भारत के अनुसंधान संस्थान | Research Institutes of India

भारत के प्रमुख अनुसंधान संस्थान और उनके मुख्यालय | भारत के प्रमुख संस्थान

हमारे देश में कई विविध क्षेत्रों में कई अनुसंधान केंद्र हैं। हर केंद्र अपने महत्वपूर्ण क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तो आइए देखते भारत के अनुसंधान संस्थान और उनके मुख्यालय कौंन कौन से है?

भारत के प्रमुख अनुसंधान संस्थान और उनके मुख्यालय

इस आर्टिकल की प्रमुख बातें

भारत के प्रमुख अनुसंधान और उनके मुख्यालय | भारत के प्रमुख संस्थान

1. भारतीय वन अनुसंधान संस्थान – देहरादून

भारत के यह अनुसंधान संस्थान उत्तराखण्ड के देहरादून में स्थित है। यह संस्थान का मुख्यालय देहरादून में घंटाघर से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर देहरादून – चकराता मोटर मार्ग पर स्थित भारतीय वन अनुसंधान संस्थान का सबसे बड़ा वन आधारित प्रशिक्षण संस्थान है। वन अनुसंधान संस्थान का भवन बहुत ही शानदार है।इसके साथ ही इसमें एक संग्रहालय भी है। यह अनुसंधान संस्थान के बेहतरीन वन्य अनुसंधान केंद्रों में से एक है।

वन अनुसंधान संस्थान इपिरियल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के नाम से जाना जाता था, देश में वानिकी अनुसंधान क्रियाकलापों को आयोजित करने तथा आगे बढ़ाने के लिए 1906 को हुई थी। संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त है, तथा वर्तमान में वानिकी में पी.एच. डी. एम.एस.सी. डिग्री करने के लिए अग्रणी तीन कोर्स तथा दो स्नातकोत्तर डिप्लोमा कोर्स प्रदान करता है। वर्ष 2006 वन अनुसंधान संस्थान के शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया गया तथा 5 जून, 2006 शताब्दी दिवस के रूप में मनाया गया। अध्यक्ष, एम.एस. स्वामीनाथन अनुसंधान फाऊंडेशन, चेन्नई द्वारा पहले ब्रांडिस मैमोरियल भाषण तथा विभिन्न अंर्तराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय समारोह आयोजित किए गए।

2. भारतीय वन्य जीव अनुसंधान संस्थान – देहरादून

भारतीय वन्यजीव संस्थान 1982 में स्थापित एक अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भारतीय संस्थान है। भारत के इस अनुसंधान  संस्थान की स्थापना का आशय था कि यह संस्था सरकारी तथा गैर सरकारी कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने, अनुसंधान कराने की सुविधा प्रदान करने, संसाधनों का प्रबंधन तथा वन्यजीवों की सुरक्षा एवम परामर्श का कार्य करने इत्यादि हैं।

इसके अलावा प्रभावशाली रूप से वनों की परिपूर्ण सुरक्षा, उनकी जैव विविधता तथा उनके परिवेश में रहने वाले लोगों के हितों की रक्षा करना था। भारतीय वन्यजीव संस्थान को न केवल अपने विवक से वन शिक्षा में वन्यजीव विज्ञान का समावेश करना पड़ा बल्कि इस पाठयक्रम को सुचारू रूप से चलाने के लिये संसाधनों का भी निर्माण करना पड़ा।

3. केन्द्रीय पक्षी शोध संस्थान – इज्जतनगर

उत्तर प्रदेश में बरेली के पास इज्जतनगर में स्थित है। इसमें कुक्कुट विज्ञान से सम्बन्धित विविध विषयों पर शोध होता है। भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान 11 मार्च 1939 को ‘पोल्ट्री रिसर्च’ नाम से एक अलग इकाई खोली गई थी। यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम के सहयोग से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन पोल्ट्री साइंस की स्थापना हुई, तथा इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च से 2 नवम्बर, 1979 को हरी झण्डी मिलने के बाद सेंट्रल एवियन रिसर्च इंस्टीट्यूट ( सीएआरआई ) खोला गया।

