भारत के प्रसिद्ध मंदिर | भारत के तीर्थ स्थल | भारत के मंदिरों की सूची
  • Post author:

भारत में 20 लाख से अधिक हिंदू मंदिर हैं। यह मंदिर भारतीय संस्कृति की विविधता और जीवन प्रणाली को दर्शाता हैं। भारत में मंदिर वास्तुकला ने हमेशा एक अंतर्निहित दृष्टि को अपनाया है। यह एक अनुभूति, ब्रह्मांड और समय का प्रतिक है। हिंदू मंदिरों के निर्मिति में कला और वास्तुकला को शिल्प शास्त्र में अच्छी तरह से परिभाषित किया गया है। इसमें नागर या उत्तरी शैली, द्रविड़ या दक्षिणी शैली और वेसरा या मिश्रित शैली के तीन मुख्य प्रकार की मंदिर वास्तुकला का उल्लेख है। इस लेख के माध्यम से आइए देखते हैं। कि भारत के प्रसिद्ध मंदिर की पूरी सूची विस्तृत जानकारी के साथ।

भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिर

भारत के प्रसिद्ध मंदिर | भारत के तीर्थ स्थल | भारत मंदिरों की सूची

★ वैष्णो देवी मंदिर – कटरा, जम्मू-कश्मीर

इस आर्टिकल की प्रमुख बातें

भारत के जम्मू और कश्मीर में त्रिकुटा या त्रिकुट पर्वत पर स्थित माता लक्ष्मी, पार्वती एवं सरस्वती को समर्पित वैष्णों देवी मंदिर का निर्माण लगभग 700 साल पहले एक ब्राह्मण पुजारी पंडित श्रीधर द्वारा कराया गया था। इस धार्मिक स्थल की आराध्य देवी, वैष्णो देवी को सामान्यतः माता रानी और वैष्णवी के नाम से भी जाना जाता है। तिरुपति मंदिर के बाद वैष्णों देवी तीर्थ का सबसे ज्यादा दर्शन किया जाता हैं।

★ अमरनाथ गुफा मंदिर – पहलगाम, अनंतनाग, जम्मू-कश्मीर

तीर्थों का तीर्थ अमरनाथ हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। जो समुद्रतल से 13600 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। इस गुफा की लंबाई 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। गुफा 11 मीटर ऊँची है। यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ के पानी की बूँदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूँदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। चन्द्रमा के घटन- बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है।

★ बद्रीनाथ मंदिर – चमोली, उत्तराखंड

बद्रीनाथ उन कई पर्वतीय जलधाराओं का उद्गम स्थल है जो एक दूसरे में मिलकर अंततः भारत की प्रमुख नदी गंगा का रूप लेती हैं। इन्हीं पर्वतीय सरिताओं में से एक प्रमुख धारा अलकनन्दा और इसकी सहायिका ऋषिगंगा नदी के पवित्र संगम पर भगवान विष्णु को समर्पित बद्रीनाथ मंदिर स्थित हैं। इस पवित्र मन्दिर को नौवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा एक तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित किया गया था।

★ गंगोत्री मंदिर – उत्तरकाशी, उत्तराखंड

गंगा मैया और भगवान शिव को समर्पित गंगोत्री गंगा नदी का उद्गम स्थान है। गंगा मैया के मंदिर का निर्माण गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा द्वारा 18 वी शताब्दी के शुरूआत में किया गया था वर्तमान मंदिर का पुननिर्माण जयपुर के राजघराने द्वारा किया गया था। यह पवित्र एवं उत्कृष्ठ मंदिर सफेद ग्रेनाइट के चमकदार 20 फीट ऊंचे पत्थरों से निर्मित है। शिवलिंग के रूप में एक नैसर्गिक चट्टान भागीरथी नदी में जलमग्न हैं। यह दृश्य अत्यधिक मनोहार एवं आकर्षक है। इसके देखने से दैवी शक्ति की प्रत्यक्ष अनुभूति होती है।

★ यमुनोत्री मंदिर – उत्तरकाशी, उत्तराखंड

देवी यमुना को समर्पित यमनोत्री यमुना नदी के उद्गम स्थल में स्थित है। इसमें देवी की काले संगमरमर की मूर्ति है। यमुनोत्री में 18 वीं सदी का एक मंदिर भी है, इसे गढ़वाल नरेश प्रताप शाह ने बनवाया था, 19 वीं सदी में इसे क्षतिग्रस्त कर फिर से नवीकृत किया गया था। मंदिर को फिर से बनाने से पहले दो बार बर्फ और बाढ़ से नष्ट कर दिया गया है। ये हिंदुओ की पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक हैं।

