बालश्रम की परिभाषा, कारण, परिणाम, उपाय और बालश्रम संबंधी अधिनियम

बालश्रम

बाल श्रम एक दंडनीय कार्य है एवं ऐसे व्यक्ति या संस्थाएँ जो बाल श्रम का उपयोग करती हैं। दंड के अधिकारी होंगी। बाल श्रम को रोकने के लिए शासन के द्वारा भी प्रयास किये जा रहे हैं। इस पोस्ट के द्वारा आप जानेंगे कि बालश्रम की परिभाषा, कारण, परिणाम, उपाय और बालश्रम संबंधी अधिनियम क्या है।

बालश्रम की परिभाषा, कारण, परिणाम, उपाय और बालश्रम संबंधी अधिनियम

बालश्रम बाल श्रम की परिभाषा

14 वर्ष से कम आयु के बालक जिसका श्रम किसी उपार्जन के लिए अथवा खतरनाक व्यावसायिक नियोजन के लिए प्रयोग में लाया जाता है, बाल श्रम कहलाता है।

बाल श्रम के कारण बाल श्रम कारण

  • गरीबी- गरीबी के कारण बालकों को भी मजदूरी के लिए बाध्य होना पड़ता है।
  • पालकों की बेरोजगारी- यदि माता – पिता को रोजगार न मिले तो बालकों को मजदूरी करके परिवार का खर्च चलाना पड़ता है।
  • परिवार का आकार परिवार का आकार बड़ा होता है तो जीवन यापन के लिए बच्चों को भी मजदूरी करनी पड़ती है। कुछ व्यवसाय जो पारंपरिक होते हैं
  • परम्पराओं का निर्वाह उनमें परिवार के अपने बच्चे जुड़ते जाते हैं। भले ही वे आर्थिक रूप से कमजोर न हों
  • माता पिता द्वारा बालकों का शोषण माता – पिता स्वयं काम न करके अपने बच्चों का शोषण करते हैं। बालकों से भीख मँगवाना चोरी, पाकेटमारों के लिए प्रेरित करते हैं।
  • शासन की ढिलाई शासन की ढिलाई के कारण आज तक बालश्रम बंद नहीं हुआ है ।

बाल श्रम के परिणाम

  • बाल श्रमिकों का शोषण माता – पिता एवं अन्य लोगों के द्वारा बालकों का शोषण किया जाता है । उन्हें पर्याप्त मजदूरी तक नहीं दी जाती।
  • बालश्रमिकों के स्वास्थ्य पर प्रभाव- स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि तम्बाखू फैक्टरी काँच के कारखानों में कार्य करने वाले बाल श्रमिक शीघ्र ही अपना स्वास्थ्य खो देते हैं।
  • बालकों का मौलिक अधिकारों से वंचित होना रोटी, कपडा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य ये बालक के मौलिक अधिकार हैं जिनसे बालक वंचित रह जाता है
  • अशिक्षा का प्रसार – बालक कार्य करने के लिए मजबूर होता है तो वह शाला में विद्याध्ययन के लिए नहीं जा सकता । इस तरह अशिक्षा का प्रसार होता है।
  • बालकों में अनुचित आदतों का विकास- बालक अनेक गलत आदतें जैसे- नशा करना, चोरी करना, पाकेटमारी आदि का शिकार हो जाता है।

बाल श्रम के उपाय

  • परिवार का छोटा आकार यदि परिवार छोटा होगा तो पिता की मजदूरी से घर खर्च चलाया जा सकेगा।
  • बालकों को रोजगारोन्मुख शिक्षा देना- शिक्षा रोजगार प्रदान करने वाली हो।
  • पालकों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना- यदि पालकों को रोजगार मिलेगा तो बच्चों को श्रम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
  • कानून का कड़ाई से पालन हो- बाल श्रम अधिनियम को कड़ाई से लागू कराया जाये ।
  • माता-पिता का शिक्षित होना- माता-पिता शिक्षित होंगे तो वे बच्चों के विकास पर ध्यान दे सकेंगे।

बाल श्रम को रोकने के लिए शासन द्वारा प्रयास

  • निर्धारित आयु 14 वर्ष से कम आयु के बालकों द्वारा लिया गया कार्य बाल श्रम की श्रेणी में आयेगा।
  • एक बालक एक दिन में 06 घण्टे से अधिक कार्य नहीं करेगा।
  • सायं 07 से प्रातः 08 बजे के बीच बालक से कोई कार्य नहीं लिया जा सकेगा।
  • सप्ताह में एक दिन के पूर्ण अवकाश का वह हकदार होगा।
  • बालक के स्वास्थ्य की दृष्टि से कार्यस्थल पर ध्यान रखना होगा।
  • कोई भी ऐसे कार्य जो बालक के स्वास्थ्य को हानि पहुँचा सकते हैं वहाँ बालक कार्य नहीं कर सकेंगे। जैसे- बीड़ी, सिगरेट के निर्माण स्थल पर, तम्बाकू या अफीम के खेतों में, रसायनों के कारखानों में, अत्याधिक धूल, धुएँ युक्त स्थल पर।
  • खतरनाक मशीनों पर बालक कार्य नहीं करेंगे।
  • खतरनाक स्थलों जैसे- इस्पात संयंत्र के भट्टियों में, बड़ी – बड़ी मशीनों पर तथा विस्फोटक एवं ज्वलनशील पदार्थों से बालकों को दूर रखा जायेगा।

