भारत के टाइगर रिजर्व, भारत मे कितने और कौन कौन से टाइगर रिजर्व हैं?

भारत के टाइगर रिजर्व

भारत में बाघों को प्रोजेक्ट टाइगर अधिसूचना के अंतर्गत संरक्षित किया जाता है। प्रोजेक्ट टाइगर का प्रारंभ भारत सरकार ने सन् 1973 में टाइगर को सुरक्षित करने के लिए की थी इस प्रोजेक्ट में नौ अभयारण्यों का संरक्षण किया गया था। और इस प्रकार टाइगर रिजर्व अस्तित्व में आया। और शायद इसीलिए बाघ आज सुरक्षित है। 2018 तक भारत मे 2967 बाघ थे। बाघो में बढ़ोतरी का सबसे बड़ा कारण भारत के टाइगर रिजर्व को बढ़ाना ही है। तो आइए देख इस पोस्ट में भारत के टाइगर रिजर्व, भारत मे कितने और कौन कौन से टाइगर रिजर्व हैं? टाइगर रिजर्व की पूरी जानकारी…

सबसे ज्यादा टाइगर रिजर्व कहाँ है ?

इस आर्टिकल की प्रमुख बातें

भारत में सबसे ज्यादा टाइगर रिज़र्व मध्य प्रदेश में हैं। मध्य प्रदेश में ही भारत के सर्वाधिक वन्यजीव अभ्यारण्य और नेशनल पार्क हैं। भारत मे सबसे ज्यादा टाइगर मध्यप्रदेश में ही पाया जाता हैं। इसलिए मध्यप्रदेश में ही सबसे ज्यादा टाइगर रिजर्व हैं। मध्यप्रदेश में 526 से भी ज्यादा हैं।

भारत का पहला टाइगर रिजर्व कौन सा है ?

हिमालय की तलहटी में स्थित जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत आने वाला भारत का पहला टाइगर रिजर्व, पहला राष्ट्रीय उद्यान और पहला अभयारण्य है। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क हिमालय की तलहटी में स्थित है। जिम कॉर्बेट कुमाऊँ क्षेत्र में दर्जनों आदमखोर बाघों के शिकार के लिए प्रसिद्ध थे।

भारत में कितने टाइगर रिजर्व हैं ? वर्तमान में भारत मे कितने टाइगर रिजर्व है?

भारत में वर्तमान में कुल 53 टाइगर रिजर्व हैं। अभी हाल ही में 53 वा टाइगर रिजर्व गुरु घासीदास राष्ट्रीय पार्क और तमोर पिंगला अभ्यारण के संयुक्त क्षेत्र को छत्तीसगढ़ में बनाया गया है। बाघो की संरक्षण के लिए लगातार टाइगर रिजर्व बनाया जा रहा।

भारत के टाइगर रिजर्व, भारत मे कितने और कौन कौन से टाइगर रिजर्व हैं?

भारत के प्रमुख टाइगर रिजर्व की पूरी सूची विस्तृत जानकारी के साथ..

बांदीपुर टाइगर रिजर्व – बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, कर्नाटक

दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है। यह प्रोजेक्ट टाइगर के तहत सन् 1974 में एक टाइगर रिज़र्व के रूप में स्थापित किया गया था। पहले यह मैसूर राज्य के महाराजा की निजी आरक्षित शिकारगाह थी। फिर सन् 1931 में मैसूर राज्य के महाराजा ने 90 वर्ग किलोमीटर का एक अभयारण्य बनाया और उसका नाम वेणुगोपाल वन्यजीव पार्क रखा। उसके बाद सन् 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत वेणुगोपाल वन्यजीव पार्क में लगभग 800 वर्ग किलोमीटर जोड़कर बांदीपुर टाइगर रिजर्व स्थापित किया गया था। बांदीपुर अपने वन्य जीवन के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ कई प्रकार के बायोम हैं, लेकिन इनमें शुष्क पर्णपाती वन प्रमुख है।

जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व – कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, उत्तराखंड

जिम कॉर्बेट भारत का पहला नेशनल पार्क होने के साथ पहला टाइगर रिजर्व भी है। भारत के राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण के लिए यहां की मिसाल दी जाती है। भारत के इस सबसे राष्ट्रीय पार्क को 1936 में बाग के संरक्षण और उसके रक्षा के लिए हैंली नेशनल पार्क के रूप में स्थापित किया गया था। यह रामगंगा की पातलीदून घाटी में 1318.54 वर्ग किलोमीटर में फैले इस राष्ट्रीय पार्क के अंतर्गत 821.99 वर्ग किलोमीटर का जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व संरक्षित क्षेत्र भी आता है। यहां के बाघों को देखने देश और दुनिया से सैलानी आते हैं। मगर घने जंगलों के बीच बाघ को ढूंढना बहुत मुश्किल होता है।

