छठ पूजा कब है | छठ पूजा कब से और क्यों मनाया जाता है?

छठ पूजा कब है | छठ पूजा कब से और क्यों मनाया जाता है | छठ पूजा विधि

भारत देश एक गणतांत्रिक देश है जो अलग- अलग राज्यों का समावेश है। भारत के इन राज्यों की सबकी अपनी एक अलग- अलग पहचान है। जैसे – गीत, संगीत, नृत्य और त्यौहार जो उस राज्य की खूबसूरती, संस्कृति और सामाजिक रीति – रिवाजों को बयां करती है। तो चलिए देखते है उत्तर भारत की एक प्रमुख त्यौहार छट पूजा के बारे में।

छठ पूजा

छठ पूजा कब है | छठ पूजा कब से और क्यों मनाया जाता है?

छठ पूजा एक पारंपरिक त्योहार है, और यह पर्व बिहारीयों का सबसे बड़ा पर्व है ये उनकी संस्कृति है। छठ पर्व बिहार मे बड़े धुम- धाम से मनाया जाता है। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार कि संस्कृति बन चुका हैं। छठ पूजा को देश के कई हिस्सों में बिहार और उत्तर प्रदेश से आये उत्तर भारतीय आर्य लोगों की पहचान के रूप में देखा जाता रहा है।

भारत में छठ पूजा

भारत में अक्टूबर और नवंबर का महीना त्योहारों के महीने के रूप में जाना जाता हैं। इस बीच लगातार कई त्योहार मनाए जाते हैं और उनमें से एक है छठ पूजा। यह दीवाली के ठीक बाद मनाया जाता है, क्योंकि दीपावली हिन्दू धर्म के पवित्र माह कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है और दीपावली लगातार इन त्योहारों के साथ- साथ चलता है जिनमे सबसे पहले धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली (लक्ष्मी पूजा), गोवर्धन पूजा, भाई दूज, तुलसी विवाह इन त्योहारों को मनाने के बाद फिर छठ पूजा के साथ 6 वां दिन आता है। वास्तव में यह एक अद्भुत अनुभव है और सबसे प्रतीक्षित त्योहारों में से एक त्योहार है।

हमारे त्योहार कुछ ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित होते हैं और वे हमारे लिए बहुत मायने रखते हैं। हम विभिन्न देवी – देवताओं से प्रार्थना करते हैं और अपनी बेहतरी की कामना करते हैं और एक अवसर को मनाते हैं। छठ पूजा उत्तर भारत के सबसे पारंपरिक त्योहारों में से एक है और वास्तव में नई पीढ़ी को संस्कार सीखना चाहिए और हमारी परंपराओं का पालन करना चाहिए।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व की पहचान छठ पूजा

छठ पूजा का सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष इसकी सादगी पवित्रता और लोकपक्ष है। भक्ति और आध्यात्म से परिपूर्ण इस पर्व में बाँस निर्मित सूप, टोकरी, मिट्टी के बर्त्तनों, गन्ने का रस, गुड़, चावल और गेहूँ से निर्मित प्रसाद और सुमधुर लोक गीतों से होकर लोक जीवन की भरपूर मिठास का प्रसार करता है। छठ पर्व का महाप्रसाद ठेकुआ होता है।

छठ पर्व कब मनाया जाता है?

षष्ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के क्षेत्रों सहित लगभग पूरा उत्तर भारत में मनाया जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को यह व्रत मनाये जाने के कारण इसका नामकरण छठ व्रत पड़ा। छठ पूजा साल में दो बार होती है। एक चैत मास में और दुसरा कार्तिक मास शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि, पंचमी तिथि, षष्ठी तिथि और सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है।

कैसे मनाया जाता है छठ पूजा?

षष्ठी देवी माता को कात्यायनी माता के नाम से भी जाना जाता है। यह प्राकृतिक सौंदर्य और परिवार के कल्याण के लिए की जाने वाली एक महत्वपूर्ण पूजा है। इस पुजा में गंगा स्थान या नदी तालाब जैसे जगकह होना अनिवार्य होता हैं। यही वजह है ,कि “छठ पूजा” के लिए सभी नदी, तालाब कि साफ – सफाई किया जाता है। और नदी तालाब को सजाया जाता है।

छठ पूजा की शुरुआत कैसे हुआ?

ऐतिहासिक रूप से, छट पूजा के बारे में पौराणिक कथाओं में बताया गया है। एक कथा के अनुसार – प्रथम देवासुर संग्राम में जब असुरों के हाथों देवता हार गये थे, तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए देवारण्य के देव सूर्य मंदिर में आराधना की थी। तब प्रसन्न होकर ‘छठी मैया’ ने उन्हें सर्वगुण संपन्न तेजस्वी पुत्र होने का वरदान दिया था। इसके बाद अदिति के पुत्र हुए त्रिदेव रूप आदित्य भगवान, जिन्होंने असुरों पर देवताओं को विजय दिलायी।

इसके अलावा छठ पूजा मनाने के पीछे कई कहानियां है। ऐसा माना जाता है कि दानवीर कर्ण ने इसकी शुरुआत की थी।

