क्यों बदल जाते हैं लोग ?
बदल गया क्यूँ मिजाज उसका कुछ ही मुद्दत में , वो तो कहती थी बदलते लोग उसे अच्छे नहीं लगते हैं। फिर अब उसे क्यो अच्छे लगने लगे। क्या लोग इसी तरह बदलते है? क्या लोगो को बदलना जरूरी होता है ? आखिर क्यों बदल जाते है लोग ?
कुछ अजीब सा रिश्ता है उसके और मेरे दरमियाँ ना नफरत की वजह मिल रही है , ना मोहब्बत का सिला, कसूर किसका कहें कौन गुनहगार यहाँ। बड़ी मुस्किल से नसीब होती है फिर भी क्यों बदल जाते हैं लोग ?
लोग कहते हैं कि अपना तो अपना होती है, मगर वो लोग यह क्यों भूल जाते हैं? क्या उनको नही मालूम कि खुशी के बदले गम ही नसीब होते हैं फिर क्यों बदल जाते हैं लोग ?
कहते है कि प्यार के किस्से भी अजीब होते हैं। पहले लोग एक दूसरे के लिए मर मिटने को तैयार होते हैं और कहते है कि तेरा मेरा रिश्ता इतना खास हो जाये कि तू दूर रहकर भी मेरे पास हो जाये मन से मन का तार जुड़े कुछ इस तरह कि दर्द हमें हो और अहसास तुम्हे हो जाए। फिर क्यों बदल जाते हैं लोग ?
इस दिल की दास्ताँ भी बड़ी अजीब होती है। किसी के पास आने पर ख़ुशी हो न हो पर दूर जाने पर बड़ी तकलीफ होती है फिर भी क्यों बदल जाते हैं लोग ?
कितनी अजीब होती है कुछ क़रीबी रिश्तों की रोशनी , उजालो के बावजूद भी चेहरे पहचाने नहीं जाते हैं, पास बुलाकर अपने करीब से मुझे दूर कर दिया, आखिर क्यों बदल जाते हैं लोग ?
अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं ; किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया तो किसी ने अपना बनाकर वक़्त गुजार लिया अब तरस आता है मुझे अपनी मासूम सी पलको पर , जब भीग के कहती हैं अब रोया नही जाता फिर भी क्यो बदल जाते हैं लोग ?
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