भारतीय संविधान की अनुसूचियां
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश हैं। यंहा की संविधान सबसे बड़ा लिखित संविधान हैं। भारतीय संविधान की संरचना कई देशों के संविधान से लेकर किया गया था। भारत के मूल संविधान में 8 अनुसूचियाँ थीं। वर्तमान में इसे बढ़ाकर 12 कर दिया गया है। तो आइये देखते है भारतीय संविधान की अनुसूची कौन कौन से है और कितने है देखे पूरी सूची
संविधान की अनुसूची का क्या मतलब है
भारतीय संविधान के किसी निश्चित अनुच्छेद की व्याख्या कहाँ निहित होती है अनुसूचियों में निहित होता हैं। अनुसूचियाँ, जो कि संविधान का एक भाग होती हैं। संविधान की अनुसूची संसद के संशोधन की शक्ति के अधीन होता है। संविधान की अनुसूची क्या क्या है और इसमें किसका विवरण है आइये देखे पूरी जानकारी।
भारतीय संविधान की अनुसूची कितने है देखे पूरी सूची विस्तृत जानकारी के साथ
अनुसूची 1 – भारतीय राज्य एवं संघ राज्य क्षेत्र का वर्णन
भारतीय संविधान के प्रथम अनुसूची में संविधान की पहली अनुसूची अनुच्छेद 1 और अनुच्छेद 4 की व्याख्या है तथा इसमें भारतीय संघ के घटक सभी राज्यों एवं समस्त संघ शासित क्षेत्रों का उल्लेख है। संविधान के 62 वें संशोधन के द्वारा दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा दिया गया है 2 जून 2014 को आंध्र प्रदेश से पृथक तेलंगाना राज्य बनाया गया। इससे पहले राज्यों की संख्या 28 थी। फिर अगस्त 2019 में भारत की संसद ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 पारित किया जिसके द्वारा 31 अक्टूबर 2019 को लद्दाख एक केन्द्र शासित प्रदेश बन गया। लद्दाख क्षेत्रफल में भारत का सबसे बड़ा केन्द्र शासित प्रदेश है।
अनुसूची 2 – वेतन
भारतीय संविधान के द्वितीय अनुसूची में भारत के राज व्यवस्था के विभिन्न पदाधिकारियों ( राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्य सभा के सभापति एवं उपसभापति, विधान सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, विधान परिषद के सभापति एवं उपसभापति, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक आदि) को प्राप्त होने वाले वेतन, भत्ते और पेंशन का उल्लेख किया गया है।
अनुसूची 3 – शपथ ग्रहण
भारतीय संविधान के तीसरी अनुसूची में उच्च संवैधानिक पदों के लिए पद एवं गोपनीयता की शपथ का प्रारूप का उल्लेख हैं। जिसमे विभिन्न पदाधिकारियों जैसे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मंत्री, उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा पद ग्रहण के समय ली जाने वाली शपथ का उल्लेख है।
अनुसूची 4 – राज्य सभा सीट आवंटन
भारतीय संविधान के चौथा अनुसूची में भारत के विभिन्न राज्यों तथा संघीय क्षेत्रों की राज्य सभा में प्रतिनिधित्व का विवरण दिया गया है। जिसमे कौनसे राज्य में कितने सीट होंगे इससे संबंधित पूरा उल्लेख इस अनुसूची के अंतर्गत है।
अनुसूची 5 – अनुसूचित जाति, जनजाति क्षेत्र प्रशासन
भारतीय संविधान की पांचवी अनुसूची भारत के 10 राज्यों के आदिवासी इलाकों में लागू है। इस सूची के अंतर्गत अनुसूचित क्षेत्रों तथा अनुसूचित जनजाति के प्रशासन व नियंत्रण के बारे में बताया गया है। यह अनुसूची स्थानीय समुदायों का लघु वन उत्पाद, जल और खनिजों पर अधिकार सुनिश्चित करती है।
अनुसूची 6 – असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिज़ोरम के जनजातीय क्षेत्र के प्रशासन
भारतीय संविधान के छठवीं अनुसूची में पूर्वोत्तर भारत के राज्यों जिसमे असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में उल्लेख है। यह अनुसूची इन जनजातीय क्षेत्रों के स्वायत्त स्थानीय प्रशासन का अधिकार प्रदान करती है। यह विशेष प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 244 (2) और अनुच्छेद 275 (1) के तहत प्रदान किया गया है।
अनुसूची 7 – केंद्र और राज्यों की शक्तियां
भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में केंद्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों के बंटवारे के बारे में बताया गया है। इसके अन्तगर्त तीन सूचियाँ है- संघ सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची।
- संघ सूची : इस सूची में दिए गए विषय पर केंद्र सरकार कानून बनाती है। संविधान के लागू होने के समय इसमें 97 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 98 है।
- राज्य सूची : इस सूची में दिए गए विषय पर राज्य सरकार कानून बनाती है। राष्ट्रीय हित से संबंधित होने पर केंद्र सरकार भी कानून बना सकती है। संविधान के लागू होने के समय इसके अन्तर्गत 66 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 61 विषय हैं।
- समवर्ती सूची : इसके अन्तर्गत दिए गए विषय पर केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारें कानून बना सकती हैं।परंतु कानून के विषय समान होने पर केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून ही मान्य होता है। राज्य सरकार द्वारा बनाया गया कानून केंद्र सरकार के कानून बनाने के साथ ही समाप्त हो जाता है। संविधान के लागू होने के समय समवर्ती सूची में 47 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 52 विषय हैं।
अनुसूची 8 – 22 भाषाओं का उल्लेख
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची भारत की भाषाओं से संबंधित है। इस अनुसूची में 22 भारतीय भाषाओं को शामिल किया गया है। शुरू में संविधान में 14 मान्यता प्राप्त भाषाए थी। इसके बाद, सिन्धी भाषा को 21 वाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1967 कोंकणी भाषा, मणिपुरी भाषा, और नेपाली भाषा को 71 वाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1992 ई. में जोड़ा गया। सन 2004 में संशोधन करके चार नई भाषाए मैथली, संथाली, डोगरी और बोडो को इसमें शामिल किया गया।
अनुसूची 9 – राज्य द्वारा संपत्ति अधिग्रहण की विधियों का उल्लेख
भारतीय संविधान की इस अनुसूची को प्रथम संविधान संसोधन अधिनियम 1951 द्वारा जोड़ा गया था। इस अनुसूची में 284 अधिनियम है, जिनमे राज्य सरकार द्वारा सम्पति अधिकरण का उल्लेख प्रमुख है। नौवीं अनुसूची में केंद्र और राज्य कानूनों की एक ऐसी सूची है, जिन्हें न्यायालय के समक्ष चुनौती नहीं दी जा सकती। वर्तमान में संविधान की 9 वीं अनुसूची में कुल 284 कानून शामिल हैं जिन्हें न्यायिक समीक्षा संरक्षण प्राप्त है अर्थात इन्हें अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है। परंतु यदि कोई विषय मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है तो उच्चतम न्यायालय कानून की समीक्षा कर सकता है।
अनुसूची 10 – दल बदल प्रावधान
भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची के अंतर्गत दल-बदल सम्बन्धित कानूनों का उल्लेख किया गया है। इसे 52 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1985 द्वारा मूल संविधान में जोड़ा गया था। यह अनुसूची दल-बदल करने वाले सदस्यों को अयोग्य ठहराने संबंधी प्रावधानों को परिभाषित करता है। इसका उद्देश्य राजनीतिक लाभ और पद के लालच में दल बदल करने वाले जन-प्रतिनिधियों को अयोग्य करार देना है, ताकि संसद की स्थिरता बनी रहे।
अनुसूची 11 – पंचायती राज प्रावधान
भारतीय संविधान की यह अनुसूची पंचायती राज के बारे में बताती है जिसके अंतर्गत पंचायती राज से सम्बन्धित 29 विषय है। इस अनुसूची को 73 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा जोड़ा गया। इस अनुसूची में पंचायत की शक्तियां, ग्रामीण विकास, गरीबी उन्मूलन, बाजार, सड़क और पीने का पानी जैसे जरूरी विषय शामिल हैं।
अनुसूची 12 – नगरपालिका प्रावधान
भारतीय संविधान की इस अनुसूची के अंतर्गत शहरी क्षेत्रों के स्थानीय स्वशासन, संस्थानों के बारे में बताया गया है। इस अनुसूची को 74 वें संविधान संशोधन 1992 द्वारा जोड़ा गया था। इस अनुसूची में इससे सम्बन्धित 18 विषय है।