भारत के अंतर्राष्ट्रीय सीमा कौन कौन से है? भारत के पड़ोसी देश की सीमाएं

भारत के अंतर्राष्ट्रीय सीमा कौन कौन से है? भारत के पड़ोसी देश की सीमाओ की लम्बाई की पूरी जानकारी क्या क्या हैं? देखे विस्तृत जानकारी..

इस आर्टिकल की प्रमुख बातें

भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ हमेशा से सौहार्दपूर्ण रिश्ते चाहता है। अपनी अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखते हुए भारत की कभी भी किसी पड़ोसी मुल्क को दबाने या अपने क्षेत्र विस्तार की महत्वकांक्षा नहीं रही। जब भी हमारे पड़ोसी मुल्कों को हमारी जरूरत पड़ी। भारत ने उदारता दिखाते हुए एक कदम बढ़कर मदद की है। चाहे वो प्राकृतिक आपदा हो, आर्थिक संकट हो, मानवाधिकार उल्लंघन के मामले हो या फिर गृह युद्ध। भारत हमेशा से अमन पसंद और सक्षम पड़ोसी की भूमिका में रहा है। भारत की थल सीमा ( लैंड बॉर्डर ) की कुल लंबाई 15,106.7 किलोमीटर है। जो कुल सात देशों से लगती है। इसका उत्तरी-दक्षिणी विस्तार 3214 किमी तथा पूर्व पष्चिम विस्तार 2933 किमी है। उत्तरी सीमा चीन, नेपाल तथा भूटान देषों से मिलती तो आइये देखते है कि भारत के अंतर्राष्ट्रीय सीमा कौन कौन से है? भारत के पड़ोसी देश की सीमाएं देखे पूरी जानकारी…

भारत के अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे देश की लंबाई की सूची व सीमा से लगे राज्यों की सूची

क्र. भारत के अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे देश लंबाई (कि.मी.) सीमा से लगे राज्य
1 बांग्लादेश 4096.7 पश्चिम बंगाल, आसाम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम
2 चीन 4062 जम्मू कश्मीर, लद्दाख,  हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम एंव अरूणाचल प्रदेश
3 पाकिस्तान 3323 गुजरात, राजस्थान, पंजाब एवं जम्मू कश्मीर
4 नेपाल 1751 उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, व उत्तराखंड
5 म्यांमार 1643 अरूणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम, व मणिपुर
6 भूटान 699 सिक्किम, असम, व पश्चिम बंगाल, अरूणाचल प्रदेश
7 अफगानिस्तान 106 जम्मू-कश्मीर, (पाक अधिकृत कश्मीर)

भारत के अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे 7 पड़ोसी देश के साथ सीमाओं की लम्बाई की पूरी जानकारी…

 

भारत के अंतर्राष्ट्रीय सीमा कौन कौन से है भारत के पड़ोसी देश की सीमाएं

1. भारत-बांग्लादेश सीमा

भारत और बांग्लादेश दक्षिण एशियाई पड़ोसी देश हैं और आमतौर पर उन दोनों के बीच संबंध मैत्रीपूर्ण रहे हैं , हालांकि कभी-कभी सीमा विवाद होते हैं। बांग्लादेश की सीमा तीन ओर से भारत द्वारा ही घिरा हुआ है। दोनो ही देश सार्क, बिम्सटेक, हिंद महासागर तटीय क्षेत्रीय सहयोग संघ और राष्ट्रकुल के सदस्य हैं। भारत-बांग्लादेश सीमा रेखा जिसे रेडक्लिफ़ रेखा भी कहते हैं। ये भारत से बांग्लादेश को अलग करती है। इसे Sir Cyril Radcliffe ने साल 1947 में निर्धारित किया था।

भारत-बांग्लादेश सीमा का प्रबंधन

भारत की बांग्लादेश के साथ 4096.7 किलोमीटर लंबी भूमि सीमा की साझेदारी है। पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा एवं मिजोरम राज्य बांग्लादेश के साथ सीमा की साझेदारी करते हैं।

भारत-बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय सीमा की लंबाई की राज्यवार सूची

क्र. राज्य लंबाई(किमी.)
1 पश्चिम बंगाल 2216.7
2 असम 263
3 मेघालय 443
4 त्रिपुरा 856
5 मिजोरम 318
कुल 4096.7

