भारत के पर्वत | भारत की पर्वतमाला | Mountains of India

भारत के पर्वत, पहाड़ियां, पर्वत श्रेणियां एंव पर्वतमाला से जुड़े जानकारी

हमारा देश भारत हरे भरे जंगलों और पहाड़ो वाला देश है जहां ऊंचे ऊंचे पर्वत सीना ताने खड़ा हुआ। तो आज की इस पोस्ट में जानेंगे भारत के इन्ही पर्वत, पहाड़ियां, पर्वत श्रेणियां से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में, तो चलिए देखते विस्तार से।

भारत के पर्वत, पहाड़ियाँ

इस आर्टिकल की प्रमुख बातें

भारत के पर्वत | भारत की पर्वतमाला | Mountains of India

1. कराकोरम, कैलाश श्रेणी – भारत एवं चीन

भारत और चीन के गिलगित-बल्तिस्तान, लद्दाख़ और शिन्जियांग तक विस्तृत काराकोरम कैलाश श्रेणी एक विशाल पर्वत शृंखला है। जिसका विस्तार 500 किलोमीटर तक है। ये हिमालय पर्वत का एक ऐसा हिस्सा है। जो एशिया की विशाल पर्वतमालाओं में से एक है। काराकोरम अर्थात काली भूरी मिट्टी होता है जिसके कारण इसे काला पहाड़ कहा जाता है। इसी पर्वत माला में दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची चोटी K2 स्थित है जिसकी ऊंचाई 8611 मी. है। कुछ ध्रुवीय क्षेत्रों को छोड़कर दुनिया के सबसे अधिक हिमनद इसी इलाके में हैं।

2. लद्दाख श्रेणी – भारत (जम्मू कश्मीर)

भारत के लद्दाख़ क्षेत्र के मध्य भाग में स्थित एक पर्वतमाला है। जो उत्तरी छोर पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र तक विस्तृत है। लद्दाख़ की राजधानी लेह इसी पर्वतमाला के क्षेत्र में स्थित है। लद्दाख़ पर्वतमाला काराकोरम पर्वतों की एक दक्षिणी उपशृंखला है। जो सिन्धु नदी व श्योक नदी की घाटियों के बीच स्थित है और 370 किमी तक चलती है। चोरबत ला (5,090 मी), खारदोंग ला (5,602 मी), चांग ला (5,599 मी), दीगार ला ((5,400 मी) और त्साका ला (4,724 मी) लद्दाख़ पर्वतमाला के प्रमुख दर्रे हैं।

3. जंस्कार पर्वतमाला जम्मू-कश्मीर

जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के भारतीय क्षेत्रों में एक पर्वत श्रृंखला है, जो ज़ांस्कर को लद्दाख से अलग करती है। लगभग 7,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले जांस्कर पर्वतमाला भूवैज्ञानिक रूप से, ज़ांस्कर रेंज टेथिस हिमालय का एक हिस्सा है, जो लगभग 100 किलोमीटर चौड़ा एक तलछटी श्रृंखला द्वारा निर्मित है। जिसकी औसत ऊँचाई लगभग 6,000 मीटर हैं।

ज़स्कर नदी इस सीमा से होकर बहती है और गहरी और संकरी चादर ट्रेक को काटती हुई आगे बढ़ती है। इसके पूर्वी भाग को रूपशु के नाम से जाना जाता है। यह ट्रांस-हिमालय से संबंधित है। 640 किमी. दक्षिण-पूर्व दिशा में जाती है और ऊपरी सुरु नदी से ऊपरी करनाली नदी तक कामेट पर्वत इसका उच्चतम बिंदु है, और सबसे महत्वपूर्ण मार्ग है।

4. पीरपंजाल श्रेणी – जम्मू कश्मीर

भारत के हिमाचल प्रदेश व जम्मू और कश्मीर राज्यों और पाक-अधिकृत कश्मीर में स्थित पीर पंजाल पर्वतमाला हिमालय की एक पर्वतमाला है। जहां पर यह हिमालय के मुख्य भाग से अलग होता है वहां सतलुज नदी के साथ ब्यास और रावी नदी तथा दूसरी तरफ चेनाब नदी बहती है। पीर पंजाल निचले हिमालय की सर्वोच्च शृंखला है। सतलुज नदी के किनारे यह हिमालय के मुख्य भाग से अलग होकर अपने एक तरफ़ ब्यास और रावी नदियाँ और दूसरी तरफ़ चेनाब नदी रखकर चलने लगती है।

