भारत में हॉकी टूर्नामेंट | हॉकी से संबंधित कप एंव ट्राफियां
भारत में करीब 150 साल पहले शुरू हुआ हॉकी आज इतना लोकप्रिय जो गया है कि आज भारत के राष्ट्रीय खेल के रूप में जाने जाते है। हॉकी भारत के साथ साथ दुनियाभर में बहुत लोकप्रिय है। तो आइए आज जानते है कि आखिर कैसे हॉकी की शुरुआत हुई और आज इतना लोकप्रिय बन गया।
हॉकी कैसा खेल हैं?
एक ऐसा खेल है हॉकी जिसमें दो टीमें लकड़ी या कठोर धातु या फाईबर से बनी विशेष लाठी (स्टिक) की सहायता से रबर या कठोर प्लास्टिक की गेंद को अपनी विरोधी टीम के नेट या गोल में डालने की कोशिश करती हैं। हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है, और देश के युवाओं – युवतियो द्वारा खेला जाता है। हॉकी विद्यार्थियों के द्वारा सबसे अधिक पसंद किया जाता है। यह तेज खेला जाने वाला खेल है जो, दो टीमों के बीच खेला जाने वाला खेल है, जिसमें दोनों टीमों में 11-11 खिलाड़ी होते हैं। हॉकी दुनिया भर के अन्य देशों में भी खेला जाता है। हाकी अंतर्राष्ट्रीय महासंघ का गठन 1924 में किया गया। इस खेल में पूरे समय खिलाड़ियों की स्थिति, गोल कीपर, दांया पीछे, केन्द्रीय फॉरवर्ड और बांया पीछे बहुत महत्वपूर्ण होती है।
हॉकी का इतिहास
हॉकी का प्रारम्भ वर्ष 2010 से 4,000 वर्ष पूर्व मिस्र में हुआ था। इसके बाद बहुत से देशों में इसका आगमन हुआ पर उचित स्थान न मिल सका। भारत में इसका आरम्भ 150 वर्षों से पहले हुआ था। हॉकी भारत में वर्षों पहले से खेला जाने वाला प्राचीन खेल है। यह 1272 ईसा, पूर्व से पहले आयरलैंड में और 600 ईसा पूर्व के दौरान प्राचीन यूनान में खेला जाता था। अब इसे मैदानी हॉकी के रुप में खेला जाता है, जो 19 वीं सदी में ब्रिटिश द्वीपों में विकसित हुआ था। हॉकी के बहुत से रुप है, जैसे- मैदानी हॉकी, आइस हॉकी, स्लेज हॉकी, रोलर हॉकी, सड़क हॉकी, आदि।हॉकी के विस्तार का श्रेय, विशेषकर भारत और सुदूर पूर्व में, ब्रिटेन की सेना को है। अनेक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के आह्वान के फलस्वरूप 1971 में विश्व कप की शुरुआत हुई।
खेलने के लिए आवश्यक उपकरण
हॉकी को सुरक्षित रुप से खेलने के लिए रुख उपकरणों की आवश्यकता होती है, जिनमें हैलमेट, नेक गार्ड, कंधे के पैड, घुटनों के पैड, कोहनी के पैड, हॉकी की छड़ी, और एक बॉल शामिल है।
भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी को हीं कहा जाता है ?
