भारत की प्रमुख झील कौन कौन से है? झील क्या है? देखे पूरी जानकारी

भारत की प्रमुख झीलें

देश की अधिकांश झीलें (Lakes) उत्तर के पर्वतीय प्रदेश में ही सीमित हैं। समुद्रतटीय क्षेत्रों में भी कुछ महत्वपूर्ण झीलें स्थित हैं। भारत में मिलने वाली विभिन्न प्रकार की प्रमुख झील कौन कौन से है? ये जानने से पहले आईये देखते है झील के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी।

झीलें क्या है ?

इस आर्टिकल की प्रमुख बातें

झील जल का वह स्थिर भाग है जो चारो तरफ से स्थलखंडों से घिरा होता है। आसान शब्दों में कहे तो जल का वह जमावड़ा जो तालाब की तरह चारो ओर से घिरा होता है। लेकिन ये तालाब से कई गुना बड़े और गहरे होते है। सामान्य रूप से झील भूतल के वे विस्तृत गड्ढे हैं जिनमें जल भरा होता है । झीलों का जल प्रायः स्थिर होता है। कुछ झील खारे पानी का होता है। तो कुछ मीठे जल का।

झील का निर्माण कैसे हुआ ?

जब नदियां अपने रास्ते की घुलनशील चट्टानों को काट देती हैं तो बड़े – बड़े गड्ढे बन जाते हैं । इन गड्ढों में पानी भर जाने पर ये झीलों में बदल जाती है। अर्थात अपरदन यानी कटाव से भी झीलों का निर्माण होता है। इसके निर्माण में केे काफी समय लगता है।

भारत के प्रमुख झील

  • विवर्तनिक झीलें – कश्मीर की वूलर झील तथा कुमायूँ ( हिमालय ) में स्थित अनेक झीलें।
  • ज्वालामुखी क्रिया से निर्मित झीलें – ज्वालामुखी के शांत होने के पश्चात उनके मुख में वर्षा का जल एकत्रित होने से ज्वालामुखी झीलों का निर्माण होता है। जैसे महाराष्ट्र के बुलढाना जिले की लोनार झील।
  • लैगून या अनूप झीलें – समुद्री तटों की किनारे स्थित उथली जल संरचना जो एक रोधिका द्वारा समुद्र से पृथक रहती है लैगून झील कहलाती है । लैगून झील में सामान्यता लवणीय अथवा खारा जल पाया जाता है । चिल्का झील (उड़ीसा), पुलीकट झील (तामिलनाडु), कोलेरु झील (आन्ध्र प्रदेश)।
  • हिमानी द्वारा निर्मित झीलें – झील हिमनदों अथवा हिमानियों से निकलने वाली नदी अपने मार्ग में गड्ढे बना लेती है व फिर यही गड्ढे हिमनदों के पिघलने से निकलने वाले जल से भर जाते हैं व झील का रुप ले लेते हैं। कुमायूँ (हिमालय) की अधिकांश झीलें इसी प्रकार की हैं। इनके उदाहरण हैं -राकसताल , नैनीताल , सातताल , भीमताल , नौकुछियाताल , खुरपाताल , समताल , पूनाताल , मावलाताल आदि ।
  • वायु द्वारा निर्मित झीलें – मरुस्थलीय क्षेत्रों में बालू के टीले पर हवा द्वारा गड्ढे बन जाते हैं व फिर यही गड्ढे वर्षा के जल से भर जाते हैं। राजस्थान की सांभर , लूनकरनसर आदि ।
  • प्लाया झील – डीडवाना , पंचपदरा (राजस्थान)।
  • राफ्ट झील – गोहाना (उत्तराखण्ड)
  • भारत की अन्य प्रमुख झीलें हैं – डलझील, मानसबल, शेषनाग, अनन्तनाग, गन्धारबल, अच्छाबल बैरीनाग तथा नगीन झील (जम्मू-कश्मीर) , उदयसागर, पिछौला, फतेहसागर, जयसमन्द, राजसमन्द (राजस्थान), लोकटक (मणिपुर), बेम्बानाड (केरल), हुसैनसागर (आन्ध्रप्रदेश), आदि।