पीर पंजाल पर्वतमाला के पूर्वी छोर के सबसे महत्वपूर्ण पर्वत हैं। इस छोर के बड़े पर्वत कुल्लू ज़िले और लाहौल व स्पीति ज़िले में स्थित हैं। कश्मीर का प्रसिद्ध गुलमर्ग पर्यटनस्थल भी इसी शृंख्ला में स्थित है। उत्तरी पाकिस्तानी पंजाब और ख़ैबर पख़्तूनख़्वा की पहाड़ी गलियाँ इसी पीर पंजाल शृंख्ला का अंतिम कम ऊँचाई वाला भाग है। जहां उत्तरी पंजाब का मरी हिल स्टेशन स्थित है। यही स्थित गंगा चोटी पीर पंजाल शृंख्ला का एक प्रसिद्ध 3044 मीटर ऊँचा पर्वत व पर्यटन स्थल है।

5. नंगा पर्वत – 8125 मी.– जम्मू कश्मीर

पूरी दुनिया मे कातिल पहाड़ के नाम से प्रसिद्ध, नंगा पर्वत दुनिया की नौवी ऊंची चोटी है। जिसकी ऊँचाई 8,125 मीटर है। जो पाकिस्तान के गिलगित – बल्तिस्तान के क्षेत्र में है। नंगा पर्वत हिमालय पर्वत शृंखला के सुदूर पश्चिमी भाग में स्थित है, और आठ हज़ार मीटर से ऊंचे पहाड़ों में से सबसे पश्चिमी है। यह सिन्धु नदी से ज़रा दक्षिण में और अस्तोर घाटी की पश्चिमी सीमा पर खड़ा हुआ है। इस पर चढ़ने वाले बहुत से लोगों की जाने जा चुकी हैं।

6.कामेत पर्वत – 7756 मी.– उत्तरांचल

कामेत पर्वत भारत के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में नन्दा देवी पर्वत के बाद सबसे ऊँचा पर्वत शिखर कामेत पर्वत ही है। पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित हिमालय की चोटियों को छोड़कर भारत का तीसरा सबसे ऊंचा शिखर, उत्तराखण्ड राज्य के चमोली ज़िले में तिब्बत की सीमा के निकट स्थित है। जो 7756 – मीटर ऊँचा है। विश्व में इसका 29 वां स्थान है।

कामेट शिखर को ज़ांस्कर शृंखला का भाग और इसका सबसे ऊँचा शिखर माना जाता है। जो हिमालय की मुख्य शृंखला के उत्तर में सुरु नदी एवं ऊपरी करनाली नदी के बीच स्थित है। देखने में यह एक विशाल पिरामिड जैसा दिखाई देता है। कामेत पर्वत अबी गमिन, माना पर्वत तथा मुकुट पर्वत जैसे तीन प्रमुख हिमशिखरों से घिरा हुआ है।

7.नंदा देवी – 7817 मी.– उत्तरांचल

नन्दा देवी शिखर हिमालय पर्वत शृंखला में भारत के उत्तरांचल राज्य में पूर्व में गौरीगंगा तथा पश्चिम में ऋषिगंगा घाटियों के बीच स्थित है। जो भारत की दूसरी एवं विश्व की 23 वीं सर्वोच्च चोटी है। इससे ऊंची व देश में सर्वोच्च चोटी कंचनजंघा है। इसकी ऊंचाई 7817 मीटर है और इस चोटी को उत्तरांचल राज्य में मुख्य देवी के रूप में पूजा जाता है और इसी कारण इसे नन्दा देवी कहते हैं।

नन्दादेवी शिखर के आसपास का क्षेत्र अत्यंत सुंदर है। यह शिखर 21000 फुट से ऊंची कई चोटियों के मध्य स्थित है। इस पूरा क्षेत्र को नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया जा चुका है। इस खूबसूरत नेशनल पार्क को 1988 में यूनेस्को द्वारा प्राकृतिक महत्व की विश्व धरोहर का सम्मान भी दिया जा चुका है।

