प्रसिद्ध किताबें और लेखक | भारत के प्रसिद्ध पुस्तकें और उनके लेखक

विश्व प्रसिद्ध किताबें और उनके लेखक

भारत आदिकाल से ही विद्वानों का देश रहा है, और इसकी झलक आप सीधे सीधे किताबों में देख सकते हैं, भारत की लेखकों द्वारा की गई रचनाएं बेहद ज्ञानवर्धक और अलग होता हैं। तो आइए देखते है कि प्रसिद्ध किताबें और लेखक,भारत के 85+ विश्व प्रसिद्ध पुस्तकें और उनके लेखक कौन कौन से हैं?

भारत के प्रसिद्ध किताबें और लेखक की पूरी सूची

इस आर्टिकल की प्रमुख बातें

प्रसिद्ध किताबें और लेखक | भारत के प्रसिद्ध पुस्तकें और उनके लेखक

भारत के कुछ विश्व प्रसिद्ध किताबें और उनके लेखक कौन कौन से है आइये देखते है विस्तृत जानकारी के साथ।

1. पंचतंत्र – विष्णु शर्मा

संस्कृत नीतिकथाओं में पंचतन्त्र का पहला स्थान माना जाता है। अनुमानतः इसकी रचना तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व आस-पास निर्धारित की गई है। इस ग्रंथ के रचयिता पं. विष्णु शर्मा हैं। पंचतन्त्र को पाँच तन्त्रों (भागों) में बाँटा गया है।

2. प्रेमवाटिका – रसखान

प्रेमवाटिका के इस कृति मे भक्ति रस,और श्रृंगार रस दोनों की प्रधानता मिलती है। इस कृति मे कुल 53 दोहे है। जिसकी रचना भक्ति कालिन के कवि रसखान द्वारा लिखी गई एक प्रसिद्ध कृति की रचना सन् 1971 मे की गई।

3. मृच्छकटिकम् – शूद्रक

मृच्छकटिकम् इसका अर्थात (मिट्टी का खिलोना ) इसकी रचनाकार शूद्रक जी है यह रचना लगभग प्रथम इसवी सती की रचना कहीं जा सकती है। इस रचना मे संस्कृत और साहित्य मे सबसे अधिक लोकप्रिय है। इस कथा वास्तु मे 10अन्को का परिचय भी है। यह रचना नागरिक जीवन का भी चित्र अंकित करता है।

4. कामसूत्र – वात्स्यायन

महर्षि वात्स्यान की रचित भारत की प्राचीन कामसूत्र ग्रन्थ जो पूरे विश्व की यौन मिलन यह कामसूत्र मे लिखी रचनाए यौन के प्रेम मानसिक सिद्धांत और प्रयोग का पूरी तरह स्पष्ट मे विवेचना की गई है। कामसूत्र का स्थान अर्थ के क्षेत्र् मे है। इस रचना मे 7 अधिकरण,36 अध्याय,64 प्रकरण और 1250 श्लोक है।

5. दायभाग – जीमूतवाहन

दायभाग इंद्र का एक ग्रन्थ है जिसका प्रचार पंजाब, काशी, मिथिला से लेकर दक्षिण कन्याकुमारी तक प्रचलित है। इसमें दो प्रधान पक्छ मिलते है- मीताक्षरा और दायभाग। दायभाग हिन्दू धर्मशास्त्र् के प्रधान विषय मे से एक है और मीताक्षरा याज्ञवल्क्य स्मृति का विज्ञानेश्वर टीका है।

6. नेचुरल हिस्ट्री – प्लिनी

नेचुरल हिस्ट्री ज्ञान का खजाना है। इसमें भारत के बहुत से स्थानों का उल्लेख मिलता है और ऐसा व्याख्या भी है जो और कहीं नहीं मिलता नेचुरल हिस्ट्री 37 भागो मे जिसके छटवे भाग मे भारत का उल्लेख है। इस हिस्ट्री की रचना प्राचीन इतिहास के व्यक्ति एक प्रमुख रोमन भुगोलवेत्ता प्लिनी ने किया।