हॉकी को ही भारत का राष्ट्रीय खेल इसलिए कहा जाता है, क्योंकि भारत इस खेल में बहुत अच्छी जीतों के माध्यम से कई बार गौरवान्वित हुआ है और लोकप्रिय भी। हॉकी के क्षेत्र में लगातार कई सालों तक विश्व विजेता रह चुका है। लगातार जीत ही इस खेल को देश के राष्ट्रीय खेल के रुप में चुनने का कारण बनी। यह भारत में लगभग हर जगह खेला जाता है ।
राष्ट्रीय खेल किसी राष्ट्र की संस्कृति के अन्तर्निहित खेल माना जाता है।
भारत में हॉकी का महत्व :
हॉकी भारत में बहुत महत्वपूर्ण खेल है, क्योंकि भारत को हॉकी के क्षेत्र में कई वर्षों तक विश्व विजेता बनाया है। हॉकी मैदान में खेले जाना खेल है, 1928 में, भारत हॉकी में विश्व चैंपियन पहली बार बना था। 1928 से 1956 तक का समय भारतीय हॉकी के लिए स्वर्णकाल के रुप में जाना जाता है।
यह भारत के प्राचीन ज्ञात खेलों में से एक खेल है।
इस खेल के अस्तित्व को प्राचीन ओलम्पिक खेलों से पहले 1200 साल पुराना खेल माना जाता है।
स्वर्णकाल के दौरान, भारत ने सक्रिय रुप से भागीदारी की और 24 ओलम्पिक खेलों को खेला। सबसे अधिक आश्चर्यचकित करने वाला तथ्य यह था कि, इसने सभी मैचों को 178 गोल बनाकर जीता था। भारत में सबसे पहले हॉकी क्लब कलकत्ता 1885-86 में गठन किया गया था।
भारत में हॉकी
भारत में हॉकी की शुरुआत सबसे पहले कलकत्ता में हुई जहां पहली बार हॉकी खेला गया। भारत टीम का सर्वप्रथम वहीं संगठन हुआ। 26 मई को सन 1928 में भारतीय हाकी टीम प्रथम बार ओलिम्पिक खेलों में सम्मिलित हुई और विजय प्राप्त की। 1932 में लॉस एंजेलिस ओलम्पिक में जब भारतीयों ने मेज़बान टीम को 24-1 से हराया। तब से अब तक की सर्वाधिक अंतर से जीत का कीर्तिमान भी स्थापित हो गया। 24 में से 9 गोल दी भाइयों ने किए, रूपसिंह ने 11 गोल दागे और ध्यानचंद ने शेष गोल किए।
1936 के बर्लिन ओलम्पिक में इन भाइयों के नेतृत्व में भारतीय दल ने पुनः स्वर्ण ‘पदक जीता’ जब उन्होंने जर्मनी को हराया। द्वितीय विश्व युद्ध ने भी इस विश्व स्पर्द्धा को बाधित कर दिया। आठ वर्ष के बाद ओलम्पिक की पुनः वापसी पर भारत की विश्व हॉकी चैंपियन बना, जो विश्व में कोई भी अब तक दुहरा नहीं पाया है। 1956 के मेलबोर्न ओलम्पिक के फ़ाइनल में भारत और पाकिस्तान को 1960 में रोम ओलम्पिक में पाकिस्तान ने फ़ाइनल में 1-0 से स्वर्ण जीतकर भारत की बाज़ी पलट दी।
भारत ने पाकिस्तान को 1964 के टोकियो ओलम्पिक में हराया। 1968 के मेक्सिको ओलम्पिक में पहली बार भारत फ़ाइनल में नहीं पहुँचा और केवल कांस्य पदक जीत पाया। 1972 के म्यूनिख़ ओलम्पिक में दोनों में से कोई भी टीम स्वर्ण पदक जीतने में सफल नहीं रही और क्रमशः दूसरे व तीसरे स्थान तक ही पहुँच सकी। इसके बाद भारत ने केवल एक बार 1980 के संक्षिप्त मॉस्को ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीता। टीम का अस्थिर प्रदर्शन जारी रहा। इसके बाद 1998 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक की प्राप्ति भारतीय हॉकी का एकमात्र बढ़िया प्रदर्शन था। 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने रजत पदक हासिल किया।
भारत में हॉकी अकादमी
देश में हॉकी के गौरव को पुनर्जीवित करने के गंभीर प्रयास हुए हैं। भारत में तीन हॉकी अकादमियां कार्यरत हैं-
- नई दिल्ली में एयर इंडिया अकादमी,
- रांची में विशेष क्षेत्र खेल अकादमी और
