बौद्ध धर्म की स्थापना और इससे जुड़े महत्वपूर्ण जानकारियां

बौद्ध धर्म की स्थापना और इससे जुड़े महत्वपूर्ण जानकारियां

बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला ज्ञान धर्म और दर्शन है। गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला और अगले दो हजार वर्षों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में भी फैल गया। ईसाई धर्म के बाद बौद्ध धर्म विश्व का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है।

दुनिया के करीब 2 अरब (29%) लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं। चीन, जापान व वियतनाम सर्वाधिक बौद्ध आबादी वाले शीर्ष के तीन देश हैं। प्रबुद्ध सोसाइटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. श्री प्रकाश बरनवाल के अनुसार दुनिया के 200 से अधिक देशों में बौद्ध अनुयायी हैं। किन्तु चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैण्ड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, लाओस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कुल 13 देशों में बौद्ध धर्म ‘प्रमुख धर्म‘ है। इसके अलावा भारत, नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, रूस, ब्रुनेई, मलेशिया आदि देशों में भी करोड़ों बौद्ध अनुयायी हैं।

बौद्ध धर्म की स्थापना और इससे जुड़े महत्वपूर्ण जानकारियां

सबसे अधिक बौद्ध पूर्वी एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में रहते हैं। दक्षिण एशिया के दो देशों में भी बौद्ध धर्म बहुसंख्यक है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अफ़्रीका और यूरोप जैसे महाद्वीपों में भी बौद्ध रहते हैं। विश्व में लगभग 8 से अधिक देश ऐसे हैं जहां बौद्ध बहुसंख्यक या बहुमत में हैं। विश्व में, कम्बोडिया, भूटान, थाईलैण्ड, म्यानमार और श्रीलंका यह देश “अधिकृत” रूप से ‘बौद्ध देश’ है, क्योंकि इन देशों के संविधानों में बौद्ध धर्म को राजधर्म या राष्ट्रधर्म का दर्जा प्राप्त है।

बौद्ध धर्म के संस्थापक

बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। उनका जन्म 563 ई.पू. नेपाल की तराई में स्थित क्षत्रिय कुल में कपिलवस्तु गणराज्य में लुम्बिनी में हुआ था। उनके बचपन का नाम ‘सिद्धार्थ’ था उनका जन्म गौतम गोत्र में हुआ अतः वे गौतम बुद्ध कहलाए। उनके पिता- शुद्धोधन,माता- महामाया (प्रजापति गौतमी द्वारा पालन), पत्नी यशोधरा, पुत्र- राहुल थे। गौतम बुद्ध ने 29 वर्ष की आयु में गृहत्याग कर दिया था।

गौतम बुद्ध संन्यास धारण करने का कारण

गौतम बुद्ध ने जब चार दृश्यों वृद्ध व्यक्ति कुष्ठ रोगी मृतक एवं संन्यासी को देखा तब उनका हृदय परिवर्तन हुआ एवं उन्होंने संन्यास धारण करने का निश्चय किया।

ज्ञान प्राप्ति

कठोर तपस्या के पश्चात गौतम को बोधगया के निकट 35 वर्ष की आयु में निरंजना नदी के तट पर बोधि ( पीपल ) वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्ति हुई ज्ञान प्राप्ति के बाद वे तथागत तथा बुद्ध कहलाए। उन्होंने प्रथम प्रवचन ऋषिपत्तन मृगदाव “सारनाथ” में दिया। उनकी मृत्यु 483 ई.पू. में कुशीनारा (उ.प्र.) में हुई।

संघ व्यवस्था

गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की शिक्षाओं के प्रसार के लिए संघ व्यवस्था आरंभ की अल्पवयरक (15 वर्ष से कम), सैनिक, दास चोर हत्यारे रोगी, ॠणी व्यक्ति इसके सदस्य नहीं बन सकते थे।