7. दशकुमारचरितम् – दण्डी

दण्डी द्वारा रचित दशकुमार चरित अतिसुन्दर कथा तथा संस्कृत गधय्कव्य् है। इसमें दश कुमारो का चरित वणित होने के कारण इसका नाम दसकुमारचरित् है। अनंतशयन ग्रन्थावली त्रिवेंद्रम से भासित खोज से यह और भी जटिल हो गई है इस ग्रन्थ का मध्य भाग जिसमें आठ उच्छवास है जिसे दशकुमारचरित के नाम से जाना जाता है संस्कृत साहित्य मे इसका स्थान अनुपम है।

8. अवंती सुन्दरी – दण्डी

अवती सुंदरी कथा संस्कृत साहित्य के अंतर्गत एक गद्कव्य् तथा एक अतिआवश्यक कथा प्रबंध के रूप मे विख्यात है। इसका कथा काल्पनिक है इसका कथा अध्यन दशकुमारचरित की भाती है यह कथा एक महत्वपूर्ण कृति है संस्कृत गद्कव्य् मे यह एक निश्चित सोपान के रूप मे माना जाता है

9. बुध्दचरितम् – अश्वघोष

संस्कृत का महाकाव्य बुद्धचरितम् जिसकी रचनाकार दूसरी शताब्दी मे अश्वघोष जी ने किया इसमें गौतम बुद्ध के जीवन चरित् का स्पस्ट वर्णन है इस महाकव्य का शुरुआत बुद्ध के गर्भकाल होती है यह महाकाव्य मे 15 से 28 सर्गो की मूल संस्कृत भाषा मे उपलब्ध है

10. कादम्बरी् – बाणभटृ

बाणभटृ की रचना काद्म्बरी जो संस्कृति साहित्य के महान उपन्यास है इसकी कथा काल्पनिक गुणाढ् तय द्वारा रचित वृहदकथा के राजा सुमनास से ली गई है यह एक काल्पनिक कथा है कादम्बरी अपनी अद्भुत कथा वास्तु के कारण सदा कोतूहल की वस्तु रही है।

11. अमरकोष – अमर सिहं

अमरकोश संस्कृत कोस के लोकप्रिय और एक प्रसिद्ध रचना है अमरकोश के रचयिता अमरसिह् को प्रथम शताब्दी के विक्रमादित्य मानते है। यह विश्व का पहला समान्तर् कोस है इस कोस दस हज़ार नाम है जिसमें मोहिनी के साढ़े चार हज़ार और हलायुग् के आठ हज़ार है।

12. शाहनामा – फिरदौसी

शाहनामे इस ग्रन्थ मे ईरान के अरबी फतह के पूर्व की रचना है यह फ़ारसी भाषा के महाग्रंथ है इसके रचयिता फिरदौसी के 30 साल की मेहनत 1010 मे तैयार हुई इसमें ईरान की प्राचीन उलब्धियो का वर्णन है।

13. साहित्यलहरी – सुरदास

साहित्य लहरी सूरदास जी की रचना जिसमें रस, अलंकार और नायिका भेद का प्रतिपादन है साहित्य लहरी एक लघु रचना है इसके अंतिम पद् मे सूरदास जी का वंश वृक्ष दिया गया है इस कृति की रचना स्वयं कवि ने दिया है।

14. सूरसागर – सुरदास

महाकवि सूरदास द्वारा ब्रजभाषा मे रचे सूरसागर एक सूंदर संकलन है इस काव्य मे भक्ति की प्रधानता है इसमें दो प्रसंग है श्री कृष्ण जी की बाल लीला और भरणगीत् सार सूरसागर मे लगभग एक लाख पद है।

15. हुमायूँनामा – गुलबदन बेग

हुमायूँनामा मुग़ल के प्रसिद्ध बादशाह की जीवनी है इस रचना को उनकी बेगम गुलबदन् द्वारा रचित कि गई है। इस पुस्तक मे बाबर और हुमायूँ की बहुत सी बातें लिखी हुई है हुमायूँनामा तत्कालीन सामाजिक स्तिथी पर काफी प्रकाश डाला है।

16. नीति शतक – भर्तृहरि

नितिशतक मे परोपकारीता, वीरता, साहस, उद्योग, उदारता आदि मानवी भागो के मूल्यों से मानव जीवन की उजागर करने का प्रयास किया है। निति शतक भिर्तृहरि द्वारा रचित महाकाव्य है इसमें निति से सम्बन्धित सौ श्लोक है।