8. धौलागिरि – 8172 मी.– हिमाचल प्रदेश

विश्व का सातवां सर्वोच्च पर्वत नेपाल में कालीगण्डकी नदी से आरम्भ होकर 120 किमी दूर स्थित भेरी नदी तक विस्तृत धौलगिरि हिमालय का एक पर्वतीय पुंजक है। इस पुंजक का सर्वोच्च पर्वत 8,167 मीटर ऊँचा है जिसे धौलागिरी कहते है,

9. गुरू शिखर – 1722 मी. – राजस्थान

राजस्थान के अरबुदा पहाड़ों में एक ऐसा चोटी, जो अरावली पर्वतमाला का उच्चतम बिंदु है। जिसे गुरु शिखर कहते है। गुरु शिखर 1722 मीटर की ऊंचाई पर है। माउंट आबू से 15 किलोमीटर दूर गुरु शिखर अरावली पर्वत शृंखला के साथ ही राजस्थान की सबसे ऊँची चोटी है जहाँ पर्वत की चोटी पर बने मंदिर की शांति दिल को छू लेती है।

10. मांउट एवरेस्ट – 8848 मी. – नेपाल

विश्व की सर्वोच्च चोटी माउंट एवरेस्ट हिमालय का हिस्सा है, जिसकी ऊँचाई 8,848.86 मीटर है। नेपाल में इसे स्थानीय लोग सगरमाथा नाम से जानते हैं, और तिब्बत में इसे सदियों से चोमोलंगमा अर्थात पर्वतों की रानी के नाम से जाना जाता है। वैज्ञानिक सर्वेक्षणों में कहा जाता है कि इसकी ऊंचाई प्रतिवर्ष 2 से॰मी॰ के हिसाब से बढ़ रही है।

11. खासी, जयंतिया, गारो पहाडियां – मेघालय

उतरी पूर्व पहाड़ियों में बारहवें स्थान पर आने वाले दक्षिण के पठार का ही एक भाग माना जाने वाले पूर्वोत्तर भारत के मेघालय स्थित खासी और जयंतिया हिल्स एक पहाड़ी क्षेत्र है जो मुख्य रूप से असम और मेघालय का हिस्सा था। यह क्षेत्र अब वर्तमान भारतीय संवैधानिक राज्य मेघालय का हिस्सा है। इसी पहाड़ी क्षेत्र में विश्व के सबसे ज्यादा वर्षा क्षेत्र शामिल है इसमें चेरापुंजी, मौसीनराम जैसे सर्वाधिक वर्षा स्थल स्थित है।

12. नागा पहाड़ी – 3,825 मी – नागालैण्ड

नागा पर्वत शृंखला, जिन्हें नागा पहाड़ियाँ भी कहते हैं, भारत और बर्मा म्यान्मार की सीमा पर लगने वाली पर्वत शृंखला है। इसकी ऊँचाई लगभग 3,825 मीटर है। जो जटिल पहाड़ प्रणाली का एक भाग है, जिसमें से कुछ भाग भारतीय राज्य नागालैण्ड में तथा बर्मा में आते हैं। नागा पर्वत शृंखला नागा लोगों की मातृभूमि रही है।

13. अरावली श्रेणी – 930 मीटर – गुजरात, राजस्थान,दिल्ली

लगभग 570 मिलियन वर्ष पुराना अरावली पर्वत शृंखला एक अवशिष्ट पर्वत का उदाहरण है। अरावली की औसत ऊंचाई 930 मीटर हैं और जिसकी कुल लम्बाई गुजरात से दिल्ली तक लगभग 692 किलीमीटर है, अरावली पर्वत श्रंखला का लगभग 79.49 % विस्तार राजस्थान में है, दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति भवन रायसीना की पहाड़ी पर बना हुआ है जो अरावली पर्वत श्रंखला का ही भाग है।

अरावली के दक्षिण की ऊंचाई व चौड़ाई सर्वाधिक है। अरावली पर्वतमाला प्राकृतिक संसाधनों एवं खनिज़ से परिपूर्ण है, और पश्चिमी मरुस्थल के विस्तार को रोकने का कार्य करती है। अरावली पर्वत का पश्चिमी भाग मारवाड़ एवं पूर्वी भाग मेवाड़ कहलाता है।