★ केदारनाथ मंदिर – गढ़वाल क्षेत्र, उत्तराखंड

पवित्र केदारनाथ धाम हजार वर्षों से एक महत्वपूर्ण तीर्थ रहा है। वर्तमान मंदिर ८ वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा बनवाया गया जो पांडवों द्वारा द्वापर काल में बनाये गये पहले के मंदिर की बगल में है। मंदिर के बड़े धूसर रंग की सीढ़ियों पर पाली या ब्राह्मी लिपि में कुछ खुदा है, जिसे स्पष्ट जानना मुश्किल है। आदि गुरु शंकराचार्य जी के समय से यहां पर दक्षिण भारत से जंगम समुदाय के रावल व पुजारी मंदिर में शिव लिंग की पूजा करते हैं, जबकि यात्रियों की ओर से पूजा इन तीर्थ पुरोहित से ब्राह्मणों द्वारा की जाती है। केदारनाथ दुनियाभर में अपनी खूबसूरती और महिमा के लिए जाना जाता हैं।

★ स्वर्ण मंदिर – अमृतसर, पंजाब

श्री हरिमन्दिर साहिब सिख धर्मावलंबियों का सबसे पावन धार्मिक स्थल और प्रमुख गुरुद्वारा है जिसे दरबार साहिब या स्वर्ण मन्दिर भी कहा जाता है। शिल्प सौंदर्य की अनूठी मिसाल यह गुरुद्वारा लगभग 400 साल पुराने इस गुरुद्वारे का नक्शा खुद गुरु अर्जुन देव जी ने तैयार किया था। अमृतसर का नाम वास्तव में उस सरोवर के नाम पर रखा गया है जिसका निर्माण गुरु राम दास ने स्वयं अपने हाथों से किया था।

यह गुरुद्वारा इसी सरोवर के बीचोबीच स्थित है। सिखों के चौथे गुरू रामदास जी ने इसकी नींव रखी थी। स्वर्ण मंदिर को कई बार नष्ट किया जा चुका है। इसे दोबारा 17 वीं सदी में भी महाराज सरदार जस्सा सिंह अहलुवालिया द्वारा बनाया गया था। अफगान हमलावरों ने 19 वीं शताब्दी में इसे पूरी तरह नष्ट कर दिया था। तब महाराजा रणजीत सिंह ने इसे दोबारा बनवाया था और इसे सोने की परत से सजाया था।

★ ️श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर – दिल्ली

श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर भारत में सबसे पुराना और सबसे प्रसिद्ध जैन मंदिर है। 1656 में एक जैन मंदिर में का निर्माण किया गया। उस समय इस मंदिर को उर्दू मंदिर के रूप में भी जाना जाता था वर्तमान मंदिर भवनों का निर्माण मुगल साम्राज्य के पतन के बाद और 1878 से किया गया था। मंदिर में मूर्तियों में से एक 1491 की है, और मूल रूप से भट्टारक जिनचंद्र द्वारा स्थापित की गई थी।

★ लक्ष्मीनारायण मंदिर – दिल्ली

भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित यह मंदिर दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण 1938 में हुआ था और इसका उद्घाटन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया था। उड़ियन शैली में निर्मित इस मंदिर का बाहरी हिस्सा सफेद संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से बना है। यह मंदिर मूल रूप में 1622 में वीर सिंह देव ने बनवाया था। उसके बाद पृथ्वी सिंह ने 1793 में इसका जीर्णोद्धार कराया। फिर 1938 में भारत के बड़े औद्योगिक परिवार, बिड़ला समूह ने इसका विस्तार और पुनरोद्धार कराया।

★ अक्षरधाम मंदिर – दिल्ली

दुनिया का सबसे विशाल हिंदू मन्दिर परिसर जो 100 एकड़ भूमि में फैले और बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल नई दिल्ली में बना स्वामिनारायण अक्षरधाम मन्दिर एक अनोखा सांस्कृतिक तीर्थ है। इसे ज्योतिर्धर भगवान स्वामिनारायण की पुण्य स्मृति में बनवाया गया है। श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था के प्रमुख स्वामी महाराज के नेतृत्व में अक्षरधाम मन्दिर को गुलाबी, सफेद संगमरमर और बलुआ पत्थरों के मिश्रण से बनाया गया है। इस मंदिर को बनाने में स्टील, लोहे और कंक्रीट का इस्तेमाल नहीं किया गया। मंदिर को बनाने में लगभग पांच साल का समय लगा था। मंदिर में उच्च संरचना में 234 नक्काशीदार खंभे, 9 अलंकृत गुंबदों, 20 शिखर होने के साथ 20,000 मूर्तियां भी शामिल हैं।