संस्थान में मुर्गी, टर्की और बटेर की प्रजातियों पर शोध होता है, और पोल्ट्री के इस क्षेत्र में मास्टर डिग्री एवं डिप्लोमा कोर्स भी कराता है। मुर्गी पालन के लिए किसानों व ग्रामीण लोगों को प्रशिक्षण दिया जाता है। इस उल्लेखनीय कार्यक्रम के माध्यम से संस्थान ने हजारों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है। जो लोग मुर्गी पालन के क्षेत्र में कार्य करना चाहते हैं, उन्हें संस्थान समय – समय पर अच्छे दिशा – निर्देशों के साथ – साथ प्रशिक्षण की सुविधा भी देता है। अब तक कुक्कुट पर शोध करने वाला यह देश का महत्वपूर्ण संस्थान है।

भारत के इस अनुसंधान संस्थान में मुर्गियों के लिए पोषक आहार तैयार करने के साथ – साथ बीमारियों से बचाने के लिए टीके व दवाइयाँ तैयार की जाती हैं। वर्ष में तीन बार लघु औद्योगिक प्रशिक्षण दिया जाता है, और समय – समय पर संस्थान के द्वारा लोगों को जागरूक करने के लिए मेले का आयोजन भी किया जाता है। वर्ष में तीन बार लघु औद्योगिक प्रशिक्षण दिया जाता है, और समय – समय पर संस्थान के द्वारा लोगों को जागरूक करने के लिए मेले का आयोजन भी किया जाता है।

4. राष्ट्रीय पर्यावरण शोध संस्थान – नागपुर

राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी शोध संस्थान महाराष्ट्र राज्य के नागपुर शहर में अवस्थित है। इसकी स्थापना 1958 में केंद्रीय लोक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग शोध संस्थान के रूप में वॉटर सप्लाई, सीवरेज प्लान, इससे संबंधित बीमारियों एवं औद्योगिक प्रदूषण की रोकथाम के क्षेत्र में शोध एवं विकास के लिए की गई थी। नागपुर महाराष्ट्र राज्य का एक प्रमुख शहर है, नागपुर भारत के मध्य में स्थित है। महाराष्ट्र की इस उपराजधानी की जनसंख्या 24 लाख है। नागपुर भारत का 13 वां व विश्व का 114 वां सबसे बड़ा शहर हैं। यह नगर संतरों के लिये काफी मशहूर है, इसलिए इसे लोग संतरों की नगरी भी कहते हैं।

5. राष्ट्रीय ऊँट अनुसंधान संस्थान – बीकानेर

राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र बीकानेर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर जोड़बीड़ क्षेत्र में स्थित है जिसे 20 सितम्बर, 1995 को क्रमोन्नत कर राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केन्द्र का नाम दिया गया है। 1984 में इसकी स्थापना एक ‘ ऊंट निदेशालय ‘ के रूप में की थी। भारत सरकार के अधीन एक स्वायत संस्था है।
भारत में एक कूबड़ीय ऊँटों की संख्या लगभग 5 लाख है जो मुख्यतया भारत के उत्तर – पश्चिमी शुष्क एवं अर्द्ध शुष्क भाग के सीमांत राज्यों राजस्थान, गुजरात एवं हरियाणा में पाए जाते हैं।

पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर के प्रमुख पर्यटन – स्थल के रूप में जाना जाता है, तथा इसे पर्यटन मानचित्र में विशेष स्थान दिया गया है। संग्रहालय में पर्यटकों का भ्रमण के प्रतिवर्ष हजारों विदेशी एवं भारतीय पर्यटक केन्द्र का भ्रमण करने आते हैं।

6. भू-भौतिकी अनुसंधान संस्थान – हैदराबाद

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् की एक संघटक प्रयोगशाला है। पृथ्वी विज्ञान के बहुविषयी क्षेत्रों में अनुसंधान करने के ध्येय से राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान की स्थापना 1961 में की गई। एनजीआरआई का अधिदेश संपोषणीय तरीके से भूसंसाधनों का उपयोग करने के बारे में विचारपूर्ण निर्णय लेने में सरकारी अभिकरणों, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के हितधारकों को सक्षम बनाने और प्राकृतिक खतरों के प्रति मुस्तैदी एवं उन्हें सामना करने की ताकत को सुधारने हेतु सार्वजनिक – हित विज्ञान के लिए अनुसंधान करना है।