बौद्ध धर्म के सिद्धांत, दर्शन

बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य हैं- जीवन में दुख ही दुख है, दुख का कारण तृष्णा है, दुखों के निवारण का उपाय तृष्णा की समाप्ति है, तृष्णा की समाप्ति अष्टांगिक मार्ग से हो सकती है।

अष्टांगिक मार्ग- इससे निर्वाण प्राप्ति संभव है- सम्यक दृष्टि सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी सम्यक कर्म सम्यक आजीव, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति एवं सम्यक समाधि। अष्टांगिक मार्ग को ही मध्यमप्रतिपदा या मध्यम मार्ग कहा जाता है।

मध्यम मार्ग ( मज्झिम प्रतिपदा ) – न अत्यधिक विलास और न अत्यधिक संयम

दस शील – सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह स्त्रियों के संसर्ग का परित्याग, कोमल शय्या का परित्याग असमय भोजन न करना, सुगंधित भोजन का परित्याग, नृत्य एवं नशा का परित्याग।

बौद्ध धर्म की मान्यतायें

मूलतः बौद्ध धर्म अनीश्वरवादी है, आत्मा की भी मान्यता नहीं किन्तु कर्म – पुनर्जन्म की मान्यता है।  अतीत्यसमुत्पाद क्षण भंगुरवाद बौद्ध दर्शन से संबंधित है। वेदों की सर्वोच्चता का खंडन, जाति प्रथा के दोषों का खंडन, शूद्रों एवं नारियों के लिए निर्वाण प्राप्ति संभव, मूर्ति पूजा का विरोध, अहिंसा पर अत्यधिक जोर नहीं।

बौद्ध धर्म के सम्प्रदाय

संपूर्ण विश्व में लगभग 2 अरब लोग बौद्ध हैं। इनमें से लगभग 70% महायानी बौद्ध और शेष 25% से 30% थेरावादी, नवयानी (भारतीय) और वज्रयानी बौद्ध है। महायान और थेरवाद (हीनयान), नवयान, वज्रयान के अतिरिक्त बौद्ध धर्म में इनके अन्य कई उपसंप्रदाय या उपवर्ग भी हैं परन्तु इन का प्रभाव बहुत कम है।

  • हीनयान- रूढ़िवादी मत था इसका प्रसार लंका बर्मा दक्षिण पूर्व एशिया में हुआ
  • महायान- चतुर्थ संगीति में महायान मत का उदय प्रगतिशील, पाली के स्थान पर संस्कृत का प्रयोग, बुद्ध को ईश्वर मानकर उनकी मूर्तिपूजा प्रारंभ हीनयान व्यक्तिगत निर्वाण पर बल देता था जबकि महायान में बोधिसत्व के द्वारा सभी के लिए निर्वाण की कामना की जाती थी इसका प्रसार मध्य एशिया, चीन जापान में हुआ।
  • वज्रयान- तंत्रवाद से प्रभावित बुद्ध की पत्नी के रूप में तारा की पूजा की गई तिब्बत में विद्यमान

बौद्ध धर्म की सामाजिक व्यवस्था

तपस्वी समुदाय के लिए कठोर नियम बने हैं, सादगी पूर्ण जीवन, तीन वस्त्र, मुंडा सिर और दाढ़ी, भोजन के लिए भिक्षा, जरूरी मांगें, और मांसाहार न लें। उन्हें चार आदेशों का पालन करना पड़ता है।

बौद्ध धर्म का मूल मंत्र क्या है?

बुद्धं शरणं गच्छामि, बौद्ध धर्म को जानने वालों के लिए मूलमंत्र है। इसकी दो और पंक्तियों में संघं शरणं गच्छामि और धम्मं शरणं गच्छामि भी है। बौद्ध धर्म की मूल भावना को बताने वाले ये तीन शब्द गौतम बुद्ध की शरण में जाने का अर्थ रखते हैं। बुद्ध को जानने के लिए उनकी शिक्षाओं की शरण लेना जरूरी है।

बौद्ध धर्म की शिक्षा क्या है?