17. श्रृंगारशतक – भर्तृहरि

कवि ने इस रचना मे स्त्रियों के हाव-भाव, प्रकार और उनका आकर्षक व उनके शारिरिक सुंदरता के बारे मे कवि ने विस्तार से स्पस्ट किया है कवि ने हर्षजनक सौन्दर्य तथा पुरुषो को आकार्षित कराने वाले श्रृंगार का चित्रण है।

18. वैराय्ग शतक – भर्तृहरि

भर्तृहरि कवि जी के तीन विख्यात शतको मे से एक है इस शतक मे वैराग्य के प्रति सो श्लोक है इस शतक मे संसार के आकर्षणों और भोगो के प्रति उदासीनता के भाव का चित्रण मिलता है।

19. मुद्राराक्षस – विशाखदत्त

मुद्राराक्षस संस्कृत का नाट्यम परम्परा का ऐतिहासिक नाटक है इस रचना को चौथी शताब्दी मे विशाख्दत् द्वारा रचा गया था इसमे चाणक्य की राजनीती और सफलताओ का वर्णन मिलता है। इसकी कथा वास्तु प्रख्यात है।

20. अष्टाध्यायी – पाणिनी

अष्टाध्यायी मे आठ अध्याय है प्रत्येक अध्याय मे चार पद है। यह छह वेदान्गो का मुख्य मना जाता है। अष्टाध्यायी एक प्राचीन ग्रन्थ है अष्टाध्यायी मे कुल 3155 सूत्र है यह महर्षि पणिनी द्वारा रचित संस्कृत व्याकरण का ग्रन्थ है।

21. भगवत् गीता – वेदव्यास

भगवत गीता मे 18 अध्याय और 700 श्लोक है यह महाभारत के भीष्म पर्व का हि एक अंग है गीता की गणना प्रस्थानतयी मे की जाती है श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया था उसे भगवतगीता के नाम से प्रसिद्ध है इसी को वेदव्यास जी ने भगवत गीता नामक ग्रन्थ की रचना की।

22. महाभारत – वेदव्यास

महाभारत काव्य के रचनाकार वेदव्यास जी है इस काव्य मे वेद, वेदान्गो और उपनिषदो के बहुत से रहस्यो को पूरा किया महाभारत हिन्दू मान्यता, पूराणो, धार्मिक, ऐतिहासिक, और दार्शनिक के सन्दर्भों क स्पस्ट रूप से व्याख्यात ग्रन्थ है

23. मिताक्षरा – विज्ञानेश्वर

मिताक्षरा ग्रन्थ जन्म उतराधिकार सिद्धांत के लिए प्रसिद्ध है जिसकी रचना 11वी शताब्दी मे विज्ञानेश्वर ने की मिताक्षरा के अनुसार सभी व्यक्ति जन्म से ही अपने पिता के सयुंक्त परिवार सम्पति के हिस्सेदारी मे शामिल हो जाते है तथा 2005 मे क़ानून संशोधन के बाद महिलाओं को भी शामिल किया गया ।

24. राजतरंगिणी – कल्हण

राजतरंगिणी एक कविता है। राजतरंगिणी लगभग 1157 से 1159 तक बताया जाता है। इसकी रचना कल्हण ने की राजतरंगिणी का शाब्दिक अर्थ राजाओं की नदि है।

25. अर्थशास्त्र – चाणक्य

सभासद का वह हिस्सा जिसमें चीज़ और परिचर्या के उत्पादन, वितरण, विनियम और व्यवहार का अध्यन किया जाता है अर्थशास्त्र का प्रयोग समझने के लिया किया जाता है अर्थशास्त्र विषय से सबंधित है जो कौटिल्य द्वारा रचित है।

26. कुमारसंभवम् – कालिदास

कालिदास के इस काव्य अनेको तीर्थस्थल का वर्णन मिलता है कवित्व और काव्य कला की कसौटी पर कुमारसम्भव एक श्रेष्ठ महाकव्य सिद्ध होता है यह महाकाव्य 16 सर्गो मे समाप्त होता है।

27. रघुवंशम् – कालिदास

कालिदास द्वारा रचित रघुवंश एक महाकाव्य है। इस महाकाव्य मे रघु कुल मे उत्पन्न 29 राजाओं राजाओं का 21 प्रकार के छंदों से वर्णन मिलता है इस महाकाव्य मे 19 सर्गो का उपयोग किया गया है