संस्थान इंजीनियरी भूभौतिकी, भूकम्प विज्ञान, भूगतिकी एवं भू – पर्यावरण के अध्ययन के अतिरिक्त हाइड्रोकार्बन, खनिज तथा भूजल स्रोतों के अन्वेषण में प्रमुख भूमिका निभाता है। संस्थान में सात प्रधान अनुसंधान एवं विकास समूह और इक्कीस कार्यकलाप हैं जिनमें भूकंप विज्ञान, मैग्नेटोटेलूरिकी, जीपीएस, पुरा सार्वजनिक क्षेत्र एवं निजी उद्योगों से साझेदारी के साथ एनजीआरआई, निकट भविष्य की चुनौतियों का समाधान करने के लिए और सामाजिक प्राथमिकताओं को प्रभावित करने हेतु विज्ञान के लाभों को सामने लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

7. राष्ट्रीय पर्यावरण अभियान्त्रिकी शोध संस्थान – नागपुर

राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान ( NEERI नीरी ) सीएसआईआर का एक उपक्रम है। यह नागपुर में स्थित है। यह पर्यावरण विज्ञान एवं इंजीनियरी से सम्बन्धित अनुसंधान एवं एवं व्यावहारिक सुझाव देता है। सतत पोषणीय विकास ( संपोषित विकास ) हेतु पर्यावरण विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में नेतृत्व निभाता है। नागपुर भारत का 13 वां व विश्व का 114 वां सबसे बड़ा शहर हैं। यह नगर संतरों के लिये काफी मशहूर है, इसलिए इसे लोग संतरों की नगरी भी कहते हैं।

8. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – नई दिल्ली

भारत सरकार के कृषि मंत्रालय में कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के तहत एक स्वायत्तशासी संस्था है। रॉयल कमीशन की कृषि पर रिपोर्ट के अनुसरण में सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत और 16 जुलाई 1929 को स्थापित इस सोसाइटी का पहले नाम इंपीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च था इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं :

  • कृषि, कृषि वानिकी, पशु – कृषि कर्म, मत्स्य, गृह विज्ञान आदि में शोध की योजना, आर्थिक सहायता, संवर्द्धन, समन्वय करना तथा इसका अनुप्रयोग करना।
  • सूचना प्रणाली और प्रकाशन के माध्यम से तकनीकी स्थानांतरण कार्यक्रमों की स्थापना और प्रोत्साहन।
  • शिक्षा शोध प्रशिक्षण और सूचना विसरण के क्षेत्र में परामर्श सेवाओं को उपलब्ध कराना और प्रोत्साहित करना।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ( ICAR ) देश भर में स्थापित 75 कृषि विश्वविद्यालयों ( AU ) के साथ साझेदारी के माध्यम से योजना तैयार करने, विकास, समन्वय और गुणवत्तापरक उच्च कृषि शिक्षा सुनिश्चित करने का कार्य करती है।

9 . भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान – प्रयागराज

भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान उच्च शिक्षा के लिए एक स्वायत्त संस्थान है, जिसकी स्थापना कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ( ICAR ) की छत्रछाया में की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य है, मृदा विज्ञान संस्थान उच्च शिक्षा के लिए सुनिश्चित करने का कार्य और सूचना विसरण के क्षेत्र में परामर्श सेवाओं को उपलब्ध कराना और प्रोत्साहित करना।

10. केन्द्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान – करनाल

केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान उच्च शिक्षा का एक स्वायत्त संस्थान है, जिसे कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ( ICAR ) की छत्रछाया में स्थापित किया गया है। यह संस्थान भारत की राजधानी नई दिल्ली से 125 किमी ( 78 मील ) दूर, हरियाणा राज्य में करनाल में कछवा रोड पर स्थित है। इस संस्थान को वर्ष 1998 के लिए आईसीएआर सर्वश्रेष्ठ संस्थान पुरस्कार, जल संसाधन मंत्रालय ( भारत सरकार ) का भूजल संवर्धन पुरस्कार 2009 और वर्ष 2009 के लिए सरदार पटेल उत्कृष्ट आईसीएआर संस्थान पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

11. भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान – बंगलौर

भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान भारत में बागवानी के विभिन्न पहलुओं जैसे फल, सब्जी, सजावटी, औषधीय और सुगंधित पौधों और मशरूम पर बुनियादी, रणनीतिक, अग्रिम और अनुप्रयुक्त अनुसंधान के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करने वाला एक स्वायत्त संगठन है संस्थान का मुख्यालय बेंगलुरु, भारत में है। और यह भारत के कृषि मंत्रालय के तहत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली की सहायक कंपनी है। इसका मुख्य उद्देश्य है –