★ राम मंदिर – अयोध्या, उत्तरप्रदेश

धार्मिक नगरी अयोध्या भगवान श्री राम लला का जन्म स्थान के नाम से पूरी दुनिया में जाना जाता है। प्राचीन भारतीय महाकाव्य, रामायण के अनुसार, राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। इसे राम जन्मभूमि या राम की जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है । 15 वीं शताब्दी में, मुगलों ने राम जन्मभूमि पर एक मस्जिद, बाबरी मस्जिद का निर्माण किया। मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर को खंडित करने के बाद किया गया था। अभी वर्तमान में उसी जगह सुप्रीम के आदेशानुसार श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने मार्च 2020 में राम मंदिर के निर्माण का पहला चरण शुरू किया। आने वाले कुछ समय मे भगवान राम को समर्पित भव्य मंदिर का निर्माण हो जाएगा।

★ प्रेम मंदिर – बृंदावन, उत्तरप्रदेश

वृंदावन स्थित प्रेम मंदिर निर्माण जगद्गुरु कृपालु महाराज द्वारा भगवान कृष्ण और राधा के मन्दिर के रूप में करवाया गया है। इस मन्दिर के निर्माण में 11 वर्ष का समय और लगभग 100 करोड़ रुपए की धन राशि लगी है। इस भव्य मंदिर में इटैलियन करारा संगमरमर का प्रयोग किया गया है और इसे राजस्थान और उत्तरप्रदेश के एक हजार शिल्पकारों ने तैयार किया है। 14 जनवरी 2001 को कृपालुजी महाराज द्वारा शिलान्यास किया गया यह मन्दिर प्राचीन भारतीय शिल्पकला के पुनर्जागरण का एक नमूना है

★ काशी विश्वनाथ मंदिर – वाराणसी, उत्तर प्रदेश

बारह ज्योतिर्लिंग में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर पिछले कई हजार वर्षों से वाराणसी में पवित्र गंगा नदी के किनारे स्थित है। वर्तमान मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा सन् 1780 में करवाया गया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह द्वारा 1853 में 1000 कि.ग्रा शुद्ध सोने द्वारा बनवाया गया था। काशी विश्वनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्ट स्थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

★ दशावतार मंदिर – देवगढ़, उत्तरप्रदेश

भगवान विष्णु को समर्पित 5 वीं सदी में बेसर शैली से
स्थापत्य इस प्रसिद्ध मंदिर को गुप्त वंश ने निर्माण करवाया था। यह भगवान विष्णु का बहुत प्रसिद्ध मंदिर हैं।

★ महाबोधि मंदिर – बोधगया, बिहार

महात्मा बुद्ध को समर्पित तीसरी सदी में नागर शैली में स्थापित बिहार का यह प्रसिद्ध मंदिर सम्राट अशोक द्वारा निर्माण किया गया था। युनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल इसी को पृथ्वी का नाभि केंद्र के रूप में जाना जाता हैं।

★ खजुराहो मंदिर – मध्य प्रदेश

खजुराहो के हिंदू और जैन मंदिर नागर शैली से स्थापत्य इस मंदिर का निर्माण 10-11वीं सदी में चंदेल शासक के द्वारा किया गया था। इस मंदिर का निमार्ण लाल पत्थर का उपयोग से किया गया हैं। युनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में शामिल खजुराहो का यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध हैं।

★ कंदरिया महादेव मंदिर – खजुराहो, मध्यप्रदेश

भगवान शिव को समर्पित नागर शैली से स्थापित इस मंदिर का निर्माण 11 वीं सदी में यशोधर्मन चंदेल द्वारा किया गया था। खजुराहो स्थित लाल पत्थर से बनाया गया यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध हैं।

★ ओम्कारेश्वर मंदिर – खंडवा, मध्यप्रदेश

भगवान शिव को समर्पित ओम्कारेश्वर मंदिर पवित्र नर्मदा नदी के बीच मन्धाता या शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है। यह द्वीप हिन्दू पवित्र चिन्ह ॐ के आकार में बना है। ॐकारेश्वर का निर्माण नर्मदा नदी से स्वतः ही हुआ हैं। इसमें 68 तीर्थ हैं। यहाँ 33 कोटि देवता परिवार सहित निवास करते हैं तथा 2 ज्योतिस्वरूप लिंगों सहित 108 प्रभावशाली शिवलिंग हैं।