देखे भारत के प्रमुख झीलों की पूरी लिस्ट :

भारत की प्रमुख झील
क्र. झील का नाम स्थान
1 सातताल झील उत्तराखंड
2 नैनीताल झील उत्तराखंड
3 राकसताल झील उत्तराखंड
4 मालाताल झील उत्तराखंड
5 देवताल झील उत्तराखंड
6 नौकुछिया ताल झील उत्तराखंड
7 खुरपाताल झील उत्तराखंड
8 हुसैनसागर झील तेलंगाना
9 कोलेरू झील आंध्रप्रदेश
10 पुलीकट झील तमिलनाडु
11 चिल्का झील ओड़ीसा
12 बेम्बानड झील केरल
13 लोनार झील महाराष्ट्र
14 लोकटक झील मणिपुर
15 डल झील जम्मू-कश्मीर
16 दुलार झील जम्मू-कश्मीर
17 बैरिनाग झील जम्मू-कश्मीर
18 मानस बल झील जम्मू-कश्मीर
19 नागिन झील जम्मू-कश्मीर
20 शेषनाग झील जम्मू-कश्मीर
21 अनंतनाग झील जम्मू-कश्मीर
22 राजसमन्द झील राजस्थान
23 पिछौला झील राजस्थान
24 सांभर झील राजस्थान
25 लूणकरणसर झील राजस्थान
26 जयसमन्द झील राजस्थान
27 फतेहसागर झील राजस्थान
28 डीडवाना झील राजस्थान

भारत के प्रमुख झील, झील क्या है?

भारत की प्रमुख झील कौन कौन से है देखे पूरी जानकारी

1. सातताल झील – उत्तराखंड

भारत की ऐसी प्रमुख झील जो उत्तराखंड के नैनीताल से लगभग 23 किलोमीटर और भवाली से मात्र 13 किलोमीटर की दूरी तथा समुद्र तल से 1370 मीटर की ऊचाई पर स्थित सातताल एक अनोखा एवं अविस्मरणीय स्थान है। जंहा घने बांज के वृक्षों से घिरे इस स्थान पर सात झीलों का एक समूह है, जिसमें से कुछ झीलें अब विलुप्त हो गयी हैं। यह ताल पर्यटन विभाग की ओर से प्रमुख सैलानी क्षेत्र घोषित किया गया है।

ताल के प्रत्येक कोने पर बैठने के लिए सुन्दर व्यवस्था कर दी गयी है। यह ताल सौन्दर्य की दृष्टि से सर्वोपरि है। यहाँ पर नौकुचिया देवी का भी मन्दिर है। यह खूबसूरत झील इन सातों झीलों का समूह है नल – दमयंती ताल, गरुड़ ताल, राम ताल, लक्ष्मण ताल, सीता ताल, पूर्ण ताल और सूखा ताल इन सभी तालो से मिलकर एक खूबसूरत झील सातताल झील बना है।

2. नैनीताल झील – उत्तराखंड

भारत की खूबसूरत प्रमुख झील में से एक उत्तराखंड के खूबसूरत पहाड़ी वादियों में बसा नैनीताल जिसे झीलों का शहर कहा जाता है। नैनीताल की सुंदरता का केंद्र बिंदु यहाँ पर स्थित सुंदर नैनी झील है। यहां के ऊंचे और खूबसूरत पहाड़ , झीलें , मंदिर और चारों तरफ फैली हरियाली आपको नैनीताल का दीवाना बना देगी। सूर्य की रोशनी में यहाँ की सात पहाडियों पर स्थित भवनों एवं वनस्पति को प्रितबिम्बित करती यह झील बहुत मनोरम दृश्य प्रस्तुत करती है।

झील के उत्तरी छोर को मल्लीताल तथा दक्षिणी छोर को तल्लीताल के नाम से जाना जाता है। मल्लीताल में फ्लैट्स स्थित है। जबकि तल्लीताल में बस स्टेशन, टेक्सी स्टेशन , रेलवे बुकिंग काउंटर एवं पोस्ट आफिस है। तल्लीताल के क्षेत्र का एक भाग एक पुल के ऊपर के बना है। झील के दोनों ओर बाजार हैं जहाँ से आप आवश्यक वस्तुयें खरीद सकते हैं।

