भारत के उत्सव राज्यवार | राज्यों की प्रमुख उत्सव कौन कौन से हैं?
हमारा देश भारत एक गणतांत्रिक देश है जो अलग अलग राज्यों का समावेश है। भारत के इन राज्यों की सबकी अपनी एक अलग पहचान, गीत, संगीत, नृत्य और त्यौहार है, जो उस राज्य की खूबसूरती, संस्कृति और सामाजिक रीति रिवाजों को बयां करता है। तो चलिए देखते है इसी कड़ी में भारत के राज्यों की प्रमुख उत्सव कौन कौन से हैं? और इनकी क्या खासियत है।
भारत के उत्सव की राज्यवार सूची विस्तृत जानकारी के साथ
- भारत के प्रमुख त्यौहार, भारत के प्रमुख त्यौहारों की पूरा विश्लेषण, भारत के पर्व,
- प्रमुख लोकनृत्य कौन कौन से है? भारत के प्रमुख लोक नृत्यों की राज्यवार सूची
1. मांडू महोत्सव – मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में शुरू हुआ प्रसिद्ध मांडू महोत्सव
तीन दिवसीय प्रसिद्ध मांडू महोत्सव 13 फरवरी 2021 को मध्य प्रदेश के धार जिले के ऐतिहासिक शहर मांडू में शुरू हुआ। यह उत्सव मध्य प्रदेश की राज्य सरकार द्वारा प्राचीन मांडू शहर के प्रत्येक पहलू को दिखाने के लिए आयोजित किया जाता है, जिसमें भोजन, संगीत, इतिहास और विरासत, कला और शिल्प आदि शामिल हैं। महोत्सव में वोकल फॉर लोकल के मंत्र को साकार करने के लिए स्थानीय हस्त निर्मित उत्पादों को प्रदर्शित किया गया।
2. बेलम केव्स फेस्टिवल – आंध्र प्रदेश
बेलम गुफाएं, जिन्हें आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में बेलम गुहालू के नाम से भी जाना जाता है, यह आम जन के लिए खुली भारतीय उपमहाद्वीप में दूसरी सबसे लंबी गुफा है। भारतीय उपमहाद्वीप में जनता के लिए खुली दूसरी सबसे लंबी गुफा है। यहां बेलम केव्स त्यौहार मनाया जाता है जो आंधप्रदेश का प्रमुख त्यौहारों में से एक है। राज्य के इस प्रमुख उत्सव का धूम आंधप्रदेश से लेकर तेलंगाना तक रहता है।
3. लाई हरोबा महोत्सव – त्रिपुरा
पांच दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव का आयोजन त्रिपुरा सरकार के सूचना और सांस्कृतिक मामलों के विभाग, पुतिबा लाई हरोबा समिति और पुतिबा वेलफेयर एंड कल्चरल सोसायटी, अगरतला द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है। महोत्सव के दौरान मणिपुरी मार्शल आर्ट, लोक संगीत और लोक नृत्यों सहित विभिन्न सांस्कृतिक और पारंपरिक संगीत का प्रदर्शन किया जाता हैं। त्रिपुरा में मणिपुरी मेती समुदायों द्वारा मनाया जाने वाला यह प्राचीन पर्व लाइ हराओबा अगरतला में आरंभ हुआ।
4. बक्सा पक्षी महोत्सव – पश्चिम बंगाल
इसका आयोजन पश्चिम बंगाल के वन विभाग द्वारा किया जाता है। राज्य के इस प्रमुख उत्सव में अति दुर्लभ पक्षियों की प्रजातियाँ भी देखी जा सकती है। उत्तर – पश्चिम बंगाल पश्चिम बंगाल के बक्सा राष्ट्रीय उद्यान में बक्सा पक्षी उत्सव का आयोजन किया जाता हैं। महोत्सव के दौरान सुल्तान टाइट, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल और ग्रेट हॉर्नबिल सहित 300 से अधिक दुर्लभ प्रजातियां राष्ट्रीय उद्यान में आकर्षण का केंद्र रहता है।
5. ज़ो कुटपुई महोत्सव – मिजोरम