  • उत्पादों में सूक्ष्मजीवविज्ञानी गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनुसंधान करना।
  • फलों, सब्जियों और सजावटी फसलों के मूल्यवर्धन, उत्पाद विविधीकरण और अपशिष्ट उपयोग के लिए प्रौद्योगिकियों/प्रक्रियाओं का विकास करना।
  • बागवानी के क्षेत्रों में वैज्ञानिक जानकारी के भंडार के रूप में कार्य करना इत्यादि।

12. भारतीय वन सर्वेक्षण केन्द्र – देहरादून

भारतीय वन सर्वेक्षण जून 1981 में स्थापित और उत्तराखंड में देहरादून में मुख्यालय, भारत सरकार का पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय संगठन है जो समय – समय पर भूमि की बदलती स्थितियों की निगरानी के लिए वन सर्वेक्षण, अध्ययन और शोध करता है। वन संसाधन और राष्ट्रीय योजना, संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के सतत प्रबंधन के साथ – साथ सामाजिक वानिकी परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए डेटा प्रस्तुत करते हैं।

13. प्राकृतिक इतिहास का राष्ट्रीय संग्रहालयनई – दिल्ली

राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय नई दिल्ली के बाराखंभा मार्ग पर स्थित है। यह 5 जून, 1972 में स्थापित किया गया संग्रहालय है, जो कि प्राकृतिक इतिहास पर केन्द्रित है। यह भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय के अधीन आता है।
वन संसाधन और राष्ट्रीय योजना, संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के सतत प्रबंधन के साथ – साथ वन मंत्रालय परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए डेटा प्रस्तुत करते हैं।

14. सलीम अली पक्षी विज्ञान तथा प्रकृतिक इतिहास केन्द्र – कोयम्बटूर

सालिम अली की स्मृति में आनैकट्टी कोयंबत्तूर में 1990 में स्थापित यह केंद्र पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त केंद्र है। पक्षियों को केंद्रीय विषय बनाकर शोध, शिक्षा एवं जन सहभागिता द्वारा भारत के जैव – वैविद्य के संरक्षण तथा उसके उपयोग में मदद करना इस संस्था का संकल्पभाव है। सलीम अली पक्षिविज्ञान एवं प्रकृतिक इतिहास केंद्र शिक्षा एवं अनुसंधान का राष्ट्रीय केन्द्र है। इसका नामकरण प्रसिद्ध पक्षिविज्ञानी सालिम अली के नाम पर किया गया है। यह तमिलनाडु के कोयम्बत्तूर नगर में स्थित है।

सालिम अली भारत के ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारत भर में व्यवस्थित रूप से पक्षी सर्वेक्षण का आयोजन किया, और पक्षियों पर लिखी उनकी किताबों ने भारत में पक्षी – विज्ञान के विकास में काफी मदद की है। 1976 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से उन्हें सम्मानित किया। वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में उच्च शिक्षा की सहज उपलब्धता और उच्च शिक्षा संस्थानों को शोध से अनिवार्य रूप से जोड़ने की नीति ने शोध की महत्ता को बढ़ा दिया है, आज शैक्षिक शोध का क्षेत्र विस्तृत और सघन हुआ है।

15. भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण – कोलकाता

भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण भारत सरकार के वन एवं पर्यावरन मंत्रालय के अधीन एक वनस्पति वैज्ञानिक संस्थान है, इसकी स्थापना 1890 अंग्रेजी राज के समय में हुई थी जिसका उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के पादप – संसाधनों का सर्वेक्षण करना था। भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण का मुख्यालय पश्चिम बंगाल के कलकत्ता में स्थित है। भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बोटैनिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया) ने हाल नागालैंड के दीमापुर तथा पेरेन जिले में अदरक की दो नई प्रजातियों की खोज की है।