3. भीमताल झील – उत्तराखंड

भीमताल भारत की एक प्रमुख झील के साथ साथ  खूबसूरत और मनमोहने वाला एक त्रिभुजाकर झील है जो उत्तराखंड के नैनीताल से 22 किलोमीटर की दूरी तथा समुद्र तल से 1370 मीटर ऊंचाई पर स्थित है । इस स्थान की दूरी भवाली से 11 किलोमीटर है । भीमताल की झील पर्यटकों के लिए बहुत मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करती है।

यह झील उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित सबसे बड़ी झील है। यह ताल नैनीताल से भी बड़ा है । खुले आसमान और विस्तृत धरती का सही आनन्द लेने वाले पर्यटकों के लिए भीमताल एक बहुत ही अच्छा खूबसूरत जगह है। नैनीताल की तरह इसके भी दो कोने हैं- तल्ली ताल एवं मल्ली ताल। यहाँ पर नौका विहार का भरपूर आनन्द लिया जा सकता है।

4. नौकुचियाताल झील – उत्तराखंड

नौकुचियाताल झील की दूरी नैनीताल से 26 किलोमीटर तथा भीमताल से 4 किलोमीटर है । समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 1220 मीटर है । इस गहरी एवं साफ झील में कुल नौ कोने हैं । झील की लम्बाई 983 मीटर , चौडाई 693 मीटर तथा गहराई 40.3 मीटर है। इस झील के एक भाग में ‘ कमल ताल ‘ भी स्थित है , जहाँ पर कमल के फूल पर्याप्त मात्रा में देखने को मिल जाते हैं।

नौकुचियाताल झील का सन्दर्भ एक झील से है जिसके नों कोनें हैं । ऐसा माना जाता है कि कोई अगर एक ही बार में नौ कोनों को देख लेता है तो उसे निर्वाण कि प्राप्ति होती है जिसका तात्पर्य है ‘ मन की शांति ‘ । इसके अन्दर एक झरना है जिससे झील में पूरे साल पानी का स्तर बना रहता है । यहाँ पर पक्षियों की अनेक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

5. खुरपाताल झील – उत्तराखंड

खुरपाताल भारत के उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नैनीताल से 12 किलोमीटर आगे स्थित है। खुर्पाताल का नाम खुर्पाताल इसलिए पड़ा क्योंकि इसकी आकृति खुर ( घोड़े के तलवे ) के समान दिखती है। खुरपा ताल की एक विशेषता ये भी है कि जैसे जैसे रोशनी की मात्रा कम ज्यादा होती है इसके पानी की रंगत भी बदली सी दिखती है। खुरपाताल झील इतना खूबसूरत है कि आप यंहा जाएंगे तो वापिस आने का मन नही करेगा। यंहा की हरियाली एयर सीढ़ीनुमा हरे भरे खेत देखते ही बनता है।

6. हुसैन सागर झील – तेलंगाना

भारत की प्रमुख कृत्रिम झील में से एक हुसैन सागर झील सबसे बड़ी मानव निर्मित झीलों में से एक मानी जाती है। जो तेलंगाना के हैदराबाद में मुसी नदी की एक सहायक नदी पर बनाया गया है। इस खूबसूरत झील के बीच आश्चर्यजनक रूप से 1992 में गौतम बुद्ध की विशाल बुद्ध प्रतिमा को स्थापित किया गया। जो सभी पर्यटकों के बीच मुख्य आकर्षण का केंद्र है। इस झील को दिल का आकार दिया गया है। यह झील , हैदराबाद और सिकंदराबाद शहरों को जोड़ती है। हुसैन सागर झील , वाटर स्पोर्ट्स का भी एक प्रमुख केंद्र है।

 