14. माउंटआबू – 1722 मी. – राजस्थान

समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊँचाई पर स्थित आबू पर्वत या माउण्ट आबू राजस्थान का एकमात्र पहाड़ी नगर है। यह अरावली पहाड़ियों में स्थित एक हिल स्टेशन है जो एक 22 किमी लम्बे और 9 किमी चौड़े पत्थरीले पठार पर बसा हुआ है। इसकी सबसे ऊँची चोटी 1,722 मी. हैं। राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित अरावली की पहाड़ियों की सबसे ऊँची चोटी पर बसे माउंट आबू की भौगोलिक स्थित और वातावरण मनोरम है। यह स्थान राज्य के अन्य हिस्सों की तरह गर्म नहीं है।

15. विन्ध्याचल श्रेणी – मध्य प्रदेश

कई पेचदार खंडों में बंटी हुई विन्ध्याचल पर्वत भारत के पश्चिम मध्य भाग में स्थित प्राचीन गोलाकार पर्वतों की एक पर्वतमाला है। भूवैज्ञानिक दृष्टि से विन्ध्याचल एक पर्वतमाला नहीं, बल्कि मध्य भारत की अनेक पर्वतमालाओं का ऐतिहासिक सामूहिक नाम है, जिनमें सतपुड़ा पर्वतमाला भी गिनी जाती है, जो ऐतिहासिक रूप से इसे उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच का विभाजक माना जाता है।

16. सतपुड़ा पहाड़ी – 1350 मी – मध्य प्रदेश

सतपुड़ा पर्वतमाला भारत के मध्य भाग मध्यप्रदेश में स्थित एक पर्वतमाला है। यह पर्वत श्रेणी एक ब्लाक पर्वत है, जो मुख्यत : ग्रेनाइट एवं बेसाल्ट चट्टानों से निर्मित है। जो पर्वतश्रेणी नर्मदा एवं ताप्ती की दरार घाटियों के बीच राजपीपला पहाड़ी, महादेव पहाड़ी एवं मैकाल श्रेणी के रूप में पश्चिम से पूर्व की ओर विस्तृत है और पूर्व में इसका विस्तार छोटा नागपुर पठार तक है। इस पर्वत श्रेणी की सर्वोच्च चोटी धूपगढ़ 1350 मीटर है, जो महादेव पर्वत पर स्थित है। सतपुड़ा रेंज के मैकाल पर्वत में स्थित अमरकंटक पठार से नर्मदा तथा सोन नदियों का उद्गम होता है।

17. महादेव पहाड़ी – 1352 मी. – मध्य प्रदेश

धूपगढ़ पर्वत महादेव पहाड़ियों (सतपुड़ा श्रृंखला में स्थित) का और पूरे मध्य प्रदेश का उच्चतम बिंदु है। यह पचमढ़ी में स्थित है, और इसकी ऊंचाई 1,352 मीटर है। धूपगढ़ मध्य प्रदेश की सतपुड़ा पर्वतमाला का सबसे ऊँचा स्थान है। पहाड़ी का शिखर सूर्यास्त देखने के लिए एक लोकप्रिय क्षेत्र है। पचमढ़ी हिल स्टेशन इसके शिखर के निकट ही स्थित है।

18. मैकाल पहाड़ी – 1036 मी. – मध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश के मैकाल पहाड़ी की सर्वोच्च चोटी अमरकंटक 1036 मीटर है, जहाँ से नर्मदा एवं सोन नदी निकलती हैं। ये सतपुड़ा पर्वतश्रेणी का ही हिस्सा है। जो मध्य भारत के सबसे बड़ा पर्वत शृंखला है।

19. राजमहल पहाड़ी – 300 मी. – झारखण्ड

राजमहल पहाड़ियाँ भारत के झारखण्ड राज्य के संथाल परगना विभाग में स्थित एक पर्वतमाला है। इनका नाम साहिबगंज जिले के राजमहल नगर पर पड़ा है। जो 200-300 मीटर ऊँची पहाड़ियाँ कतार बनाकर उत्तर – दक्षिण दिशा में साहिबगंज जिले और दुमका ज़िले में स्थित हैं और 2,600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर विस्तारित हैं।