16. भारतीय प्राणी सर्वेक्षण – कोलकाता

प्राणि सर्वेक्षण पर्यावरण और वन मंत्रालय का एक अधीनस्थ संगठन है, इसकी स्थापना 1917 में की गयी थी। इसका मुख्यालय कोलकाता में है, जो भारत में पशुवर्ग के लिए सर्वेक्षण करता है। इसका मुख्य कार्य पशुवर्ग को विकसित करना और उसका रखरखाव करना इत्यादि है। ये अनुसंधान संस्थान भारत सरकार के वन एवं पर्यावरन मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। भारत के जैव – वैविद्य के संरक्षण तथा उसके उपयोग में मदद करना इस संस्था का संकल्पभाव है।

17. राष्ट्रीय वानिकी अनुसंधान संस्थान – झाँसी

कृषि अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र की स्थापना 8 मई 1988 को झांसी में की गई थी यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत काम करता है। यह केंद्र उत्तर प्रदेश के झाँसी में स्थित है और झाँसी से लगभग 10 किलोमीटर दूर है, और इसे “कृषिवानिकी” के नाम से जाना जाता है। यह वानिकी के सभी पहलुओं पर अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार की आवश्यकता आधारित आयोजना, प्रोत्साहन, संचालन एवं समन्वयन करके वानिकी अनुसंधान का वास्तविक विकास कर रही है वन प्रबंधकों एवं शोधार्थियों की क्षमता में लोगों के विश्वास को बढ़ाता है।

इसका उद्देश्य वानिकी अनुसंधान और शिक्षा एवं इनके अनुप्रयोग के लिए सहायता और प्रोत्साहन देना तथा समन्वयन करना तथा वानिकी तथा अन्य संबद्ध विज्ञानों के लिए राष्ट्रीय पुस्तकालय एवं सूचना केंद्र को विकसित करना और उसका रखरखाव करना इत्यादि है।

18. केन्द्रीय मरूक्षेत्र अनुसंधान संस्थान – जोधपुर

केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसन्धान संस्थान इसकी स्थापना 1959 में की गई राजस्थान में इसके कार्यालय बीकानेर, पाली और जैसलमेर मैं है केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसन्धान संस्थान की स्थापना भारत सरकार ने 1959 में जोधपुर में की। जिसका बाद में विस्तार 1957 में मरू वनीकरण एवं मृदा संरक्षण केन्द्र के रूप में हुआ, तथा अन्ततः भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के अधीन इसे केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान ( काजरी ) के रूप में 1959 में पूर्ण संस्थान का दर्जा दिया गया काजरी जोधपुर स्थित मुख्यालय में 6 संभाग है।

19. भारतीय मौसम विज्ञान संस्थान – नई दिल्ली

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत मौसम विज्ञान प्रक्षेण, मौसम पूर्वानुमान और भूकम्प विज्ञान का कार्यभार सँभालने वाली सर्वप्रमुख एजेंसी है। मौसम विज्ञान विभाग का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित ह। इस विभाग के द्वारा भारत से लेकर अंटार्कटिका भर में सैकड़ों प्रक्षेण स्टेशन चलाये जाते हैं। वर्तमान में मौसम विभाग के महानिदेशक मृतुन्जय महापात्रा है, मौसम विभाग की स्थापना सर्वप्रथम 1844 में पुणे में हुई 1875 में नाम बदलकर मौसम सर्वेक्षण अनुसंधान रखा गया।

इसका उद्देश्य 1864 में चक्रवात के कारण कलकत्ता में हुई क्षति और 1866 और 1871 के अकाल के बाद, मौसम संबंधी विश्लेषण और संग्रह कार्य एक ढ़ांचे के अंतर्गत आयोजित करने का निर्णय लिया गया । 1875 में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना हुई। हेनरी फ्रांसिस ब्लैनफर्ड विभाग के पहले मौसम विज्ञान संवाददाता नियुक्त किया गए। मई 1889 में, सर जॉन एलियट तत्कालीन राजधानी कलकत्ता में वेधशालाओं के पहले महानिदेशक नियुक्त किया गए। मौसम विज्ञान विभाग का मुख्यालय 1905 में शिमला, फिर 1928 में पुणे और अंततः नई दिल्ली में स्थानांतरित किया गया भारतीय मौसम विज्ञान विभाग स्वतंत्रता के बाद 27 अप्रैल 1949 को विश्व मौसम विज्ञान संगठन का सदस्य बना।

