आदत क्या है, आदत कब अच्छी और बुरी होती है, कैसे बदले बुरी आदतें?
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आदत क्या है?

आदत क्या है और कब अच्छी और बुरी होती है? कैसे पड़ती हैं बुरी आदतें और कैसे इनसे छुटकारा सम्भव है ? व्यक्ति को कैसी आदत डालनी चाहिए ? आदतों की शक्ति एवं लाभ-हानि का सटीक विवेचन आज की इस पोस्ट के जरिए समझने की कोशिश करते हैं, तो चलिए देखते हैं आदत क्या है, आदत कब अच्छी और बुरी होती है, और कैसे बदले बुरी आदतें?

आदत को बदलना क्यो जरूरी है?

आदत रस्सी की भाँति है, पर रोज इसमें हम एक बट देते हैं और अंत में इसे तोड़ नहीं पाते। इस संसार का प्रत्येक व्यक्ति आदत से मजबूर होता है, आदतों को रोका न जाए तो वे शीघ्र ही लत बन जाती हैं। किसी व्यक्ति में एक बुरी आदत पड़ती है, तो फिर वह बीज के रूप में बुरी आदतों के वृक्ष को पनपा देती है ।

मनुष्य का स्वभाव है कि जिस काम को वह एक बार कर लेता है उसे फिर करना चाहता है , जिस विचार को एक बार मन में स्थान देता है उसे फिर मन में लाना चाहता है । और जो अनुभव विचार जितना ही दोहराया जाता है उसका संस्कार उतना ही दृढ़ होता जाता है और फिर वह जैसे हमारे स्वभाव का अंग ही बन जाता है और दृढ़ आदत का रूप धारण कर लेता है।

ये ही आदतें जीवन के स्रोत हैं। जीवन की उत्पत्ति इन्हीं से है। अपने अनुभवों की पुनरावृत्ति द्वारा ज्ञान प्राप्त करना मन का स्वभाव है। आरम्भ में जिस विचार को ग्रहण करना और उस पर स्थिर रहना बड़ा कठिन होता है, अन्त में वही विचार मन में निरन्तर घूमने से प्राकृतिक तथा स्वाभाविक वृत्ति बन जाता है।

आदत क्या है, आदत कब अच्छी और बुरी होती है, कैसे बदले बुरी आदतें?

 

आदत विषैले नाग की भांति है जिसका जहर इन्सान के जीवन को समय से पूर्व नष्ट कर देता है। आदत डालनी है, तो परहित करने की आदत डालें। आदत की शक्ति महान् है , यह हमें मेहनत को बरदाश्त करना सिखाती है और चोट से नफरत कराती है । आदतें लोहे की जंजीर के समान हैं जो हमें बाँधकर रखती आदत के कारण लोग जितने काम करते हैं उतने विवेक के कारण नहीं करते। नीम गुड़ के साथ खाने पर भी अपनी कड़वाहट नहीं छोड़ता, इसी तरह नीच सज्जनों के साथ रहकर भी अपनी आदत से बाज नहीं आता। आदत भी एक तरह की आँख है।

मनुष्य सम्पत्ति प्राप्त हो जाने पर भी उसका उपभोग नहीं जानता अर्थात् जैसी आदत रहती है उसी के अनुसार खर्च करता है। जैसे गर्दन भर पानी में डूबा हुआ भी कुत्ता जीभ से चाटकर ही पानी पीता है। गंदी आदतों को छोड़ने की आदत डालो क्योंकि शैतान के बेटे को घर पर आमंत्रित करो तो उसका पूरा कुनबा चला आता है। बुरी आदतों से हमारी शुद्धता का आभास मिलता है। आदत तो आदत ही है और किसी भी व्यक्ति द्वारा यह खिड़की से बाहर नहीं फैंक दी जाती। हाँ, एक-आध सीढ़ी तो खिसकाई जा सकती हैं।

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Amit Yadav

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