20. सतमाला पहाडी – महाराष्ट्र

सह्याद्री पर्वत श्रृंखला और पश्चिमी घाट का अभिन्न अंग सतमाला पर्वत श्रृंखला महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है। मार्च से जून के दौरान, यह क्षेत्र गर्म तापमान के कारण अत्यंत शुष्क हो जाता है। इस पर्वत श्रंखला पर अनेक किले हैं और सतमाला पर्वत श्रृंखला नासिक जिले की सबसे महत्वपूर्ण भू – आकृति विज्ञान विशेषता है। यह पर्वत श्रंखला नासिक के किनारे रखे हार की तरह दिखती है।

सतमाला पर्वत श्रृंखला सापुतारा, वाणी, चंदवाड़ और मनमाड तक फैली हुई है। यह पर्वत श्रंखला अजंता तक चलती है और उस भाग को अजंता पर्वत श्रृखंला के नाम से जाना जाता है। चांदवड़ पर्वत श्रृंखला सतमाला पर्वत श्रृंखला के पूर्वी हिस्से में स्थित है।

21. अजंता श्रेणी – महाराष्ट्र

अजंता पर्वत श्रेणी महाराष्ट्र के सतमाला पर्वत श्रृंखला का ही एक हिस्सा है। यहां स्थित अजंता गुफाएँ युनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल है, जो भारत में स्थित तकरीबन 29 चट्टानों को काटकर बना बौद्ध स्मारक गुफाएँ जो द्वितीय शताब्दी ई॰पू॰ के हैं। यहाँ बौद्ध धर्म से सम्बन्धित चित्रण एवम् शिल्पकारी के उत्कृष्ट नमूने मिलते हैं। इनके साथ ही सजीव चित्रण भी मिलते हैं। यह गुफाएँ अजन्ता नामक गाँव के सन्निकट ही स्थित है, जो कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में है।

22. महेन्द्रगिारि पहाड़ी – 1,501 मी – उड़ीसा

महेंद्रगिरि भारत के ओड़िशा राज्य के गजपति ज़िले में पूर्वी घाट का एक पर्वत है, जो 1,501 मीटर ऊँचा पर्वत है। इस ऐतिहासिक पर्वत के बारे में रामायण में भी उल्लेख है। यह कोरापुट ज़िले के देओमाली पर्वत के बाद ओड़िशा का दूसरा सबसे ऊँचा पहाड़ है।

23. महाबलेषवर पहाड़ी – 1,438 मी – महाराष्ट्र

महाबलेश्वर भारत के दक्षिण – पश्चिम महाराष्ट्र राज्य, पश्चिम में स्थित है। यहाँ ही कृष्णा नदी का उद्गम है, जिस कारणवश यह एक हिन्दू तीर्थस्थान है। पश्चिमी घाट के रमणीय वातावरण से घिरा महाबलेश्वर एक हिल स्टेशन व पर्यटन आकर्षण भी है। ये पहाड़ी 1,438 मीटर की ऊँचाई पर अवस्थित है। महाबलेश्वर नगर ऊँची कगार वाली पहाड़ियों की ढलान से तटीय कोंकण मैदान का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है।

24. नीलगिरि पहाड़ी – 2637 मी – तमिलनाडू

नीलगिरि भारत के पश्चिमी घाट की एक प्रमुख पर्वतमाला है। इस क्षेत्र में बहुत से पर्वतीय स्थल हैं। नीलगिरि का इतिहास 11 वीं और 12 वीं शताब्दी से शुरु होता है। इसका सर्वप्रथम उल्लेख शिलप्पदिकारम में मिलता है। नीलगिरि पर्वत श्रृंखला का कुछ हिस्सा तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में भी आता है। यहां की सबसे ऊंची चोटी डोड्डाबेट्टा है, जिसकी कुल ऊंचाई 2637 मीटर है।

25. अन्नामलाई पहाड़ी – 1695 मी.– तमिलनाडू

भारत के तमिल नाडु राज्य के तिरुवन्नामलई जिले में स्थित अन्नामलई पहाड़ दक्षिण भारत में पांच मुख्य शैव पवित्र स्थानों में से एक है। इसे अरुणगिरि, अरुणई, सोनगिरि और सोणाचलम के नामों से भी जाना जाता है। पहाड़ के आधार पर भगवान शिव का अतिप्रसिद्ध अरुणाचलेश्वर मन्दिर स्थित है।