मिजोरम राज्य सरकार देश के 10 राज्यों में और म्यांमार, अमेरिका और बांग्लादेश जैसे देशों में ज़ो कुटपुई उत्सव का आयोजन कर रही है। इस तरह के त्योहारों का आयोजन करके मिजोरम सरकार देश और दुनिया भर में मिजो आबादी को एकजुट करने की कोशिश कर रही है।
6. धनु यात्रा महोत्सव – ओडिशा
धनु यात्रा एक वार्षिक नाटक – आधारित ओपन एयर नाट्य प्रदर्शन है जो बरगढ़ ओडिशा में मनाया जाता है। यह कृष्ण और कंस की पौराणिक कहानी पर आधारित है। यह कृष्ण और बलराम के उनके मामा कंस द्वारा आयोजित धनु समारोह को देखने के लिए मथुरा की यात्रा की घटना के बारे में है। भारत सरकार के संस्कृति विभाग ने नवंबर 2014 को धनु यात्रा को राष्ट्रीय उत्सव का दर्जा दिया है। बरगढ़ नगरपालिका के आसपास 8 किमी के दायरे में फैला, यह दुनिया का सबसे बड़ा ओपन एयर थिएटर है, जिसका उल्लेख गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में है।
7. माधवपुर मेला – गुजरात
गुजरात का माधवपुर मेला भगवान कृष्ण और रुक्मिणी की याद में मनाया जाता है। उत्तरी पूर्वी क्षेत्र के आठ राज्य गुजरात के माधवपुर मेले के दौरान बड़े पैमाने पर भाग लेते हैं, अप्रैल के पहले सप्ताह में हर साल आयोजित किया जाता है। रामनवमी त्योहार के एक दिन बाद वार्षिक मेला आयोजित किया जाता है। यह उत्सव आमतौर पर पांच दिनों तक जारी रहता है।माधवपुर समुद्र के किनारे पोरबंदर के पास स्थित है। गुजरात का माधवपुर मेला अरुणाचल प्रदेश की मिशमी जनजाति से जुड़ा है। मिश्मी जनजाति अपने वंश को महान राजा भीष्मक और उनके माध्यम से उनकी बेटी रुक्मणी और भगवान कृष्ण के लिए खोजती है।
8. रथ उत्सव – तमिलनाडु
तिरुवरुर रथ उत्सव, जिसे तमिल में तिरुवरुर थेरोट्टम के रूप में जाना जाता है, भारत के तमिलनाडु में त्यागराज स्वामी मंदिर , तिरुवरूर से जुड़े अनुष्ठानों और परंपराओं का पालन करने वाला एक त्योहार है। इस त्योहार के दौरान, भगवान वीथिविडंगार का एक प्रतिनिधित्व, जिसे अब थियागराजास्वामी अर्थात शिव कहा जाता है, अपनी पत्नी कोंडी अर्थात पार्वती के साथ दुनिया के सबसे बड़े रथों में से एक में सवार होकर भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए विशाल प्राचीन मंदिर से बाहर आता है।
यह त्योहार प्राचीन त्योहारों में से एक है, आमतौर पर हर साल मार्च और अप्रैल के महीनों के बीच गर्मियों के दौरान आयोजित किया जाता है, जो 25 से अधिक दिनों तक चलता है। रथ उत्सव के दिन, उत्सव मोरथी अर्थात जुलुस के लिए निकलने वाले भगवान को खूबसूरती से सजाया जाता है और पूरे दिन जुलूस के लिए जाते हैं। इस रथ को आकार और ऊंचाई में अपने प्रकार का सबसे बड़ा कहा जाता है। यह 96 फीट (29 मीटर) लंबा है और इसका वजन 300 टन से अधिक है।
9. राष्ट्रीय युवा महोत्सव – लखनऊ, उत्तरप्रदेश
भारत में स्वामी विवेकानन्द की जयंती, अर्थात 12 जनवरी को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णयानुसार सन् 1984 ई. को ‘अंतर्राष्ट्रीय युवा वर्ष’ घोषित किया गया। इसके महत्त्व का विचार करते हुए भारत सरकार ने घोषणा की कि सन 1984 से 12 जनवरी यानी स्वामी विवेकानन्द जयंती का दिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में देशभर में सर्वत्र मनाया जाए। लेकिन लखनऊ में इस उत्सव को एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।
