भारत में अर्थव्यवस्था | भारतीय अर्थव्यवस्था | Economy of India

भारत में अर्थव्यवस्था

भारत एक समय मे सोने की चिड़िया कहलाता था। पहली सदी से लेकर दसवीं सदी तक भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। पहली सदी में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) विश्व के कुल जीडीपी का 32.9% था। सन् 1000 में यह 28.9% था। और सन् 1700 में 24.4% था।

लेकिन ब्रिटिश काल में भारत की अर्थव्यवस्था का जमकर शोषण व दोहन हुआ जिसके फलस्वरूप 1947 में आज़ादी के समय में भारतीय अर्थव्यवस्था अपने सुनहरी इतिहास का एक खंडहर मात्र रह गई। आज़ादी के बाद से भारत का झुकाव समाजवादी प्रणाली की ओर रहा।

1991 के बाद भारत की अर्थव्यवस्था

1991 में भारत को भीषण आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा जिसके फलस्वरूप भारत को अपना सोना तक गिरवी रखना पड़ा। उसके बाद नरसिंह राव की सरकार ने वित्तमंत्री मनमोहन सिंह के निर्देशन में आर्थिक सुधारों की लंबी कवायद शुरु की जिसके बाद धीरे धीरे भारत विदेशी पूँजी निवेश का आकर्षण बना और अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी बना।

भारत में अर्थव्यवस्था | भारतीय अर्थव्यवस्था | Economy of India

भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। 1991 से भारत में बहुत तेज आर्थिक प्रगति हुई है जब से उदारीकरण और आर्थिक सुधार की नीति लागू की गयी है और भारत विश्व की एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरकर आया है। हालाँकि मूलभूत ढाँचे में तेज प्रगति न होने से एक बड़ा तबका अब भी नाखुश है और एक बड़ा हिस्सा इन सुधारों से अभी भी लाभान्वित नहीं हुये हैं।

इन आर्थिक सुधारों के साथ 1991 के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में सुदृढ़ता का दौर आरम्भ हुआ। इसके बाद से भारत ने प्रतिवर्ष लगभग 8% से अधिक की वृद्धि दर्ज की। अप्रत्याशित रूप से वर्ष 2003 में भारत ने 8.4 प्रतिशत की विकास दर प्राप्त की जो दुनिया की अर्थव्यवस्था में सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था का एक संकेत समझा गया।

यही नहीं 2005-06 और 2007-08 के बीच लगातार तीन वर्षों तक 9 प्रतिशत से अधिक की अभूतपूर्व विकास दर प्राप्त की। कुल मिलाकर 2004-05 से 2011-12 के दौरान भारत की वार्षिक विकास दर औसतन 8.3 प्रतिशत रही, किंतु वैश्विक मंदी की मार के चलते 2012-13 और 2013-14 में 4.6 प्रतिशत की औसत पर पहुंच गई।

विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

2003-2004 में भारत विश्व में 12वीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था थी। 2005 में यह 10वें स्थान पर थी। संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी प्रभाग (यूएनएसडी) के राष्ट्रीय लेखों के प्रमुख समाहार डाटाबेस, दिसम्बर 2013 के आधार पर की गई देशों की रैंकिंग के अनुसार वर्तमान मूल्यों पर सकल घरेलू उत्पाद के अनुसार भारत की रैंकिंग 10 और प्रति व्यक्ति सकल आय के अनुसार भारत विश्व में 161वें स्थान पर है।

इसके साथ ही 2003 में प्रति व्यक्ति आय के लिहाज से विश्व बैंक के अनुसार भारत का 143 वाँ स्थान था। अप्रैल 2014 में जारी रिपोर्ट में वर्ष 2011 के विश्लेषण में विश्व बैंक ने “क्रयशक्ति समानता” (परचेज़िंग पावर पैरिटी) के आधार पर भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था घोषित किया।