भारतीय मौसम विभाग का कार्य अवलोकन, संचार, पूर्वानुमान और मौसम सेवाओं का कार्य करता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के सहयोग से, IMD भारतीय उपमहाद्वीप के मौसम की निगरानी के लिए IRS श्रृंखला और भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली ( INSAT ) का भी उपयोग करता है।

20 . भारतीय मौसम वेधशाला – पूना

राजस्थान में भारतीय मौसम विभाग की वेधशाला जयपुर में स्थित है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत मौसम विज्ञान प्रक्षेण, मौसम पूर्वानुमान और भूकम्प विज्ञान का कार्यभार सँभालने वाली सर्वप्रमुख एजेंसी है। मौसम विज्ञान के संस्थापक अरिस्टोटल को मौसम विज्ञान के संस्थापक माना जाता है। भारतीय मौसम विज्ञान भूकम्प से जुडी जानकारी को बताता है।

21. जीवाणु प्रौद्योगिकी संस्थान – चण्डीगढ़

सूक्ष्मजीव प्रौद्योगिकी संस्थान चण्डीगढ़ में स्थित वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, भारत की 38 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में से एक है और इसकी सबसे नवीनतम प्रयोगशाला है इसकी स्थापना 1984 में की गयी थी। यह संस्थान लगभग 47 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है जिसमें से प्रयोगशालाएँ 22 एकड़ क्षेत्र में और आवासीय परिसर 25 एकड़ क्षेत्र में है।

22.राष्ट्रीय वनस्पति विज्ञान संस्थान – लखनऊ

राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ में स्थित एक संस्थान है। यह सीएसआईआर के अंतर्गत है, एवं आधुनिक जीवविज्ञान एवं टैक्सोनॉमी के क्षेत्रों से जुड़ा है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने बोगनवेलिया की एक नयी प्रजाति विकसित की है, जिसका नाम लोस बानोस वैरियेगाता- जयंती रखा है, यह संस्थान भारत की अग्रणी राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में से एक है, जो कि वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, के अन्तर्गत लखनऊ में कार्यरत है।

यह संस्थान राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार के अंतर्गत कार्यरत था, जिसे 13 अप्रैल 1953 को वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् ने अधिग्रहीत कर लिया। उस समय से यह संस्थान वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में परम्परागत अनुसंधान करता आ रहा।

समय के साथ इसमें नये – नये विषयों पर अनुसंधान कार्य किये गये, जिनमें पर्यावरण संबंधित व आनुवांशिक अध्ययन प्रमुख थे। अनुसंधान के बढ़ते महत्व व बदलते स्वरूप को ध्यान में रखकर 25 अक्टूबर, 1978 को इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान किया गया। पौध जैव – विविधता एवं संरक्षण जैविकी पौधों के विभिन्न समूहों की वाह्य एवं आंतरिक संरचना का अध्ययन जिसमें अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम, पुष्पीय ( एन्जियोस्पर्म ), शैवाल, ब्रायोफाइट, शैक, टेरिडोफाइट व सायकेड समुदाय सम्मिलित हैं।

सरंक्षण जैविकी जनजातीय ( लोक ) वनस्पति विज्ञान, बीज विज्ञान, आण्विक वर्गिकी, पादपालय राष्ट्रीय सम्पदा वनस्पति उद्यान एवं पुष्प कृषि उद्यान में वृक्ष के – 400 प्रजातियाँ, टेरिडोफाइटा – 65 प्रजातियाँ, संरक्षण गृह में गृह सज्जा में प्रयुक्त होने वाले पौधे 500 प्रजातियाँ, कैक्टस- 350 प्रजातियाँ, पाम -70 प्रजातियाँ, औषधीय पौधे – 300 प्रजातियाँ, साइकेड -45 प्रजातियाँ उपलब्ध हैं।

23. केन्द्रीय खनन अनुसंधान केन्द्र – धनबाद (झारखण्ड)

केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान धनबाद, झारखण्ड में स्थित है। यह भारत के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की एक अंगीभूत प्रयोगशाला है। यह खनन से खपत तक अर्थात सम्पूर्ण कोयला ऊर्जा श्रृंखला को अनुसंधान व विकास से संबंधित निवेश उपलब्ध कराने के लिए समर्पित है।