इस समय लखनऊ, भारत के विभिन्न राज्यों की लोक कलाओं और रीति-रिवाजों के साथ संस्कृति प्रेमियों के स्वर्ग में बदल जाता है। देश भर से हजारो युवा अपनी परंपराओं, शिल्प, लोककथाओं, कपड़ों, गीतों और नृत्यों का प्रदर्शन करने के लिए राष्ट्रीय युवा महोत्सव के आयोजन स्थल – पर एकत्रित होते हैं। ये उत्सव 4 से 5 दिनों तक चलता है।
10. करावली उत्सव – कर्नाटक
कन्नड़ में करावली कर्नाटक के तटीय क्षेत्र को संदर्भित करता है। इसकी अपनी अनूठी सांस्कृतिक परंपराएं और समृद्ध विरासत भी है। करावली उत्सव करावली क्षेत्र के समृद्ध नृत्य, संगीत, संस्कृति और प्रकृति का उत्सव है। इस त्योहार का 3 दशकों से अधिक का इतिहास है और कर्ण के कई तटीय जिलों को शामिल करने के लिए वर्षों में विकसित हुआ है। यह आयोजन लोगों के भीतर एकता लाता है क्योंकि वे त्योहार के मौसम को मनाने के लिए एक साथ आते हैं।
11. बिहू – असम
बिहु प्राचीन काल से असम में मनाया जा रहा हैं। बिहु असम के तीन अलग सांस्कृतिक उत्सवों के एक समूह को दर्शाता है और दुनिया भर के असमी प्रवासी इसे धूमधाम से मनाते हैं। क्योंकि वे प्राचीन संस्कार और प्रथाओं को उनके मूल मानते है। हाल की दशकों में शहरी और लोकप्रिय त्योहार बन गए हैं। वैसे तो असम में एक साल में तीन बिहु मनाया जाता हैं। बोहाग (बैसाख, अप्रैल के मध्य), माघ (जनवरी के मध्य में) और काटी (कार्तिक, अक्टूबर के मध्य) के महीनों में। अधिकांश अन्य भारतीय त्योहारों की तरह, तीनो बिहू खेती के साथ जुड़ा हुआ हैं, जैसे की पारंपरिक असमिया समाज मुख्य रूप से कृषि पर ही निर्भरीत हैं।
12. जल्लीकट्टू – मदुरै, तमिलनाडु
जल्लीकट्टू को तमिलनाडु के गौरव तथा संस्कृति का प्रतीक कहा जाता है। ये 2000 साल पुराना खेल है जो उनकी संस्कृति से जुड़ा है। जल्लीकट्टू तमिल नाडु के ग्रामीण क्षेत्रों का पारंपरिक खेल उत्सव है, जिसमें बैल को इन्सान के साथ लड़ाया जल्लीकट्टू तमिल नाडु के ग्रामीण इलाक़ों का एक परंपरागत खेल है जो पोंगल त्यौहार पर आयोजित कराया जाता है और जिसमे बैलों से इंसानों की लड़ाई कराई जाती है।
13. चपचारकुट महोत्सव – मिजोरम
चपचारकुट एक बसंत उत्सव है जिसे आमतौर पर झूम खेती के पूरा होने के बाद मार्च में मनाया जाता है। इस पर्व की की शुरुआत आइजोल में आयोजित एक विशाल सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुई। मिजोरम में चपचारकुट पर्व मनाया जा रहा है। चपचारकुट मिजो समुदाय का सबसे बड़ा और सबसे अधिक खुशी से मनाएं जाने वाला पर्व है। इस पर्व को राज्य में सर्वाधिक लोकप्रिय बसंतोत्सव भी माना जाता है।
