ड्रग्स क्या है नशीली दवाएं क्या होती हैं, और उनसे क्यों बचना चाहिए,

ड्रग्स क्या है ड्रग्स लेने से क्या होता हैं

दोस्तो आपने समाचार पत्रों से, रेडियो से, टी.वी. से आप रोज नशीली दवाओं के बारे में पढ़ते सुनते और देखते हो। आप यह भी जानते हो कि दुनियाभर की सरकारें नशीली दवाओं के विरुद्ध कानून बना रही हैं। अनेक लोग नशीली दवाओं की रोकथाम में लगे हैं। पुलिस हर रोज़ नशीली दवाओं को लाने – ले जाने वालों को पकड़ कर जेल भेजती है । सबसे कहा जाता है कि नशीली दवाओं के सेवन से बचें मगर बहुत लोग नहीं जानते कि ड्रग्स क्या है नशीली दवाएं होती क्या हैं ? और उनसे क्यों बचना चाहिए ? उन पर सरकारें बंदिश क्यों लगाती हैं ? पुलिस उनका व्यापार करने वालों और सेवन करने वालों को क्यों पकड़ती है?

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“ड्रग्स क्या है :जो दवाएं शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं , उन्हें ‘ ड्रग्स ‘ कहते हैं । जो बीमारी को ठीक करने के लिए खाई जाती हैं , उन्हें अंग्रेजी में ‘ मैडीसन ‘ कहते हैं”

ड्रग्स बेचना अपराध है । दुनिया के हर देश में ऐसा कानून लागू है ।

दवाएं जहर ही होते हैं । मगर जब उन्हें बहुत कम मात्रा में बहुत सी दूसरी दवाओं में मिलाकर कई रोगों के लिए नई दवाएं बनाने में प्रयोग में लाया जाता है तो वह जहर नहीं रहतीं । इसीलिए उन्हें दवाएं ही कहते हैं । फर्क करने के लिए जहर वाली दवाओं को ‘ ड्रग्स ‘ और आम रोगों में काम आने वाली दवाओं को मैडीसिन नाम से पुकारा जाता है । ड्रग्स यानी नशीली दवाएं स्वास्थ्य का नाश करती हैं। लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ता है, तो देश कमजोर होता है । इसीलिए हर देश की सरकार ने ड्रग्स पर प्रतिबंध लगाया हुआ है इसलिए नशीली दवाओं का व्यापार करना , रखना या सेवन करना कानूनन जुर्म है ।

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नशीली दवाएं शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली सूरत में ही ली जाती हैं , उन्हें “ड्रग्स ” कहा जाता है और ड्रग्स में बहुत – सी दूसरी चीजें मिलाकर बीमारी को अच्छा करने वाली जो दवा बनाई जाती है, उसे मैडीसिन कहते हैं । जहर कोई भी हो, जब तक शरीर के अंदर नहीं पहुंचता , नुकसान नहीं करता। जहर शरीर में चार तरीकों से पहुंचता है। या तो वह खाया जाए, या इंजेक्शन के द्वारा शरीर के अंदर पहुंचाया जाए या फिर शरीर के कटे-फटे किसी भी अंग से छू जाए, या सांस के द्वारा शरीर में जाए।

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जहर तीन तरह के होते हैं । एक वे , जिन्हें चखते ही शरीर के अंग काम करना बंद कर देते हैं । जैसे पोटाशियम साइनाइड। दूसरे वे , जिन्हें खाने से कुछ घंटे बाद अंग काम करना बंद करते हैं। जैसे सांप का विष। तीसरे वे, जिनके शरीर में जाते रहने पर अंग धीरे – धीरे काम करना बंद करते जाते हैं । जैसे नशीली दवाएं जिनके बारे में हम तुम्हें बता रहे हैं । बच्चे ध्यान से पापा की बातें सुन रहे थे। शरीर के अंगों पर धीरे – धीरे घातक असर डालने वाले ‘ जहर को ही ड्रग्स कहते हैं । ऐसा ही एक ज़हर है निकोटिन ।

निकोटीन क्या होता है ? वह शरीर के अंगों पर घातक असर कैसे डालता है

निकोटिन तम्बाकू में पाया जाता है । जिस चीज़ में तम्बाकू होता है, समझ लो उसमें अंगों पर धीरे – धीरे घातक प्रभाव डालने वाला ज़हर निकोटिन होता है ।