केन्द्रीय खनन अनुसंधान केन्द्र ( सीएमआरएस ) की स्थापना 1956 में हुई थी, 1994 में इसका नाम केन्द्रीय खनन अनुसंधान संस्थान ( सीएमआरआई ) कर दिया गया। यह प्रयोगशाला कोयला एवं खनिज उद्योगों को पूरी सुरक्षा एवं मित्तव्ययिता के साथ लक्ष्यबध्द उत्पादन प्राप्त करने के लिए अनुसंधान व विकास समर्थन, तकनीकी सेवा, प्रौद्योगिकी उत्क्रमण में सहायता, प्रौद्योगिकी अनुकूलन आदि उपलब्ध कराने वाला देश का एक अग्रणी संस्थान था।

24. भारतीय रासायनिक जैविकी संस्थान – कोलकाता

भारतीय रासायनिक जैविकी संस्थान भारत की उन बड़ी प्रयोगशालाओं में से एक है, जिसने अपनी स्थापना के समय से ही संक्रामक रोगों, खासकर लिशमैनियासिस एवं कॉलरा पर बुनियादी अनुसंधान कार्य करने हेतु बहु – अनुशासनिक सघन प्रयास किया है, और साथ ही रोगों कि परीक्षण, इम्युनोप्रोफिलैक्सिस एवं केमो थेरापी के लिए प्रौद्योगिकी का विकास किया है। भारत के इस अनुसंधान संस्थान का मुख्यालय कोलकाता है।

भारत के अनुसंधान संस्थान से जुड़े कुछ और जानकारी

राष्ट्रीय आलू अनुसंधान संस्थान कहाँ है?

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान कहाँ है? केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला के बेमलोई में है।

भारत में लाख शोध संस्थान कहाँ स्थित है?

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधीन स्थापित स्वायत्तशासी संस्थान है जिसको पूर्व में भारतीय लाह शोध संस्थान (Indian Lac Research Institute) के नाम से जाना जाता था। इसका उद्देश्य लाह और अन्य प्राकृतिक राल एवं गोंद पर उन्नत शोध करना है। यह संस्थान भारतीय राज्य झारखण्ड की राजधानी राँची के नामकुम में स्थित है।

icar के तहत कितने राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र

icar के तहत 14 राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र आते है।

नीति अनुसंधान केंद्र क्या है?

सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) सार्वजनिक नीति पर केंद्रित एक भारतीय थिंक टैंक है। 1973 में स्थापित और नई दिल्ली में स्थित, यह भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान संस्थानों में से एक है नीति अनुसंधान केंद्र।

सार्वजनिक निगम में केंद्रीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान किस वर्ष स्थापित किया गया था?

केंद्रीय कर्मचारी प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान (CSTARI) की स्थापना वर्ष 1968 में सरकार द्वारा की गई थी। भारत सरकार के सहयोग से श्रम और रोजगार मंत्रालय, डीजीई एंड टी।

चावल अनुसंधान केंद्र कहाँ पर स्थित है?

केन्द्रीय चावल अनुसंधान संस्थान उड़ीसा के कटक में स्थित है। केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान की स्थापना 23 अप्रैल, 1946 को हुई थी।

भारतीय कैंसर अनुसंधान केंद्र कहाँ है?

राष्ट्रीय कैंसर संस्थान हरियाणा के बाढ़सा में स्थित है। राष्ट्रीय कैंसर संस्थान-भारत (NCI-इंडिया) एक नव स्थापित संस्थान है, जो वर्तमान में हरियाणा के बाढ़सा के पास झज्जर में निर्माणाधीन है।

तिलहन अनुसंधान केंद्र कहाँ है?

भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्‍थान (ICAR – IIOR), हैदराबाद में हैं।

राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान संस्थान कहाँ है?

यह राजस्थान के भरतपुर के सीवर में स्थित है। इसकी स्थापना 20 अक्टूबर 1993 को हुई थी।

बाजरा अनुसंधान केंद्र कहाँ है?

भारत का पहला बाजरा अनुसंधान संस्थान राजस्थान के बाड़मेर जिले में है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से जोधपुर में अखिल भारतीय समन्वित बाजरा अनुसंधान परियोजना है।

भारत में कितने चावल अनुसंधान स्टेशन हैं?

आईआरआरआई के साथ भारत की व्यापक साझेदारी में पूरे देश में लगभग 250 संस्थान शामिल हैं।

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