- राउरकेला, में स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (सेल) अकादमी।
इन अकादमियों में प्रशिक्षार्थी हॉकी को प्रशिक्षण के अलावा औपचारिक शिक्षा भी जारी रखते हैं और मासिक वृत्ति भी पाते हैं। प्रत्येक अकादमी ने योग्य खिलाड़ी तैयार किए हैं, जिनसे आने वाले वर्षों में इस खेल में योगदान की आशा है।
ओलम्पिक में भारत
भारत के पास 8 ओलम्पिक स्वर्ण पदकों का उत्कृष्ट रिकॉर्ड है। हॉकी के खेल में भारत ने हमेशा विजय पाई है। इस स्वर्ण युग के दौरान भारत ने 24 ओलम्पिक मैच खेले और सभी 24 मैचों में जीत कर 178 गोल बनाए तथा केवल 7 गोल छोड़े। भारतीय हॉकी का स्वर्णिम युग 1928-56 तक था जब भारतीय हॉकी टीम ने लगातार 6 ओलम्पिक स्वर्ण पदक प्राप्त किए।
1928 तक हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल बन गई थी और इसी वर्ष एमस्टर्डम ओलम्पिक में भारतीय टीम पहली बार प्रतियोगिता में शामिल हुई। भारतीय टीम ने पांच मुक़ाबलों में एक भी गोल दिए बगैर स्वर्ण पदक जीता। भारतीय हॉकी संघ के इतिहास की शुरुआत ओलम्पिक में अपनी स्वर्ण गाथा शुरू करने के लिए की गई। इस गाथा की शुरुआत एमस्टर्डम में 1928 में हुई और भारत लगातार लॉस एंजेलस में 1932 के दौरान तथा बर्लिन में 1936 के दौरान जीतता गया।
भारतीय हॉकी दल ने 1975 में विश्व कप जीतने के अलावा दो अन्य पदक (रजत और कांस्य) भी जीते। भारतीय हॉकी संघ ने 1927 में वैश्विक संबद्धता अर्जित की और अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) की सदस्यता प्राप्त की। भारत को 1964 टोकियो ओलम्पिक और 1980 मॉस्को ओलम्पिक में दो अन्य स्वर्ण पदक प्राप्त हुए। 1962 में कांस्य पदक और 1980 में स्वर्ण पदक प्राप्त किया और देश का नाम रौशन कर दिया।
भारत के हॉकी टूर्नामेंट से सम्बंधित कप एवं ट्रॉफी की सूची पूरी जानकारी के साथ
भारत में खेले जाने वाले हॉकी जिसमे भारत के अलग- अलग राज्यो के अलग- अलग टीमें शामिल होते हैं। यह एक सामूहिक खेल है, और इसे ग्यारह खिलाड़ियों के दो दलों के बीच खेला जाता हैं। जो भारत के ही मैदानों में खेला जाते हैं। इसमें कई कप एवं ट्रॉफी शामिल हैं, जिनमे से कुछ प्रमुख हॉकी टूर्नामेंट इस प्रकार है।
आगा खाँ कप :
1950 के दशक के अंत और 1980 के दशक की शुरुआत में यह एशियाई क्लबों के बीच एक प्रतिष्ठित टूर्नामेंट था। यह भारत की हॉकी से सम्बंधित है । यह हॉकी के उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले टिमो को दिया जाता है। पहली संगठित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता थी जिसमें एशिया के चारों ओर क्लब टीमें शामिल थीं। यह बांग्लादेश में खेला गया था।
बेगम रसूल ट्रॉफी (महिला)
यह भारत की हॉकी से सम्बंधित है। बेगम रसूल (महिला) भारत की संविधान सभा में एकमात्र मुस्लिम महिला थीं। इन्होंने संविधान सभा ने भारत के संविधान का प्रारूप तैयार किया था। भारतीय महिला हॉकी कप का नाम उनके नाम पर रखा गया है। भारतीय महिला हॉकी महासंघ के अध्यक्ष का पद को भी संभाला था। और यह हॉकी के उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले टिमो को दिया जाता है।
महाराजा रणजीत सिंह स्वर्ण कप :
महाराजा रणजीत सिंह पुरस्कार को जितने वाले पहले व्यक्ति परगट सिंह थे। यह भारत की हॉकी से सम्बंधित स्वर्ण कप है। इस पुरस्कार की शुरुआत 1978 में की गई थी। और यह हॉकी के उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले टिमो को दिया जाता है।