भारत की प्रमुख झील कौन कौन से है झील क्या है झील की पूरी जानकारी

7. कोलेरू झील – आंध्रप्रदेश

कोलेरू झील आंध्रप्रदेश में ताजे पानी का सबसे बड़ा झील है। यह एक अण्डाकार छिछली झील है। जो कि आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में स्थित है। वर्षा ऋतु में इसके सतह क्षेत्र का क्षेत्रफल लगभग 250 वर्ग किलोमीटर हो जाता है। झील का उद्गम गोदावरी और कृष्णा नदी के तटों पर समुद्री ज्वार भाटे से विकसित है , जिसके भाग में समुद्री जल एकत्रित हो जाता है। अब यह झील अनेक सोंतो द्वारा भरती जा रही है। कोलेरू झील में सर्दियों के समय साइवेरिया से पक्षी आते हैं। तरह-तरह की मछलियों से भरपूर इस झील को हवासिलों , बत्तखों व बगुलों की जन्मस्थली माना जाता है।

8. पुलिकट झील – तमिलनाडु

भारत की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की प्रमुख झील जो आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों की सीमा के निकट श्रीहरिकोटा के रोधिका द्वीप झील पर स्थित है। इस झील की औसत गहराई 18 मीटर है। जो समुद्र से बालू की भित्ति द्वारा अलग होने से बनी है। 159 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैली इस झील को पज़ावरकडू के नाम से भी जाना जाता है। पुलिकट झील को पुलिकट पक्षी अभ्यारण्य के रूप में संरक्षित किया गया है। जहां हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी आते है। यहां कई दुलर्भ प्रजातियां भी पाई जाती है। यह झील, उड़ीसा की चिल्का झील के बाद सबसे बड़ी झील है। यह पर्यटकों के लिए एक बहुत ही खूबसूरत जगह है। छूट्टीयों के दिनों में आप यंहा एक बार घूमने जरूर जाएं।

9. चिल्का झील -ओडिशा

चिल्का झील ओडिशा में स्थित भारत की सबसे बड़ी और विश्व की द्वितीय सबसे बड़ी समुद्री झील है। इसमें कई धाराओं से जल आता है और पूर्व में बंगाल की खाड़ी में बहता है। यह झील 70 किलोमीटर लम्बी तथा 30 किलोमीटर चौड़ी है । यह समुद्र का ही एक भाग है जो महानदी द्वारा लायी गई मिट्टी के जमा हो जाने से समुद्र से अलग हो गई। झील में अनेक छोटे – छोटे द्वीप हैं जो बेहद खूबसूरत प्रतीत होते हैं। 1981 में , चिल्का झील को रामसर घोषणापत्र के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में चुना गया । यह इस मह्त्व वाली पहली पहली भारतीय झील थी ।

एक सर्वेक्षण के मुताबिक यहाँ 45 % पछी भूमि , 32 % जलपक्षी और 23 % बगुले हैं । यह झील 14 प्रकार के रैपटरों का भी निवास स्थान है। इस नमकीन पानी की झील को आर्द्रभूमि भी कहा जाता है । सर्दियों में यह झील कैस्पियन सागर , ईरान , रूस और दूर स्थित साइबेरिया से आने वाले प्रवासी पक्षियों का निवास स्थान बन जाती है। क़रीब एक हज़ार वर्ग किमी क्षेत्र में फैली चिल्का झील में मछलियों की क़रीब 225 प्रजातियाँ मौजूद है । सर्दियों के मौसम में यहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है।

10. लोनार झील – महाराष्ट्र

लोनार झील महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में स्थित एक खारे पानी की झील है । इसका निर्माण एक उल्का पिंड के पृथ्वी से टकराने के कारण हुआ था। इस उल्कीय झील की गहराई लगभग पांच सौ मीटर है। शोध में यह भी सामने आया है कि झील के पानी में समय – समय पर बदलाव होते रहे हैं महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में स्थित लोनार झील अपने स्वरुप के चलते हमेशा से जियोलॉजिस्ट से लेकर साइंटिस्टों को हैरान करती रही है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह झील उल्का पिंड की टक्कर से बनी है। इसका खारा पानी इस बात को दर्शाता है कि कभी यहां समुद्र था। शोध में यह भी दावा किया जाता है कि यह करीब दस लाख टन वजनी उल्का पिंड टकराने से ये झील बनी होगी। हाल ही में लोनार झील पर हुए शोध में यह सामने आया है कि यह लगभग 5 लाख 70 हजार साल पुरानी झील है। यानी कि यह झील रामायण और महाभारत काल में भी मौजूद था। वैज्ञानिकों का मानना है कि उल्का पिंड के पृथ्वी से टकराने के कारण यह झील बनी थी , लेकिन उल्का पिंड कहां गया इसका कोई पता अभी तक नहीं चला है।