भारत की GDP

किसी समय में भारत कृषि प्रधान देश था। लेकिन नए आँकड़े बताते हैं कि यह देश अपनी विकास की यात्रा में काफी आगे निकल गया है, तथा विकसित देशों के इतिहास को दोहराते हुए द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों का योगदान जीडीपी में बढ़ोतरी का रुझान दर्शा रहा है।
भारत बहुत से उत्पादों के सबसे बड़े उत्पादको में से है। इनमें प्राथमिक और विनिर्मित दोनों ही आते हैं। भारत दूध का सबसे बडा उत्पादक है ओर गेहू, चावल, चाय चीनी, और मसालों के उत्पादन में अग्रणियों मे से एक है यह लौह अयस्क, वाक्साईट, कोयला और टाईटेनियम के समृद्ध भंडार हैं।

भारत में सूचीबद्ध कंपनियों की संख्या अमेरिका के पश्चात दूसरे नम्बर पर है। लघु पैमाने का उद्योग क्षेत्र, जोकि प्रसार शील भारतीय उद्योग की रीड की हड्डी है, जिसके अन्तर्गत लगभग 95% औद्योगिक इकाईयां आती है। विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन का 40% और निर्यात का 36% 32 लाख पंजीकृत लघु उद्योग इकाईयों में लगभग एक करोड 80 लाख लोगों को सीधे रोजगार प्रदान करता है।

वर्ष 2003-2004 में भारत का कुल व्यापार 140.86 अरब अमरीकी डालर था जो कि सकल घरेलु उत्पाद का 25.6% है। भारत का निर्यात 63.62% अरब अमरीकी डालर था और आयात 66.24 अरब डालर। 1990 के बाद भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) तेजी से बढ़ा है। भारत का सकल घरेलू उत्पाद अर्थात Gross Domestic Product (GDP) 2013-14 में भारतीय रूपयों में – 113550.73 अरब रुपये था।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार

भारत की विदेशी मुद्रा भंडार 2009-10 में 279.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर था जो जून 2021 तक भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार 605.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हो गया। 

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भारत की हिस्सेदारी

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वैश्विक निर्यातों और आयातों में भारत का हिस्सा वर्ष 2000 में क्रमशः 0.7 प्रतिशत और 0.8 प्रतिशत से बढ़ता हुआ वर्ष 2013 में क्रमशः 1.7 प्रतिशत और 2.5 प्रतिशत हो गया। भारत के कुल वस्तु व्यापार में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है जिसका सकल घरेलू उत्पाद में हिस्सा 2000-01 के 21.8 प्रतिशत से बढ़कर 2013-14 में 44.1 प्रतिशत हो गया।

भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े कुछ और महत्वपूर्ण जानकारियां

भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में कितने स्थान पर है?

भारत अर्थव्यवस्था के मामले में ब्रिटेन और फ्रांस को पीछे छोड़ दुनिया में 5वें नंबर पर आ गया है। अमेरिकी थिंक टैंक वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू ने 2019 की रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक भारत की जीडीपी पिछले साल 2.94 लाख करोड़ डॉलर (209 लाख करोड़ रुपए) के स्तर पर पहुंच गई।

भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा स्रोत क्या है?

कृषि‍ भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है, जो न केवल इसलि‍ए कि‍ इससे देश की अधि‍कांश जनसंख्‍या को खाद्य की आपूर्ति होती है, बल्‍कि‍ इसलि‍ए भी भारत की आधी से भी अधि‍क आबादी प्रत्‍यक्ष रूप से जीवि‍का के लि‍ए कृषि‍ पर नि‍र्भर है।

कृषि को भारतीय अर्थ-व्यवस्था का मुख्य आधार क्यों माना जाता है?

कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार इसलिए कहा गया है, क्योंकि 67% जनसंख्या प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में कृषि पर निर्भर है।

भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना क्या है?