28. अभिज्ञान शाकुन्तलम् – कालिदास

कवि ने इस महान नाटक मे मुद्रा द्वारा बौध कराया है। महाकवि कालिदास का विश्वविख्यात नाटक अभिज्ञान शाकुन्तलम् इस काव्य मे राजा दुष्यन्त तथा शकुन्तला के प्रेम, वियोग, विवाह प्रत्याख्यान तथा पूर्नमिलन् की एक अनोखी कहानी है।

29. गीतगोविन्द – जयदेव

गीत गोविन्द जयदेव जी की काव्य रचना है इस रचना मे श्री कृष्ण जी की रासलीला, राधा कृष्ण का वर्णन, राधा की कृष्ण के लिए उत्सुकता, उलाम्भ कसमे इन सब का वर्णन जयदेव जी ने इस काव्य मे किया।

30. मालतीमाधव – भवभूति

भवभूति जी की यह कथा 10 अंको का प्रकरण है इस कथा मे माधव की कल्पना से प्रस्तुत प्रेमकथा है। इसमें प्रेम का उत्कृष्ट वर्णन है।

31. उत्तररामचरित – भवभूति

भवभूति एक सफल नाटककार् है उत्तररामचरित महाकवि भवभूति जी का प्रसिद्ध संस्कृत नाटककार है इस कथा मे श्री राम जी के उत्तर जीवन का वर्णन मिलता हैं। इसमें राम द्वारा सितत्याग् का वर्णन भी हुआ है।

32. पद्मावत् – मलिक मो. जायफजल

पद्मावत् महाकाव्य मे कुल 57 खन्ड है तथा 653 दोहे की संख्या है। इसकी रचना सन् 947 हिजरी (संवत 1540) मे मालिक मो. जायसी द्वारा की गई यह एक सचित्र पाण्डुलिपि (1759) ईस्वी से लिया गया है। यह अवधि भाषा की पहली प्रमुख् रचना है इसमें रतसेन् और पद्मिनी की प्रेम कथा का विस्तारपूर्वक वर्णन है।

33. आईने अकबरी – अबुल फजल

आईने अकबरी के तीन खंड है और अंतिम पद अकबरनामा के नाम से है चुकी इसकी रचना अकबर के नवरत्न अबुल फजल ने 16 शताब्दी मे की थी।

34. अकबरनामा – अबुल फजल

अकबरनामा के रचनाकार मुग़ल सल्तनत के राजा अकबर के ही नवरत्न अबुल फजल ने अकबर के जीवन के बारे मे स्पस्ट रूप से वर्णन किया है जिसका शाब्दिक अर्थ अकबर की कहानी है।

35. बीजक – कबीरदास

कबीरदास की यह पवित्र पुस्तक बीजक कबीर दास जी के प्रामाणिक् कृतियो मे से एक मानी जाती है। इसमें चौतीस चौपाईयां हैं। और पहली ॐकार की व्याख्या करने पर पैतिस हो जाती है इसमें कबीर दास जी ने अपने सिद्धांतो और उपदेशों को मौखिक रूप से स्पस्ट किया है बीजक कबीर साहेब के सिद्धांतो का मूल ग्रन्थ कहा जाता है।

36. रमैनी – कबीरदास

रमैनी बीजक की ही प्रस्तावना है इसमें कबीर जी ने हिन्दू मुसलिम को सामान अधिकार, सामान धार्मिक शिक्षा दी है रमैनी मे चार स्थलों पर जीओ का उपदेश दिया है और अपने विचारो को निर्भयपुर्वक् समाज के समक्ष रखा कबीर दास के यथार्थ सार और आत्म संबंधी रहस्य रमैनी मे ही मिलते है।

37. सबद – कबीरदास

सबद की सखियाँ मे कबीरदास जी ने ज्ञान की महिमा, प्रेम का महत्त्व, संत के लक्षण, बाह्याडंबरों का विरोध, सहज भक्ति का महत्त्व, अच्छे कर्मों की महत्ता आदि बहुत से भावों का वर्णन किया है यह कबीर द्वारा रचित सात सखियों का संकलन है।

38. किताबुल हिन्द – अलबरूनी

अरबी भाषा मे लिखी गई किताब-उल्-हिन्द् अल्-बेरुनी की कृति है इस ग्रन्थ मे मपतन्त्र, क़ानून, भार तौल, मूर्ती कला, सामाजिक जीवन, रीती रीवाज, खगोल विज्ञान, और दर्शन, विज्ञान आदि विषयो की गई है यह एक सरल और स्पस्ट भाषा है।