कान्हा टाइगर रिजर्व – कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश

1955 में स्थापित भारत के बाघों के भंडार में से एक भारत के मध्य में स्थित मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान जिसमे 1973 में कान्हा टाइगर रिजर्व बनाया गया था। आज यह दो जिलों मंडला और बालाघाट में 940 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैला है।वर्तमान में कान्हा क्षेत्र को दो अभयारण्यों में विभाजित किया गया है, हॉलन और बंजार, कान्हा जीव जन्तुओं के संरक्षण के लिए विख्यात है। रूडयार्ड किपलिंग की प्रसिद्ध किताब और धारावाहिक जंगल बुक की भी प्रेरणा इसी स्थान से ली गई थी।

मेलाघाट टाइगर रिजर्व – मेलघाट राष्ट्रीय उद्यान, महाराष्ट्र

मेलघाट प्रोजेक्ट टाइगर के तहत 1973 में अधिसूचित होने वाले भारत के पहले नौ बाघ अभयारण्यों में से एक था। यह महाराष्ट्र के अमरावती जिले के उत्तरी भाग में स्थित है। मेलघाट वन्यजीव अभयारण्य को 1985 में घोषित किया गया था। वर्तमान में रिजर्व का कुल क्षेत्रफल लगभग 1677 वर्ग किमी है। रिजर्व का मुख्य क्षेत्र, 361.28 वर्ग किमी के क्षेत्र के साथ गुगरनाल राष्ट्रीय उद्यान, और रिजर्व का बफर क्षेत्र, मेलघाट बाघ अभयारण्य 788.28 वर्ग किमी के क्षेत्र के साथ (जिनमें से 21.39 वर्ग किमी गैर – वन है), को 1994 में राज्य सरकार द्वारा मेलघाट अभयारण्य के रूप में फिर से अधिसूचित किया गया था। शेष क्षेत्र को बहु उपयोग क्षेत्र के रूप में प्रबंधित किया जाता है।

मानस टाइगर रिजर्व – मानस राष्ट्रीय उद्यान, असम

मानस टाइगर रिजर्व में एक समृद्ध विरासत है। 1928 में एक अभयारण्य बनाया गया था, जो 360 वर्ग किमी के अभयारण्य के क्षेत्र को कवर करता था। 1973 में, प्रोजेक्ट टाइगर 2,840 वर्ग किमी के क्षेत्र को कवर करते हुए एक बाघ अभयारण्य में बदला गया। मानस राष्ट्रीय उद्यान का लगभग 500 वर्ग किमी मानस टाइगर रिजर्व में एकीकृत है। पहले यह कूच-बेहार और गौरीपुर के शाही परिवारों का शिकार था। यह लुप्तप्राय प्रजातियों की व्यापक किस्मों की एक मातृभूमि है, जिसने इसे विश्व धरोहर स्थलों में से एक होने का खिताब हासिल करने में सक्षम बनाया। यंहा बाघ को घने घास के मैदानों से गुजरते हुए देख सकता है।

पलामू टाइगर रिजर्व – पलामू (बेतला) राष्ट्रीय उद्यान,  झारखंड

पलामू टाइगर रिजर्व झारखंड के छोटा नागपुर पठार के पलामू जिले में स्थित है। यह 1974 में बाघ परियोजना के अंतर्गत गठित प्रथम 9 बाघ आरक्षों में से एक है। पलामू टाइगर रिजर्व 1026 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें पलामू वन्यजीव अभयारण्य का क्षेत्रफल 980 वर्ग किलोमीटर है। अभयारण्य के कोर क्षेत्र 226 वर्ग किलोमीटर को बेतला राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया है। पलामू टाइगर रिजर्व, झारखंड का इकलौता टाइगर रिजर्व है। इस रिजर्व को 1973 में स्थापित किया गया था। पलामू टाइगर रिजर्व को 1947 में वन अधिनियम के तहत एक आरक्षित वन घोषित कर दिया गया था। इससे पहले यह एक बाघ अभयारण्य था।

रणथंभौर टाइगर रिजर्व – रणथंबोर राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान

राजस्थान के दक्षिणी जिले सवाई माधोपुर में स्थित रणथंभौर को भारत सरकार द्वारा 1955 में सवाई माधोपुर खेल अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था जिसे 1973 में 2223.364 वर्ग कि.मी. के क्षेत्र को प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत रणथंभोर टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया। फिर बाद में सन् में 1980 में इसके 392 वर्ग कि. मी. के इलाके को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। 1992 में, उत्तर में स्थित केलादेवी अभयारण्य और दक्षिण में सवाई मानसिंह अभयारण्य सहित अन्य जंगलों को शामिल करने के लिए टाइगर रिजर्व का विस्तार किया गया।