तम्बाकू का निकोटिन सीधा दिमाग पर असर डालता है । सिगार, सिगरेट, बीड़ी का धुआं हमारे फेफड़ों तक जाता है । उस धुएं के साथ गया निकोटिन फेफड़ों पर जमता रहता है । इससे फेफड़े सख्त हो जाते हैं । आदमी का दम फूलने लगता है । वह स्वस्थ आदमी की तरह न सीढ़ियां चढ़ सकता है , न मेहनत का काम कर सकता है । न उसका खून ही ठीक तरह से साफ होता है ।

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ऐसा ही असर तम्बाकू को सुरती या पान के साथ खाने में होता है। आमाशय में जाकर तम्बाकू का निकोटिन खून में मिल जाता है । निकोटिन मिला खून जब दिल में पहुंचता है , तो निकोटिन दिल की मांस – पेशियों पर जमना शुरू कर देता है । इतना ही नहीं , निकोटिन खून ले जाने वाली शिराओं में जमकर उन्हें भी कड़ा बनाना शुरू कर देता है । इससे दिल न तो सारे शरीर में आसानी से खून भेज पाता है और न ही शिराएं आसानी से खून को आगे भेज पाती हैं ।

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हमारे शरीर के भीतरी अंगों पर खाल तो होती नहीं । बाहरी अंगों की अपेक्षा भीतरी अंग काफी कोमल होते हैं । निकोटिन उन पर जल्दी असर करता है । इससे कैंसर जैसी भयानक बीमारी भी हो सकती है। बच्चों के भीतरी अंग बड़ों के भीतरी अंगों से काफी कोमलऔर कच्चे होते हैं । इसीलिए निकोटिन बच्चों पर और अधिक तेजी से असर करता है।

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तम्बाकू पीते या खाते हैं, वे कम उम्र में ही अधिक उम्र के लगने लगते हैं । उनके बाल सफेद हो जाते हैं । सांस में बदबू आने लगती है । दौड़ने से उनकी सांस फूलने लगती है । आंखें कमजोर हो जाती हैं | सदा सुस्ती सवार रहती है । भूख भी खुलकर नहीं लगती ऐसे बच्चों को । बीमार रहते हैं, सो अलग । फिर क्या लाभ है तम्बाकू पीने या खाने से ! निकोटिन में नशा होता है , जो शरीर को नुकसान पहुंचाता है । इसलिए निकोटिन भी ‘ ड्रग्स ‘ में आता है ।

अल्कोहल क्या है इसका शरीर पर प्रभाव किस प्रकार पड़ता हैं

पानी जैसी तरल अल्कोहल भी ‘ड्रग्स’ में गिनी जाती है। अल्कोहल को दूसरी प्राण रक्षक दवाओं के साथ मिलाकर अनेक रोगों को ठीक करने वाली दवाएं बनाई जाती हैं , मगर शराब में इसकी सबसे अधिक मात्रा होती है जो शरीर को खोखला कर डालती है ।

शरीर में जाती है, तो सीधा दिमाग पर असर डालती है । दिमाग काम करना बंद सा कर देता है । इसी से न टांगें सही ढंग से चल पाती हैं, न हाथ सही ढंग से काम कर पाते हैं, न आंखें सही सही देख पाती हैं और न कान सुन पाते हैं । अल्कोहल दिमाग को कमजोर बनाती है । नजर को कमजोर करती अल्कोहल खून में मिलकर दिल और गुर्दे पर घातक असर डालती है । दिल की बीमारियां हो जाती हैं । गुर्दे खराब हो जाते हैं । इन सबका असर फेफड़ों पर पड़ता है। खून के साथ अल्कोहल फेफड़ों में जाकर उन्हें गला देती है। टी . बी . हो जाती है शरीर बीमारियों का घर बन जाता है।

मारिजुआना ( गांजा )क्या हैं ये शरीर पर कैसा प्रभाव डालता हैं

भांग, गांजा, अफीम और चरस हमें पौधों से मिलते हैं। भांग और अफीम खाई जाती है । गांजा और चरस सिगरेट , हुक्के या चिलम से पिया जाता है । ये सब शरीर के भीतरी अंगों पर बुरा असर डालते हैं ।

अफीम भी नशीली दवा है और भांग भी । और दवाओं के साथ मिलाकर इनसे भी अनेक रोगों की औषधियां बनाई जाती हैं । अकेले खाने से ये हानि पहुंचाती हैं ।