★ महाकालेश्वर – उज्जैन, मध्यप्रदेश

भगवान भोलेनाथ को समर्पित महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है, ऐसी मान्यता है। 1235 ई. में इल्तुत्मिश के द्वारा इस प्राचीन मंदिर का के विध्वंस किए जाने के बाद से यहां जो भी शासक रहे, उन्होंने इस मंदिर के जीर्णोद्धार और सौन्दर्यीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया, इसीलिए मंदिर अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त कर सका है।

★ रणकपुर मंदिर – पाली, राजस्थान

चारों ओर जंगलों से घिरे 1444 खम्बे वाला मन्दिर भव्य मंदिर अरावली पर्वत की घाटियों के मध्य स्थित रणकपुर में ऋषभदेव का चतुर्मुखी जैन मंदिर है। भारत के जैन मंदिरों में संभवतः इसकी इमारत सबसे भव्य तथा विशाल है। यह मंदिर इमारत परिसर लगभग 40000 वर्ग फीट में फैला है। करीब 600 वर्ष पूर्व 1446 विक्रम संवत में इस मंदिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ था जो 50 वर्षों से अधिक समय तक चला। इसके निर्माण में करीब 99 लाख रुपए का खर्च आया था। मंदिर के मुख्य गृह में तीर्थंकर आदिनाथ की संगमरमर से बनी चार विशाल मूर्तियाँ हैं। करीब 72 इंच ऊँची ये मूतियाँ चार अलग दिशाओं की ओर उन्मुख हैं। इसी कारण इसे चतुर्मुख मंदिर कहा जाता है। ये मनुष्य को जीवनमृत्यु की 84 लाख जीवयोनियों से मुक्ति प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं।

★ दिलवाड़ा जैन मंदिर – माउंट आबू, राजस्थान

11-13वीं सदी में नागर शैली में निर्मित जैन धर्म का मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट वंश द्वारा किया गया था। ये राजस्थान के प्रमुख मंदिरों में से एक हैं।

★ सोमनाथ मंदिर – सौराष्ट्र, गुजरात

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक नागर शैली में निर्मित सोमनाथ मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। कई आक्रमणों को झेल चुका इस अमिट मंदिर का पुनर्निर्माण 1951 में पूरा हुआ। सौराष्ट्र में समुद्र किनारे स्थित इस भव्य मंदिर में हमेशा श्रद्धालुओं का भीड़ लगा रहता हैं।

★ द्वारकाधीश मंदिर – द्वारका शहर, गुजरात

भगवान श्री कृष्ण को समर्पित द्वारकाधीश मंदिर नागर शैली से स्थापत्य 15-16वीं सदी में चालुक्य वंश द्वारा किया गया था। प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर हिन्दू धर्म के चार धामो में से एक हैं।

★ मोढेरा सूर्य मंदिर – मोढेरा, गुजरात

सूर्य देवता को समर्पित मोढेरा स्थित बेसर शैली से स्थापित इस मंदिर का निर्माण 1026 ई. में भीमदेव प्रथम द्वारा किया गया था। लाल पत्थर के उपयोग से निर्मित यह भव्य मंदिर बहुत प्रसिद्ध हैं।

★ ️श्री सिद्धविनायक मंदिर – मुंबई, महाराष्ट्र

भगवान गणेश को समर्पित इस भव्य मंदिर
निर्माण 1801 में लक्ष्मन बिथु व देउबाई द्वारा किया गया था। मुंबई स्थित बेसर शैली स्थापित यह भव्य मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध हैं।

★ शिरडी साईं बाबा मंदिर – शिरडी, महाराष्ट्र

भारत के प्रसिद्ध मंदिर में से एक शिरडी स्थित साईं मंदिर सांई बाबा के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यहां उनका एक विशाल मंदिर हैं। सांई मन्दिर विश्व के सबसे अमिर मन्दिरों मैं से एक हैं। यंहा हर रोज लाखो भक्तों का भीड़ लगा राहत हैं।

★ कैलाश मंदिर – एलोरा की गुफाएं, महाराष्ट्र

भगवान शिव को समर्पित बेसर शैली में स्थापत्य 5-7वीं सदी राष्ट्रकूट वंश द्वारा निर्माण किया गया था। विश्व प्रसिद्ध और युनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल यंहा 16 गुफाएं हैं।