11. बेम्बानड झील – केरल

वेम्बानड या बेम्बानड झील केरल में स्थित एक ‘लैगुन’ झील है । वेम्बानड झील अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए विख्यात है। प्रतिवर्ष इस झील में नाव प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं । वेम्बानड झील एक आकर्षक पिकनिक स्थल भी है । यह झील बेकवाटर पर्यटन के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है । यहां बोटिंग , फिशिंग और साइटसीइंग के अनुभवों का आनंद लिया जा सकता है ।

वेम्बनाड झील को केरल के कई जिलो में अलग अलग नाम से जाना जाता है। इस झील की लम्बाई लगभग 96 किलो मीटर है और इसकी चोड़ाई 14 किलो मीटर है। इस झील की गहराई 12 मीटर है। कोच्चि में यह झील कोच्चि झील के नाम से जाना जाता है। भारत सरकार ने इस झील के संरक्षण के लिये इसे राष्ट्रीय जलभूमि संरक्षण योजना के दायरे में रखा है।

12. लोकटक झील – मणिपुर

लोकटक झील पूर्वोत्तर भारत में ताजे पानी की सबसे बड़ी और प्रमुख झील है । यह झील मणिपुर की राजधानी इम्फाल से 53 किलोमीटर दूर और दीमापुर रेलवे स्टेशन के निकट स्थित है। यह झील मणिपुर में खूगा नदी के पास स्थित है। लोकटक झील देखने में बहुत खूबसूरत है। लोकटक लेक को दुनिया की इकलौती तैरती झील का दर्जा प्राप्त है। इस पर तैरते विशाल हरित घेरों की वजह से इसे तैरती हुई झील कहा जाता है। एक से चार फीट तक मोटे ये विशाल हरित घेरे वनस्पति मिट्टी और जैविक पदार्थों के मेल से निर्मित मोटी परतें हैं। ये परतें इतनी मजबूत होती हैं कि स्तनपायी जानवरों को वजन आराम से झेल लेती हैं।

13. डल झील – जम्मू-कश्मीर

भारत की सबसे सुंदर झीलों में गिने जाने वालों झीलों में हिमालय की तलहटी में स्थित, जम्मू कश्मीर की श्रीनगर का डल झील पूरे कश्मीर घाटी की एक प्रसिद्ध झील हैं। लगभग 26 वर्ग किमी. के बड़े क्षेत्र में फैले यह झील तीन दिशाओं से पहाड़ियों के साथ साथ मुगल काल के बगीचों, पार्कों, हाउसबोटों और होटलों के साथ एक बुलेवार्ड से घिरी हुई है।

यहां सर्दियों के मौसम में कभी-कभी तापमान -11 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, जिससे झील जम जाती है।डल झील , श्रीनगर में ‘ श्रीनगर का गहना ‘ या कश्मीर के मुकुट के नाम से लोकप्रिय है। डल झील की प्राकृतिक सुंदरता और प्राकृतिक परिवेश के कारण यंहा आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। डल झील लकड़ी की नाव और हाउसबोट के लिए काफी जाना जाता है।

14. वुलर झील – जम्मू-कश्मीर

बर्फ की चादर ओढे हिमालय और भरपूर हरियाली के बीच जम्मू व कश्मीर राज्य के बांडीपोरा जिले में स्थित वुलर झील भारत में सबसे बड़ी प्राकृतिक मीठे पानी की झीलों में से एक , यह दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करती है। अपने बड़े अकार के कारण इस झील में बड़ी लहरें आती हैं और इसी के कारण इसका नाम वुलर झील पड़ा। झील का आकार मौसम के अनुसार बदलता रहता है , कभी यह 30 वर्ग किमी में तो कभी यह 50 से 60 वर्ग किमी की विशाल सीमा में फैल जाती है। परिवार के साथ घूमने की यह एक शानदार जगह है। झील की रंगीन और सुंदर जलीय जीवन आपको आनंद से भर देंगी।