39. चित्रांगदा – रविन्द्र नाथ टैगौर

महाभारत के अर्जुन और इंद्रप्रस्थ की चित्रांगदा जब अर्जुन इंद्रप्रस्थ मे प्रस्थान करता है तो चित्रांगदा उस पर मोहित हो जाती है। इसी की कहानी का रविंद्र नाथ टैगोर जी ने स्पस्ट मे वर्णन किया है।

40. गीतांजली – रविन्द्र नाथ टैगौर

रविन्द्रनाथ् ठाकुर ने 1910 गितो का संग्रह गीतांजलि नामक कृति का वर्णन किया इसमें बंगाली और अंग्रेजी भाषा का अधिकतम प्रयोग है गीतांजलि का अर्थ गीतों का उपहार है जो कि एक प्रसिद्द पुस्तक है।

41. भारत-भारती – मैथलीशरण गुप्त

मैथलीशरण गुप्त जी द्वारा 1912-13 मे एक प्रसिद्ध काव्य कृति लिखी गई इस कृति मे प्रेम तथा वर्तमान के दुर्दशा से निकालने का समाधान का सफल प्रयोग किया है। भारत भारती किसी शोध कार्य से कम नहीं है।

42. कागज ते कैनवास – अमृता प्रीतम

अमृता प्रीतम ने कागज ते कैनवास कविता लिखी जो उत्तरकलीन प्रतिनिधित्व कवितओ क संग्रहित है जिसके के कारण अमृता प्रीतम को 1980-81 मे भारतीय ज्ञानपीठ से पुरुस्कृत से सम्मानित किया।

43. सखाराम बाइण्डर – विजय तेंदुलकर

सखाराम बाइण्डर एक नाटक जिसकी भाषा मराठी है यह नाटक विजय तेंदुलकर द्वारा लिखित है। पहली बार 1972 मे प्रदर्शित किया 1974 मे भारत मे प्रतिबन्ध कर दिया गया।

44. कामयानी – जयशंकर प्रसाद

जयशंकर प्रसाद जी की महाकव्य कामयानी प्रसाद जी की अंतिम काव्य रचना जो 1936 ई० मे प्रकाशित हुई कामयानी आधुनिक छायावाद के श्रेष्ठ और मार्गदर्शन महाकव्य है।

45. आँसू – जयशंकर प्रसाद

यह एक गितात्मक काव्य है। जो जयशंकर प्रसाद जी द्वारा लिखित है। इस काव्य का प्रकाशन 1925 मे हुई। आंसू मे 136 छ्न्द थे और अभी कुछ जोड़े कुछ निकले तो कुल 190 हो गए। इस काव्य मे खंड विभाजन नहीं है।

46. लहर – जयशंकर प्रसाद

जयशंकर प्रसाद जी द्वारा लिखित लहर एक प्रौढ रचनाकाल है। इसमे कवि के सर्वोत्तम कविताये है। रचनाए संकलित 1930 से 1935 तक संकलित कि गई

47. अनामिका – सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’

अनामिका कि इस कविता संग्रह मे 9 कविताये है माया, अध्यात्मक फल, अधिवास, जलद, तुम और मैं, जूही की कलि, पंचवटी संग्रह, सच्चा प्यार तथा लज्जित कविता सूर्य कांत त्रिपाठी द्वारा लिखा गया है।

48. परिमल – सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’

परिमल एक कविता संग्रह है। परिमल की यह कविता 1929 मे प्रकाशित हुई। जिसके रचयिता सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी है।

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49. यामा – महादेवी वर्मा

महादेवी जी की रचित यामा एक कविता संग्रह है जिसमें 4 कवितायों का संग्रह है – जिसमें नीहार, नीरजा, रश्मि और सान्ध्य् गीत है।

50. ए वाइस ऑफ फ्रिडम – नयन तारा सइस्लाम

1977 मे लिखी गई ए वाइस ऑफ फ्रिडम की पुस्तक है। नयन तारा सइस्लाम एक भारतीय लेखिका है जो अंग्रेजी मे लिखती है। यह राजनीती और सरकार से सम्बंधित है।

51. एरिया ऑफ डार्कनेस – वी. एस. नायपॉल

वी. एस. नायपॉल द्वारा लिखी एन एरिया ऑफ डार्कनेस किताब है इसमें भारत के एक घायल सभ्यता (1977) तथा भारत के मिलियन (1990) विद्रोह शामिल है।