26. छोटा नागपुर का पठार – झारखंड

छोटा नागपुर पठार पूर्वी भारत में स्थित एक पठार है। 65,000 वर्ग किमी क्षेत्र के साथ झारखंड राज्य का अधिकतर हिस्सा एवं पश्चिम बंगाल, बिहार व छत्तीसगढ़ के कुछ भाग इस पठार में आते हैं। इसके पूर्व में सिन्धु और गंगा का मैदान एंव दक्षिण में महानदी हैं। इस पठारी क्षेत्र में कोयला का अकूत भंडार है।

छोटानागपुर का पठार तीन छोटे छोटे पठारों से मिलकर बना है जिनमे राँची का पठार, हजारीबाग का पठार और कोडरमा का पठार शामिल है। राँची पठार सबसे बड़ा पठार है जिसकी औसत ऊँचाई 700 मीटर है। पठार का ज्यादातर हिस्सा घने जंगलों से आच्छादित है जिनमें साल के वृक्षों की प्रमुखता है और इस क्षेत्र में वन क्षेत्र का प्रतिशत देश के अन्य हिस्सों की तुलना में ज्यादा है। इस पठार पर हाथी और बाघ के संरक्षण के लिये बनाये गये कई प्रमुख अभयारण्य स्थित हैं।

27. बुंदेलखण्ड पठार – मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश

बुन्देलखण्ड मध्य भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है। इसका विस्तार उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में है। बुंदेली इस क्षेत्र की मुख्य बोली है। भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधताओं के बावजूद बुंदेलखंड में जो एकता और समरसता है। इसका प्राचीन नाम जेजाकभुक्ति है।

28. बघेल खण्ड पठार – मध्यप्रदेश

यह मध्य प्रदेश राज्य के उत्तर – पूर्वी ओर स्थित बघेलखंड मध्य भारत का एक क्षेत्र है। बघेलखंड में कुछ जिले उत्तर प्रदेश के तथा कुछ मध्य प्रदेश के हैं, बघेलखण्ड क्षेत्र दो राज्यों में विभाजित है – उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश, लेकिन भू – सांस्कृतिक दृष्टि से यह क्षेत्र एक दूसरे से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है।

तेलंगाना पठार – आंध्रप्रदेश

दक्षिण भारत मे स्थित तेलंगाना पठार का क्षेत्रफल लगभग 148,000 वर्ग किमी. उत्तर – दक्षिण लंबाई लगभग 770 किमी. और पूर्व – पश्चिम चौड़ाई लगभग 515 किमी. हैं। तेलंगाना का पठार ब्रिटानिका से नया भूगर्भीय रूप से, पठार मुख्य रूप से प्राचीन प्रीकैम्ब्रियन गनीस से बना है। गोदावरी नदी द्वारा पठार दक्षिण – पूर्व दिशा में बहता है, कृष्णा नदी द्वारा, जो प्रायद्वीप को दो क्षेत्रों में विभाजित करती है।

30. मैसूर पठार – कर्नाटक

मैसूर पठार या दक्षिण कर्नाटक पठार भारतीय राज्य कर्नाटक के चार भौगोलिक क्षेत्रों में से एक है। इसकी कई सारी तरंगणें हैं और इसके पश्चिम और दक्षिण में पश्चिमी घाट स्थित है। कावेरी नदी का अधिकांश भाग मैसूर पठार में कर्नाटक से होकर बहता है। इस क्षेत्र में औसत ऊंचाई 600 से 900 मीटर के बीच है। पठार का क्षेत्रफल लगभग 189,000 वर्ग किमी. और ग्रेनाइटों की धारवाड़ प्रणाली शामिल है। पठार दक्षिण में नीलगिरि पहाड़ियों से मिल जाता है।

31. दोदाबेटा – 2637 मी. – केरल, तमिलनाडू

दोड्डबेट्ट भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। यह तमिलनाडु राज्य के नीलगिरि जिले में नीलगिरि पर्वत की सबसे ऊँची तथा दक्षिण में स्थित सभी पर्वतों से ऊँची चोटी है। यह चोटी समुद्र तल से 2637 मीटर ऊपर है। घाटियों में इसी ढालों पर सिनकोना के सरकारी बागान हैं। इसकी चोटी पर मौसम विज्ञान वेधशाला भी है।

