने स्वाभिमान को भुलाकर किसी कामना के वशीभूत हो जाता है, उसका अपना व्यक्तित्व नष्ट हो जाता है और किसी से कुछ पाने की आशा में अपना सब कुछ गंवा देता

लालच के कारण हमारे सभी रिश्ते-नाते भी बिगड़ जाते हैं। जब हम लालच करते हैं तो अपने परिवार, यार-दोस्तों सभी की नजर में गिर जाते हैं। लोग हम पर भरोसा करना बंद कर देते हैं। लालची व्यक्ति को कोई पसंद नहीं करता। परिणामस्वरूप कभी किसी तरह की सहायता की आवश्यकता हो तो भी लालची मनुष्य की सहायता के लिए कोई खड़ा नहीं होता। यदि जीवन में आगे बढ़ना है, सफल होना है तो लालच से दूर होना पड़ेगा।

3. बुरी आदतें

इंसान कु बुरी आदतें उसे पूरी तरीके से कमजोर बनाकर बर्बाद कर देती हैं। क्योंकि बुरी आदते मनुष्य की सबसे बड़ी दुश्मन होती है। कोई दुश्मन सिर्फ एक बार दुश्मनी निकलता है लेकिन बुरी आदते जिंदगी भर दुश्मनी निभाती है। इसका मनुष्य के जीवन पर नकरात्मक प्रभाव होता है। कोई व्यक्ति कितना ही सफल क्यों न हो उसकी बुरी आदते उसको कभी भी असफल बना सकती है। इसलिए इंसान को जल्दी से जल्दी बुरी आदतों का छोड़ देना चाहिए।

मनुष्य का स्वभाव है कि जिस काम को वह एक बार कर लेता है उसे फिर करना चाहता है, जिस विचार को एक बार मान में स्थान देता है उसे फिर मन में लाना चाहता है। आदतें जीवन के स्रोत हैं। जीवन की उत्पत्ति इन्हीं से है। अपने अनुभवों की पुनरावृत्ति द्वारा ज्ञान प्राप्त करना मन का स्वभाव है। आरम्भ में जिस विचार को ग्रहण करना और उस पर स्थिर रहना बड़ा कठिन होता है, अन्त में वही विचार मन में निरन्तर घूमने से प्राकृतिक तथा स्वाभाविक वृत्ति बन जाता है। आदत का चरित्र पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। अगर किसी को बुरी आदत की लत हैं तो उसका प्रभाव भी बुरा पड़ेगा।

4. बुरी संगति

मनुष्य को सदैव अच्छी संगति करनी चाहिए। अच्छी या बुरी संगति का असर व्यक्ति के जीवन में पड़ता है। गलत लोगों की संगत करने पर कुछ समय के लिए तो सुख मिलता है लेकिन बाद में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बुर संगति इंसान को मानशिक और सामाजिक रूप से कमजोर और असहाय बनाती है। संगति ही ये तय करता हैं कि कोई इंसान बेहतर होगा या बत्तर। यदि संगति बुरी हुई तो जीवन दुखदाई हो जाता है। चूंकि  मनुष्य जैसी संगति में रहता है, उस पर वैसा ही प्रभाव पड़ता है।

ये संगति का ही असर होता है की अच्छे लोग बुरे लोगो की संगत में बुरे आदत पाल लेते है तो वही कई बुरे आदत वाले लोग भले लोगो के संगत में रहकर खुद को बिल्कुल बदल देते है तो यह संगति का ही नतीजा होता है। आपकी संगति आपके भविष्य का निर्धारण करती है,  अच्छी संगति का मतलब अच्छा भविष्य, बुरी संगति का मतलब बुरा भविष्य अर्थात जैसी संगति वैसा भविष्य होगा।

बुरे लोगों का साथ मीठे जहर की तरह होता है , जो शुरू में तो मीठा लगता है, लेकिन अंत में हमारे लिए जानलेवा साबित होता है। घर के एक व्यक्ति की बुरी संगती , पूरे परिवार के लिए मुसीबत खड़ी कर देती है। बुरी संगती थोड़े समय के लिए हमें फायदा पहुँचा सकती है, लेकिन अंततः यह हमें बर्बाद कर देती है।

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