इस पूरे क्षेत्र में मैदानी, पानी, पहाड़ी/जंगली क्षेत्र अंतर्निहित है और इस क्षेत्र में कोई भी प्राकृतिक बाधा नहीं है। यह क्षेत्र काफी अधिक जनसंख्या वाला है और कई क्षेत्रों में सीमा के अंतिम छोर तक फसलों की बुआई की जाती है । सीमा चौकियाँ सीमा सुरक्षा बल द्वारा मौजूदा समय में भारत-बांग्लादेश सीमा पर 802 सीमा चौकियों ( बीओपी ) पर अपने जवान तैनात किए हुए हैं । मंत्री समूह की संस्तुतियों के अनुपालन में अंतः सीमा चौकियों की दूरी को 3.5 कि.मी. तक कम करने के लिए सरकार ने इस सीमा पर 383 सीमा चौकिों के निर्माण का अनुमोदन प्रदान कर दिया है।

भारत-बांग्लादेश भू-सीमा समझौता (LBA)

वर्ष 2015 में भारत-बांग्लादेश भूमि सीमा समझौता ( India – Bangladesh Land Boundary Agreement – LBA ) लागू हुआ था और 31 जुलाई , 2015 को भू – भागीय मानचित्र पर हस्ताक्षर किये गए थे। इस समझौते के तहत बांग्लादेश का कुछ भू-भाग भारत में शामिल होगा और पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले का कुछ भाग बांग्लादेश में चला जाएगा। साथ ही इन भू-भागों पर रहने वालों को भी स्थानांतरित कर स्थायी ठिकाना दिया जाएगा, जिसमें करीब 51 हजार लोग शामिल रहेंगे। हर व्यक्ति को नागरिकता देने से पहले सहमति ली जाएगी कि वह भारत में रहना चाहता है या बांग्लादेश जाने का इच्छुक है। भूमि सीमा समझौते (LBA) के मुताबिक, बांग्लादेश में 17,160 एकड़ में तकरीबन 111 भारतीय एनक्लेव (परिक्षेत्रों) हैं, जो बांग्लादेश को हस्तांतरित किए जाएंगे, जबकि 7,110 एकड़ में मौजूद 51 बांग्लादेशी एनक्लेव भारत को मिलेंगे।

सीमा प्रबंधन एवं सीमा संबंधी विवाद

भारत अपने पांच राज्यों के साथ जुड़ी बांग्लादेश की सीमा के साथ लगभग 4,096.9 कि.मी. तक सीमा को साझा करता है। पोरस बार्डर (खुली सीमा) को अक्सर भारत से बांग्लादेश तक खाद्य वस्तुओं, दवाइयों और औषधियों की तस्करी के लिए एक मार्ग के रूप में उपयोग किया जाता है। बांग्लादेश से हजारों अवैध अप्रवासियों ने पिछले कुछ वर्षों में रोजगार की तलाश और अपने जीवन स्तर में सुधार की उम्मीद से भारत की सीमा में प्रवेश किया है । इन घुसपैठियों को चकमा घुसपैठये कहा जाता है।

दोनों देशों के मध्य अब तक सुरक्षा सहयोग से संबंधित कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए हैं । इन्ही समझौतों में से एक है समन्वित सीमा प्रबंधन योजना (Coordinated Border Management Plan – CBMP) समन्वित सीमा प्रबंधन योजना – सीबीएमपी के अंतर्गत सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और बंगलादेश सीमा गार्ड (बीजीबी) के बीच सीमा पार अपराधों को रोकने के लिए वर्ष 2011 में हस्ताक्षर किये गए थे एवं इसके तहत सीमा पार अवैध गतिविधियों और अपराधों की जाँच करने तथा भारत-बांग्लादेश सीमा पर शांति बनाए रखने हेतु दोनों सीमा सुरक्षा बलों द्वारा समन्वित प्रयास किये गए।

नदी जल बंटवारे का विवाद

भारत और बांग्लादेश के बीच 54 ऐसी नदियाँ हैं जिनका पानी दोनों देशों की सीमा के इस पार से उस पार जाता है। नदी जल से सम्बंधित मामलों पर दोनों देशों के बीच एक द्विपक्षीय संयुक्त नदी आयोग (JRC) भी कार्य करता है जिसकी स्थापना जून 1972 में दोनों देशों के बीच साझी नदी प्रणाली से अधिकाधिक लाभ प्राप्त करने के लिए, निकट संपर्क बनाये रखने, बाढ़ नियंत्रण कार्य का व्यवस्थापन, अग्रिम बाढ़ चेतावनी के प्रस्तावों का व्यवस्थापन, बाढ़ एवं समुद्री तूफानों की भविष्यवाणी, और साथ ही साथ बाढ़ से राहत बचाव के लिए।