नेहरू ट्रॉफी :
जवाहरलाल नेहरू हॉकी टूर्नामेंट हॉकी से सम्बंधित है, जिसका आयोजन जवाहरलाल नेहरू हॉकी टूर्नामेंट सोसाइटी (JNHTS) द्वारा किया जाता है। इस ट्रॉफी का नाम पंडित जवाहर लाल नेहरू जी के नाम पर रखा गया है। यह ट्रॉफी हॉकी के उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले टिमो को दिया जाता है।
सिंधिया गोल्ड कप
यह भारत की हॉकी से सम्बंधित है। इसमे भारत की अलग – अलग राज्यों से महिलाओ की टीम भाग लेते हैं। और विजेता टीम को यह सिंधिया गोल्ड कप दी जाती है।
मुरुगप्पा गोल्ड कप :
मुरुगप्पा गोल्ड कप हॉकी खेल से संबंधित है। यह कोलकाता में बेइटन कप के बाद भारत का दूसरा सबसे पुराना हॉकी टूर्नामेंट है। इसका 93वां अखिल भारतीय एमसीसी-मुरुगप्पा गोल्ड कप हॉकी टूर्नामेंट चेन्नई के एग्मोर के मेयर राधाकृष्णन स्टेडियम में आयोजित किया गया था।
इंदिरा गांधी गोल्ड कप :
इंदिरा गांधी कप हॉकी खेल से सम्बंधित है इस खेल में दो टीमें खेलती हैं। अब तक चलने वाले सबसे पुराने फील्ड हॉकी टूर्नामेंटों में से एक हैं ।और यह हॉकी से सम्बंधित कप है। हॉकी के विजेता उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले टिमो को दिया जाता है।
बेटन कप :
यह हॉकी बंगाल द्वारा आयोजित किया जाता है, जिसे पहले बंगाल हॉकी एसोसिएशन कहा जाता है। बेटन कप अब तक चलने वाले सबसे पुराने फील्ड हॉकी टूर्नामेंटों में से एक है। यह हॉकी से सम्बंधित कप है। इसे पिछले कुछ वर्षों से एस्ट्रो पर आयोजित किया गया है। और यह हॉकी के उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले टिमो को दिया जाता है।
लेडी रतन टाटा ट्रॉफी ( महिला) :
लेडी रतन टाटा ट्रॉफी भारत में महिलाओं के लिए आयोजित होने वाली राष्ट्रीय स्तर की हॉकी प्रतियोगिता है। इसका नामकरण एक भारतीय व्यवसायी रतन टाटा के नाम पर किया गया है। और यह हॉकी के उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले टिमो को दिया जाता है।
गुरुनानक चैम्पियनशिप महिला
यह हॉकी के उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले महिला टिमो को दिया जाता है। यह भारत की हॉकी से सम्बंधित है। और यह गुरुनानक जी के नाम पर रखा गया है।
ध्यानचन्द ट्रॉफी
यह ध्यानचन्द के नाम पर रखा गया है। जो की हॉकी के जादूगर के नाम से भी जाने जाते हैं। यह भारत की हॉकी से सम्बंधित है। और हॉकी के विजेता टीम को उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले टिमो को दिया जाता है। ध्यानचन्द ट्रॉफी अब तक चलने वाले सबसे पुराने फील्ड हॉकी टूर्नामेंटों में से एक है। यह हॉकी से सम्बंधित ट्रॉफी है।
रंगास्वामी कप :
यह कप 1928 में सबसे पहली बार शुरू किया गया था। यह भारत की हॉकी से सम्बंधित है। इस कप के द्वारा ओलंपिक के लिए खिलाड़ी चुने जाते थे, और विजेता टीम को हॉकी के उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले टिमो को दिया जाता है। इसे सबसे पहला कप यूनाइटेड प्रॉविन्सेस ने जीता था।
हॉकी से जुड़े कुछ और महत्वपूर्ण सवालों के जवाब
भारत में हॉकी की शुरुआत कब हुई?
भारत में हॉकी भारत में यह खेल सबसे पहले कलकत्ता में खेला गया। भारत टीम का सर्वप्रथम वहीं संगठन हुआ। 26 मई को सन 1928 में भारतीय हाकी टीम प्रथम बार ओलिम्पिक खेलों में सम्मिलित हुई और विजय प्राप्त की।
हॉकी खेल का जन्मदाता कौन है?