14. नवाचार महोत्सव – अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में स्थित विज्ञान केन्द्र में ‘नवाचार महोत्सव’ का आयोजन किया रहा हैं। इस उत्सव का आयोजन अरूणाचल प्रदेश राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा राष्ट्रीय नवाचार फांउडेशन के सहयोग से किया जा रहा है। प्रदेश में अपनी तरह के इस पहले विशिष्ट महोत्सव के आयोजन का लक्ष्य राज्य में सभी लोगों खासतौर पर शैक्षणिक संस्थानों में नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना है।
15. नागोबा जात्रा – तेलंगाना
यह मेश्राम कुल के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा जनजातीय त्यौहार है। नागोबा जात्रा में शामिल होने के लिए हर साल तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तथा छत्तीसगढ़ सहित अन्य प्रांतों से बड़ी संख्या में इस कुल के लोग आते हैं। इस त्यौहार के दौरान श्री शेक मंदिर में नाग देवता की महापूजा आयोजित की जाती है। यह त्यौहार ‘राज गोंड’ जनजाति की मेसराम या मेश्राम कुल की बोइगट्टा शाखा का एक बड़ा धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन है। और इसमें गोंड जनजाति के नर्तक गुसाड़ी नृत्य का प्रदर्शन करते हैं।
16. सूरजकुंड शिल्प मेला -हरियाणा
सूरजकुंड मेला एक ऐसा मेला है जो भारत के शीर्ष हस्तशिल्प, हथकरघा और सांस्कृतिक ताने-बाने की समृद्धि और विविधता को प्रदर्शित करता है, और यह दुनिया का सबसे बड़ा शिल्प मेला है। मेले का आयोजन सूरजकुंड मेला प्राधिकरण और हरियाणा पर्यटन द्वारा केंद्रीय पर्यटन, कपड़ा, संस्कृति और विदेश मंत्रालयों के सहयोग से किया जाता है।
17. काला घोड़ा कला महोत्सव – मुंबई
काला घोड़ा कला महोत्सव नौ दिनों तक चलने वाला एक वार्षिक उत्सव है, जो हमेशा फरवरी के पहले शनिवार को शुरू होता है, काला घोड़ा कला महोत्सव, मुंबई में आयोजित होने वाला एक वार्षिक कला महोत्सव हैं। ये वार्षिक सांस्कृतिक समारोह दक्षिण मुंबई के धरोहर उपक्षेत्र के व्यापक क्षेत्र में आयोजित किया जाता है। यह महोत्सव लोकप्रियता में अब काफी बढ़ गया है, देश के अन्य हिस्सों से आगंतुकों और प्रतिभागियों को आकर्षित करता है।
18.हॉर्नबिल फेस्टिवल – नागालैंड व त्रिपुरा
यह त्योहार पहली बार 2000 में आयोजित किया गया था, और तब से, यह नागालैंड में एक वार्षिक परंपरा बन गई है। हॉर्नबिल फेस्टिवल नागा हेरिटेज गांव, किसामा में आयोजित किया जाता है जो कोहिमा से लगभग 12 किलोमेटर दूर है। इस समारोह में नागालैंड के सभी जनजाति हिस्सा लेते हैं और ये अनिवार्य है। इस त्यौहार का उद्देश्य नागालैंड की समृद्ध और संस्कृति को पुनर्जीवित करना, उसकी रक्षा करना और परंपराओं को प्रदर्शित करना है। त्योहार के मुख्य आकर्षण में पारंपरिक नागा मोरंग्स प्रदर्शनी और कला और शिल्प की बिक्री, फूड स्टॉल, हर्बल मेडिसिन स्टॉल, फूलों का शो और बिक्री, सांस्कृतिक मेडली – गीत और नृत्य, फैशन शो, मिस नागालैंड सौंदर्य प्रतियोगिता, पारंपरिक तीरंदाजी, नागा कुश्ती, शामिल हैं।
19. लुइ नगाई नी उत्सव – मणिपुर
