भारत में आपातकाल | Emergency In India
भारत एक संसदीय लोकतंत्र देश है, जिसके कारण किसी भी देश से युद्ध करने से पहले संसद में बिल पास कराने की आवश्यकता होती है। देश की अखंडता, एकता एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए देश के संविधान में कुछ ऐसे प्रावधान बनाये गए हैं, जिसके तहत केंद्र सरकार बिना किसी रोक – टोक के कभी भी देश में आपातकाल को लागू कर सकती है। तो चलिए देखते आखिरकार ये आपातकाल के है क्या, क्या इसके मायने।
आपातकाल क्या है?
किसी भी लोकतांत्रिक देश में आपातकाल या इमरजेंसी एक ऐसा संविधान है जिसका उपयोग देश की आतंरिक सुरक्षा की भावना से किया जाता है। भारतीय संविधान के भाग 18 में अनुच्छेद 352 से 360 तक आपातकाल के प्रावधानों को जगह दी गयी है। आपातकाल किसी देश में सरकार द्वारा गंभीर स्थिति का निपटारा नहीं कर पाने पर आपातकाल की घोषणा की जाती है।
आपातकाल कौन लगाता है?
इमरजेंसी या आपातकाल की स्तिथि में देश पूर्ण रूप से केंद्र सरकार के नियंत्रण में रहती है। देश में आपातकाल केवल देश के राष्ट्रपति द्वारा ही लागू किया जा सकता है। यदि देश में युद्ध की संभावना होती है तो उस स्तिथि में आपातकाल की घोषणा की जा सकती है। आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार के पास असीमित शक्तियां होती है जिसका उपयोग देश के कल्याण एवं सुरक्षा हेतु किया जाता सकता है।
आपातकाल कब लगाया जाता है ?
जब देश की सुरक्षा को खतरा हो जैसे युद्ध, बाहरी आक्रमण और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो, तब आपातकाल लगाया जाता है। किसी भी लोकतांत्रिक देश में आपातकाल एक ऐसा संविधान है, जिसका उपयोग देश की आतंरिक सुरक्षा की भावना से किया जाता है।
आपातकाल का महत्व
किसी भी लोकतांत्रिक देश में आपातकाल एक ऐसा संविधान है, जिसका उपयोग देश की आतंरिक सुरक्षा की भावना से किया जाता है। आपातकाल की स्तिथि में देश पूर्ण रूप से केंद्र सरकार के नियंत्रण में रहती है। यदि किसी देश को युद्ध की आशंका होती है, तो इस स्तिथि में देश के राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की घोषणा कर दी जाती है। देश में आपातकाल केवल देश के राष्ट्रपति द्वारा ही लागू किया जा सकता है। आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार के पास असीमित शक्तियां होती है, जिसका उपयोग देश के कल्याण एवं सुरक्षा हेतु किया जाता है।
आपातकाल के प्रभाव
- आपातकाल लागू होने के बाद राज्य की कार्यपालिका शक्ति केंद्र कार्यपालिका शक्ति के अंतर्गत कार्य करती है।
- इमरजेंसी या आपातकाल में राज्य सरकार की शक्ति को केंद्र सरकार द्वारा कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया जाता है।
- आपातकाल के लागू होने के पश्चात भारत का संविधान संघात्मक से एकात्मक संविधान हो जाता है।
- इमरजेंसी की स्तिथि में चुनाव को भी स्थगित कर दिया जाता है। एवं नागरिक अधिकारों को समाप्त कर दिया जाता है।
भारत में आपातकाल
यदि किसी करणवश आपात स्थिति घोषित की जाती है, तो आपातकाल की घोषणा के एक माह के अन्दर संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखा जाता है। शुरुआत में यह समय 2 माह का होता था, परन्तु 1948 के 44 वें संशोधन में इसकी समय सीमा घटाकर एक माह कर दी गयी।
- यह नेशनल इमरजेंसी को कैबिनेट की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा लागू कर भारत में आपातकाल का सिध्दांत जर्मनी के संविधान से लिया गया है।
- भारत में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के आधार पर राष्ट्रपति तब तक राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा नहीं कर सकता जब तक संघ का मंत्रिमंडल लिखित रूप से ऐसा प्रस्ताव उसे न भेज दे।
- यह संविधान के भाग 18 में है। इसके अनुसार जब आंतरिक अथवा बाह्य कारणों से देश की सुरक्षा को खतरा हो तो राष्ट्रपति पूरा देश अपने हाथ में ले सकता है।
- भारत में भारतीय संविधान के भाग 18 में अनुच्छेद 352 से 360 तक आपातकाल के प्रावधानों को जगह दी गयी है।
- आपातकाल की स्तिथि में देश पूर्ण रूप से केंद्र सरकार के नियंत्रण में रहती है ।
आपातकाल कितने प्रकार के होते है?