52. अग्निवीणा – काजी नजरुल इस्लाम

अग्निवीणा पहली पुस्तका है जो बिसवी शताब्दी के सबसे प्रसिद्ध बंगाली कवियों मे से एक है। काजी नजरुल इस्लाम जी द्वारा लिखी गई अग्निवीणा 1329( अक्टूबर 1922) मे प्रकाशित हुआ

53. गोदान – प्रेमचन्द्र

गोदान का प्रकाशन 1936 ई० हिंदी ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय बम्बई द्वारा किया गया यह प्रेमचन्द की अंतिम और महत्वपूर्ण उपन्यास था।

54. गबन – प्रेमचन्द्र

गबन नायिका जालपा एक चंद्रहार पाने के लिए लालयित है गबन प्रेमचन्द्र द्वारा रचित उपन्यास है। इसका अर्थात महिलाओंं के पति जीवन मे प्रभाव पर बताया गया है।

55. कर्मभूमि – प्रेमचन्द्र

प्रेमचन्द की राजनीती उपन्यास कर्मभूमि जो 1932 मे प्रसिद्ध हुआ इस उपन्यास मे राजनीती के विभिन्न समस्याओ का कुछ परिवार के माध्यम से वर्णन किया है।

56. रंगभूमि – प्रेमचन्द्र

प्रेमचन्द द्वारा रचित रंगभूमि उपन्यास पूंजीवाद तथा लोगो के संघर्ष तथा बदलाव, सत्य, निष्ठा, अहिंसा के प्रति आग्रह, नौकरशाही की एक महान गाथा की बात कहीं है। यह पुस्तक भारतीय साहित्य की धरोवर् है।

57. कितनी नावों में कितनी बार – अज्ञेय

अज्ञेय जी की यह कविता 1962-66 तक की एक प्रसिद्ध कविताये है। इसमे विश्व भर के स्वयं सेवक योगदान कर्ताओ ने विभिन्न स्रोत कविता कोष मे सलग्न किया।

58. गोल्डेन थेर्सहोल्ड – सरोजिनी नायडू

1905 मे लिखी गोल्डेन थेर्सहोल्ड यह सरोजनी जी की प्रथम कविता संग्रह है। इस कविता मे उन्होंने लन्दन-टाईम्स और मेनचेस्टर गार्जियन जैसे अखबारों मे अपनी कविता लिखी

59. ब्रोकेन विंग्स – सरोजिनी नायडू

1912 मे सरोजनी जी ने ब्रोकेन विंग्स एक कविता की रचना की जिससे उसे भारत की कोकिला कहा गया। यह एक प्रशिद्ध कविता है।

60. पल्लव – सुमित्रानन्दन पंत

सुमित्रानन्दन पंत जी की तीसरी किताब पल्लव जो एक कविता संग्रह है यह 1928 मे सबके सामने आया इसकी सभी कविता छायावादी युग के समय का था और सभी कविता प्रकृति प्रेम मे डुबी है। इस कविता संग्रह का शीर्षक भी पल्लव है।

61. चिदम्बरा – सुमित्रानन्दन पंत्त

चिदम्बरा संग्रह मे युगवाणी, आतिमा, ग्राम्या, सवर्ण किरण, युग्पथ्, स्वर्ण धूलि, युगान्तर, उत्तरा, रजतशिखर जैसे तक की रचना का एक सलग्न संग्रह है। चिदम्बरा सन् 37 से 57 तक बिस वर्ष का विकास श्रेणी का विस्तार हैं।

62. कुरूक्षेत्र – रामधारी सिहं ‘दिनकर’

ककरूक्षेत्र् एतिहासिकता को लेकर महाभारत के शांति मंगल कार्य को देखते हुए राष्ट्रकवि रामधारी सिंह साहब ने इसके आधारित महाकाव्य की रचना की जिसका प्रकाशन सन् 1946 मे हुआ यह एक बहुचर्चित तथा अधिक लोकप्रिय भी है।

63. उर्वशी – रामधारी सिहं ‘दिनकर’