बौद्धकाल में शिक्षा मनुष्य के सर्वागिण विकास का साधना थी। इसका उद्देश्य मात्र पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त करना नहीं था, अपितु मनुष्य के स्वास्थ्य का भी विकास करना था। बौद्ध युग में शिक्षा व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक,बौद्धिक तथा आध्यात्मिक उत्थान का सर्वप्रमुख माध्यम थी।

प्रमुख बौद्ध के प्रमुख तीर्थस्थल

भगवान बुद्ध के अनुयायिओं के लिए विश्व भर में सात मुख्य तीर्थ मुख्य माने जाते हैं, जो इस प्रकार है-

  1. लुम्बिनी – जहां भगवान बुद्ध का जन्म हुआ।
  2. बोधगया – जहां बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त हुआ।
  3. सारनाथ – जहां से बुद्ध ने दिव्यज्ञान देना प्रारंभ किया।
  4. कुशीनगर – जहां बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ।
  5. दीक्षाभूमि, नागपुर – जहां भारत में बौद्ध धर्म का पुनरूत्थान हुआ।
  6. नेचुआ जलालपुर गोपालगंज बिहार -जहाँ से भगवान बुद्ध ने बर्तमान को अच्छी तरहजीने का ज्ञान देना शुरू किया।
  7. राजगृह नालंदा, बिहार – जहाँ वेणु वन में रहकर विकास किया

बौद्ध धर्म के प्रमुख घटनाएँ व प्रतीक

  • माता के गर्भ में आना – हाथी
  • बुद्ध का जन्म – कमल
  • गृह त्याग – घोड़ा
  • ज्ञान प्राप्ति – बोधिवृक्ष
  • प्रथम उपदेश – धर्मचक्र
  • महापरिनिर्वाण – स्तूप

बौद्ध के साहित्य

  • बौद्ध धर्म के मौलिक एवं प्राचीनतम ग्रंथ त्रिपिटक ‘ कहलाते हैं।
  • विनय पिटक- प्रथम संगीति में संकलित इसमें बौद्ध भिक्षुओं के अनुशासन के नियम है।
  • सुत्त पिटक- प्रथम संगीति में संकलित बुद्ध की शिक्षाओं का वर्णन है, जातक कथाए सुत्त पिटक के खुद्दक निकाय का भाग है, इनमें बुद्ध के पुनर्जन्मों की कथा है,
  • अभिधम्म पिटक- तृतीय संगीति में संकलित बौद्ध दर्शन से संबंधित है।
  • चतुर्थ संगीति में वसुमित्र द्वारा बौद्ध धर्म के विश्वकोष ‘महाविभाष सूत्र’ का संकलन।
  • प्रसिद्ध किताबें और लेखक | भारत के प्रसिद्ध पुस्तकें और उनके लेखक

गौतम बुद्ध किसका अवतार है?

गौतम बुद्ध शुद्धोदन व माया के पुत्र थे, जबकि शाक्यसिंह यानी भगवान गौतम बुद्ध बहुत ही ज्ञानी व्यक्ति थे, कठिन तपस्या के बाद जब उन्हें तत्त्वानुभूति हुई तो वे बुद्ध कहलाए यही भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार हैं। इस बात की प्रमाणिकता ऐतिहासिक ग्रंथों में मिलती है।

बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म में क्या अंतर है?