2. भारत-चीन सीमा

भारत-चीन दोनों पड़ोसी एवं विश्व के दो उभरती शक्तियाँ हैं। दोनों के बीच लम्बी सीमा-रेखा है । इन दोनों में प्रचीन काल से ही सांस्कृतिक तथा आर्थिक सम्बन्ध रहे हैं। चीन और भारत के बीच एक लंबी सीमा नेपाल और भूटान के द्वारा तीन अनुभागो में फैला हुआ है। यह सीमा हिमालय पर्वतों से लगी हुई है जो बर्मा एवं पश्चिमी पाकिस्तान तक फैली है। इस सीमा पर कई विवादित क्षेत्र अवस्थित हैं। जिसकी कुल लंबाई 3488 किलोमीटर है। जो भारत के जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश राज्य से सटे हुए है।

भारत-चीन के अंतर्राष्ट्रीय सीमा की लंबाई की राज्यवार सूची

क्र. राज्य लंबाई (किमी.)
1 जम्मू कश्मीर
1954
2 लद्दाख
3 अरुणाचल प्रदेश 1080
4 उत्तराखंड 463
5 हिमाचल प्रदेश 345
6 सिक्किम 220
कुल 4062

 मैकमोहन रेखा

भारत और चीन की सीमा को मैकमोहन रेखा कहते हैं। मैकमोहन रेखा, पूर्वी-हिमालय क्षेत्र के चीन-अधिकृत क्षेत्र एवं भारतीय क्षेत्रों के बीच सीमा चिह्नित करती है। यह रेखा भूटान की पूर्वी सीमा से हिमालय की श्रृंखला से होती हुई ब्रह्मपुत्र नदी के बड़े मोड़ तक पहुँचती है, जहाँ से यह नदी अपनी तिब्बतीय जलधारा से निकलकर असम की घाटी में प्रवेश करती है। यह क्षेत्र अत्यधिक ऊंचाई का पर्वतीय स्थान है। इस सीमारेखा का नाम सर हैनरी मैकमहोन के नाम पर रखा गया था, जिनकी इस समझौते में महत्त्वपूर्ण भूमिका थी और वे भारत की तत्कालीन अंग्रेज सरकार के विदेश सचिव थे।

सन् 1914 में भारत की तत्कालीन ब्रिटिश सरकार और तिब्बत के बीच शिमला समझौते के तहत यह अस्तित्व में आई थी। 1935 में ओलफ केरो नामक एक अंग्रेज प्रशासनिक अधिकारी ने तत्कालीन अंग्रेज सरकार को इसे आधिकारिक तौर पर लागू करने का अनुरोध किया। 1937 में भारतीय सर्वेक्षण विभाग के एक मानचित्र में मैकमहोन रेखा को आधिकारिक भारतीय सीमारेखा के रूप में पर दिखाया गया था।

भारत-चीन सीमा विवाद

अरुणाचल प्रदेश से संबंधित

भारत और चीन की सीमा का विवाद 106 साल पुराना है। सीमा को लेकर दोनों देशों के बीच कई बार झड़पें हुई हैं तो कई बार युद्ध जैसी स्थिति भी बनी है। भारत मैकमोहन रेखा को मान्यता देता है और इसे भारत और चीन के बीच “एक्चुअल लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल ( LAC )” मानता है जबकि चीन इस मैकमोहन रेखा को मान्यता नहीं देता है चीन का कहना है कि विवादित क्षेत्र का क्षेत्रफल 2,000 किलोमीटर है जबकि भारत इसे 4,000 किलोमीटर बताता है। चीन 1914 के शिमला समझौते को मानने से इनकार करता है । चीन के अनुसार तिब्बत स्वायत्त राज्य नहीं था और उसके पास किसी भी प्रकार के समझौते करने का कोई अधिकार नहीं था।

