ईश्वर क्या है ? ईश्वर के प्रति हमारा नजरिया क्या है ? कैसे पा सकते हैं हम ईश्वर को ?
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ईश्वर

दोस्तों, ईश्वर के प्रति हमारा नजरिया क्या है ? क्या ईश्वर से माँगना ही धर्म है ? हम ईश्वर को क्या दे सकते हैं ? ईश्वर हमसे क्या चाहता है ? कैसे पा सकते हैं हम ईश्वर को ? इन सभी सवालों का जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं।

भगवान श्री कृष्ण

ईश्वर क्या है ? ईश्वर के प्रति हमारा नजरिया क्या है ?

परमेश्वर वह सर्वोच्च परालौकिक शक्ति है जिसे इस संसार का सृष्टा और शासक माना जाता है । ईश्वर एक वृत है , जिसका केन्द्र तो सर्वत्र है, किन्तु वृत रेखा कहीं नहीं हैं।

परमात्मा कोई व्यक्ति नहीं है , उसका साक्षात्कार नहीं हो सकता। परमात्मा शक्ति है लेकिन शक्ति भी पदार्थगत नहीं है, आत्मगत है , इसलिए उसका पहला अनुभव स्वयं में प्रवेश पर ही होता है । भगवान् निराकार है और साकार भी । फिर वे इन दोनों अवस्थाओं से परे जो हैं, वे भी हैं । केवल वे ही स्वयं जानते हैं। कि वे क्या हैं।

वास्तव में ईश्वर कोई आदमी नहीं है जो कि कहीं अन्यत्र रहता हो और बुलाने पर आ जाए । चूँकि ईश्वर कोई और नहीं अपितु निजात्मा है । इसलिए भगवान का नाम रटना नहीं है अपितु निज को जानना है , चूँकि निज का बोध ही असली ईश्वर प्राप्ति की उपलब्धि है ।

ईश्वर का अस्तित्व क्या है ?

ईश्वर नाम की कोई सत्ता है । अधिकांश वैज्ञानिक भी ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करते । वैज्ञानिक उसी चीज को स्वीकार करते हैं जो प्रयोगशाला में प्रयोग द्वारा सिद्ध हो । ईश्वर कोई ऐसा पदार्थ नहीं है कि जिसे भौतिक व रासायनिक पदार्थों की भांति प्रयोगशाला में सिद्ध किया जा सके ।

यदि ईश्वर है तो हमें उसे देखना चाहिए , यदि आत्मा है तो हमें उसकी प्रत्यक्ष अनुभूति कर लेनी चाहिए अन्यथा उन पर विश्वास न करना ही अच्छा है । ढोंगी बनने की अपेक्षा स्पष्ट रूप से नास्तिक बनना अच्छा है ।

विज्ञान के अनुसार क्या भगवान है ?

ईश्वर के अस्तित्व पर पड़े पर्दे को उठाने के लिए किए गए अत्याधिक प्रयासों के बाद अब यह प्रमाणित हो गया है कि धरती पर ईश्वर का वजूद है । वैज्ञानिकों ने भी भगवान को मानने से इनकार कर दिया था . उनके अनुसार जो भी चीजें हैं वो सिर्फ विज्ञान की बदौलत ही हैं। लेकिन अब उनको भी ये अहसास हो गया है कि इस पूरे ब्रम्हांड को किसी एक ईश्वरीय शक्ति के द्वारा ही बनाया गया है और इसके बहुत से प्रमाण भी मिल चुके है।

कोणार्क का सूर्य मंदिर

कैसे पा सकते हैं हम ईश्वर को ?

ईश्वरत्व मानवता के उत्कर्ष के साक्षात्कार का साधन मात्र है । जिसे ईश्वर की अनुभूति हो जाती है उसका हृदय दया , करुणा तथा सेवा भावना से सराबोर हो जाता है । ईश्वर कोई बाह्य सत्य नहीं है । वह तो स्वयं के ही परिष्कार की अंतिम चेतना अवस्था है । उसे पाने का अर्थ स्वयं वही हो जाने के अतिरिक्त और कुछ नहीं है ।

साक्षी स्वरूप आत्मा को ज्ञान की आँखों से अपने मन में ही समझकर देखना चाहिए। क्योंकि साक्षी स्वरूप आत्मा का साक्षात्कार किए बिना संसार का जन्म – मरण रूपी झगड़ा छूट नहीं सकता। ईश्वर प्रत्येक व्यक्ति को सच और झूठ में एक को चुनने का अवसर देता है ।

परमात्मा को बाहर मत ढूँढो । परमात्मा कोई आदमी नहीं है, जो तुम्हें बाहर मिल जाएगा । चित्तवृत्ति निर्विषय होने पर जहाँ होती है और सविषयता से पूर्व जहाँ थी वो वही है।

क्या ईश्वर से माँगना ही धर्म है ?

भगवान् को सभी मनुष्यों के साथ एक समान प्रेम है लेकिन अधिकतर लोगों की चेतना का धुंधलापन उन्हें इस दिव्य प्रेम को देखने से रोकता है । अनुकूलता प्रतिकूलता को मत देखो, जिस प्रभु ने उनको भेजा है , उस प्रभु को देखो और उसी को अपना मानकर प्रसन्न रहो ।

हम ईश्वर को क्या दे सकते हैं ?

सभी कुछ वही है , लेकिन जो ‘ मैं ‘ से भरे हैं , वे उसे नहीं जान सकते । उसे जानने की पहली शर्त स्वयं को खोना है । प्रभु को समर्पित करने योग्य मनुष्य के पास ‘ मैं ‘ के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है । शेष जो भी वह छोड़ता है वह केवल छोड़ने का भ्रम है । क्योंकि वह उसका था ही नहीं ।

मेरे लिए इस बात का महत्त्व नहीं कि ईश्वर मेरे पक्ष में है या नहीं । मेरे लिए अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि मैं ईश्वर के पक्ष में रहूँ क्योंकि ईश्वर हमेशा सही होता है । भगवान् को समर्पण करने का अर्थ है अपनी तंग सीमाओं का त्याग करके अपने आपको उनके द्वारा आक्रान्त होने देना और उनकी लीला का केन्द्र बनने देना ।

समाधि क्या होती है ? समाधि किसे कहते हैं ?

जो पुरुष स्वयं को शरीर , प्राण , इन्द्रिय और मन नहीं मानकर साक्षीस्वरूप में स्थित एकमात्र शिव रूप परमात्मा ही समझते हैं , उनकी ऐसी निश्चयात्मक बुद्धि ही समाधि कहलाती है ।

जिसकी पीठ पर परमेश्वर का हाथ हो उसके लिए कुछ भी कठिन नहीं । भगवान् जो चाहे कर दे उसका हाथ कौन पकड़ सकता है । ईश्वर कण – कण में है , वह सर्वव्यापी है । इस कथन का आश्रय सिर्फ इतना है कि आप ईश्वर को हमेशा मौजूद माने।

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This Post Has One Comment

  1. prateek

    एक बेहतरीन और शानदार लेख के लिए आप को बधाइयाँ .. आपका लेख सरल , सभी की समझ में आसानी से आने वाला और सारगर्भित है .. आगे भी इस तरह के विषयों पर लिखते रहें एवं अपने पाठकों के ज्ञान में वृद्धि करते रहें .. यही शुभकामना है .. धन्यवाद

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Amit Yadav

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