बौद्धधर्म भारतीय विचारधारा के सर्वाधिक विकसित रूपों में से एक है और हिन्दुमत (सनातन धर्म) से साम्य रखता है। हिन्दुमत के दस लक्षणों यथा दया, क्षमा अपरिग्रह आदि बौद्धमत से मिलते-जुलते हैं। यदि हिन्दुमत में मूर्ति पूजा का प्रचलन है तो बौद्ध मन्दिर भी मूर्तियों से भरे पड़े हैं। हिंदु और बोद्ध धर्म दोनों ही प्राचीन धर्म हैं और दोनों ही भारत भूमि से उपजे हैं। हिन्दू धर्म के वैष्णव संप्रदाय में गौतम बुद्ध को दसवां अवतार माना गया है हालाँकि बौद्ध धर्म इस मत को स्वीकार नहीं करता।

बौद्ध धर्म से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

  • आनंद उनके प्रिय शिष्य थे,
  • बुद्ध के घोड़े का नाम कंथक था।
  • गौतम बुद्ध का जन्म ज्ञान प्राप्ति एवं मृत्यु वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुई।
  • बुद्ध ने धर्म प्रचार हेतु पाली भाषा का प्रयोग किया,
  • गृहस्थ बौद्ध अनुयायी उपासक कहलाते थे।
  • स्तूपों का निर्माण बुद्ध की अस्थियों की भस्म पर किया गया।
  • अजंता एवं बाघ की गुफाओं में बौद्ध धर्म से संबंधित घटनाओं को चित्रित किया गया।
  • बौद्ध भिक्षुओं का निवास मठ अथवा विहार तथा पूजा स्थल चैत्य कहलाता है।
  • भारत में पहली मानव पूजा संभवतः बुद्ध की हुई।
  • बौद्ध मान्यता अनुसार निर्वाण जीवन में ही प्राप्त किया जा सकता है जबकि महापरिनिर्वाण मृत्योपरात
  • बौद्ध धर्म को बिम्बसार अजातशत्रु अशोक कनिष्क एवं हर्ष ने राजकीय संरक्षण प्रदान किया महायान सम्प्रदाय में बोधिसत्व की परिकल्पना ऐसे कल्याणकारी चरित्र के रूप में की गई है जो जब तक अन्य सभी लोगों को निर्वाण प्राप्त नहीं होता, तब तक वह स्वयं निर्वाण हेतु प्रतीक्षा करता है।
  • अवलोकितेश्वर पद्मपाणि आदि बोधिसत्व हैं,
  • पवरन- वर्षा ऋतु के दौरान मठों में प्रवास के समय भिक्षुओं द्वारा किए गए अपराधों की स्वीकारोक्ति का अवसर
  • प्रवज्या- किसी नये व्यक्ति को बौद्ध संघ में प्रवेश देने का समारोह होता था जिसमें उसका सिर मुंडवा दिया जाता था और पीले वस्त्र दिये जाते थे, उपसम्पदा- संघ की सदस्यता प्राप्त नव प्रवेशी को भिक्षुक बनाने का संस्कार।
  • कर्म में विश्वास करते थे निर्वाण प्राप्ति में विश्वास करते थे ईश्वर के विषय में मौन थे।

 

  • गौतम बुद्ध मीमांसा कर्म का सिद्धान्त संबंधित ग्रंथ है।
  • बौद्ध धर्म ने वर्ण एवं जाति को अस्वीकार नहीं किया पर उसने ब्राह्माण वर्ग की सर्वोच्च सामाजिक कोटि को चुनौती दी तथा कुछेक शिल्पों को निम्न माना
  • देवदत्त बुद्ध के जीवनकाल में ही संघ प्रमुख होना चाहता था।
  • बोध गया में महाबोधि मंदिर बनाया गया जहाँ गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ।
  • बिंबसार एवं प्रसेनजीत गौतम बुद्ध के समकालीन थे, मिलिंद मौर्योत्तर काल का थ।
  • मीमांसा दर्शन के अनुसार कर्म से मुक्ति संभव है।
  • बुद्ध को एशिया का प्रकाश कहा जाता है।
  • बुद्ध की अधिकांश मूर्तियाँ गांधार शैली की हैं।
  • भारत का बड़ा बौद्ध मठ अरुणाचल प्रदेश के तवांग में है।
  • गौतम बुद्ध की माता कौशल राजवंश की राजकुमारी थी।

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