सिमलीपाल टाइगर रिजर्व – सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान, ओडिशा

सिमलिपाल टाइगर रिजर्व भारत के ओडीशा राज्य के मयूरभंज जिले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है तथा एक हाथी अभयारण्य भी है। मयूरभंज राज्य के पूर्ववर्ती शासकों का यह शिकार स्थल प्रोजेक्ट टाइगर के अन्तर्गत शामिल किया गया फिर 1956 में इसका चयन आधिकारिक रूप से टाइगर रिजर्व के लिए किया गया था। बारीपदा से 60 किलोमीटर दूर स्थित इसको वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया जो 2277.07 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है।घने जंगलों , झरनों और पहाड़ियों से समृद्ध इस पार्क में विविध वन्यजीवों को नजदीक से देखा जा सकता है ।

सुंदरवन टाइगर रिजर्व –  सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान, पश्चिम बंगाल

भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के गंगा नदी के सुंदरवन डेल्टा क्षेत्र में स्थित सुंदरवन नेशनल पार्क एक टाइगर रिज़र्व और एक बायोस्फीयर रिज़र्व भी है। इसे मैंग्रोव वन और बंगाल टाइगर्स की सबसे बड़ी आबादी के रूप में जाना जाता हैं । वर्ष 1987 में सुन्दर वन नेशनल पार्क को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया था। वर्ष 1966 के बाद से ही सुंदरवन एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में जाना गया हैं। लगभग 400 से अधिक रॉयल बंगाल टाइगर हैं। ये रॉयल बंगाल टाइगर का सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र है।

पेरियार टाइगर रिजर्व – पेरियार राष्ट्रीय उद्यान, केरल

1040 ई. से पेरियार नदी के परिक्षेत्र में केरल के पश्चिमी तटों के मैदानी इलाकों में स्थित पेरियार  राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना सन 1950 में की गई थी, फिर  टाइगर रिजर्व के रूप में 1978 से शुरू किया गया था। यह राष्ट्रीय उद्यान एक बाघ संरक्षित क्षेत्र है। पेरियार उद्यान को वर्ष 1998 से हाथी संरक्षण परियोजना ‘ के अंतर्गत भी लाया गया है।यहाँ नदी के गहरे जल में हाथी तैरने का अभ्यास भी करते हैं।

सरिस्का टाइगर रिजर्व – सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान

राजस्थान में पुरानी अरावली पर्वतमाला के सूखे जंगलों में सरिस्का नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व स्थित है। 1955 में इसे एक अभयारण्य घोषित किया गया था और 1979 में इसे प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत टाइगर रिजर्व बनाया गया था। पार्क 800 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है, जबकि 498 वर्ग किमी इसका मुख्य भाग है। सरिस्का बाघ अभयारण्य भारत में सब से प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। यंहा से बाघों की आबादी 2005 में गायब हो गयी थी लेकिन बाघ पुनर्वास कार्यक्रम 2008 में शुरू करने के बाद अब यहा पाच बाघ हो गये थे। जुलाई 2014 में बाघों की संख्या 11 हो गयी है जिसमे 9 वयस्क और 2 शावक हैं।

बुक्सा टाइगर रिजर्व – बुक्सा वन्य जीव अभ्यारण्य, पश्चिम बंगाल

बक्सा टाइगर रिजर्व पश्चिम बंगाल के पूर्वोत्तर कोने पर भूटान और असम की सीमा पर स्थित है, जिसे 16 फरवरी 1983 देश के 15 वे बाघ अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था। 1991 में 54.47 वर्ग किमी. को बक्सा वन्यजीव अभयारण्य में जोड़ा गया था। फिर एक साल बाद 1992 में पश्चिम बंगाल सरकार ने बक्सा वन्यजीव अभयारण्य के 117.10 वर्ग किमी. में एक राष्ट्रीय उद्यान बनाने की घोषणा की। 759 वर्ग किलोमीटर में फैले इस बाघ अभयारण्य को कई नदियों और उनकी सहायक नदियों द्वारा पार किया जाता है, यह भारत और भूटान के बीच हाथियों के प्रवास के लिए एक अंतरराष्ट्रीय गलियारे के रूप में काम करता था।

इंद्रावती टाइगर रिजर्व – इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान, छत्तीसगढ़