सूर्य पूजा महाभारत के अनुसार, दानवीर कर्ण सूर्य के पुत्र थे। और प्रतिदिन सूर्य की उपासना करते थे। कथानुसार, सबसे पहले कर्ण ने ही सूर्य की उपासना शुरू की थी। वह प्रतिदिन स्नान के बाद नदी में जाकर सूर्य को अर्घ्य देते थे। इसके अलावा लंका के राजा रावण का वध कर अयोध्या आने के बाद भगवान श्रीराम और माता सीता ने राम राज्य की स्थापना के लिए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को उपवास रखा था और सूर्य देव की पूजा की थी। फिर द्रौपदी ने पांच पांडवों के बेहतर स्वास्थ्य और सुखी जीवन लिए छठ व्रत रखा था और सूर्य की उपासना की थी, जिसके परिणाम स्वरुप पांडवों को उनको खोया राज पाट वापस मिल गया था।

छट पूजा से जुड़े महत्वपूर्ण बातें

छठ पर्व किस प्रकार मनाते हैं?

भैयादूज के तीसरे दिन से यह आरम्भ होता है। पहले दिन सेन्धा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। जिन घरों में यह पूजा होती है, वहाँ भक्तिगीत गाये जाते हैं।

छठ व्रत रखने की विधि :

चार दिनों के इस व्रत में व्रति को लगातार उपवास करना होता है। इस उत्सव में शामिल होने वाले लोग नये कपड़े पहनते हैं। जिनमें किसी प्रकार की सिलाई नहीं की गयी होती है व्रति को ऐसे कपड़े पहनना अनिवार्य होता है। महिलाएँ साड़ी और पुरुष धोती पहनकर छठ पूजा करते हैं। छठ पर्व को शुरू करने के बाद सालों साल तब तक करना होता है, जब तक कि अगली पीढ़ी की किसी विवाहित महिला इसके लिए तैयार न हो जाए। घर में किसी की मृत्यु हो जाने पर यह पर्व नहीं मनाया जाता है।

इस अवसर पर विशेष रूप से पकाया जाने वाला पारंपरिक प्रसाद सबसे अच्छा लगता है। लोग खास्ता और ठेकुआ खाना बेहद ही पसंद करते हैं जो इस अवसर पर बनाये जाने वाले दो मुख्य प्रसाद हैं। यह एक बहुत बड़े त्योहार की तरह लगता है क्योंकि परिवार के सभी सदस्य इसे एक साथ मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि छठ पर्व पर व्रत करने वाली महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। पुत्र की चाहत रखने वाली और पुत्र की कुशलता के लिए सामान्य तौर पर महिलाएँ यह व्रत रखती हैं।

लोग छठ माता की प्रार्थना क्यों करते हैं?

लोगों का बहुत दृढ़ विश्वास है, इसीलिए हर साल वे इस अवसर को बहुत ईमानदारी से मनाते हैं। वह हमारे जीवन को आनंद और खुशी से भर देती है जो हम सभी को पसंद है।

छठी की रात क्यों मनाई जाती है?

छठी की पूजा तथा रात्रि जागरण करने से बच्चे को दीर्घायु की प्राप्ति होती हैं। इसलिये छठी की पूजा रात में मनाई जाती है।

बिहार में छठ पूजा का महत्व है?

छठ पूजा बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। लगभग सभी सभ्यताओं ने भगवान सूर्य की पूजा की है, लेकिन बिहार में इसका एक अनूठा रूप है। इसलिये छठी की बिहार राज्य में काफ़ी महत्व रखती है। छठ पूजा एकमात्र ऐसा अवसर है जहां उगते सूरज के साथ डूबते सूर्य की पूजा की जाती है।

क्या है छठ पूजा?

यह एक ऐसा त्यौहार है जो भारत में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, और असम के कुछ हिस्सों, राज्यों में विशेष रूप से मनाया जाता हैं। इस पूजा में, लोग भगवान सूर्य से उनकी बहन छठ माता को प्रभावित करने की प्रार्थना करते हैं। वे उगते सूरज के साथ – साथ प्रतिदिन अस्त होते हुए सूर्य की भी प्राथना करते हैं और इस त्योहार को मनाते हैं।

छठ पूजा किन राज्यों में मनाई जाती है?

छठ एक प्राचीन हिंदू त्योहार है जो ऐतिहासिक रूप से भारतीय उपमहाद्वीप का मूल निवासी है, विशेष रूप से, भारतीय राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड और मधेश और लुंबिनी के नेपाली प्रांत ।

सूर्य को अर्घ्य क्यों देते हैं?

सूर्य को अर्ध्य देने से ऊर्जा की होती है प्राप्ति। प्राचीन काल में लोग तालाब या नदी में स्नान करते समय सूर्य देवता को अर्घ्य देते थे। धार्मिक मान्यतानुसार, सुबह उठकर सूर्य देवता के दर्शन करने और जल अर्पित करने से व्यक्ति की आत्मा और मन को ऊर्जा मिलती है।

अपनी प्रतिक्रिया दें !

Scroll to Top