यह भारत के मणिपुर राज्य का एक प्रमुख त्योहार है। जो त्योहार बीज बोने के मौसम की शुरुआत और नागाओं के लिए नए वर्ष की शुरुआत को दर्शाता है। इस उत्सव को 1988 में राज्य अवकाश घोषित किया गया था। यह त्यौहार वसंत के मौसम की शुरुआत में 14-15 फरवरी को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। त्योहार के दौरान, मणिपुर में नागा जनजातियाँ अर्थात् अनाल, माओ, मरम, पोउमाइ, तंगखुल, ज़ेमे, लियांगमाइ, रोंगमेई, पुइमी, मोयोन, मोनसांग, मरिंग, तारो, लामकान, चोथा, खरम, चिरु, कोइरेंग और थांगाल निर्दिष्ट स्थान पर एक साथ जमा होती हैं और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन करती है।
24 दिसंबर 1986 को भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने नागाओं के स्मरण और मान्यता का एक विशेष दिन घोषित किया। तब से यह विभिन्न नागा के बहुल क्षेत्रों में मनाया जाता है। मणिपुर के प्रमुख नगा जनजातियों के अलावा, नागालैंड, असम और अरुणाचल प्रदेश के अन्य नागा जनजातियाँ विशेष मेहमानों और आमंत्रितों के रूप में उत्सव में भाग लेते हैं। यह त्योहार फसल के देवताओं को सम्मान देने और खुश करने के लिए और लोगों की भलाई के लिए प्रार्थना करने का एक विशेष अवसर है। त्यौहार के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रदर्शित किया जाता है जैसे कि सांस्कृतिक नृत्य और गीत, जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक पोशाक, आग की रोशनी, ढोल पीटना, पारंपरिक लोक नृत्य और गीत शामिल हैं।
20.लोसार महोत्सव – हिमाचल प्रदेश
लोसार अर्थात नया साल जिसे तिब्बती नव वर्ष भी कहा जाता है, तिब्बती बौद्ध धर्म में एक त्योहार है। जो हिमाचल में बहुत धूम- धाम से माना जाता है। लोसार तिब्बती बौद्ध धर्म में एक त्योहार है। स्थान परंपरा के आधार पर विभिन्न तिथियों पर अवकाश मनाया जाता है। अवकाश एक नए साल का त्योहार है, जो लुनिसोलर तिब्बती कैलेंडर के पहले दिन मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर में फरवरी या मार्च की तारीख से मेल खाता है।
21. मिर्च महोत्सव -मध्य प्रदेश
निमाड़ की सुर्ख और तीखी लाल मिर्च का स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है। इसीलिए इसकी देश विदेश में मांग है। इसकी इसी विशेषता को देखते हुए आगामी 29 फरवरी और 1 मार्च को दो दिवसीय राज्य स्तरीय मिर्च महोत्सव कसरावद में आयोजित किया जा रहा है। इसका मकसद सरकार द्वारा निमाड़ी मिर्च की ब्रांडिंग करना है।जिसमें निमाड़ में मिर्च फसल की संभावनाओं के अलावा इसके मंहाकसरावद के पास बांडय़ा में प्रदेश का सबसे बड़ी मिर्च मंडी है, फिर भी यहां के किसानों को मिर्च की खेती की व्यापक जानकारी नहीं होने से वे इच्छित उत्पादन नहीं ले पाते हैं। इसीलिए यह मिर्च महोत्सव आयोजित किया जा रहा है।
22. राष्ट्रीय जैविक खाद्य महोत्सव -नई दिल्ली
इसे 2004 में लॉन्च किया गया था। इसे 10 वीं पंचवर्षीय योजना में पेश किया गया था, जैविक खाद्य पदार्थों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित किया। इसका उद्देश्य जैविक उत्पादों के निर्माण में महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करना भी है। इस योजना के तहत, GoI का उद्देश्य जैविक खेती को मजबूत करना है। राष्ट्रीय जैविक खाद्य महोत्सव का नई दिल्ली में उद्घाटन खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने संयुक्त रूप से नई दिल्ली में राष्ट्रीय जैविक खाद्य महोत्सव का उद्घाटन किया