15. मानसबल झील – जम्मू-कश्मीर

भारत की प्रमुख झीलों में से एक मानसबल झील जो जम्मू व कश्मीर राज्य में श्रीनगर शहर से 30 किमी दूर झेलम घाटी पर स्थित पर्वतीय झील है। यह झील समुद्री तल से 1500 किमी की ऊंचाई पर स्थित है । इस झील की लम्बाई 5 किमी और चौड़ाई 1 किमी है। चारों ओर से पहाड़ियों से घिरी जम्मू – कश्मीर की सबसे गहरी झील मानी जाती है। यह झील गर्मियों में कमल के फूलों तथा सर्दियों में प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है। मानसबल झील प्रकृति की गोद में बसा, श्रीनगर के पास के प्रमुख आकर्षणों में से एक है।

16. नागिन झील – जम्मू-कश्मीर

नागिन झील जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर शहर की पहाड़ों की तलहटी में स्थित, सुरम्य नागिन झील डल झील की एक शाखा है। डल झील से लगभग 6 कि.मी. की दूरी पर स्थित है । यह झील आसपास के क्षेत्र में ‘ ज्वैल इन द रिंग ‘ के नाम से काफ़ी प्रसिद्ध है, जो चारों तरफ से चिनार के पेड़ों से घिरी हुई है । नागिन झील ‘डल झील’ से एक पतले सेतु द्वारा अलग है। झील एक पक्की सड़क से जुड़ी है , यहां केवल पैदल चलने वालों और बाइकर्स को ही प्रवेश की अनुमति है । तैरने का आनंद लेने के लिए प्रसिद्ध डल झील की तुलना में इसे एक बेहतर विकल्प माना जाता है, क्योंकि यह गहरी और कम भीड़ वाली जगह है।

17. शेषनाग झील – जम्मू-कश्मीर

चन्दनवाडी से लगभग 16 किमी और पहलगाम से लगभग 32 किमी की दूर पर स्थित शेषनाग झील जम्मू और कश्मीर में अमरनाथ गुफ़ा स्थित एक धार्मिक झील है । यह पर्वतमालाओं के बीच नीले पानी की एक खूबसूरत झील है । अमरनाथ हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है । यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ़ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। शेषनाग झील कई प्रकार की मछलियों का घर है। यह सर्दियों के दौरान जम जाता है , और भारी बर्फबारी के कारण सर्दियों के दौरान दुर्गम होता है यह हरे भरे घास के मैदानों और बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरा हुआ है। शेषनाग झील प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक हैं।

भारत की प्रमुख झील कौन कौन से है झील क्या है झील की पूरी जानकारी

 

प्राचीन समय में इस स्थल पर बादल फटने से पहाड़ों की गहरी खाई बन गई थी । वे पहाड़ बर्फ और बर्फ की चादरों से ढंके हुए हैं जो धीरे – धीरे पिघलते हैं जिससे पानी गहरी नाली में बह बहते गए और एक झील बन जाए । इसका नाम शेषनाग रखा गया क्योंकि कश्मीरी शेष का मतलब आईना तथा गुनगुन मतलब झील, अर्थात दर्पण झील, जैसा कि उसका पानी क्रिस्टल स्पष्ट है और यह दर्पण के रूप में कार्य करता है ।

18. अनंतनाग झील – जम्मू-कश्मीर

183 वर्ग कि.मी. में फैले अनंतनाग झील कश्मीर की प्राचीन राजधानी अनंतनाग में श्रीनगर से 50 किमी दक्षिण – पूर्व में झेलम नदी के किनारे स्थित है। स्थित हैं। अनंतनाग झील के साथ साथ पूरा अनंतनाग क्षेत्र एक बहुत ही खूबसूरत जगह है। भारत के सबसे खूबसूरत झीलों में अनंतनाग झील को गिना जाता है। यंहा आकर  आपका मन और स्वास्थ्य दोनों ही खुशनुमा हो जाएगा।

