संतोष का महत्व, मनुष्य जीवन मे संतोष का महत्व

जीवन में संतोष का महत्व

अगर आपके जीवन मे संतोष है तो आपके भीतर से प्रसन्नता का आभास होता है। क्योंकि मानव जीवन मे संतोष का महत्वपूर्ण स्थान हैं। संतोष एक ऐसी अवधारणा हैं जिसे एक बार आप अपने मन मस्तिष्क में धारण कर लेते है तो आपका जीवन सुखी हो जाएगा। आइये विस्तार से देखते है जीवन मे संतोष का महत्व, मनुष्य जीवन मे संतोष का महत्व क्या है?

संतोष का महत्व, मनुष्य जीवन मे संतोष का महत्व

मनुष्य के जीवन में संतोष का महत्वपूर्ण स्थान है। संतोषी मनुष्य सुखी रहता है। असंतोष हर बीमारी की जड़ है। कबीर ने कहा है कि रुपये-पैसे से कभी संतोष नहीं मिलता। संतोष रूपी दौलत मिलने पर समस्त वैभव धूल के समान प्रतीत होता है। मनुष्य जितने रुपया पाता जाता है उतना ही असंतोष पैदा होता जाता है।

यह असंतोष मानसिक तनाव उत्पन्न करता है जो अनेक रोगों की जड़ है। रुपया-पैसा मनुष्य को समस्याओं में उलझा देता है। संत को संतोषी बताया गया है; क्योंकि केवल भोजन की प्राप्ति से उसे संतोष मिल जाता है। हमें संत जैसा होना चाहिए और अपनी इच्छाओं को सीमित रखना चाहिए।

जब इच्छाएँ हम पर हावी हो जाती हैं तो हमारा मन सदा असंतुष्ट रहता है। हमें कभी सांसारिक चीजें संतोष नहीं दे सकतीं। संतोष का संबंध मन से है। संतोष सबसे बड़ी दौलत है। इसके सामने रुपया-पैसा एवं सोना-चाँदी सब कुछ बेकार है।

संतोष का फल क्या होता है?

संतोष का अर्थ है तृप्ति, संतोष व्यक्ति को दृढ़निश्चयी और बलवान बनाता है। संतोष से संतुष्टि मिलती है और संतुष्टि संतुष्ट होने का भाव है, तृप्त होने का भाव है। जिनके मन मे संतोष है उसे ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना नही पड़ता हैं।

संतोष कैसे करें?

लोग अपनी इच्छाओं और कामनाओं की पूर्ति से सन्तोष पाना चाहते हैं लेकिन यह रास्ता गलत है। संतोष तो कामनाओं को इच्छाओं को समाप्त करने से ही मिलता है। हम अपनी शक्ति भर अपनी सर्वांगीण उन्नति के लिए प्रयास करें तथा हर परिस्थिति का दृढ़ता पूर्वक मुकाबला करें तथा हर समय मानसिक शान्ति बनाये रखें यही सन्तोष है।

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