जबकि भारत का मानना है कि 1914 में जब मैकमोहन रेखा तय हुई थी तब तिब्बत एक कमजोर लेकिन स्वतंत्र देश था, इसलिए उसको अपने देश की तरफ से सीमा समझौता करने का पूरा हक़ है। अर्थात भारत के अनुसार जब मैकमोहन रेखा खींची गई थी, तब तिब्बत पर चीन का शासन नहीं था। इसलिए मैकमोहन रेखा ही भारत और चीन के बीच स्पष्ट सीमा रेखा है। हालांकि, चीन ने बाद में इसे मानने से इनकार कर दिया । भारत इसे ही सीमा मानता रहा । यही दोनों के बीच विवाद का कारण बनता रहा।

अक्साई चीन से संबंधित

वह रेखा जो भारतीय कश्मीर के क्षेत्रों को अक्साई चिन से अलग करती है ‘ वास्तविक नियंत्रण रेखा ‘ के रूप में जानी जाती है। अक्साई चिन भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद में से एक है। चीन ने जब 1950 के दशक में तिब्बत पर क़ब्ज़ा किया तब से ये विवाद हैं। ये चीन, पाकिस्तान और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। POK का 5180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पाकिस्तान ने चीन को गिफ्ट में दे दिया और चीन 38000 हज़ार बर्ग किलोमीटर क्षेत्र पहले से ही कब्ज़ा कर के बैठा है तो इस हिसाब से 43180 वर्ग किलोमीटर हो गया, तो अब भारत चीन से इतना ही एरिया वापस लेना चाहता हैं।

यही 1962 के भारत – चीन युद्ध का एक बड़ा कारण बना।1962 के भारत – चीन युद्ध के दौरान, अरुणाचल प्रदेश के आधे से भी ज़्यादा हिस्से पर चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने अस्थायी रूप से कब्जा कर लिया था। फिर युद्ध विराम घोषित के बाद चीनी सेना मैकमहोन रेखा से पीछे लौट गई। भारत-चीन युद्ध कठोर परिस्थितियों में हुई लड़ाई के लिए जाना जाता है। इस युद्ध में ज्यादातर लड़ाई 4250 मीटर ( 14,000 फीट ) से अधिक ऊंचाई पर लड़ी गयी। इस युद्ध में चीनी और भारतीय दोनों पक्ष द्वारा नौसेना या वायु सेना का उपयोग नहीं किया गया था।

3. भारत-पाकिस्तान सीमा

भारत और पाकिस्तान सीमा, अन्तर्राष्ट्रीय सीमा के रूप में 1947 में भारत विभाजन के बाद आया जो भारत और पाकिस्तान के बीच एक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा है, जो भारतीय राज्यों को पाकिस्तान के चार प्रांतों से अलग करती हैं। भारत और पाकिस्तान में सम्बन्ध हमेशा से ही ऐतिहासिक और राजनैतिक मुद्दों कि वजह से तनाव में रहे हैं । इन देशों में इस रिश्ते का मूल कारण भारत के विभाजन को देखा जाता है। कश्मीर विवाद इन दोनों देशों को आज तक उलझाए है और दोनों देश कई बार इस विवाद को लेकर सैनिक समझौते व युद्ध कर चुके हैं।

भारत-पाकिस्तान के अंतर्राष्ट्रीय सीमा की लंबाई की राज्यवार सूची

क्र. राज्य लंबाई (किमी.)
1 जम्मू- कश्मीर 1222
2 राजस्थान 1170
3 गुजरात 506
4 पंजाब 425
कुल 3323

रैडक्लिफ़ रेखा

भारत विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा को ‘रैडक्लिफ़ रेखा’ कहा जाता है। 17 अगस्त, 1947 भारतीय उप-महाद्वीप का विभाजन करने की घोषणा लॉर्ड माउन्टबेटन ने की। इस विभाजन के अंतर्गत सबसे अहम् व्यक्ति सीरिल रैडक्लिफ़ थे जिन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने भारत-पाकिस्तान के विभाजन रेखा की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसीलिए इस सीमा रेखा का नाम ‘रैडक्लिफ़ रेखा’ पड़ा। भारत और पकिस्तान की सीमाएं कुल 4 राज्यों से होकर गुज़रती हैं जिनमें पंजाब, गुजरात, और राजस्थान और जम्मू कश्मीर राज्य शामिल है।

नियंत्रण रेखा ( लाइन ऑफ कंट्रोल )

