इच्छाएं क्या हैं और इनसे मुक्त कैसे हुआ जा सकता है जाने विद्वानों के नजरिए से
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  • Post last modified:December 23, 2020

इच्छा

व्यक्ति की इच्छाओं का अन्त नहीं है । व्यक्ति की एक इच्छा पूर्ण होती है , दूसरी सिर उठा लेती है और इस इच्छा पूर्ति के चक्रजाल में फँसा व्यक्ति एक दिन इस संसार से विदा हो जाता है । तो चलिए देखते हैं कि इच्छाएं क्या हैं और इनसे मुक्त कैसे हुआ जा सकता है जाने विद्वानों के नजरिए से ।

इच्छा क्या हैं ?

एक ऐसा मनोवृत्ति जो किसी ऐसी वस्तु की प्राप्ति की ओर ध्यान ले जाती है जिससे किसी प्रकार के सुख की संभावना होती है इच्छा कहलाता हैं।

इच्छाएं क्या हैं और इनसे मुक्त कैसे हुआ जा सकता है जाने विद्वानों के नजरिए से

  • जब तक इच्छा का लवलेश भी विद्यमान है , ईश्वर का दर्शन नहीं हो सकता । इसलिए अपनी छोटी – छोटी इच्छाओं और सम्यक् विचार एवं विवेक द्वारा बड़ी – बड़ी इच्छाओं का त्याग कर दो । -स्वामी रामकृष्ण
  • इच्छा मात्र से ही थोड़ा पा लिया जाए , तो इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति घुड़सवार हो । -शेक्सपीयर
  • यदि हमारी इच्छा-शक्ति क्षुद्र और कमजोर होगी तो हमारी मानसिक शक्तियों का कार्य भी वैसा ही होगा । -स्वेट मार्डेन

  • परस्पर विरोधी इच्छाएँ कठिनाइयाँ , रंज और दुःख लाती हैं । -स्वामी रामतीर्थ
  • सारी आफत इच्छा और कामवासना में है , नहीं तो इस दुनिया में शरबत ही शरबत है । -मौलाना रूम
  • इच्छा पर विचार का शासन रहे । -बाल्मीकि
  • इच्छा की प्यास कभी नहीं बुझती , न पूर्णरूप से संतुष्ट -सिसरो

  • इच्छाओं को त्यागने वाले यतियों का गुणगान उतना ही असम्भव है , जितना कि संसार में अब तक मरे हुओं की होती है । संत तिरुवल्लुवर
  • पवित्र और दृढ़ इच्छा सर्वशक्तिमान है । – स्वामी विवेकानन्द गिनती करना ।
  • अपनी आवश्यकताएँ कम करके आप वास्तविक शान्ति प्राप्त कर सकते हैं । -महात्मा गांधी
  • दूसरों की स्वच्छंदता हमें असंतुष्ट कर देती है , लेकिन हम अपनी इच्छाओं का अवरोध करना नहीं जानते । – सन्तवाणी

  • आत्मा इच्छाओं को बल और बढ़ावा देती हैं । – सन्तवाणी
  • इच्छा करना और कर्म करना दोनों में आकाश पाताल का अन्तर है । इच्छा को हम जल का नाम दें और कर्म को खौलता हुआ जल कहें तो खौलता जल ही जीवन की गाड़ी को उसके लक्ष्य तक पहुँचाएगा । यदि पहली इच्छा का दमन कर दोगे तो अन्य इच्छाओं के प्रसव से बच सकोगे । -फ्रैंकलिन
  • जीने की इच्छा ही सब दुःखों की जननी है , मरने की तैयारी ही सब सुखों की जननी है । -स्वामी रामतीर्थ •
  • अभिलाषा सब दुखों का मूल है ।
  • मनुष्य की इच्छाओं पर उसके विवेक का शासन आवश्यक है । -शेक्सपीयर
  • यौन आनन्द उठाने की इच्छा सबसे बुरी इच्छा है । तब आप संतान उत्पन्न करने की विद्या का दुरुपयोग करते हैं । -आदि शंकराचार्य

  • इच्छा – शक्ति की अग्नि जहाँ प्रज्ज्वलित होती है वहीं अहिंसा , सादगी और विजय की पताका दृष्टिगोचर होती है । -लालबहादुर शास्त्री
  • वास्तव में विद्वान वह है जो अपनी इच्छा को त्यागकर परमात्मा की इच्छा से कार्य करता है ।
  • इच्छाओं को शान्त करने से नहीं , अपितु उन्हें परिमित करने से शान्ति प्राप्त होती है । इच्छा के अनुकूल हों । -हेबर
  • यदि तुम स्वयं को अपनी इच्छा के अनुकूल नहीं बना सकते , तो तम दूसरों से कैसे आशा कर सकते हो कि वे तुम्हारी -वेदान्त तीर्थ

  • बुद्धिमान व्यक्ति सदैव आत्मसंतुष्टि रूपी लौ को अपनी इच्छाओं की आहुति से प्रकाशमान बनाए रखते हैं । -रामकृष्ण परमहंस
  • दुनिया में प्रसन्न व स्वस्थ रहने का एक ही उपाय है कि अपनी जरूरतों को कम से कम कर देना चाहिए । -महात्मा गांधी
  • इच्छा शक्ति सबसे बलवती है । इच्छा शक्ति के सामने सभी को झुकना पड़ेगा , क्योंकि वह स्वयं प्रकृति से आती है । शुद्ध और दृढ़ इच्छा – शक्ति सर्वशक्तिमान होती है । -स्वामी विवेकानन्द

  • यदि हमारी इच्छाओं का पवित्र ध्येय सदा परमात्मा होता , तो हम उतने दुःखी न होते , परन्तु प्रायः कोई न कोई आसक्ति भीतर बनी ही रहती है या बाहर से कुछ ऐसी घटना हो जाती है जो हमें अपनी ओर आकर्षित करती है । -गुरुवाणी
  • पतंगे की नक्षत्र के लिए इच्छा, रात्रि की दिवस की चाह और अपने दुख के बाद अज्ञात सुख की कामना – यही तो -शेली जीवन की चिर – अतृप्त इच्छाएँ हैं ।
  • अभिलाषाओं से ऊपर उठ जाओ , वे पूरी हो जाएँगी । माँगोगे तो उसकी पूर्ति तुमसे दूर चली जाएगी।- स्वामी रामतीर्थ

  • इच्छाओं का संघर्ष यह प्रकट करता है कि अब जीवन व्यवस्थित होना चाहता है खलील जिब्रान
  • देवताओं की समीपता पाने के लिए इच्छाओं में कमी करते चले जाइए । सुकरात
  • इच्छा मानव ज्ञान की सहज स्फुरणा है , बस ध्यान रहे कि वह वासना के रूप में परिवर्तित न हो जाए , क्योंकि तब वह दुःख ही देगी । -स्वामी रामतीर्थ
  • जो तमाम इच्छाओं से ऊपर उठ गया है , उसके द्वारा भलाई सदा इस तरह अनजाने, सहज और स्वाभाविक तौर से होती रहती है जैसे फूल से खुश्बू और सितारों से रोशनी निकलती हैं । स्वामी रामतीर्थ

दोस्तो अंत मे यही कहना चाहूंगा कि अपने स्वभाव में हमेशा सरलता रखिये ताकि अपनी इच्छाओं पर आप कंट्रोल कर सके। दोस्तों इच्छाएं क्या हैं और इनसे मुक्त कैसे हुआ जा सकता है जाने विद्वानों के नजरिए से पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर जरूर करे।

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Amit Yadav

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