आशा का अर्थ ? आशा क्या हैं ? आशा से जीवन कैसे सफल होता हैं।

आशा ही जीवन है और इस को जीवन इसलिए कहा गया है कि इससे जीने की प्रेरणा मिलती हैं। आशा से बल मिलता है । आशावादी कभी हतोत्साहित नहीं होता और उसमें जीवन की उन्नति की , सफलता और जीत की लाखों सम्भावनाएँ अंगड़ाइयाँ लेती हैं । तो आइये देखते हैं आशा का अर्थ क्या है आशा क्या हैं ? आशा से जीवन कैसे सफल होता हैं।

निराशा और आशा मन के खेल हैं , उनसे मुक्त रहकर कार्य करना मनुष्य का धर्म है । प्रयत्नशील व्यक्तियों के लिए आशा सदैव जीवित रहती है । आशावाद ही वह पथ है , जो सफलता की ओर से जाता है । आशा के बिना कोई भी कार्य किया ही नहीं जा सकता ।

आशा का अर्थ

आशा का अर्थ है थका नहीं हूँ , टूटा नहीं , बिना पास वापस नहीं जाऊँगा। जो विषयों की आशा करते हैं वे तो दास हैं । जिन्होंने भगवान् में विश्वास करके आशा को जीत लिया , वे ही भगवान् सच्चे सवेक हैं।

आशा क्या हैं?

आशा दुखियों के लिए एकमात्र औषधि है । आशा उत्साह की जननी है । आशा में तेज है , बल है , जीवन है । आशा ही संसार की संचालन शक्ति है ।

जिसके पास आशा से बंधे कर्म हैं , उसके पास सब कुछ है । इस सत्य को धारण करो कि भगवान् न पराए हैं , न तुमसे दूर हैं और न ही दुर्लभ हैं । जीवन में आशा – निराशा धूप – छांव के समान है । मनुष्य के लिए निराशा पाप समान है । पाप की निराशा रूपी लता को हटाकर आशावादी बनो । आशा अमर है । उसकी अराधना कभी निष्फल नहीं होती । आशा मनुष्य के लिए अमृत के समान है । जिस प्रकार पेड़ पौधों को सूरज से जीवन मिलता है उसी प्रकार आशा से मनुष्य में नए उत्साह का संचार होता है ।

आशा उस वक्त भी आपके साथ रहती है , जब दुःख में हर व्यक्ति आपका साथ छोड़ चुका हो । तुम दूसरों से कैसे आशा कर सकते हो कि वह तुम्हारी आशा के अनुकूल हो यदि तुम स्वयं को ही अपनी इच्छा के अनुरूप नहीं बना सकते। नई चीज सीखने की जिसने आशा छोड़ दी , वह बूढ़ा के समान है।

आशा जीवन का लंगर है उसका सहारा छोड़ने से आदमी भवसागर में बह जाता है । श्रम व आशा करने से ही कार्य पूरे होते हैं। निराशा मस्तिष्क के लिए पक्षाघात है जैसे जिस्म के लिए लकवा । निराशा संभव को असंभव बनाकर प्रस्तुत करती है। सच्चा साहसी वह व्यक्ति है जो निराशा को हावी नहीं होने देता हैं।

आशा और आत्मविश्वास ही वह वस्तुएँ हैं जो हमारी शक्तियों को जागृत करती हैं , हमारी उत्पादन शक्ति को दुगुना तिगुना बढ़ा देती हैं । निराशा और आशा को धूप – छांव के समान समझें । अच्छी निद्रा और परम सुख उन्हें प्राप्त होता है जो आशा से बरी हैं । जीवन में निराशा से बड़ा कोई अभिशाप नहीं है । जब कोई बात हमारी आशा के विरुद्ध हो , तभी दुख होता है ।

निरर्थक आशा से बंधा मानव अपना हृदय सुखा डालता है और आशा की कड़ी टूटते ही वह झट से विदा हो जाता है । मनुष्य को तपस्या द्वारा रूप , सौभाग्य और मनोवांछित रत्न प्राप्त होते हैं । भाग्य के भरोसे रहने वाले को निराशा ही मिलती है । जो केवल आशाओं के सहारे जीता है , शीघ्र ही वह भूखा मर जाएगा । आशा तो बड़ी चीज है , और फिर बच्चों की आशा । उनकी कल्पना तो राई को पर्वत बना देती है ।

जिस व्यक्ति में सफलता के लिए आशा और आत्मविश्वास है , वही व्यक्ति जीवन की सभी कठिनाइयों को झेलते , हँसते – हँसते जीवन के उच्च शिखर पर पहुँच पाते हैं । वास्तव में जिसे किसी प्रकार की आशा नहीं है , वही सुख से सोता है । आशा का न होना परम पद की प्राप्ति है ।

आशा का अर्थ ? आशा क्या हैं ? इससे से जीवन कैसे सफल होता हैं।

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