1947 में दोनों देशों के बीच हुए युद्ध को विराम देकर तत्कालीन नियंत्रण स्थिति पर खींची गयी थी, जो आज भी लगभग वैसी ही है। भारत और पाकिस्तान के बीच खींची गयी 740 किलोमीटर लंबी इस सीमा रेखा को लाइन ऑफ कंट्रोल कहा जाता है। यह रेखा दोनो देशों के बीच पिछले 50 वर्षों से विवाद का विषय बनी हुई है।

भारत पाकिस्तान सीमा विवाद

पाकिस्तान के साथ भारत के गुजरात राज्य की सीमा पर स्थित सर क्रीक सीमा रेखा को लेकर विवाद रहा है। सर क्रीक सीमा रेखा न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा का एक बहुत अहम् हिस्सा है बल्कि ये गुजरात राज्य की सुरक्षा के संदर्भ में भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। सर क्रीक सीमा रेखा विवाद कच्छ और सिंध के बीच समुद्री सीमा रेखा की अस्पष्टता के कारण है। आज़ादी से पहले, ये क्षेत्र ब्रिटिश भारत के बॉम्बे प्रेसीडेंसी का भाग था। 1947 में भारत की आज़ादी के बाद सिंध पाकिस्तान का हिस्सा बन गया, जबकि कच्छ भारत का ही हिस्सा रहा। तब से ये विवाद बना हुआ हैं।

भारत पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद

कश्मीर पर अधिकार को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 से जारी है। जब जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर को भारत में विलय कराने का फैसला किया जिसके बाद भारत और पकिस्तान के बीच आमने सामने से युद्ध शुरू हो गया। जम्मू-कश्मीर के राजा ने भारत में विलय के लिए विलय – पत्र पर दस्तखत किए थे। जिसे गवर्नर जनरल माउंटबेटन ने 27 अक्टूबर को इसे मंजूरी दी। इस वैधानिक दस्तावेज पर दस्तखत होते ही समूचा जम्मू और कश्मीर , जिसमें पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाला इलाका भी शामिल है, भारत का अभिन्न अंग बन गया। लेकिन पाकिस्तान को इस पर एतराज हैं। पाकिस्तान कश्मीर को अपना हिस्सा बताता हैं।

सीमा विवाद को लेकर भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध

  • 1947-1948 में भारत पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध हुआ था, इस युद्ध का कारण कश्मीर था। पाकिस्तान की सेना के समर्थन के साथ हज़ारों की संख्या में जनजातीय लड़ाकुओं ने कश्मीर में प्रवेश कर राज्य के कुछ हिस्सों पर हमला कर उन पर कब्जा कर लिया, जिसके फलस्वरूप भारत से सैन्य सहायता प्राप्त करने के लिए कश्मीर के महाराजा को इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ अक्सेशन पर हस्ताक्षर करने पड़े। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 22 अप्रैल 1948 को रेसोलुशन 47 पारित किया। 1 जनवरी 1949 को एक औपचारिक संघर्ष-विराम घोषित किया गया था। जिसे अब नियंत्रण रेखा कहा जाता है। इस युद्ध में भारत को कश्मीर के कुल भौगोलिक क्षेत्र के लगभग दो तिहाई हिस्से पर नियंत्रण प्राप्त हुआ, जबकि पाकिस्तान को लगभग एक तिहाई हिस्से पर।
  • भारत – पाक के बीच दूसरा युद्ध 1965 में हुआ- 1965 का भारत पाक युद्ध जल विवाद को लेकर हुआ था। यह युद्ध ऑपरेशन जिब्रॉल्टर के साथ शुरू हुआ, जिसके अनुसार पाकिस्तान की योजना जम्मू कश्मीर में सेना भेजकर वहां भारतीय शासन के विरुद्ध विद्रोह शुरू करने की थी। इसके जवाब में भारत ने भी पश्चिमी पाकिस्तान पर बड़े पैमाने पर सैन्य हमले शुरू कर दिए। सत्रह दिनों तक चले इस युद्ध में हज़ारों की संख्या में जनहानि हुई थी। आख़िरकार सोवियत संघ और संयुक्त राज्य द्वारा राजनयिक हस्तक्षेप करने के बाद युद्धविराम घोषित किया गया।
  • 1971 भारत पाकिस्तान के बीच जब तीसरा युद्ध हुआ। तो इस युद्ध में 94000 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बनाया गया और इस युद्ध में पाकिस्तान कि हार देखते हुए सयुक्त राज्य अमेरिका और कई मित्र देशो को साथ लेकर जिसमें ब्रिटेन, चीन, पाक, फ्रांस मुख्य थे और भी देश भारत की ओर बढ़ने लगे। इसकी सूचना सोवियत संघ रूस को मिली तो रूस बिना कुछ सोचे समझे अपनी पूरी ताकत भारत की मदद के लिये भेज दी और आधे देशो को तो रूस ने सीधे चेतावनी देदी कि अगर आप लोगों की तरफ से भारत पे कोई आक्रमण हुआ तो भुगतने के लिए तैयार रहना। तब रूस की मदद से इन्दिरा गांधी जी ने पूरी दुनिया को सन्देश दिया भारत को कमजोर समझने की भूल न करें। इस से बांग्लादेश नाम के एक नए देश का उदय हुआ जो पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा था।
  • 1999 में भारत पाकिस्तान का चौथी बार युद्ध हुआ। जिसे कारगिल युद्ध के नाम से जाना जाता है। क्योंकि यह युद्ध जिस जगह पर हुआ उसे कारगिल कहा जाता हैं। इस कारण इसे कारगिल युद्ध कहते है। इस क्षेत्र को पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया था जब भारत की सेना को पता चला तो उन्होंने इसका मुहतोड़ जवाब दिया और पाकिस्तान पर विजय प्राप्त करी। यह बहुत ठंडा वाला इलाका हैं।