1961 मे प्रकाशित रामधारी सिंह दिनकर जी रचित उर्वशी जो की एक काव्य नाटक है। इस कृति मे उर्वशी और पुरुरवा अलग-अलग प्यास लेकर आए है। उर्वशी प्रेम और सौन्दर्य का काव्य हैं यह दिनकर जी की महत्वपूर्ण कृति है।

64. द डार्क रूम – आर. के. नारायण

द डार्क रूम आर. के. नारायण द्वारा रचित उपन्यास मे पति-पत्नी के बिगड़ते सम्बन्ध के बारे मे बहुत ही मार्मिक और ह्रदयरुपि चित्रण किया है।

65. मालगुड़ी डेज – आर. के. नारायण

1982 मे लिखी मालगुड़ी डेज आर. के. नारायण द्वारा रचित उपन्यास है। इस पुस्तक मे 32 कहानियाँ है। यह दक्षिण भारत मे स्थित एक काल्पनिक शहर मालगुडी पर आधारित है।

66. गाइड – आर. के. नारायण

गाइड भारतीय लेखक आर. के. नारायण ने 1958 मे अंग्रजी भाषा मे लिखी उपन्यास यह पुस्तक आध्यात्मिक मार्गदर्शन तथा भारत के महान पवित्र व्यक्तियो के परिवर्तन का वर्णन करते हुए समझाया है।

67. माइ डेज – आर. के. नारायण

माइ डेज 1974 मे लिखी यह किताब नारायण की बचपन की पालन पोषण से शुरू होती है यह नारायण की आत्मकथा है।

68. नेचर क्योर – मोरारजी देसाई

नेचर क्योर देसाई जी की यह पुस्तक सामान्य अवस्था और प्राकृतिक से रिलेटेड तथा चिकत्सक के तुरंत इलाज का सरल उपचार बताया गया इस पुस्तका मे 71 पृष्ठ है।

69. चन्द्रकान्ता – देवकीनन्दन खत्री

चन्द्रकान्ता देवकीनंदन जी की विश्व प्रशिद्ध उपन्यास है घटना योग्य, रहस्यमयी, जादूगरी, वाला यह उपन्यास प्रसिद्ध लोकप्रिय के शीर्ष ओर है। इसमें 403 पृष्ठ है।

70. देवदास – शरतचन्द्र चटोपाध्याय

इस पुस्तक मे देवदास की बॉलपन से लेकर वपिरि जीवन का गाथा मिलता गई। शरतचन्द्र चटोपाध्याय द्वारा लिखी गई यह पुस्तक 2002 मे प्रकाशित हुई इसमें कुल 139 पृष्ठ है।

71. चरित्रहीन – शरतचन्द्र चटोपाध

शरतचन्द्र चटोपाध की चरित्रहीन पुस्तक 2005 मे प्रकाशित हुई इस पुस्तक मे 392 पृष्ठ है इसकी कहानी पश्चिम हिंदुस्तान के एक बड़े नगर से आरम्भ होती है।

72. विसर्जन – रविन्द्र नाथ टैगौर

उपन्यास के प्रथमान्श के आधार पर ठाकुर जी ने विसर्जन नामक नाटक की रचना की

73. डिवाइन लाइफ – शिवानंद

दी डिवाइन लाइफ हिन्दू अध्यात्मक संगठन तथा आश्रम है।

भारत के कुछ और महत्वपूर्ण प्रसिद्ध किताबें और उनके लेखक

  • गार्डनर – रविन्द्र नाथ टैगौर
  • हंग्री स्टोन्स – रविन्द्र नाथ टैगौर
  • गोरा – रविन्द्र नाथ टैगौर
  • चाण्डालिका – रविन्द्र नाथ टैगौर
  • दिल्ली – खुशवंत सिहं
  • द कम्पनी ऑफ वीमैन – खुशवंत सिहं
  • इंडियन फिलॉस्पी – डॉ. एस. राधाकृष्णन
  • इंटरनल इंडिया – इंदिरा गाँधी
  • लाइफ डिवाइन – अरविन्द घोष
  • ऐशेज अॉन गीता – अरविन्द घोष

तो आपने देखा किस प्रकार भारत के प्रसिद्ध किताबें और उनके लेखक है जो दुनियाभर अपनी छाप छोड़ने में कामयाब हुए है। अगर आपको प्रसिद्ध किताबें और लेखक, भारत के प्रसिद्ध पुस्तकें और उनके लेखक हेल्पफुल लगा हो तो अपनो के से साथ जरूर शेयर करे।

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