भारतीय अर्थव्यवस्था ग्रामीण तथा कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था है। स्वतंत्रता के बाद भी भारत की 52% श्रम शक्ति कृषि क्षेत्र में लगी हुई है तथा राष्ट्रीय आय में इनका योगदान लगभग 14.1% है. इनके आधार पर कहा जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अभी भी कृषि प्रधान ही है।

भारत पर कितना कर्ज है 2022?

अगर भारतीय रिजर्व बैंक से मार्च 2022 तक के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि भारत पर करीब 620.7 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है। पिछले साल यह 570 अरब डॉलर था। यानी एक साल में भारत का कर्ज करीब 47.1 अरब डॉलर बढ़ा है।

भारत मे अर्थव्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

 

  • भारत में किस तरह की अर्थव्यवस्था है? -मिश्रित
  • मिश्रित अर्थव्यवस्था किसका उल्लेख करती है?-सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों का सहअस्तित्व
  • भारत की कुल श्रम शक्ति का लगभग कितना भाग कृषि में लगा हुआ है?-52%
  • छिपी हुई या अदृश्य बेरोजगारी क्या है?-सीमान्त भौतिक उत्पादकता शून्य होती है
  • राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान कहाँ अवस्थित है? -हैदराबाद
  • संरचनात्मक बेरोजगारी का कारण है -अपर्याप्त उत्पादन क्षमता
  • वैश्वीकरण (globalisation) का अर्थ है-वित्तीय बाजार का एकीकरण
  • अन्त्योदय कार्यक्रम का उद्देश्य था -गरीबों में सबसे अधिक गरीब की मदद करना
  • गरीबी रेखा के नीचे जनसंख्या का न्यूनतम प्रतिशत अंकित है -जम्मू-कश्मीर में
  • किस राज्य को अत्यधिक कुपोषण के कारण ‘भारत का इथोपिया’ कहा-मध्य प्रदेश को
  • वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट किसका वार्षिक प्रकाशन है? – I.B.R.D.
  • मानव विकास सूचकांक (HDI)किस अर्थशास्त्री की देन है? -महबूब-उल-हक
  • मानव विकास सूचकांक में सम्मिलित होता है-US डॉलर में प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय
  • UNDP की मानव विकास रिपोर्ट में भारत को किस श्रेणी में रखा गया -मध्यम मानव विकास श्रेणी
  • शैक्षिक विकास सूचकांक (फरवरी 2011) के अनुसार भारत के चार उच्चतम स्थान वाले राज्य हैं। -केरल, तमिलनाडु, पजाब, महाराष्ट्र
  • बन्द अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते है? -आयात-निर्यात बंद
  • भारत में प्रच्छन्न बेरोजगारी सामान्यत: दिखायी देती है -कृषि क्षेत्र में
  • भारत के किस राज्य में गरीबों का प्रतिशत सबसे अधिक है? -ओडिशा
  • भारत में निर्धनता के स्तर का आकलन किया जाता है-परिवार के उपभोग व्यय के आधार पर
  • कौन-सा असमानता घटाने का उपाय नहीं है?-अर्थव्यवस्था का उदारीकरण
  • वह सत्य होगा कि भारत को परिभाषित किया जाये -एक श्रम आधिक्य वाली अर्थव्यवस्था के रूप में
  • अल्पविकसित देशों में गरीबी का मुख्य कारण है -आय में असमानता
  • कौन-सा मानव विकास सूचकांक में शामिल नहीं है? -सामाजिक असमानता
  • भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण का अग्रदूत किसको कहा जाता है?-डॉ. मनमोहन सिंह
  • मानव विकास सूचकांक किसने बनाया था?-UNDP
  • तेंदुलकर समिति ने भारत में गरीबी रेखा के नीचे की जनसंख्या का प्रतिशत कितना आकलित किया गया है? -37.2%
  • किस अर्थव्यवस्था में क्षेत्रों को सार्वजनिक और निजी में किस आधार पर वर्गीकृत किया गया है? -उद्यमों का स्वामित्व

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