भारत पाकिस्तान जल विवाद

1960 में हुए सिंधु जल समझौते के बाद से भारत और पाकिस्तान में कश्मीर मुद्दे को लेकर तनाव बना हुआ है . इस समझौते के तहत 6 नदियों के पानी का बंटवारा तय हुआ, जो भारत से पाकिस्तान जाती हैं। 3 पूर्वी नदियों ( रावी, व्यास और सतलज ) के पानी पर भारत का पूरा हक दिया गया। बाकी 3 पश्चिमी नदियों ( झेलम, चिनाब, सिंधु ) के पानी के बहाव को बिना बाधा पाकिस्तान को देना था। संधि में तय मानकों के मुताबिक भारत में पश्चिमी नदियों के पानी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

पाकिस्तान आतंकवाद गतिविधियों से तंग आकर भारत ने अब सिंधु नदी जल समझौते के तहत भारत के हिस्से में आने वाली नदियों का पानी पाकिस्तान को नहीं देने की बात कही है। सिंधु नदी जल समझौते के मुताबिक़ भारत में पश्चिमी नदियों ( झेलम, चिनाब, सिंधु ) के पानी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत इनका क़रीब 20 प्रतिशत अपने इस्तेमाल में ले सकता है। सिंधु नदी जल समझौते के तहत भारत को पश्चिमी नदियों से 36 लाख एकड़ फीट पानी स्टोर करने का अधिकार है। इसके अलावा भारत इन नदियों पर जलविद्युत परियोजनाएँ भी बना सकता है, हालाँकि भारत उस को रन ऑफ द रिवर प्रोजेक्ट के रूप में ही इस्तेमाल करना होगा।

4. भारत – नेपाल सीमा

नेपाल की सीमा तीन तरफ से भारत से जुड़ी है और एक तरफ तिब्बत की सीमा लगती है। दोनों देश एक गौरवशाली सभ्यता का प्रतिनिधित्व करते हैं और इसमें समृद्ध ज्ञान परंपरा रही है। भारत-नेपाल सीमान्त, भारत और नेपाल के बीच खुला हुआ अन्तरराष्ट्रीय सीमा है। यह 1,751 कि॰मी॰ लम्बा है, जिसमें हिमालयी भूभाग एवं सिन्धु-गंगा मैदान सम्मिलित हैं।

वर्तमान समय में दोनों देशों के बीच जो सीमान्त है उसका निर्धारण भारत में ब्रिटिश राज के समय 1816 ईसवी में सुगौली संधि के द्वारा किया गया था। भारत नेपाल के साथ 1751 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है तथा उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं सिक्किम राज्य नेपाल के साथ अपनी सीमा साझा करता है। भारत-नेपाल सीमा पर 455 सीमा चैकियाँ स्थापित की हैं।

भारत-नेपाल के अंतर्राष्ट्रीय सीमा की लंबाई की राज्यवार सूची

क्र. राज्य लंबाई (किमी.)
1 बिहार 729
2 उत्तरप्रदेश 560
3 उत्तराखंड 263
4 पश्चिम बंगाल 100
5 सिक्किम 99
कुल 1751

