कथन शैली क्या है | शैली किसे कहते है | कथन शैली के प्रकार

कथन शैली क्या है? शैली किसे कहते है? कथन शैली के प्रकार..

चाहे आप कंही भी रहे, किसी भी परिस्थिति में रहे आपकी बात आपकी कथन बहुत मायने रखता है। आप अपने बातों से, अपने कथन शैली से बड़े से बड़ा काम आसानी से निकाल लेता है। क्योंकि आपके जो कथन शैली है वो सामने वाला पर विशेष प्रभाव डालता है। इसलिए ये समझना जरूरी है कि आखिर यर कथन शैली कैसी होनी चाहिए, इसके क्या क्या तरीके है। तो इसके लिए आइये देखते है कथन शैली क्या है? शैली किसे कहते है? इसके प्रकार क्या क्या है?

कथन शैली क्या है?

कथन अर्थात बात या आप जो कहना चाहते है और शैली मतलब कहने का तरीका स्पस्ट रूप से अपनी बात को दूसरे तक प्रेषित करने की कला को ही कथन शैली कहते है। कथन शैली किसी भी व्यक्ता के लिए अति महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसे इससे व्यक्ता अर्थात कहने वालो की अभिव्यक्ति झलकता है।

कथन शैली क्या है

कथन शैली किसे कहते है?

शैली सामान्य कार्य पद्धति है। शैली से आशय किसी भी विधि, पद्धति, तरीका, ढंग, प्रणाली आदि से है। कथन शैली कर परिपेक्ष्य मे इसका अर्थ बात कहने की पद्धति से लगाया जा सकता है। कथन शैली अभिव्यक्ति का तरीका है। प्रत्येक व्यक्ति का कहने का अपना अलग तरीका होता है जिसे कथन शैली कहते है।

कथन शैली मनुष्यो के विचार भाव से उतपन्न करने का एक अपना तरीका होता है विचार परिधान ही शैली है। संसार मे जितने मनुष्य है उन सभी का बोलने का और करने का ढंग अलग अलग होता है। अर्थात यह कह सकते है की संसार मे जितने भी लोग है सभी की शैलियां तरह-तरह की हो सकती है। सबकी अपनी बोलचाल की एक अलग तरीका होता है।

किसे कहते है कथन शैली और क्या है कथन शैली जानने के बाद अब आइये देखते है इसके क्या क्या प्रकार है? कितने प्रकार के होते है कथन शैली।

कथन शैली कितने प्रकार के होते है?

साहित्यिक दृष्टि से देखा जाय तो कथन की मुख्यतः चार शैली है। जिनमे वितरणात्मक शैली, मूल्यांकनपरक शैली, व्याख्यात्मक शैली, और विचारात्मक शैली शामिल है। आइये अब देखते है इन चारों शैलियों को विस्तृत जानकारी के साथ।

1. वितरणात्मक शैली

इस शैली की बात करे तो ये एक ऐसा शैली है जिसमे कोई भी वक्ता कोई भी बात नहीं कहता किंतु किसी घटना, वस्तु, परिस्थिति का प्रस्तुतिकरण करता है। इसमें वक्ता निरपेक्ष रहता है। अपना कोई भी मत नहीं देता जैसे देखता, सुनता है वैसा ही प्रस्तुत करता है।

2. मूल्यांकनपरक शैली

मूल्यांकन का अर्थ मूल्य के अंकन से है। अर्थात इस शैली में किसी भी परिस्थिति, घटना, व्यक्ति, वास्तु को देखने या सुनने से ही मनुष्य की मूल्यांकन परक बुद्धि सक्रिय हो जाती है। समालोचन समीक्षा प्रस्तुत करना मूल्यांकन शैली की लक्षण,है।

3. व्याख्यात्मक शैली

जौसे की नाम से ही पता चलता है ये कैसा शैली है। इसमें व्याख्याकार का प्रयास दुरुह एवं अस्पष्ट विषय वस्तु को इतना सरल कर देता है की वाह सर्वग्राहा हो जाए। सूत्र रूप मे लिखी हुई बातों को स्पस्ट के लिए व्याख्यात्मक शैली का प्रयोग होता है। किसी भी बात को अनेक प्रकार के अनेक सिद्धांतो के माध्यम से समझाने का प्रयास किया जाता है।

4. विचारात्मक शैली

कथन शैली के चार भागों में ये एक महत्वपूर्ण शैली है। ये एक ऐसा शैली है जिसमे विषय वस्तु की गहराई मे जाकर उसकी विविध पक्षों पर तर्कपुर्ति विचार करना विचारात्मक शैली है। इस शैली मे तकनिकी शब्दावली एवं तकनिकी भाषावली का का प्रयोग किया जाता है।

बात कैसे करना चाहिए?

आपके बात ही आपके हथियार है। इसलिए इसका प्रयोग सोच समझकर करना चाहिए, क्योंकि वाणी एक ऐसा हथियार है जिसका दुष्प्रभाव खुद पर ही ज्यादा पड़ता है। आप किसी से मिले या कुछ कंही कुछ कहे तो आपके बातों में वजन होना चाहिए, और ये वजन आपके कथन शैली से आता है अर्थात आपके बात करने का तरीका ही आपका व्यक्तित्व दर्शाता है आप किस प्रकार के है। इसलिए कंही भी किसी से भी मिले तो उनसे हमेशा विन्रमता के साथ बात करे, ऊपर बताये गए बाते है वो सभी होना चाहिए। अगर आप बात करने के तरीके जानना चाहते है तो ये पढ़े।

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