भांग के पौधे की तरह ही गांजे का पौधा होता है । उस पौधे की पत्तियों के चूरे को गांजा कहते हैं । उस पौधे से निकलने वाले गोंद को चरस कहते हैं । गांजा और चरस दोनों ही बेहद हानिकारक नशीली दवाएं हैं । इन दोनों को सिगरेट , पाइप या हुक्के में भरकर पिया जाता है ।

तम्बाकू और शराब ही की तरह इन दोनों से भी दूर रहना चाहिए । गांजा व चरस दिमाग पर बुरा असर डालते हैं । इन्हें पीने वाले की बुद्धि मंद पड़ जाती है । याद्दाश्त कमजोर हो जाती है । दिल और फेफड़ों पर भी ये गलत असर डालते हैं इनके उपयोग से सांस फूलने लगती है । आदमी मेहनत का काम नहीं कर पाता । शरीर आलसी बनता चला जाता है । पेट खराब रहने लगता है । शरीर में खुश्की बढ़ जाती है , आंखें खराब हो जाती हैं , कम सुनाई देने लगता हैं

कोकीन किसे कहते हैं कोकीन कैसा होता हैं ये शरीर पर कैसा प्रभाव डालता हैं

कोकीन कोका नाम के पौधे से बनाई जाती हैं। देखने में वह सफेद रंग के पाउडर की तरह होती है, जैसे चीनी रख दी हो। मगर शरीर को हानि पहुंचाने में इसका जवाब नहीं। कोकीन दिल, दिमाग, फेफड़ों और जिगर पर तो घातक प्रभाव डालती ही है , यह आदमी को कहीं का भी नहीं छोड़ती।

तम्बाकू , शराब , भांग आदि की लत कुछ कोशिश करके छोड़ी जा सकती है , मगर कोकीन की लत मरते दम तक नही छूटती । कोकीन आदमी की उम्र आधी से भी कम कर देती है । इसका नशेबाज जब तक जीता है , अधमरा और शक्तिहीन बना रहता है ।

इनके अलावा भी लोग नशे के लिए तरह – तरह की दूसरी ‘ ड्रग्स ‘ का इस्तेमाल करते हैं । जैसे ‘हेरोइन’ भी पाउडर होती है , नशेबाज गर्म करके नाक के रास्ते लेते हैं । ‘स्मैक’ भी पाउडर होता है जिसका जहरीला धुआं नशेबाज नाक से सूघते हैं । वह सीधा दिमाग पर घातक प्रभाव डालता है । नशा कोई भी हो , शरीर को बड़ी जल्दी उसकी लत पड़ जाती है । पड़ जाने पर यदि ‘ड्रग्स’ नहीं मिलती, तो नशेबाज पागल – सा जाता है।

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जितनी भी ड्रग्स यानी नशीली दवाएं होती हैं न, आदमी का मरते दम तक पीछा नहीं छोड़ती । शुरू – शुरू में लोग इन्हें चखने के लिए या यूं कहो , शौकिया पीते हैं । कुछ दोस्तों की ज़िद करने पर पीते हैं , कि कुछ नहीं होगा , पीकर तो देखो । मगर फिर ये ‘ ड्रग्स ‘ लत में बदल जाती है । पीने या लेने वाला लाख चाहे कि इनसे पीछा छूट जाए मगर मुश्किल होता है ।

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इन नशीली दवाओं को लोग इसलिए लेते हैं कि ये कुछ देर के लिए उनके दिमाग को सुन्न या ठप्प कर देती हैं । दिमाग सुन्न पड़ता है , तो उनका सारा शरीर ढीला और बेदम बन जाता है । नशीली दवा खाने या पीने वाला सोचता है कि ऐसा करने से उसे चैन मिलता है , लेकिन होता इसका उल्टा है । शरीर इन नशीली दवाओं का आदी बन जाता है और ये दवाएं धीरे – धीरे शरीर के भीतरी अंगों को ख़राब और बीमार बनाती चली जाती हैं ।

दोस्तों अब आपको मालूम हो ही गया होगा की नशा करना हमारे लिए कितना घातक होता हैं तो आप भी इन सभी नशीली चीजों से दूर रहे और स्वस्थ रहे। दोस्तों यदि आपको ड्रग्स क्या है नशीली दवाएं क्या होती हैं, और उनसे क्यों बचना चाहिए, पोस्ट हेल्पफुल लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ सोशल मिडिया पर शेयर जरूर करे।

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