भारत मे हॉकी के जनक जयपाल सिंह मुंडा है।
हॉकी का जन्मदाता देश कौन सा है?
इसे सुनेंरोकेंहॉकी का प्रारम्भ वर्ष 2010 से 4,000 वर्ष पूर्व मिस्र में हुआ था।
हॉकी की खोज किसने की?
विभिन्न संग्रहालय इस बात का प्रमाण देते हैं कि कोलंबस के नई दुनिया में आने से कई शताब्दियों पहले रोमन और यूनानियों के साथ-साथ एज़्टेक द्वारा भी खेल का एक रूप खेला गया था। हॉकी का आधुनिक खेल 18वीं शताब्दी के मध्य में इंग्लैंड में उभरा और इसका श्रेय ईटन जैसे पब्लिक स्कूलों के विकास को जाता है।
विश्व में कितने देश आइस हॉकी खेलते हैं?
वर्तमान में लगभग 80 देश इस खेल को खेल रहे हैं और 74 देश चैंपियनशिप लीग में भाग लेते हैं।
हॉकी के मैदान को क्या कहते हैं?
मैदानी हॉकी अथवा फ़ील्ड हॉकी (Field hockey) कहते है।
हॉकी का खेल कितने मिनट का होता है?
फील्ड हॉकी मैच खेलने की अवधि 60 मिनट होती है, जिसे चार क्वार्टर में खेला जाता है। इस दौरान पहले और तीसरे क्वार्टर के बाद दोनों टीमों को दो मिनट का ब्रेक मिलता है। हालांकि हाफ टाइम के बाद 15 मिनट का अंतराल भी होता है।
भारतीय हॉकी टीम के प्रथम कप्तान कौन है?
ओलंपिक आयोजन में भारतीय हॉकी टीम के पहले कप्तान जयपाल सिंह मुंडा थे।
आइस हॉकी में सबसे अच्छा देश कौन सा है?
फिनलैंड रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर हैं। शीर्ष पांच ओलंपिक के बाद उसी क्रम में बने हुए हैं। फ़िनलैंड के बाद कनाडा, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और स्वीडन का स्थान है।
हॉकी में ब्लू लाइन क्या है?
दो मोटी नीली रेखाएँ हैं जो रिंक को तीन भागों में विभाजित करती हैं, जिन्हें ज़ोन कहा जाता है। इन दो पंक्तियों का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि कोई खिलाड़ी ऑफसाइड है या नहीं । यदि कोई आक्रमण करने वाला खिलाड़ी पक करने से पहले दूसरी टीम के क्षेत्र में रेखा को पार करता है, तो उसे ऑफसाइड कहा जाता है।
हॉकी में कितने हाफ होते हैं?
किसी भी हॉकी मैच में 35-35 मिनट के दो हाफ होते हैं। हर टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं और 5 अतिरिक्त खिलाड़ी होते हैं।
हॉकी स्टिक की लंबाई कितनी होती है?
मैच के दौरान खेले जाने वाले हॉकी स्टिक की लंबाई 105 सेमी तक होती है और इसका वजन 737 ग्राम से अधिक नहीं हो सकता है।
हॉकी स्टिक ब्लेड कितना मोटा होता है?
मैच में खेले जाने वाले हॉकी स्टिक शाफ्ट की दीवार की मोटाई लगभग 0.07 से 0.1 इंच तक भिन्न हो सकती है, अधिमानतः लगभग 0.075 से 0.095 इंच और अधिमानतः लगभग 0.080 से 0.085 इंच।
हॉकी का मैदान कितना बड़ा होता है?
यह खेल चौकोर मैदान पर 11 खिलाड़ियों वाले दो दलों के बीच खेला जाता है। यह मैदान 91.4 मीटर लंबा और 55 मीटर चौड़ा होता है, इसके केंद्र में एक केंद्रीय रेखा व 22.8 मीटर की दो अन्य रेखाएँ खिंची होती हैं। गोल की चौड़ाई 3.66 मीटर व ऊँचाई 2.13 मीटर होती है।