इंद्रावती नेशनल पार्क छत्तीसगढ़ राज्य के बीजापुर जिले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। लगभग 2799.08 वर्ग किमी. के कुल क्षेत्रफल के साथ 1981 में इंद्रावती ने राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना किया गया और 1983 में भारत के प्रसिद्ध प्रोजेक्ट टाइगर के तहत इंद्रावती टाइगर रिजर्व बनाया गया। आज ये भारत के सबसे प्रसिद्ध बाघ अभयारण्यों में से एक हैं। इसका नाम इंद्रावती नदी के कारण पड़ा है। जो पूर्व से पश्चिम तक बहता है और भारतीय राज्य महाराष्ट्र के साथ आरक्षित की उत्तरी सीमा बनाता है।

नागार्जुन श्रीशैलम टाइगर रिजर्व – नागार्जुन श्रीशैलम राष्ट्रीय उद्यान, आंध्र प्रदेश

आंध्रप्रदेश राज्य में स्थित नागार्जुन सागर श्रीशैलम बाघ रिज़र्व भारत का एक बहुत बड़ा बाघ आरक्षित क्षेत्र है। कृष्णा नदीं के किनारे बसे इस टाइगर रिजर्व को 1978 में अधिसूचित किया गया था तथा 1983 में प्रोजेक्ट टाइगर के संरक्षण के तहत शामिल किया गया। फिर 1992 में इसका नाम परिवर्तित कर राजीव गांधी वन्यजीव अभयारण्य कर दिया गया था। बाघ रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 3,728 वर्ग किमी. है। इस टाइगर रिजर्व का मुख्य क्षेत्र 1,200 वर्ग किमी. है। जो पांच जिलों, नालगोंडा, महबूबनगर, कुर्नूल, प्रकाशम और गुंटूर के जिलों में फैला हुआ है।

नामदाफा टाइगर रिजर्व – नामदाफा राष्ट्रीय उद्यान, अरुणाचल प्रदेश

नमदाफा टाइगर रिजर्व भारत और म्यांमार के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अशांत नोआ – दिहिंग नदी के किनारे स्थित है। नामदाफा को 1972 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था। फिर इसे 1983 में एक बाघ रिजर्व और राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। नामदाफा पार्क का कुल क्षेत्रफल लगभग 1807.82 वर्ग किमी. हैं। नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान पूर्वी हिमालयी जैव विविधता हॉटस्पॉट में सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र है। जो दुनिया में सबसे उत्तरी तराई वाले सदाबहार वर्षावन हैं।

दुधवा टाइगर रिजर्व – दुधवा राष्ट्रीय उद्यान, उत्तर प्रदेश

दुधवा टाइगर रिजर्व उत्तर प्रदेश में एक संरक्षित क्षेत्र है जो मुख्य रूप से लखीमपुर खीरी और बहराइच जिलों में फैला है जो भारत-नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करता है, और इसमें दुधवा राष्ट्रीय उद्यान, किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य और कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं। 1987 में, दुधवा राष्ट्रीय उद्यान और किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य को दुधवा टाइगर रिजर्व के रूप में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के दायरे में लाया गया।

कलकड-मुंडनथुरई टाइगर रिजर्व – कलकड-मुंडनथुरई वन्य जीव अभ्यारण्य, तमिल नाडु

1962 में कलक्कड़ वन्यजीव अभयारण्य (251 वर्ग किमी) और मुंडनतुरई वन्यजीव अभयारण्य (567 वर्ग किमी) की स्थापना हुई थी। फिर 1988 में इन दोनों को मिलाकर कलकड मुंडनथुरई टाइगर रिजर्व बनाया गया। फिर बाद में इसमें 1996 में कन्याकुमारी जिले में वीरपुली और किलामलाई रिजर्व फॉरेस्ट के कुछ हिस्सों से 77 वर्ग किमी और जोड़े।

बाल्मीकि टाइगर रिजर्व – बाल्मीकि वन्यजीव अभयारण्य, बिहार

पश्चिम चंपारण प्रकृति की गोद में बसे वाल्मीकिनगर की फिजा पर्यटकों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है । 880 वर्ग किलोमीटर जंगल का 530 वर्ग किलोमीटर इलाका बाघ परियोजना के लिए आरक्षित है। नेपाल और  उत्तरप्रदेश की सीमा पर स्थित यह टाइगर रिजर्व प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।

पेंच राष्ट्रीय उद्यान – मध्य प्रदेश

मोगली लैण्ड के नाम से मशहूर पेंच राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है। 292.83 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस राष्ट्रीय उद्यान का नामकरण इसे दो भागों में बांटने वाली पेंच नदी के नाम पर हुआ है। देश का सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व होने का गौरव प्रात करने वाले पेंच राष्ट्रीय उद्यान को 1993 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। कहा जाता है। रुडयार्ड किपलिंग की भारत के जंगलों पर आधारित कथाएँ यहीं से प्रेरित मानी जाती हैं और विशेषकर “द जंगल बुक” जिसके प्रमुख पात्र का नाम मोगली है। का इस क्षेत्र से सम्बन्ध है।

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