★ तिरुपति बालाजी – तिरुमाला, आंध्र प्रदेश

भारत के साथ-साथ दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और सबसे अमीर मंदिर तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर तिरुपति में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल है। तिरुपति भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। तिरुमला की पहाड़ियों पर कई शताब्दी पूर्व बना यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का अदभूत उदाहरण हैं। माना जाता है कि इस मंदिर का इतिहास 9 वीं शताब्दी से प्रारंभ होता है।

★ विरुपाक्ष मंदिर – हम्पी, बेल्लारी, कर्नाटक

द्रविड़ स्थापत्य शैली में बना विरूपाक्ष मंदिर कर्नाटक राज्य के हम्पी में तुंगभद्रा नदी के किनारे पर स्थित एक पवित्र स्थान और ऐतिहासिक स्थल है। 7 वीं शताब्दी के दौरान निर्मित किए गए इस मंदिर के इतिहास और सुन्दर वास्तुकला के कारण इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया। इस मंदिर का इतिहास प्रसिद्ध विजयनगर साम्राज्य से जुड़ा है। विरुपाक्ष मंदिर विक्रमादित्य द्वितीय की रानी लोकमाह देवी द्वारा बनवाया गया था। द्रविड़ स्थापत्य शैली में ये मंदिर ईंट तथा चूने से बना माना जाता है। हम्पी ही रामायण काल का किष्किन्धा है। यहां भगवान शिव के विरुपाक्ष रूप की पूजा की जाती है।

★ ️गोमतेश्वर मंदिर – श्रवणबेलगोला, कर्नाटक

गोमतेश्वर मंदिर भारत के कर्नाटक राज्य में श्रवणबेलगोला नामक तीर्थ स्थल में है जिसे बाहुबली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भारत के यह प्रसिद्ध मंदिर श्रवणबेलगोला में 3347 फीट की ऊंचाई पर विंध्यगिरि पहाड़ी की चोटी पर बना है जो प्रमुख रूप से 17 मीटर ऊँची भगवान बाहुबली प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है जिसे गोमतेश्वर प्रतिमा भी कहा जाता है। गोमतेश्वर मूर्ति का निर्माण 982 और 983 ईस्वी के बीच गंगा राजा राजमल्ला के एक मंत्री चामुंडराय की अवधि के दौरान बनाई गई थी जो दुनिया की सबसे ऊँची अखंड मूर्ति है जिसकी उंचाई 17 मीटर है। गोमतेश्वर की मूर्ति को 30 किमी की दूरी पर देखा जा सकता है।

★ भगवान जगन्नाथ मंदिर – पुरी, ओडिशा

भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित जगन्नाथ मंदिर नागर शैली (कलिंग) से स्थापित इस भव्य मंदिर का निर्माण 12 वीं सदी में अनंतवर्मण चोडगंग ने करवाया था। पूरी स्थित जगन्नाथ मंदिर हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक है जंहा दुनिया भर के श्रद्धालु और पर्यटकों का तांता लगा रहता हैं।

★ कोणार्क सूर्य मंदिर – कोणार्क, ओडिशा

कोणार्क का सूर्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित नागर शैली से स्थापत्य भव्य मंदिर का निर्माण 13 वीं सदी में नर्सिंगदेव गंग ने कराया था। लाल पत्थर के उपयोग से निर्मित कोणार्क का यह सूर्य मंदिर युनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में शामिल हैं। यंहा दुनियाभर के पर्यटकों का भीड़ लगा रहता हैं।

★ लिंगराज मंदिर – भुबनेश्वर, ओडिशा

भुवनेश्वर स्थित भगवान शिव को समर्पित नागर शैली (कलिंग) से स्थापित इस भव्य मंदिर का निर्माण सोमवंशी राजा ययाति प्रथम ने 11 वी सदी में कराया था। इस मंदिर को लाल पत्थर से निर्मित किया गया हैं।

★ बृहदेश्वर मंदिर – तंजावुर, तमिलनाडु

बृहदीश्वर मन्दिर या राजराजेश्वरम् तमिलनाडु के तंजौर में स्थित एक हिंदू मंदिर है जो 11 वीं सदी के आरम्भ में बनाया गया था। इसे पेरुवुटैयार कोविल भी कहते हैं। यह मंदिर पूरी तरह से ग्रेनाइट निर्मित है। विश्व में यह अपनी तरह का पहला और एकमात्र मंदिर है जो कि ग्रेनाइट का बना हुआ है। यह अपनी भव्यता, वास्तुशिल्प और केन्द्रीय गुम्बद से लोगों को आकर्षित करता है। यूनेस्को के विश्व धरोहर घोषित यह मंदिर द्रविड़ शैली से निर्मित हैं। जिसका निर्माण है राजा राज चोल द्वारा करवाया गया था।