कानून के अनुसार बाल श्रम के लिए प्रतिबंधित कार्य क्षेत्र

  • बीड़ी बनाने
  • कालीन बुनना
  • सीमेंट बनाना या बोरियों में भरना
  • दियासलाई या विस्फोटक पदार्थों के निर्माण में
  • चमड़ा निर्माण
  • साबुन निर्माण
  • स्लेट पेन्सिल या पत्थर काटना।

यदि इन निर्माण केन्द्रों में बाल श्रमिक पाये गये तो केन्द्रों के उच्च अधिकारियों पर कार्यवाही कर उन्हें दण्ड का प्रावधान है। यह दंड आर्थिक या कारावास के रूप में भी हो सकता है

बाल श्रम संबंधी प्रमुख अधिनियम

  • 1901 खदान अधिनियम
  • 1911 फैक्ट्री अधिनियम
  • 1923 भारतीय खाद्य अधिनियम
  • 1926 फैक्ट्री संशोधित अधिनियम
  • 1931 भारतीय बंदरगाह अधिनियम ( संशोधित )
  • 1932 चाय बागान मजदूर अधिनियम
  • 1933 बाल बंधुआ श्रम अधिनियम
  • 1934 फैक्ट्री अधिनियम
  • 1935 भारतीय खदान अधिनियम ( संशोधित ) 1938 बाल रोजगार अधिनियम
  • 1948 फैक्ट्री अधिनियम
  • 1951 बाल रोजगार ( संशोधित ) अधिनियम
  • 1951 बाल श्रम अधिनियम
  • 1952 खदान अधिनियम
  • 1958 व्यापारिक जहाजरानी अधिनियम
  • 1961 मोटर ट्रांसपोर्ट मजदूर अधिनियम
  • 1966 बीड़ी और सिगार मजदूर अधिनियम
  • 1978 बाल रोजगार अधिनियम ( संशोधित )
  • 1986 बाल श्रम ( नियमन एवं उन्मूलन ) अधिनियम

भारतीय संविधान की अनुच्छेद और भाग की पूरी जानकारी,

  • ब्रिटिश सरकार द्वारा राजकीय श्रम आयोग का गठन किया गया जिसमे वर्ष 1901 में बनाए गए खदान अधिनियम में सरकार द्वारा 12 वर्ष से कम आयु के बच्चे को काम पर लगाना अपराध माना जाने लगा।
  • 1922 में कारखाना एक्ट बना जिसमें 12 वर्ष से कम व्यक्ति को बालक माना गया और उनके काम करने की अवधि 6 घण्टे ( आधा घण्टा विश्राम ) निश्चित की गई।
  • 2003 में 86 वें संविधान संशोधन द्वारा 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान सरकार ने किया।
  • 1979 में गुरुपद स्वामी समिति का गठन किया जिसने अपनी रिपोर्ट में बालश्रम का मुख्य कारण गरीबी माना है।
  • 1986 में एक विस्तृत अधिनियम बालश्रम निषेध एवं नियमन अधिनियम 986 बनाया जिसके माध्यम से 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक उद्योगों में तथा भारी उद्योगों में नहीं लगाया जा सकता है।
  • केन्द्र द्वारा बनाया गया राष्ट्रीय चार्टर 2003 बच्चों को अपने संविधानिक अधिकारों के उपयोग पर अधिक बल देता है। इसमें बच्चों की खुशहाली के लिए समाज में जागरुकता लाने का प्रयास किया गया है।
  • वर्ष 1990 में राष्ट्रीय श्रमिक संस्थान में श्रम मंत्रालय और यूनीसेफ के सहयोग से बाल श्रमिकों के संबंध में अध्ययन, शिक्षण और प्रशिक्षण शोध परियोजनाएँ आदि चलाने हेतु बाल श्रमिक सेल की स्थापना की गई।
  • बच्चों की सुरक्षा और देखभाल के लिए ही संसद ने बाल न्याय अधिनियम 2000 पारित किया जिसने किशोर न्यायिक अधिनियम 1986 का स्थान लिया। इसमें किए गए प्रावधानों को बच्चों के अनुकूल बनाए जाने हेतु किशोर न्याय संशोधन विधेयक 2006 को संसद द्वारा पास किया गया जिसमें विशेष रूप से किशोर अपराधियों के नाम या फोटो प्रकाशित या प्रसारित करने वालों पर 25 हजार रुपए का दण्ड लगाने का प्रावधान है।
  • निःशुल्क चाइल्ड लाइन फोन सेवा 1098 आरंभ की गई है। इस नम्बर पर फोन करके बच्चे अपनी सहायता माँग सकते हैं । इस सेवा में आपदाग्रस्त बच्चों को आशा की एक नई किरण दिखाई दी है।भारत सरकार और अमरीको श्रम विभाग ने देश के 21 जिलों में बाल श्रमिकों के पुनर्वास के लिए इंडस ( इंडा – यूएस ) नाम की एक संयुक्त परियोजना आरंभ की है।
  • इसका लक्ष्य एक केन्द्रित और एकीकृत रूप से परियोजनागत क्षेत्र में जोखिमकारी उद्योगों में बालश्रम का पूरी तरह उन्मूलन करना है।

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