भारतीय संविधान में 3 प्रकार के आपातकाल का प्रावधान किया गया है, जो इस प्रकार से है :
- राष्ट्रीय आपातकाल – अनुच्छेद 352 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 (1) के अंतर्गत राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- वित्तीय आपातकाल – वित्तीय आपातकाल के दौरान केंद्र के कार्यकारी अधिकार विस्तृत हो जाते हैं, जिससे वह देश के किसी भी राज्य को उपयुक्त वित्तीय आदेश जारी करता है।
- आर्थिक आपातकाल – भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 के अंतर्गत आर्थिक आपातकाल का प्रावधान किया गया है। यह देश की अर्थव्यवस्था पूर्ण रूप ध्वस्त होने की स्थिति में आ जाए, इस इमरजेंसी के अंतर्गत देश में रहने वाली जनता के धन और संपत्ति पर देश का अधिकार हो जाएगा।
इसमें से आर्थिक आपातकाल को छोड़कर शेष दोनों आपातकाल लागू हो चुके है। इसके अलावा राज्य आपातकाल भी होता है।
राज्य आपातकाल :
राष्ट्रपति शासन या स्टेट इमरजेंसी – अनुच्छेद 356 भारतीय संविधान के 356 के राजनीतिक संकट उत्पन्न होनें के कारण राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है। इसे संवैधानिक आपातकाल या राज्य आपातकाल के नाम से भी जाना जाता है।
अबतक भारत में कितने आपातकाल लगे है?
सबसे पहले भारत में आपातकाल 26 अक्तूबर 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय लगाया गया था। दूसरा आपातकाल भारत और पाकिस्तान युद्ध के समय 3 दिसम्बर 1971 में श्रीमती इंदिरा गांधी के कहने पर तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद द्वारा लगाया गया था, और तीसरा आपातकाल, देश में श्रीमती गांधी द्वारा ही 25 जून 1975 को लगवाया गया।
भारत में आपातकाल से जुड़े कुछ और महत्वपूर्ण सवालो के जवाब
भारत में आपातकाल कहाँ से लिया गया है?
आपातकाल का सिध्दांत भारत में जर्मनी के संविधान से लिया गया है। यह संविधान के भाग 18 में है। इसके अनुसार जब आंतरिक अथवा बाह्य कारणों से देश की सुरक्षा को खतरा हो तो राष्ट्रपति पूरा देश अपने हाथ में ले सकता है।
अनुच्छेद 352 356 और 360 क्या है?
भारत में आपातकाल की स्थिति शासन की अवधि को संदर्भित करती है जो कि भारत के संविधान अनुच्छेद 352 से 360 के तहत भाग 18 में निहित है। इन विशेष आपातकालीन प्रावधान को संकट स्थितियों के दौरान भारत के राष्ट्रपति द्वारा घोषित किया जा सकता है।
आर्टिकल 359 में क्या है?
अनुच्छेद 359 भारत के राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए किसी भी अदालत को स्थानांतरित करने के अधिकार को निलंबित करने का अधिकार देता है। राष्ट्रपति के आदेश के तहत, राज्य सरकार कोई भी कानून बना सकती है या निर्दिष्ट मौलिक अधिकारों का हनन या कोई कार्रवाई कर सकती है।
अब तक अनुच्छेद 356 का प्रयोग कितनी बार हुआ है?
अनुच्छेद-356, 1950 में भारतीय संविधान के लागू होने के बाद से केन्द्र सरकार द्वारा इसका प्रयोग 100 से भी अधिक बार किया गया है।
राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कौन करता है?
1976 के 42वें संशोधन अधिनियम के अनुसार राष्ट्रपति, राष्ट्रीय आपातकाल को देश के किसी विशिष्ट भाग तक सीमित कर सकते हैं। राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा मंत्रिपरिषद से लिखित अनुशंसा प्राप्त करने के बाद ही की जा सकती है। आपातकाल की उद्घोषणा को एक महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।
भारत में कितनी बार आपातकाल लगा हैं?
अब तक भारत में तीन बार राष्ट्रीय आपातकाल लगाया गया है। 25 जून 1975 आंतरिक अशांति केकारण।
भारत में दूसरा राष्ट्रीय आपातकाल कब लगा?
3 से 17 दिसंबर 1971 के बीच भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान दूसरे आपातकाल की घोषणा भी की गई थी, बाद में इसे 25 जून 1975 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए तीसरे उद्घोषण के साथ बढ़ाया गया था। यह ‘आपातकाल’ आंतरिक गड़बड़ी के कथित खतरे के कारण लगाया गया था।
भारत में तीसरा राष्ट्रीय आपातकाल कब लगा?
तीसरा आपातकाल भारत में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सलाह पर लागू किया गया था।
भारत में पहली बार राष्ट्रपति शासन कब लगा था?
राष्ट्रपति शासन पहली बार 1951 में लगा था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, आजादी के बाद पंजाब वह राज्य था, जहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। कांग्रेस में फूट की वजह से यहां 20 जून 1951 से 17 अप्रैल 1952 के बीच राष्ट्रपति शासन लगाया गया।
अब तक कितनी बार राष्ट्रपति शासन लगा है?
आजादी के बाद से देश में अब तक 132 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है।
राष्ट्रपति शासन कौन हटा सकता है?
राष्ट्रपति किसी भी समय राज्य के राष्ट्रपति शासन को हटा सकता है, इसके लिए राष्ट्रपति को किसी भी तरह से संसद की स्वीकृति की आवश्यकता नही है।