19. राजसमन्द झील – राजस्थान

राजसमंद झील, भारत की राजस्थान में राजसमंद जिले में स्थित राजस्थान की प्रमुख झील है। यह झील भारत की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। महाराणा राजसिंह के शासनकाल में 1662 ई. में दो पहाड़ियों के बीच दीवार बनाकर, तीन अलग – अलग नदियों गोमती, केलवा और तली नदियों के जल प्रवाह को रोक कर राजसमंद झील का निर्माण करवाया गया था।

सात किलोमीटर लम्बी व तीन किलोमीटर चौडी यह झील 55 फीट गहरी है। यहीं पर 25 काले संगमरमर की चट्टानों पर मेवाड़ का पूरा इतिहास संस्कृत में उत्कीर्ण है । इसे ‘ राजप्रशस्ति ‘ कहते हैं, जो की संसार की सबसे बड़ी प्रशस्ति है। पर्यटकों के लिए राजसमंद झील एक खूबसूरत देखने लायक जगह है।

20. पिछौला झील – राजस्थान

राजस्थान का उदयपुर शहर प्रकृति एवं मानवीय रचनाओं से समृद्ध अपने सौंदर्य के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। लेक सिटी या झीलों का शहर के नाम से मशहूर अरावली की पहाड़ियों और हरे भरे जंगलों से घिरा यंहा की पिछौला झील यंहा के सभी झीलों में प्रमुख हैं। पिछौला उदयपुर की सबसे प्राचीन व सबसे सुंदर झील है। पिछौला झील का निर्माण उदयपुर में राजमहल के पिछे राणा लाखा के काल में 14 वीं शताब्दी में हुआ था।

झील में दो द्वीप हैं और दोनों पर महल बने है। एक है जग निवास, जो अब लेक पैलेस होटल बन चुका है और दूसरा है जग मंदिर , इन्हें नाव द्वारा जाकर इन्हें देखा जा सकता है। नीली झीलों, अरावली की पहाड़ियों से घीरे और पांच मुख्य झीलों के इस शहर को देखने या घुमने – फिरने के लिए सबसे अच्छा समय सितंबर से अप्रैल का महीना है ।

21. सांभर झील – राजस्थान

भारत के राजस्थान में जयपुर से 70 किलोमीटर दूरी पर खारे पानी की यह विशाल झील स्थित है। जब यह भरी रहती है तब इसका क्षेत्रफल 90 वर्ग मील रहता है। इस झील से बड़े पैमाने पर नमक का उत्पादन किया जाता है।सांभर झील को राजस्थान की साल्ट लेक भी कहा जाता है। जो लगभग 22.5 किमी क्षेत्र में फैली , यह भारत की सबसे बड़ी अंतर्देशीय नमक झील है। शीत ऋतु में यहां साईबेरिया एवं उत्तरी एशिया से कई प्रजातियों के पक्षी प्रवास करते है जिनमें ‘ फ्लेमिंगो ‘ प्रमुख है।

22. लुनकरनसर झील – राजस्थान

राजस्थान के बीकानेर जिले में मूंगफली के लिए प्रसिद्ध लूणकरणसर में स्थित यह झील अत्यन्त छोटी है । जिसके चलते यंहा थोडी बहुत मात्रा में नमक स्थानीय लोगो की ही आपूर्ति कर पाता है। उत्तरी राजस्थान की एकमात्र खारे पानी की झील है। सर्दी शुरू होते ही खूबसूरत पक्षी ग्रेटर फ्लेमिंगो लूणकरणसर की नमकिन झील में अपनी रंगत बिखेरते हुए स्थानीय लोगों का ध्यान अपनी और खींचते हैं। इन दिनों हजारों की संख्या में डेमोइसेल क्रेन (कुरजां) का प्रवास रहता है। लूणकरणसर झील को विदेशी पक्षियों की शरणस्थली माना जाता है।