23. कोबीता उत्सव -पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में युवा पीढ़ी के बीच बंगाली कविताओं को पढ़ने को प्रोत्साहित करने और शहर और जिलों में कवियों को एक मंच देने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार गुरुवार से चार दिवसीय कोबिता उत्सव का आयोजन करता है।
24.गंगा क्याक महोत्सव -उत्तराखंड
गंगा क्याक महोत्सव एक अलग पहचान बना चुका है । इस तरह के आयोजन प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं। विस्तार द एडवेंचर स्पोर्ट्स सोसायटी और उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के सहयोग से आयोजित की जाती है। धीरे धीरे इस उत्सव ने युवाओं का भी ध्यान आकर्षित किया है।
25. नमस्ते ओरछा त्यौहार – मध्य प्रदेश
नमस्ते ओरछा महोत्सव ओरछा में भगवान श्रीराम के अयोध्या से ओरछा आगमन की कथा से शुरू होता हैं। इस ऐतिहासिक गाथा को थ्रीडी मैपिंग से जहाँगीर महल की दीवारों पर दिखाई जाती हैं। इसके साथ ही इस उत्सव में शास्त्रीय संगीत की स्वर लहरियों के बीच यहाँ विदेशी संगीतज्ञों के साथ बुंदेली गायक सुर – ताल मिलाते दिखाई देते है।
26. फगली उत्सव – हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश में किन्नौर जिले के यांगपा गांव में पारंपरिक ‘फगली’ उत्सव मनाया गया। ये महोत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर आयोजित किया जाता है। इस महोत्सव में पुरुषों को अपने चेहरे पर मुखौटे लगाए पारंपरिक पोशाक पहने हुए नृत्य करते देखा जा सकता है, जबकि सैकड़ों स्थानीय लोग इस कार्यक्रम को देखने के लिए एकत्र होते है, और इस उत्सव का आनंद लेते हैं।
27. होला मोहल्ला त्योहार – पंजाब
सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान श्री आनन्दपुर साहिब में होली के अगले दिन से लगने वाले मेले को होला मोहल्ला कहते हैं। सिखों के लिये होला मोहल्ला बहुत ही महत्वपूर्ण है। यहाँ पर होली पौरुष के प्रतीक पर्व के रूप में मनाई जाती है। इसीलिए दशम गुरू गोविंद सिंह जी ने होली के लिए पुल्लिंग शब्द होला मोहल्ला का प्रयोग किया। होला महल्ला का उत्सव आनंदपुर साहिब में छः दिन तक चलता है। इस अवसर पर घोड़ों पर सवार निहंग, हाथ में निशान साहब उठाए तलवारों के करतब दिखा कर साहस, पौरुष और उल्लास का प्रदर्शन करते हैं।
28. हरेली – छत्तीसगढ़
किसान लोक पर्व हरेली पर खेती – किसानी में काम आने वाले उपकरण और बैलों की पूजा करते है। छत्तीसगढ़ में हरेली त्यौहार मनाया जाता है, हरेली त्यौहार छत्तीसगढ़ का प्रथम त्यौहार माना जाता है, जिसे प्रतिवर्ष सावन माह में हरेली अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार छत्तीसगढ़ के किसानों के लिये विशेष महत्त्व रखता है। धान की बुआई के बाद किसानों द्वारा हरेली के दिन सभी कृषि एवं लौह औज़ारों की पूजा की जाती है।