32. इलाइची पहाड़ियां – केरल, तमिलनाडू

इलायची पहाड़ियाँ भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला की पहाड़ियाँ हैं। कार्डेमम का हिन्दी अर्थ इलाइची होता है। भारत के भौगोलिक दृष्टिकोण से यह दक्षिण भारत की एक प्रमुख पहाड़ी है, जो अन्नामलाई अर्थात नीलगिरि पहाड़ी के दक्षिण में स्थित पहाड़ियों के दक्षिण में स्थित है। कार्डेमम या इलाइची की पहड़ियों में इलाइची बहुत होती है, यही कारण है कि इन्हें इलाइची की पहाड़ियाँ कहा जाता है।

33. डाफ्ला पहाड़ियां – अरूणाचल प्रदेश

डाफला पहाड़ियाँ पूर्वोत्तर भारत में असम और अरुणाचल प्रदेश राज्यों की सीमा के पश्चिमी भाग पर स्थित एक पहाड़ी श्रृंखला है। जो तेज़पुर और लखीमपुर ज़िले से उत्तर में खड़ी हुई हैं। तब यहां से दूर के इलाके भी दिखाई देते हैं। भारत के भौगोलिक दृष्टिकोण से यह दक्षिण भारत की एक पहाड़ी है।

34. मिषमी पहाड़िया – अरूणाचल प्रदेश

मिश्मी पहाड़ियाँ भारत के पूर्वोत्तर भाग में अरुणाचल प्रदेश राज्य के मध्य में स्थित एक पहाड़ी श्रृंखला है। यह पहाड़ियाँ पूर्वोत्तर हिमालय और हिन्द – बर्मा पहाड़ियों के मिलन स्थल पर हैं। इनकी अधिकतम ऊँचाई 1567 मीटर तक की है, और यह पूर्वोत्तर हिमालय का एक दक्षिणी स्कंध हैं। इनका अधिकतर भाग ऊपरी दिबांग घाटी, पश्चिम सियांग और ऊपरी सियांग ज़िलों में स्थित है।

35. मिकिर पहाड़ी – अरूणाचल प्रदेश

मिकिर पहाड़ियाँ असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के दक्षिण में स्थित पहाड़ियों का एक समूह हैं। जो कार्बी आंगलोंग पठार का हिस्सा है। इनमें से सबसे ऊँची चोटी डंबुचको है। इसकी चोटी पर मौसम विज्ञान वेधशाला भी है, और एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण भी हैं।

36. लुशाई – मिजोरम

लुशाई पहाड़ियाँ, जो मिज़ो पहाड़ियाँ भी कहलाती हैं, भारत के मिज़ोरम व त्रिपुरा राज्यों में स्थित एक पर्वतमाला है, जो पटकाई पहाड़ियों की एक उपश्रृंखला हैं, जो 2257 मीटर ऊँचा फौंगपुई पर्वत, जिसे नीला पर्वत भी कहते हैं , इस श्रेणी का सबसे ऊँचा पहाड़ है।

37. गाडविन आस्टिन चोटी (K2) –  जम्मू-कश्मीर

K2 या गॉडविन ऑस्टिन विश्व का दूसरी सर्वोच्च पर्वत शिखर है। इसकी ऊँचाई 8611 मीटर है। जो कश्मीर के काराकोरम पर्वतमाला में स्थित है। और इसी के कारण इसे K2 के नाम से जाना जाता है। यह चीन के तक्सकोर्गन ताजिक, झिंगजियांग और पाकिस्तान के गिलगित – बाल्टिस्तान की सीमाओं के बीच स्थित है।यह चोटी प्राय : हिमाच्छादित तथा बादलों में छिपी रहती है। इसको स्थानीय लोग दाप्सांग कहते है।

38. कंचनजंघा – सिक्किम

कंचनजंगा पर्वत का आकार एक विशालकाय रूप है , जिसकी भुजाएँ उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में स्थित है। कंचनजंघा भारत में स्थित विश्व की तीसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी है, यह सिक्किम के उत्तर पश्चिम भाग में नेपाल की सीमा पर है। इसकी ऊंचाई 8,586 मीटर है। यह सिक्किम व नेपाल की सीमा को छूने वाले भारतीय प्रदेश में हिमालय पर्वत श्रेणी का एक हिस्सा है। अलग-अलग खड़े शिखर अपने निकटवर्ती शिखर से चार मुख्य पर्वतीय कटकों द्वारा जुड़े हुये हैं।

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