23. जयसमंद झील – राजस्थान

ढेबर झील या जयसमंद झील पश्चिमोत्तर भारत के दक्षिण-मध्य राजस्थान राज्य के उदयपुर जिला मुख्यालय से 51 किमी की दूरी पर दक्षिण – पूर्व की ओर उदयपुर – सलूम्बर मार्ग पर स्थित अरावली पर्वतमाला के दक्षिण – पूर्व में स्थित एक विशाल जलाशय है । यह राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है । इस झील को एशिया की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील होने का गौरव प्राप्त है। इस झील के किनारे निर्मित संगमरमर की छतरियाँ इस झील की खूबसूरती पर चार चाँद लगाते हैं । झील के किनारे ही एक वन्यजीव अभ्यारण्य भी है।

इस झील का निर्माण मेवाड़ के राणा जयसिंह ने गोमती नदी का पानी रोककर 1687-1691 कराया गया। कहा जाता है कि गर्मी के मौसम में महारानियाँ यहीं आकर रहती थीं । इस झील में छोटे – बड़े सात टापू है । इन टापूओं पर आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते है । जयसंमद झील को पर्यटन केन्द्र के रूप में भी विकसित किया जा रहा है । इस झील से श्यामपुरा और  भट्टा / भाट दो नहरें भी निकाली गई है। दो पहाडियों के बीच में स्थित ढेबर झील में कुछ वर्षों पूर्व में नौ नदियों एवं आधा दर्जन से भी अधिक नालों से जल आता था, लेकिन अब मात्र गोमती नदी और इसकी सहायक नदियों और कुछ नालों से ही जल का आगमन हो पाता है ।

24. फतेहसागर झील – राजस्थान

फतेहसागर झील राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित एक झील है जिसका निर्माण मेवाड़ के शासक जयसिंह ने 1678 ई . में करवाया। बाद में यह अतिवृष्टि होने के कारण नष्ट हो गई। तब इसका पुर्निमाण 1889 में महाराजा फतेहसिंह ने करवाया था। अतः इस झील को फतहसागर झील कहा गया। फतहसागर झील में अहम्दाबाद संस्थान ने 1975 में भारत की पहली सौर वैद्यशाला स्थापित की । इसी झील के समीप बेल्जियम निर्मित टेलिस्कोप की स्थापना सूर्य और उसकी गतिविधियों के अध्ययन के लिए की गई ।

यह झील पिछोला झील से जुड़ी हुई है। फतेहसागर झील पर एक टापू है जिस पर नेहरू उद्यान विकसित किया गया है। अपने महान ऐतिहासिक महत्व और खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों के कारण इस जगह को पूरी दुनिया से पर्यटक देखने आते है। इसका शांत वातावरण देखकर पर्यटक को शांति का एहसास होता है। और यहां पर कई पर्यटक के लिए पानी की खेल होते हैं जिसमें पर्यटक भाग ले सकते हैं।

25.डिंडवाना झील – राजस्थान

राजस्थान के नागौर जिले में लगभग 4 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैली इस झील में सोडियम क्लोराइड की बजाय सोडियम स्लफेट प्राप्त होता है । अतः यहां से प्राप्त नमक खाने योग्य नहीं है। इसके  सभी तरफ रेत की पहाड़ियों से हुआ है । जहां अरावली अपनी पश्चिमी सीमा बनाती है और इसके अलग – अलग भाग बनाती है । अवसाद तल काली मिट्टी की उपस्थिति दर्शाता है और दिखने में सांभर झील के समान है।

इसलिए यहां का नमक विभिन्न रासायनिक क्रियाओं में प्रयुक्त होता है । इस झील के समीप ही राज्य सरकार द्वारा ” राजस्थान स्टेट केमिकलवक़्स ” के नाम से दो इकाईयां लगाई है जो सोडियम सल्फेट व सोडियम सल्फाइट का निर्माण करते है । थोड़ी बहुत मात्रा में यहां पर नमक बनाने का कार्य निजी इकाइयों द्वारा भी किया जाता है जिन्हें ‘ देवल ‘ कहते हैं । इनमें नमक पुराने तरीके से बनाया जाता है। इस झील में कागज का उत्पादन भी किया जाता है।

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