★ रामनाथस्वामी मंदिर – तमिलनाडु

भगवान शिव को समर्पित रामेश्वरम धाम भारत के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक हैं। भारत के सभी हिंदू मंदिरों में सबसे लंबा गलियारा वाला रामनाथस्वामी मंदिर या रामेश्वरम मंदिर का विस्तार 12 वीं शताब्दी के दौरान पांड्य वंश द्वारा किया गया था, और इसके प्रमुख मंदिरों के गर्भगृह का जीर्णोद्धार जयवीरा सिंकैरियान और जाफना साम्राज्य के उनके उत्तराधिकारी गुणवीरा सिंकैरियान द्वारा किया गया था।

★ मीनाक्षी मंदिर – मदुरै, तमिलनाडु

मीनाक्षी सुन्दरेश्वरर मन्दिर या मीनाक्षी अम्मां मन्दिर या केवल मीनाक्षी मन्दिर भारत के तमिल नाडु राज्य के मदुरई नगर, में स्थित एक ऐतिहासिक मन्दिर है। 17वी शताब्दी में दक्षिण शैली से निर्मित इस भव्य मंदिर का निर्माण पाण्ड्या राजा द्वारा करवाया गया था। कहा जाता हैं कि भगवान शिव सुन्दरेश्वरर रूप में अपने गणों के साथ पांड्य राजा मलयध्वज की पुत्री राजकुमारी मीनाक्षी से विवाह रचाने मदुरई नगर में आये थे। मीनाक्षी को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। इस मन्दिर को देवी पार्वती के सर्वाधिक पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है।

★ ️️कांचीपुरम मंदिर – कांचीपुरम, तमिलनाडु

कामाक्षी अम्मन मंदिर भारत के तमिल नाडु राज्य के कांचीपुरम तीर्थ नगर में स्थित देवी त्रिपुर सुन्दरी रूप में देवी कामाक्षी को समर्पित एक हिन्दू मंदिर है। द्रविड़ वास्तुशिल्प में निर्मित इस मंदिर का निर्माण पल्लव राजाओं ने संभवतः छठी शताब्दी में किया था। मंदिर के कई हिस्सों को पुनर्निर्मित कराया गया है, क्योंकि मूल संरचनाएं या तो प्राकृतिक आपदा में नष्ट हो गईं या फिर इतने समय तक खड़ी न रह सकीं।

★ ️श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर – तिरुवनंतपुरम, केरल

पद्मनाभ स्वामी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित नागर (कोविंद) शैली से स्थापत्य है। केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित इस मंदिर का पुनर्निर्माण महाराजा मार्तंड वर्मा ने 1773 में कराया था। इस मंदिर प्रवेश में पुरुष को धोती और महिला को साड़ी पहनना अनिवार्य हैं।

★ कामाख्या मंदिर – कामाख्या, आसाम

माँ सती देवी का मंदिर को समर्पित कामाख्या से भी 10 किलोमीटर दूर नीलाचल पर्वत पर स्थित है। प्राचीन काल से सतयुगीन तीर्थ कामाख्या वर्तमान में तंत्र सिद्धि का सर्वोच्च स्थल है। यहीं भगवती की महामुद्रा (योनि – कुण्ड) स्थित है। देश भर मे अनेकों सिद्ध स्थान है जहाँ माता सुक्ष्म स्वरूप मे निवास करती है प्रमुख महाशक्तिपीठों मे माता कामाख्या का यह मंदिर सुशोभित है। 8 वीं – 17 वीं सदी में पूर्ण नीलाचल और कूच शैली में स्थापित इस मंदिर का निर्माण म्लेच्छ वंश के राजा के द्वारा किया गया था। इसका पुनर्निर्माण राजा नर नारायण और बाद में, अहोम राजाओं द्वारा किया गया।

अपनी प्रतिक्रिया दें !

Amit Yadav

दोस्तों नमस्कार ! हम कोशिश करते हैं कि आप जो चाह रहे है उसे बेहतर करने में अपनी क्षमता भर योगदान दे सके। प्रेणना लेने के लिए कही दूर जाने की जरुरत नहीं हैं, जीवन के यह छोटे-छोटे सूत्र आपके सामने प्रस्तुत है... About Us || Contact Us