भारत नेपाल सीमा विवाद

कालापानी इलाके से होकर बहने वाली ‘महाकाली नदी’ भारत – नेपाल की सीमा मानी गई है। इस क्षेत्र पर चीन, नेपाल और भारत की सीमा मिलती है। वहीं, भारत इसे उत्तराखंड का हिस्सा मानता हैं। जबकि नेपाल इसे अपने नक्शे में दिखाता है। यही विवाद का कारण हैं। इसे काला पानी विवाद भी कहा जाता हैं।

5. भारत – म्यांमार सीमा

भारत और म्यांमार की सीमाएं आपस में लगती हैं। यह क्षेत्र दुर्गम पहाड़ और जंगल से घिरा हुआ है। जो भारत के पूर्वोत्तर में चार राज्य अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड  से सटी हुई हैं। भारत म्यांमार की इस 1643 किलोमीटर की लंबी सीमा पर 16 किलोमीटर भूभाग फ्री जोन है, जिसमें दोनों तरफ आठ-आठ किलोमीटर की सीमाएं शामिल है। इसके अलावा बंगाल की खाड़ी में एक समुद्री सीमा से भी दोनों देश जुड़े हुए हैं।

भारत-म्यांमार के अंतर्राष्ट्रीय सीमा की लंबाई की राज्यवार सूची

क्र. राज्य लंबाई (किमी.)
1 अरुणाचल प्रदेश 520
2 मिजोरम 510
3 मणिपुर 398
4 नागालैंड 215
कुल 1643

भारत म्यामांर संबंध

भारत और म्यांमार दोनों पड़ोसी हैं । इनके संबन्ध अत्यन्त प्राचीन और गहरे हैं। 1937 तक बर्मा भी भारत का ही भाग था और ब्रिटिश राज के अधीन था। पड़ोसी देश होने के कारण भारत के लिए बर्मा का आर्थिक, राजनीतिक और रणनीतिक महत्व भी है। इसके एक तरफ भारतीय सीमा में चीन की तत्परता भारत के लिए चिंता का विषय है तो दूसरी तरफ भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में अलगाववादी ताकतों की सक्रियता और घुसपैठ की संभावनाओं को देखते हुए बर्मा से अच्छे संबंध बनाए रखना भारत के लिए अत्यावश्यक है।

6. भारत – भूटान सीमा

भूटान – भारत सीमा भूटान और भारत को अलग करने वाली अंतर्राष्ट्रीय सीमा है। भारत भूटान के साथ 699 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है जो भारत के सिक्किम, पश्चिम बंगाल, असम एवं अरुणाचल प्रदेश राज्यो के सीमाओं से सटे हुए है। भारत-भूटान सीमा पर सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) सीमा सुरक्षा बल के रूप में तैनात है। एसएसबी ने भारत-भूटान सीमा पर 132 संस्वीकृत चौकियों में से 131 सीमा चौकियाँ (बीओपी) स्थापित की हैं।

भारत-भूटान के अंतर्राष्ट्रीय सीमा की लंबाई की राज्यवार सूची

क्र. राज्य लंबाई (किमी.)
1 असम 267
2 अरुणाचल प्रदेश 217
3 पश्चिम बंगाल 183
4 सिक्किम 32
कुल 699

भारत भूटान संबंध

भूटान भारत का निकटतम पड़ोसी देश है और दोनों देशों के बीच खुली सीमा है। द्विपक्षीय भारतीय-भूटान समूह सीमा प्रबंधन और सुरक्षा की स्थापना दोनों देशों के बीच सीमा की सुरक्षा करने के लिये की गई है। भारत के साथ भूटान मज़बूत आर्थिक, रणनीतिक और सैन्य संबंध रखता है।

7. भारत – अफगानिस्तान सीमा

अफगानिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (pok) के बीच 106 किमी. लम्बी अन्तराष्ट्रीय सीमा का नाम डूरण्ड रेखा है। यह सीमा रेखा 1896 में एक समझौते के द्वारा स्वीकार की गयी थी। इस रेखा का नाम सर मॉर्टिमेर डूरंड, जिन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के अमीर अब्दुर रहमान ख़ां को इसे सीमा रेखा मानने पर राजी किया था, के नाम पर पड़ा था।

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